25-05-2022, 04:06 PM
फिर रात को बेडपर जाने के बाद मेरे पति फिर से वही बात पूछते हैं। मैं शांत ही रहती हूँ।
फिर पति के बार बार कहने पर मैं बोली "अगर मैं आपकी बात मान भी लुँ तो क्या भरोसा कि अगला इस बात को राज ही रखेगा"।
तब विवेक(मेरे पति) ने कहा "अगर तुम राजी हो तो हम कोई ऐसे आदमी को ही शामिल करेंगे जो कोई भी बात किसी को ना कहे।"
"कौन है वह आदमी? तुम्हारा कोई दोस्त"
"नहीं! कोई ऐसा जो हमारे राज को राज रखे। जो बहुत ही नजदीकी हो।"
"ऐसा कौन है नजदीकी व्यक्ति"
कुछ देर सोचने के बाद मेरे पति ने कहा "रवि के बारे में तुम्हारा क्या खयाल है।"
रवि का नाम सुनकर एक बार तो मैं खुश हो गयी क्योंकि रवि के साथ तो मेरा संबंध आगे बढ़ने के बावजूद मैं उससे अभी तक चुदी नहीं थी। मैंने अपनी खुशी दबाते हुए कहा "यह आप क्या कह रहे हैं? रवि मेरा भतिजा है और फिर वह मानव से थोडा़ ही तो बडा़ है।"
"रवि इसलिए क्योंकि हम उस पर विश्वास कर सकते हैं कि वह हमारी बातों को राज रखेगा। फिर उम्र तो कोई मायने नहीं रखता है।"
"ठीक है पर क्या आप उससे जाकर कहेंगें कि आओ और अपनी बुआ को चोदो। क्या यह ठीक रहेगा?"
"दो दिन बाद उसका जन्मदिन है। मैं उसे शाम को किसी तरह बाहर भेज दुँगा। उस दौरान तुम तैयार होकर उसके कमरे में चली जाना और बत्ती बंद कर लेना। मैं उससे कहुँगा कि वह कमरा बंद कर बत्ती जलाए, उसका तोहफा वहीं है। फिर देखते हैं वह क्या करता है। अगर वह मान जाता है तब आगे देखते हैं।"
"ठीक है। अगर कुछ गड़बड़ हुई तो आप ही संभालना।" यह कहकर मैं करवट लेकर सो गयी।
अगले दो दिनों तक मेरी अपने पति से कोई विशेष बात नहीं हुई।
तिसरे दिन सुबह उठने पर मैंने रवि को जन्मदिन की बधाई दी और अपने काम में लग गयी। मेरे पति ने भी रवि को जन्मदिन की बधाई दी और मुझे शाम के लिए इशारा किया। फिर तैयार होकर औफिस चले गये। अपना काम खत्म कर मैं भी ब्युटि पार्लर चली गयी। दोपहर बाद मैं घर आई तो रवि घर ही था। हमनें खाना खाया। खाने के बाद रवि अपने क्लास चला गया। मैं भी थोडा़ आराम करने लगी।
शाम को सात बजे के आसपास मेरे पति भी आ गये। थोडी़ देर बाद रवि भी आया। आते ही मेरे पति ने कुछ कुछ काम बताकर बाहर भेज दिया और मुझे तैयार होकर उसके कमरे में जाने को बोला। मैं भी तैयार होने लगी।
तैयार होने के बाद मैंने रवि का कमरा भी थोडा़ ठीक किया। उसके आने से पहले मैं उसके कमरे में गयी और बिस्तर पर बैठ गयी। मेरे पति ने मुझे चादर से ढ़ककर बत्ती बंद कर दिया और बाहर चले गये।
रवि के आने के बाद मेरे पति ने उससे कहा "रवि आज तुम्हारे जन्मदिन पर मैंने तुम्हारा तोहफा तुम्हारे कमरे में रख दिया है। कमरे में जाओ और कमरा बंद कर अपना तोहफा ले लो। अगर पसंद आए तो ठीक नहीं तो तोहफा वापस भी कर सकते हो। लेकिन किसी भी सूरत में तोहफे के बारे में किसी से कोई बात नहीं करनी है, यह याद रखना।
रवि अब कमरे में आया और कमरा बंद कर बत्ती जलायी। बत्ती जलाने के बाद उसने बिस्तर मुझे ढ़ँका हुआ पाया और उसने मेरे उपर से चादर हटाया। चादर हटाने के बाद मुझे देखने पर सोचने लगा।
फिर पति के बार बार कहने पर मैं बोली "अगर मैं आपकी बात मान भी लुँ तो क्या भरोसा कि अगला इस बात को राज ही रखेगा"।
तब विवेक(मेरे पति) ने कहा "अगर तुम राजी हो तो हम कोई ऐसे आदमी को ही शामिल करेंगे जो कोई भी बात किसी को ना कहे।"
"कौन है वह आदमी? तुम्हारा कोई दोस्त"
"नहीं! कोई ऐसा जो हमारे राज को राज रखे। जो बहुत ही नजदीकी हो।"
"ऐसा कौन है नजदीकी व्यक्ति"
कुछ देर सोचने के बाद मेरे पति ने कहा "रवि के बारे में तुम्हारा क्या खयाल है।"
रवि का नाम सुनकर एक बार तो मैं खुश हो गयी क्योंकि रवि के साथ तो मेरा संबंध आगे बढ़ने के बावजूद मैं उससे अभी तक चुदी नहीं थी। मैंने अपनी खुशी दबाते हुए कहा "यह आप क्या कह रहे हैं? रवि मेरा भतिजा है और फिर वह मानव से थोडा़ ही तो बडा़ है।"
"रवि इसलिए क्योंकि हम उस पर विश्वास कर सकते हैं कि वह हमारी बातों को राज रखेगा। फिर उम्र तो कोई मायने नहीं रखता है।"
"ठीक है पर क्या आप उससे जाकर कहेंगें कि आओ और अपनी बुआ को चोदो। क्या यह ठीक रहेगा?"
"दो दिन बाद उसका जन्मदिन है। मैं उसे शाम को किसी तरह बाहर भेज दुँगा। उस दौरान तुम तैयार होकर उसके कमरे में चली जाना और बत्ती बंद कर लेना। मैं उससे कहुँगा कि वह कमरा बंद कर बत्ती जलाए, उसका तोहफा वहीं है। फिर देखते हैं वह क्या करता है। अगर वह मान जाता है तब आगे देखते हैं।"
"ठीक है। अगर कुछ गड़बड़ हुई तो आप ही संभालना।" यह कहकर मैं करवट लेकर सो गयी।
अगले दो दिनों तक मेरी अपने पति से कोई विशेष बात नहीं हुई।
तिसरे दिन सुबह उठने पर मैंने रवि को जन्मदिन की बधाई दी और अपने काम में लग गयी। मेरे पति ने भी रवि को जन्मदिन की बधाई दी और मुझे शाम के लिए इशारा किया। फिर तैयार होकर औफिस चले गये। अपना काम खत्म कर मैं भी ब्युटि पार्लर चली गयी। दोपहर बाद मैं घर आई तो रवि घर ही था। हमनें खाना खाया। खाने के बाद रवि अपने क्लास चला गया। मैं भी थोडा़ आराम करने लगी।
शाम को सात बजे के आसपास मेरे पति भी आ गये। थोडी़ देर बाद रवि भी आया। आते ही मेरे पति ने कुछ कुछ काम बताकर बाहर भेज दिया और मुझे तैयार होकर उसके कमरे में जाने को बोला। मैं भी तैयार होने लगी।
तैयार होने के बाद मैंने रवि का कमरा भी थोडा़ ठीक किया। उसके आने से पहले मैं उसके कमरे में गयी और बिस्तर पर बैठ गयी। मेरे पति ने मुझे चादर से ढ़ककर बत्ती बंद कर दिया और बाहर चले गये।
रवि के आने के बाद मेरे पति ने उससे कहा "रवि आज तुम्हारे जन्मदिन पर मैंने तुम्हारा तोहफा तुम्हारे कमरे में रख दिया है। कमरे में जाओ और कमरा बंद कर अपना तोहफा ले लो। अगर पसंद आए तो ठीक नहीं तो तोहफा वापस भी कर सकते हो। लेकिन किसी भी सूरत में तोहफे के बारे में किसी से कोई बात नहीं करनी है, यह याद रखना।
रवि अब कमरे में आया और कमरा बंद कर बत्ती जलायी। बत्ती जलाने के बाद उसने बिस्तर मुझे ढ़ँका हुआ पाया और उसने मेरे उपर से चादर हटाया। चादर हटाने के बाद मुझे देखने पर सोचने लगा।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.