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तुम्हारी रचना मौसी
#24
वो चिढ़ कर बोलीं- ये तो पहनी हुई है न मैंने! भूल गए तुमने ही पहनाए थे?

“सॉरी मासी मैं भूल गया था!” मैंने कहा.
पर वो जान चुकी थीं कि मेरे मन में क्या है.
“सच में भूल गए थे या नाटक कर रहे थे? सब पता है मुझे … तुम कितने नालायक हो. मेरे मना करने के बाद भी देखा मैंने कि तुम कितनी ताकझाँक कर रहे थे.” वो बोलीं.
मैंने अपना बचाव करते हुए कहा- नहीं मासी, ऐसी कोई बात नहीं है.
फिर मैंने उन्हें मदद की चेंज करने में!
उनकी कमीज उन्होंने खुद ही निकाल ली और सलवार निकालने के लिए मेरी मदद मांगी.
अब वो ऊपर से सिर्फ ब्रा में ही थीं.
क्या बताऊं … उस वक्त मैं तो सिर्फ उनके गोरे बदन को देखे जा रहा था.
उनके बड़े बड़े बूब्स देख कर तो मेरा खड़ा ही हो गया. उनके बूब्स ब्रा में समा नहीं रहे थे और निप्पलों का उभार साफ साफ दिख रहा था.
फिर मैंने उनकी सलवार निकालने में मदद की.
उन्होंने खुद ही नाड़ा खोल लिया और मैंने फिर उसे उनकी कमर पर से नीचे कर दिया.
फिर वो अपने पैर चिपका कर बैठी थीं ताकि उनकी पैंटी ना दिखे.
मगर इस वजह से सलवार उनके जांघों में से सरक नहीं रही थी तो मैंने उनसे पैर फैलाने को कहा.
उन्होंने कहा- पहले तुम आँखें बंद कर लो!
मैंने हाँ कहते हुए अपनी आँखें बंद कर लीं.
उन्होंने अपने पैर फैलाए और मैंने उनकी सलवार नीचे खींच कर निकाल ली.
अब मासी सिर्फ ब्रा पैंटी में बैठी थी.
मैंने उन्हें गाउन निकाल कर दिया और पहनने में मदद की. ऊपर से पहनने के बाद गाउन नीचे तक करते वक्त मैंने फिर से उनकी पैंटी में छुपी हुई चूत देखी.
चूत का उभार पैंटी पर से दिख रहा था, उनकी पैंटी हल्की सी गीली थी सफेद रंग होने के वजह से गीलापन दिखाई पद रहा था.
इस बार उन्होंने फिरसे मुझे देखते हुए पकड़ लिया और मुस्कुरा कर बोलीं- क्या मिल गया देख के? सिर्फ चड्डी ही दिख रही है … कोई फायदा नहीं!
मैं नजर चुराते हुए बोला- सॉरी मासी!
फिर उन्होंने अपनी दर्द की गोलियां खा ली और सोने चली गई.
रात हो चुकी थी, मासी सो गई थीं.
पर मैं तो अभी भी उनकी चूत को याद करके अपनी भावनाओं को काबू करने की कोशिश कर रहा था.
फिर मैं उठा और लाइट बंद करने गया और देखा कि उनकी अलमारी खुली ही थी.
मैं उसे बंद करने वहाँ गया तो देखा कि उनका अन्डरवीयर का ड्रॉअर खुला था और उसमें से उनके ब्रा, पैंटी दिखाई पड़ रहे थे.
मैंने मौके का फायदा उठाया और उसमें से उनकी एक गुलाबी पैंटी निकाली.
शायद वो धुली हुई नहीं थी, उस पर उनकी चूत का पानी लगा हुआ था, सफेद सफेद से दाग पड़ गए थे.
उसे सूंघने से पता चला कि मासी की चूत की खुशबू उत्तेजित करने वाली थी; असली मादक भरी पूरी औरत की खुशबू जो किसी को भी दीवाना कर दे!
पर मैंने खुद पर कंट्रोल किया और उसे वापस वहीं पर रख के सोने चला गया.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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Messages In This Thread
मौसी - by neerathemall - 23-05-2022, 03:36 PM
RE: तुम्हारी रचना मौसी - by neerathemall - 25-05-2022, 03:52 PM



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