25-05-2022, 03:07 PM
अम्मी ने रात को ही खाला को फोन करके बुला लिया. दूसरे ही दिन खाला पहुंच गईं. अम्मी ने सारी बातों की जानकारी खाला को दे दी. खाला ने अम्मी के फ़ैसले पर मुहर लगा दी और 5 दिन बाद जुमे को शादी की तारीख तय कर दी.
चूंकि मोहल्ले के लोग हमें जानते थे कि सगे भाई-बहन की शादी इस्लाम में मना है … इसलिए हम लोगों ने खाला के यहां जाकर शादी करने का फ़ैसला लिया. दूसरे दिन ऑफिस से एक हफ्ते की सीएल ले कर घर में ताला लगा कर हम तीनों खाला के घर आ गए. मैंने वापस आने के बाद घर बदलने का भी तय कर लिया था.
खाला थोड़ा लालची औरत थीं. मैंने उनके हाथ पर सब कुछ बेहतर ढंग से मैनेज करने के लिए 2 लाख का चैक रख दिया. साथ ही मैंने खाला से रात सबके सो जाने के बाद ज़ेबा से मिलने की इच्छा जताई.
खाला हंसती हुई बोलीं- अरे बेटा जल्दी क्या है … तीन दिन बाद तो किला फ़तह करना ही है … जल्दबाज़ी क्या है?
मैंने उनकी तरफ मुस्कुरा कर देखा.
तो खाला मुस्कुराते हुए बोलीं- ठीक है बाबा … सबके सोने के बाद मिला दूँगी.
खाला ने मुझे बताया कि मैंने ज़ेबा को कह दिया है कि परवेज तुमसे मिलना चाहता है. उसने हामी भर दी है.
अपनी खाला की तरफ से ग्रीन सिग्नल मिलते ही मैंने उसी रात को उससे मिलने का तय कर लिया.
ठीक समय पर मैंने धीरे से ज़ेबा के कमरे में दाखिल हो गया. उसके कमरे का दरवाजा अन्दर से खुला था. वो मुझे देख हड़बड़ा गयी और शर्म से हथेलियों से अपने मुँह छुपा लिया. मैं धीरे से उसके क़रीब गया और उसके कंधे पर हाथ रखा, तो मारे शर्म के जेबा दोहरी हो गयी.
मैं उसके बगल मैं बैठ गया और पीठ पर हाथ फेरते हुए बोला- ज़ेबा क्या तुम्हें यह शादी पसंद नहीं है. … या मैं पसंद नहीं हूँ?
ज़ेबा ने लड़खड़ाते हुए कहा- न..आ..हहीं वो ऐसी … ब्बा..आ.त न..हई है … आप ब..हुत … अच्छे हैं.
ज़ेबा शायद कुछ ज्यादा नर्वस थी. मैंने उसे अपनी बांहों में भर लिया. मैंने महसूस किया कि वो कांप रही थी. मैं उसके सिर के बालों को सहलाने लगा, तो उसने अपना मुँह मेरे सीने में छुपा लिया.
मैंने ‘ज़ेबा आई लव यू’ बोल कर उसके गाल पर एक किस कर दिया.
वो बोल पड़ी- न..हीं भैया … आज न.हीं …
मैं- अरे पगली आज कुछ नहीं करूंगा … लेकिन परसों हमारी सुहागरात होगी, उस दिन कोई बहाना नहीं चलेगा.
वो समझ गयी कि भाईजान उस दिन उसे चोदे बिना नहीं मानेंगे. कुंवारी चुत और 9 इंच का लंड … बाप रे क्या … होगा.
मेरी बहन यह सोच कर ही डर रही थी.
मैं कुछ देर रुकने के बाद ज़ेबा को गुडनाइट बोल कर अपने कमरे में आ कर सो गया.
दूसरे दिन खाला ज़ेबा को ब्यूटी पार्लर ले गईं. उधर उसके जिस्म के सारे गैरज़रूरी बालों को रिमूव करवा के वैक्सिंग और मसाज करवा दिया.
इससे ज़ेबा में अब और भी निखार आ गया था.
कल जुमे को शादी और रात में ही सुहागरात थी. एक एक पल मुझ पर भारी गुज़र रहा था. मैं ज़ेबा से हमबिस्तर होने के लिए बेताब था.
चूंकि मोहल्ले के लोग हमें जानते थे कि सगे भाई-बहन की शादी इस्लाम में मना है … इसलिए हम लोगों ने खाला के यहां जाकर शादी करने का फ़ैसला लिया. दूसरे दिन ऑफिस से एक हफ्ते की सीएल ले कर घर में ताला लगा कर हम तीनों खाला के घर आ गए. मैंने वापस आने के बाद घर बदलने का भी तय कर लिया था.
खाला थोड़ा लालची औरत थीं. मैंने उनके हाथ पर सब कुछ बेहतर ढंग से मैनेज करने के लिए 2 लाख का चैक रख दिया. साथ ही मैंने खाला से रात सबके सो जाने के बाद ज़ेबा से मिलने की इच्छा जताई.
खाला हंसती हुई बोलीं- अरे बेटा जल्दी क्या है … तीन दिन बाद तो किला फ़तह करना ही है … जल्दबाज़ी क्या है?
मैंने उनकी तरफ मुस्कुरा कर देखा.
तो खाला मुस्कुराते हुए बोलीं- ठीक है बाबा … सबके सोने के बाद मिला दूँगी.
खाला ने मुझे बताया कि मैंने ज़ेबा को कह दिया है कि परवेज तुमसे मिलना चाहता है. उसने हामी भर दी है.
अपनी खाला की तरफ से ग्रीन सिग्नल मिलते ही मैंने उसी रात को उससे मिलने का तय कर लिया.
ठीक समय पर मैंने धीरे से ज़ेबा के कमरे में दाखिल हो गया. उसके कमरे का दरवाजा अन्दर से खुला था. वो मुझे देख हड़बड़ा गयी और शर्म से हथेलियों से अपने मुँह छुपा लिया. मैं धीरे से उसके क़रीब गया और उसके कंधे पर हाथ रखा, तो मारे शर्म के जेबा दोहरी हो गयी.
मैं उसके बगल मैं बैठ गया और पीठ पर हाथ फेरते हुए बोला- ज़ेबा क्या तुम्हें यह शादी पसंद नहीं है. … या मैं पसंद नहीं हूँ?
ज़ेबा ने लड़खड़ाते हुए कहा- न..आ..हहीं वो ऐसी … ब्बा..आ.त न..हई है … आप ब..हुत … अच्छे हैं.
ज़ेबा शायद कुछ ज्यादा नर्वस थी. मैंने उसे अपनी बांहों में भर लिया. मैंने महसूस किया कि वो कांप रही थी. मैं उसके सिर के बालों को सहलाने लगा, तो उसने अपना मुँह मेरे सीने में छुपा लिया.
मैंने ‘ज़ेबा आई लव यू’ बोल कर उसके गाल पर एक किस कर दिया.
वो बोल पड़ी- न..हीं भैया … आज न.हीं …
मैं- अरे पगली आज कुछ नहीं करूंगा … लेकिन परसों हमारी सुहागरात होगी, उस दिन कोई बहाना नहीं चलेगा.
वो समझ गयी कि भाईजान उस दिन उसे चोदे बिना नहीं मानेंगे. कुंवारी चुत और 9 इंच का लंड … बाप रे क्या … होगा.
मेरी बहन यह सोच कर ही डर रही थी.
मैं कुछ देर रुकने के बाद ज़ेबा को गुडनाइट बोल कर अपने कमरे में आ कर सो गया.
दूसरे दिन खाला ज़ेबा को ब्यूटी पार्लर ले गईं. उधर उसके जिस्म के सारे गैरज़रूरी बालों को रिमूव करवा के वैक्सिंग और मसाज करवा दिया.
इससे ज़ेबा में अब और भी निखार आ गया था.
कल जुमे को शादी और रात में ही सुहागरात थी. एक एक पल मुझ पर भारी गुज़र रहा था. मैं ज़ेबा से हमबिस्तर होने के लिए बेताब था.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
