25-05-2022, 04:15 PM
(25-05-2022, 04:14 PM)neerathemall Wrote:बुआ के साथ मेरा पहला सेक्स अनुभव
मेरी बुआ का नाम सिमरनजीत है, पर सब उसे प्यार से सिमी बुलाते हैं. उसकी उम्र उस समय 31 वर्ष थी उसके फिगर 34-32-36 का है. उसकी शादी पंजाब के ही एक गांव में हुई थी, जिससे उसे एक 6 साल की लड़की भी थी … पर बाद में उसने अपने पति से तलाक ले लिया.
बुआ अपने माता पिता के साथ ही रहती थी और अक्सर हम लोगों से मिलने हमारे घर आ जाती थी. उसका घर हमारे गाँव से कुछ ही दूरी पर था. समाज के ताने सुनने से बचने के लिए वो मेरे घर कुछ अधिक ही आने जाने लगी थी. इसी लिए वह अब हमारे यहां कभी कभी तो एक डेढ़ महीना तक रुक जाती थी.
फिर उसे हमारे ही गांव के एक लड़के से प्यार हो गया और तीन साल पहले बुआ ने उसके साथ शादी कर ली.
जब वो शादी से पहले हमारे घर आती थी, उस समय वो मुझे बहुत अच्छी लगती थी. पर मैंने उसके साथ कभी कुछ गलत करने के नहीं सोचा था.
शादी के 4 महीने बाद बुआ के पति को किसी काम के सिलसिले में 15 दिन के लिए बाहर जाना पड़ा, तो वो मेरे पिताजी से बोल गए कि मुझे रात को उनके घर भेज दिया करें, क्योंकि मेरी बुआ की फैमिली में सिर्फ उनके पति और वो ही हैं.
जब मैं रात को सोने के लिए बुआ के घर गया, तो वो टीवी देख रही थी. मैं भी उसके साथ टीवी देखने लगा.
रात तो 10 बजे हम सोने के लिए जाने लगे, तो बुआ ने कहा- तुम इसी कमरे में साथ ही सो जाओ. मुझे अकेले डर लगता है.
मैंने हां कह कर नीचे बिस्तर लगाने का कहा, तो उसने कहा- इसी बिस्तर पर लेट जाना.
मैंने तब भी कोई आपत्ति नहीं की. मैं एक ही बिस्तर पर उसके बाजू में सो गया.
रात एक बजे मेरी नींद खुली. तो मैंने देखा कि मेरा हाथ उसके चूचों पर था और मेरी एक टांग उसकी टांगों पर थी. वो गहरी नींद में सो रही थी.
मैं उठ कर पेशाब करने गया और आकर लेट गया … लेकिन बुआ के चूचों के मखमली अहसास से नींद मेरी आंखों से दूर भाग गई थी. फिर मुझे कब नींद आ गई, पता ही नहीं चला.
सुबह उठ कर मैं अपने घर आ गया.
दूसरे दिन जब मैं सोने के लिए उसके घर गया, तो वो खाना खा रही थी. बुआ ने मुझसे खाने के लिए पूछा, तो मैंने मना कर दिया और टीवी देखने लगा.
उसके बाद हम सोने चले गए.
उस रात भी वैसा ही हुआ … मेरा हाथ उसकी चूची पर था और वो आज भी गहरी नींद में सो रही थी. आज मेरे मन में उसके लिए गलत विचार आने लगे. मुझसे रहा नहीं गया और मैं बुआ के मम्मों को धीरे धीरे दबाने लगा और सोने का नाटक करने लगा.
तभी बुआ की नींद खुल गई और पता नहीं कैसे, उसको पता चल गया कि मैं नाटक कर रहा हूँ. वो मुझे डांटने लगी और दूसरी तरफ मुँह करके सो गई.
अगले दिन मैं थोड़ा लेट उठा और अपने घर आ गया. उस रात को मैं उसके घर देर से पहुंचा. वो सोने की तैयारी कर रही थी. मैं चुपचाप जाकर सो गया. उस रात मैंने कुछ नहीं किया.
अगले दिन जब मैं उठा, तो उसने मुझे अपने पास बुलाया और बोली- कल रात की बात को लेकर नाराज हो क्या?
तो मैंने ना में सर हिला दिया.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.