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तुम्हारी रचना मौसी
#23
तो वो खुद उठ नहीं पा रही थी इसलिए उन्होंने मुझसे कहा थोड़ा खींचने के लिए!

मैंने ये करते वक्त अपनी आँखें खोली.
और जब मैं पैंटी ऊपर कर रहा था, तब मैंने मासी की चूत देखी.
उफ्फ़ … उस वक्त का मेरा एहसास मुझे जिंदगी भर याद रहेगा.
उनकी चूत हल्की सी काली … ज्यादा नहीं, हल्के हल्के बालों वाली, और थोड़ी सी गीली भी थी. उस पर सफेद पानी लगा हुआ था.
मासी ने मुझे सब कुछ देखते हुए देख लिया था पर वो उस वक्त कुछ नहीं बोलीं.
तब मैंने मासी को सलवार कमीज पहनने में मदद की. टॉप पहनाते वक्त उन्होंने अपने हाथ ऊपर उठाए, तब मैंने उनके बगल देखे, पूरे सफेद चिकने हल्के लंबे बाल!
उफ्फ़ और क्या मादक खुशबू थी उनकी!
फिर मैंने उन्हें सलवार पहनने में मदद की. सलवार पहनाते वक्त उनकी जांघों को स्पर्श किया, इतनी नर्म और काफी उत्तेजित करने वाली.
तब मेरी नजर फिर से उनके पैंटी में कैद चूत पे पड़ी.
पैंटी पूरी चूत में चिपक सी गई थी जिसकी वजह से चूत का पानी पैंटी पर से दिखाई पड़ रहा था क्योंकि पैंटी ने वो सोख लिया था.
फिर मैंने उनकी सलवार को कमर तक ऊपर किया और ऐसे करते वक्त पीछे से उनके गांड के दरार को भी छू लिया.
सलवार कमर पर लाने के बाद मैंने उसका नाड़ा बांधा और उनके नाभि के निचले हिस्से को स्पर्श किया.
उफ्फ़ … वो भी कुछ कम नहीं था.
इतना चिकना और मादक जिस्म कि मन तो बस चाट लेने का कर रहा था.
मगर मैंने कंट्रोल किया.
वो दिन मैं कभी नहीं भूल सकता मासी को ब्रा, पैंटी में देखकर मेरा तो मन विचलित हो उठा था और उनकी चूत तो मेरे दिमाग में घर कर गई.
फिर मैं उन्हें उठाकर ले गया और अस्पताल में दिखा कर घर ले आया.
अस्पताल में एक्स रे करवाने पर पता चला कि मासी के पैर में मोच आ गई है फ़्रक्चर नहीं हुआ था.
मासी को डॉक्टर ने बेड रेस्ट करने कहा था.
मैंने मासी से कह दिया कि अब वो कोई भी काम नहीं करेंगी, सब मैं करूंगा.
हमने खाना बाहर से मंगवाने का निश्चित किया.
अब समय बर्बाद न करते हुए कहानी के अहम हिस्से की ओर बढ़ते है.
तो उस दिन मासी का मैं ही ख्याल रख रहा था.
मासी को दर्द की दवाई के कारण नींद आ गई थी और वो दिन भर सोती रही.
शाम को जब उनकी आँख खुली तो उन्होंने देखा कि वो अभी भी सलवार कमीज में ही थीं.
उन्होंने मुझे बुलाया और फिर से कपड़े बदलने में मदद करने के लिए कहा.
मैंने उनके ब्रा पैंटी झट से निकाल लिए अलमारी में से!
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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Messages In This Thread
मौसी - by neerathemall - 23-05-2022, 03:36 PM
RE: तुम्हारी रचना मौसी - by neerathemall - 25-05-2022, 03:51 PM



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