24-05-2022, 04:06 PM
3 साल पहले की बात है, मैं गाजियाबाद में एक इलेक्ट्रॉनिक की दुकान चलाता था और वहीं पास ही एक कमरा किराए पर ले कर रहता था।
मेरे कमरे के सामने एक बंगाली परिवार था। उसकी 2 लड़कियां थीं, बड़ी सुमन 22 साल की थी और नेहा 18 की थी।
नेहा का साइज़ 32-30-34 का इतना मस्त था कि साली की चूत जिसको मिल जाए, वो चोद कर मस्त हो जाए। दूसरी तरफ सुमन का साइज़ 34-32-34 का था। जब सुमन चलती तो उसकी मदमस्त चाल देख कर मेरी पूरी बॉडी में आग लग जाती थी। मैंने बहुत कोशिशों के बाद सुमन को पटा लिया।
अब सुमन जब भी मुझसे मिलने आती, तो नेहा को भी साथ ले आती थी। मुझे भी सुमन को कुछ देना होता तो नेहा के हाथों भेज देता।
हम लोग टाइम निकाल कर मिलते, तो साथ में नेहा भी होती। पहले तो नार्मल बातें होती थीं, फिर हम लोगों में किस करना और चुची को दबाना नार्मल हो गया।
मगर मुझे फुल-फ़्लैश चुदाई का मौका नहीं मिल रहा था।
हम लोग नेहा के सामने ही किस करने और मस्ती करने लगे। नेहा भी यह सब देख कर गर्म हो जाती थी, ये मैं भी नोट कर रहा था।
इसी चक्कर में सुमन अपनी चुदाई के लिए मुझे अकेली नहीं मिल पा रही थी।
एक बार सुमन ने कहा- मुझे ब्रा और पेंटी चाहिए।
मैंने उसके एक बहुत सेक्सी ब्रा और पेंटी खरीदी, मैंने सुमन से बोला मैं तेरे लिए ब्रा-पेंटी लाया हूँ, पहन कर देख ले।
उसने नेहा को ब्रा-पेंटी लेने के लिए भेज दिया। नेहा जब आई तो शाम के साढ़े सात बज गए थे, वो मेरे पास बैठ गई।
वो पास बैठी तो मैंने उसको चॉकलेट दी और ब्रा और पेंटी की पोलीथिन देकर बोला- ले अपनी दीदी को दे देना!
उसने देखा तो बोली- सारी चीजें दी को ही ला कर देना, मुझे बस चॉकलेट ही देते रहना। मेरी उम्र अब चॉकलेट खाने की नहीं है, मैं नहीं खाती तुम्हारी चॉकलेट!
और उसने गुस्से में चॉकलेट फेंक दी।
मैंने उसको देखा और हँसते हुए कहा- यार तुम्हारी दीदी ‘के’ तो मैंने पकड़ के देखे हैं, तो मुझे पता है कि उसका क्या साइज़ है।
नेहा इस पर तुरन्त बोली- तो मैंने मना किया है क्या? लो पकड़ कर देख लो और मुझे इससे अच्छी वाली लाके देना!
मैंने उसको देखा और बोला- चलो मेरे कमरे पे, तेरा नाप भी ले लूँ।
मैंने दूकान बढ़ाई और नेहा को लेकर कमरे पर आ गया. वो तुरंत मेरे पास आ गई, मैंने उसके मम्मों को सहलाना चालू कर दिया और उसको किस करने लगा। फिर मैंने उसकी कुर्ती को ऊपर करके उसका एक दूध मुँह में दबा कर चुसकने लगा। वो भी मस्त हो कर मेरे होंठों को चूसने लगी।
मैंने तुरंत अपना लंड उसके हाथों में दे दिया और वो भी मस्त होकर मेरा लंड सहलाने लगी। मैंने उसकी सलवार खोल दी और पेंटी नीचे करके उसकी चिकनी चूत को सहलाने लगा।
वो पागल हुए जा रही थी। मैंने अपने सब कपड़े निकाल दिए और उसके भी निकाल दिए।
वो बोल रही थी- अमित मैं कब से तुम से मिलना चाहती थी.. जब तुम दी को किस करते थे, मेरी चूत पानी छोड़ देती थी। मैं घर जा कर अपनी चूत में उंगली करती तब जा कर मुझे राहत मिलती थी।
मेरे कमरे के सामने एक बंगाली परिवार था। उसकी 2 लड़कियां थीं, बड़ी सुमन 22 साल की थी और नेहा 18 की थी।
नेहा का साइज़ 32-30-34 का इतना मस्त था कि साली की चूत जिसको मिल जाए, वो चोद कर मस्त हो जाए। दूसरी तरफ सुमन का साइज़ 34-32-34 का था। जब सुमन चलती तो उसकी मदमस्त चाल देख कर मेरी पूरी बॉडी में आग लग जाती थी। मैंने बहुत कोशिशों के बाद सुमन को पटा लिया।
अब सुमन जब भी मुझसे मिलने आती, तो नेहा को भी साथ ले आती थी। मुझे भी सुमन को कुछ देना होता तो नेहा के हाथों भेज देता।
हम लोग टाइम निकाल कर मिलते, तो साथ में नेहा भी होती। पहले तो नार्मल बातें होती थीं, फिर हम लोगों में किस करना और चुची को दबाना नार्मल हो गया।
मगर मुझे फुल-फ़्लैश चुदाई का मौका नहीं मिल रहा था।
हम लोग नेहा के सामने ही किस करने और मस्ती करने लगे। नेहा भी यह सब देख कर गर्म हो जाती थी, ये मैं भी नोट कर रहा था।
इसी चक्कर में सुमन अपनी चुदाई के लिए मुझे अकेली नहीं मिल पा रही थी।
एक बार सुमन ने कहा- मुझे ब्रा और पेंटी चाहिए।
मैंने उसके एक बहुत सेक्सी ब्रा और पेंटी खरीदी, मैंने सुमन से बोला मैं तेरे लिए ब्रा-पेंटी लाया हूँ, पहन कर देख ले।
उसने नेहा को ब्रा-पेंटी लेने के लिए भेज दिया। नेहा जब आई तो शाम के साढ़े सात बज गए थे, वो मेरे पास बैठ गई।
वो पास बैठी तो मैंने उसको चॉकलेट दी और ब्रा और पेंटी की पोलीथिन देकर बोला- ले अपनी दीदी को दे देना!
उसने देखा तो बोली- सारी चीजें दी को ही ला कर देना, मुझे बस चॉकलेट ही देते रहना। मेरी उम्र अब चॉकलेट खाने की नहीं है, मैं नहीं खाती तुम्हारी चॉकलेट!
और उसने गुस्से में चॉकलेट फेंक दी।
मैंने उसको देखा और हँसते हुए कहा- यार तुम्हारी दीदी ‘के’ तो मैंने पकड़ के देखे हैं, तो मुझे पता है कि उसका क्या साइज़ है।
नेहा इस पर तुरन्त बोली- तो मैंने मना किया है क्या? लो पकड़ कर देख लो और मुझे इससे अच्छी वाली लाके देना!
मैंने उसको देखा और बोला- चलो मेरे कमरे पे, तेरा नाप भी ले लूँ।
मैंने दूकान बढ़ाई और नेहा को लेकर कमरे पर आ गया. वो तुरंत मेरे पास आ गई, मैंने उसके मम्मों को सहलाना चालू कर दिया और उसको किस करने लगा। फिर मैंने उसकी कुर्ती को ऊपर करके उसका एक दूध मुँह में दबा कर चुसकने लगा। वो भी मस्त हो कर मेरे होंठों को चूसने लगी।
मैंने तुरंत अपना लंड उसके हाथों में दे दिया और वो भी मस्त होकर मेरा लंड सहलाने लगी। मैंने उसकी सलवार खोल दी और पेंटी नीचे करके उसकी चिकनी चूत को सहलाने लगा।
वो पागल हुए जा रही थी। मैंने अपने सब कपड़े निकाल दिए और उसके भी निकाल दिए।
वो बोल रही थी- अमित मैं कब से तुम से मिलना चाहती थी.. जब तुम दी को किस करते थे, मेरी चूत पानी छोड़ देती थी। मैं घर जा कर अपनी चूत में उंगली करती तब जा कर मुझे राहत मिलती थी।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
