25-05-2022, 04:00 PM
मैं अपना लंड हिलाने लगा. उसी बीच न जाने कैसे उन्हें दरवाजे के बाहर हलचल समझ आ गई और मेरी मौसी जान गई थीं कि मैं जाग गया हूँ और उन्हें देख रहा हूँ. मौसी ने दरवाजे को खींचा, तो मैं समझ गया कि शायद मौसी ने मेरी उपस्थिति को महसूस कर लिया है. ये सोचते ही मानो मेरे लौड़े लग गए थे और कैसे भी करके मैं वहां से कमरे में आ गया. मेरी हालत खराब हो गई थी.
इधर मेरा लंड बिना झड़े मानने को तैयार नहीं था. मैंने कैसे भी करके अपने लंड की मुठ मारी और खुद को शांत किया. अब मेरा नजरिया मौसी के लिए बदल गया था. दिन भर मैं बस उनके चूचों को देखता और उनको चोदने की तमन्ना मन में बसाए हुए लंड सहलाता रहता था.
सुबह जैसे ही मौसी नहाने जातीं … मैं दरवाजे की झिरी से मौसी का नंगा बदन देखने लगता था.
मौसी भी अपनी चुत में उंगली करती रहतीं और अपने दूध दबाती रहती थीं.
दो दिन बाद बात ही बात में मौसी को चोदने का अवसर बनता नजर आया.
उस दिन मौसी और मैं लूडो खेल रहे थे.
मौसी ने मैक्सी पहनी हुई थी. जिसका गला काफी खुला हुआ था. मैंने एक ढीला सा बरमूडा पहना था. ऊपर कट वाली बनियान पहनी थी. मेरा चौड़ा सीना शायद मौसी को भाने लगा था. वो झुक झुक कर लूडो की डायस फैंक रही थीं और अपनी गोटियां चल रही थीं. इससे उनके मम्मे साफ़ दिख रहे थे.
तभी मैंने मौसी की एक गोटी मार दी.
मौसी एकदम से बोलीं- अरे यार, मेरे पीछे क्यों पड़ा है, तूने तो मेरी पकी पकाई मार दी.
मैं उस समय मौसी के मम्मे देख कर मस्त हो रहा था और उनके मुँह से ये सुनकर कि मैंने उनकी मार दी है … मैं एकदम से गनगना गया.
कुछ देर बाद मैं गेम जीत गया, तो मौसी बोलीं- चल, अब बाद में खेलेंगे. मैं उनकी तरफ देखने लगा. अब हमारी बातें होने लगीं.
मौसी ने मुझे एक अजीब सी बात पूछी- तेरा किसी लड़की से चक्कर तो जरूर होगा बाबू?
मैं चौंक गया और बोला- अरे नहीं मौसी … ऐसा कुछ नहीं है.
मौसी थोड़ा हंसी.
फिर उन्होंने मुझसे सीधे सीधे वो पूछ लिया, जिसका इंतजार मुझे इतने दिनों से था- तब तो तूने कभी वो सब भी नहीं किया होगा?
मैं- वो सब क्या मौसी?
मौसी – देख ज्यादा भोला मत बन … मुझे सब पता है.
मैं- क्या मौसी ?
मौसी बनावटी गुस्से में बोलीं- अच्छा … तू उस दिन से मुझे रोज सुबह नहाती देखता है ना?
इधर मेरा लंड बिना झड़े मानने को तैयार नहीं था. मैंने कैसे भी करके अपने लंड की मुठ मारी और खुद को शांत किया. अब मेरा नजरिया मौसी के लिए बदल गया था. दिन भर मैं बस उनके चूचों को देखता और उनको चोदने की तमन्ना मन में बसाए हुए लंड सहलाता रहता था.
सुबह जैसे ही मौसी नहाने जातीं … मैं दरवाजे की झिरी से मौसी का नंगा बदन देखने लगता था.
मौसी भी अपनी चुत में उंगली करती रहतीं और अपने दूध दबाती रहती थीं.
दो दिन बाद बात ही बात में मौसी को चोदने का अवसर बनता नजर आया.
उस दिन मौसी और मैं लूडो खेल रहे थे.
मौसी ने मैक्सी पहनी हुई थी. जिसका गला काफी खुला हुआ था. मैंने एक ढीला सा बरमूडा पहना था. ऊपर कट वाली बनियान पहनी थी. मेरा चौड़ा सीना शायद मौसी को भाने लगा था. वो झुक झुक कर लूडो की डायस फैंक रही थीं और अपनी गोटियां चल रही थीं. इससे उनके मम्मे साफ़ दिख रहे थे.
तभी मैंने मौसी की एक गोटी मार दी.
मौसी एकदम से बोलीं- अरे यार, मेरे पीछे क्यों पड़ा है, तूने तो मेरी पकी पकाई मार दी.
मैं उस समय मौसी के मम्मे देख कर मस्त हो रहा था और उनके मुँह से ये सुनकर कि मैंने उनकी मार दी है … मैं एकदम से गनगना गया.
कुछ देर बाद मैं गेम जीत गया, तो मौसी बोलीं- चल, अब बाद में खेलेंगे. मैं उनकी तरफ देखने लगा. अब हमारी बातें होने लगीं.
मौसी ने मुझे एक अजीब सी बात पूछी- तेरा किसी लड़की से चक्कर तो जरूर होगा बाबू?
मैं चौंक गया और बोला- अरे नहीं मौसी … ऐसा कुछ नहीं है.
मौसी थोड़ा हंसी.
फिर उन्होंने मुझसे सीधे सीधे वो पूछ लिया, जिसका इंतजार मुझे इतने दिनों से था- तब तो तूने कभी वो सब भी नहीं किया होगा?
मैं- वो सब क्या मौसी?
मौसी – देख ज्यादा भोला मत बन … मुझे सब पता है.
मैं- क्या मौसी ?
मौसी बनावटी गुस्से में बोलीं- अच्छा … तू उस दिन से मुझे रोज सुबह नहाती देखता है ना?
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.


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