25-05-2022, 03:12 PM
अब तो मैं शादीशुदा थी, मगर शादीशुदा क्या प्यार नहीं कर सकती। तो मैंने भी प्यार कर लिया, यह जानते हुये भी कि यह रिश्ता ज़्यादा चलने वाला नहीं है। हम दोनों का मकसद एक ही था, सेक्स।
एक दिन मौका देख कर मैंने उसे अपने घर बुलाया। पति तो रहते ही बाहर थे, कभी कभार 15-20 दिन में घर आते थे। मैंने यूं ही कॉलेज से छुट्टी कर ली। मैंने भी उस दिन उसको रिझाने के लिए, जीन्स की कैप्री और सफ़ेद कौटन का टॉप पहना। अब हर रोज़ कॉलेज जाना होता है तो अपनी साफ़ सफाई का मैं हमेशा ख्याल रखती हूँ, जिस्म पर बाल तो मैं एक भी नहीं रहने देती।
वो आया, मेरे लिए फूल और चॉकलेट ले कर आया। मैंने उसे बैठा कर चाय पिलाई, उसके बाद कुछ देर फालतू सी बातें करते रहे, दिल में दोनों के ये था कि कौन पहले शुरू करे।
फिर उसने ही कहा- अर्चना जी, मैं आपसे एक बात कहूँ, अगर आप बुरा न मानें तो?
मैंने हाँ कहा।
वो बोला- देखिये, फोन पर तो हमने एक दूसरे से आई लव यू कह दिया। मैं आपको सामने से भी कहना चाहता हूँ।
मैंने शर्माते हुये सर हिला दिया।
वह उठा और मेरे सामने आ कर एक घुटना टेक कर बैठ गया, मैं भी उठ कर खड़ी हो गई। उसने एक गुलाब अपनी जेब से निकाला और मेरी तरफ बड़ा कर बोला- अरची आई लव यू, क्या तुम भी मुझसे प्यार करती हो?
मैंने भी कहा- हाँ, मैं भी तुमसे प्यार करती हूँ।
वो उठ कर खड़ा हुआ और बोला- तो क्या मैं अपने प्यार को पक्का करने के लिए तुम्हें चूम सकता हूँ?
‘हाय …’ मेरा तो दिल बड़े ज़ोर से धड़का।
फिल्मों में टीवी पर ये सब देखा था कि लड़की लड़की को आई लव यू कहता है, लड़की शर्माती है। मगर सच में ये सब मेरे साथ हो रहा था, तो मुझे बड़ा अजीब सा लग रहा था। मुझे समझ में नहीं आ रहा था कि मैं क्या रिएक्ट करूँ।
मैं उसके सामने से हट गई और थोड़ा दूर जा कर उसकी तरफ पीठ करके खड़ी हो गई। मन में मेरे सौ तूफान चल रहे थे। मुझे किसी ने प्रोपोज किया और वो भी शादी के दो साल बाद। मैंने कुँवारे होते जो न सुना, न महसूस किया, वो मुझे अपनी शादी के दो साल महसूस हो रहा था। वो मेरे पीछे आया और मुझे पीछे से अपनी बांहों में भर लिया।
‘अरे यार …’
मेरे प्यार का पहला स्पर्श … मैं निहाल हो गई।
उसने झुक कर मेरे कंधे पर अपनी ठोड़ी रखी और बोला- मेरी तरफ देखो अरची?
मैं मगर वैसे ही खड़ी रही।
उसने मेरे कंधों से पकड़ कर मुझे अपनी ओर घुमाया और मेरा चेहरा ऊपर उठाया। मैंने अपनी आँखें बंद कर ली और अगले ही पल मेरे होंठों को एक बहुत ही मीठा और नर्म अहसास हुआ। उसके होंठ, मेरी पहली मोहब्बत के होंठ, मेरे होंठों से मिले। अब मैं तो पिछले दो साल से अपने पति के बेरस होंठ चूस रही थी, मगर इसके होंठ तो मुझे बड़े रसीले लगे। मैंने अपनी बांहें उसके गले में डाल दी, और फिर हम दोनों एक दूसरे से चिपक गए।
जितना उसने मेरे होंठों को चूसा, उतना ही मैं भी उसके होंठों को चूस रही थी। चुम्बन पे चुम्बन, चुम्बन पे चुम्बन। ऐसे लग रहा था, जैसे हम दोनों बरसों के प्यासे थे, और एक दूसरे के होंठों से ही हमें जीवन अमृत मिल रहा था।
उसके हाथ जो मेरी पीठ पर थे, सरक कर मेरे चूतड़ों तक जा पहुंचे, और फिर मेरी कैप्री के ऊपर से ही उसने मेरे दोनों चूतड़ों को दबाया, सहलाया। मगर मैं तो उसके होंठों को चूमते चूमते उन्हें चूसने लगी। अपनी जीभ से मैंने उसके होंठों को चाटा, उसने भी अपनी जीभ मेरे मुँह के अंदर डाल दी, मैंने चूसी। जब मैंने अपनी जीभ उसके मुँह में डाली, तो उसने भी खूब चूसी और अपनी जीभ से मेरी जीभ के साथ खूब खेला।
वैसे हमारे घर में एक दूसरे के जूठा नहीं खाते मगर होंठ चूसते वक़्त यह रूल लागू नहीं होता।
हा हा हा!
खैर … चूतड़ों से उसके हाथ सरक कर मेरी कमर पर आ गए। और क्योंकि मेरा शर्ट मेरी कैप्री से बाहर था, तो उसके बाद उसने अपने दोनों हाथ बड़े आराम से सरका कर मेरी शर्ट के अंदर कर लिए, और मेरी कमर के दोनों तरफ से सहलाते हुये ऊपर बढ़ता गया, और फिर उसने ब्रा में बंद मेरे दोनों बूब्स पकड़ लिए। मुझे कोई ऐतराज नहीं था। मुझे तो पता ही था कि अगर ये आज आया है, तो मुझे चोदे बिन नहीं जाएगा।
सोच कर तो वो भी यही आया था। मेरे मम्मे दबा कर तो जैसे वो चहक उठा; उसने अपने हाथों से मेरी शर्ट ऊपर उठाई और ब्रा में से बाहर छलक रहा मेरा हुस्न देख कर बोला- वाऊ … क्या क्लीवेज है, नाईस बूब्स!
मैं शरमाई मगर मुस्कुरा दी।
उसने मेरी ब्रा की हुक खोली और मेरी ब्रा ऊपर उठा दी। मेरे दोनों बूब्स बाहर निकल आए तो वो उन्हें अपने हाथों में पकड़ कर किसी बच्चे की तरह उनसे खेलने लगा। कभी दबाता, कभी चूसता। मैंने अपनी शर्ट उतार दी और ब्रा भी उतार दी; उसे पूरी खुली छूट दी अपने जिस्म से खेलने की।
एक दिन मौका देख कर मैंने उसे अपने घर बुलाया। पति तो रहते ही बाहर थे, कभी कभार 15-20 दिन में घर आते थे। मैंने यूं ही कॉलेज से छुट्टी कर ली। मैंने भी उस दिन उसको रिझाने के लिए, जीन्स की कैप्री और सफ़ेद कौटन का टॉप पहना। अब हर रोज़ कॉलेज जाना होता है तो अपनी साफ़ सफाई का मैं हमेशा ख्याल रखती हूँ, जिस्म पर बाल तो मैं एक भी नहीं रहने देती।
वो आया, मेरे लिए फूल और चॉकलेट ले कर आया। मैंने उसे बैठा कर चाय पिलाई, उसके बाद कुछ देर फालतू सी बातें करते रहे, दिल में दोनों के ये था कि कौन पहले शुरू करे।
फिर उसने ही कहा- अर्चना जी, मैं आपसे एक बात कहूँ, अगर आप बुरा न मानें तो?
मैंने हाँ कहा।
वो बोला- देखिये, फोन पर तो हमने एक दूसरे से आई लव यू कह दिया। मैं आपको सामने से भी कहना चाहता हूँ।
मैंने शर्माते हुये सर हिला दिया।
वह उठा और मेरे सामने आ कर एक घुटना टेक कर बैठ गया, मैं भी उठ कर खड़ी हो गई। उसने एक गुलाब अपनी जेब से निकाला और मेरी तरफ बड़ा कर बोला- अरची आई लव यू, क्या तुम भी मुझसे प्यार करती हो?
मैंने भी कहा- हाँ, मैं भी तुमसे प्यार करती हूँ।
वो उठ कर खड़ा हुआ और बोला- तो क्या मैं अपने प्यार को पक्का करने के लिए तुम्हें चूम सकता हूँ?
‘हाय …’ मेरा तो दिल बड़े ज़ोर से धड़का।
फिल्मों में टीवी पर ये सब देखा था कि लड़की लड़की को आई लव यू कहता है, लड़की शर्माती है। मगर सच में ये सब मेरे साथ हो रहा था, तो मुझे बड़ा अजीब सा लग रहा था। मुझे समझ में नहीं आ रहा था कि मैं क्या रिएक्ट करूँ।
मैं उसके सामने से हट गई और थोड़ा दूर जा कर उसकी तरफ पीठ करके खड़ी हो गई। मन में मेरे सौ तूफान चल रहे थे। मुझे किसी ने प्रोपोज किया और वो भी शादी के दो साल बाद। मैंने कुँवारे होते जो न सुना, न महसूस किया, वो मुझे अपनी शादी के दो साल महसूस हो रहा था। वो मेरे पीछे आया और मुझे पीछे से अपनी बांहों में भर लिया।
‘अरे यार …’
मेरे प्यार का पहला स्पर्श … मैं निहाल हो गई।
उसने झुक कर मेरे कंधे पर अपनी ठोड़ी रखी और बोला- मेरी तरफ देखो अरची?
मैं मगर वैसे ही खड़ी रही।
उसने मेरे कंधों से पकड़ कर मुझे अपनी ओर घुमाया और मेरा चेहरा ऊपर उठाया। मैंने अपनी आँखें बंद कर ली और अगले ही पल मेरे होंठों को एक बहुत ही मीठा और नर्म अहसास हुआ। उसके होंठ, मेरी पहली मोहब्बत के होंठ, मेरे होंठों से मिले। अब मैं तो पिछले दो साल से अपने पति के बेरस होंठ चूस रही थी, मगर इसके होंठ तो मुझे बड़े रसीले लगे। मैंने अपनी बांहें उसके गले में डाल दी, और फिर हम दोनों एक दूसरे से चिपक गए।
जितना उसने मेरे होंठों को चूसा, उतना ही मैं भी उसके होंठों को चूस रही थी। चुम्बन पे चुम्बन, चुम्बन पे चुम्बन। ऐसे लग रहा था, जैसे हम दोनों बरसों के प्यासे थे, और एक दूसरे के होंठों से ही हमें जीवन अमृत मिल रहा था।
उसके हाथ जो मेरी पीठ पर थे, सरक कर मेरे चूतड़ों तक जा पहुंचे, और फिर मेरी कैप्री के ऊपर से ही उसने मेरे दोनों चूतड़ों को दबाया, सहलाया। मगर मैं तो उसके होंठों को चूमते चूमते उन्हें चूसने लगी। अपनी जीभ से मैंने उसके होंठों को चाटा, उसने भी अपनी जीभ मेरे मुँह के अंदर डाल दी, मैंने चूसी। जब मैंने अपनी जीभ उसके मुँह में डाली, तो उसने भी खूब चूसी और अपनी जीभ से मेरी जीभ के साथ खूब खेला।
वैसे हमारे घर में एक दूसरे के जूठा नहीं खाते मगर होंठ चूसते वक़्त यह रूल लागू नहीं होता।
हा हा हा!
खैर … चूतड़ों से उसके हाथ सरक कर मेरी कमर पर आ गए। और क्योंकि मेरा शर्ट मेरी कैप्री से बाहर था, तो उसके बाद उसने अपने दोनों हाथ बड़े आराम से सरका कर मेरी शर्ट के अंदर कर लिए, और मेरी कमर के दोनों तरफ से सहलाते हुये ऊपर बढ़ता गया, और फिर उसने ब्रा में बंद मेरे दोनों बूब्स पकड़ लिए। मुझे कोई ऐतराज नहीं था। मुझे तो पता ही था कि अगर ये आज आया है, तो मुझे चोदे बिन नहीं जाएगा।
सोच कर तो वो भी यही आया था। मेरे मम्मे दबा कर तो जैसे वो चहक उठा; उसने अपने हाथों से मेरी शर्ट ऊपर उठाई और ब्रा में से बाहर छलक रहा मेरा हुस्न देख कर बोला- वाऊ … क्या क्लीवेज है, नाईस बूब्स!
मैं शरमाई मगर मुस्कुरा दी।
उसने मेरी ब्रा की हुक खोली और मेरी ब्रा ऊपर उठा दी। मेरे दोनों बूब्स बाहर निकल आए तो वो उन्हें अपने हाथों में पकड़ कर किसी बच्चे की तरह उनसे खेलने लगा। कभी दबाता, कभी चूसता। मैंने अपनी शर्ट उतार दी और ब्रा भी उतार दी; उसे पूरी खुली छूट दी अपने जिस्म से खेलने की।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
