23-05-2022, 05:06 PM
मैंने जबरदस्ती पैरों को फैलाया और उनका रस चाटने लगा.. जीभ को दाने पर रगड़ा…
मेरा लंड उनके मुँह के पास लटक रहा था, भाभी से रहा नहीं गया, वो उसे हाथ में पकड़ और खींच रही थी।
मैंने क़मर और नीचे की और उसे ठीक उनके होंठों पर टिका दिया।
थोड़ी देर तो उन्होंने कुछ नहीं किया लेकिन फ़िर अचानक उसे जीभ से चाटा और होंठ खोलकर उसे अंदर लिया।
मैंने सिहरन सी महसूस की।
मैं- आआअह्ह्ह भाभी चूसओ मेरी जान… अआः मजा आ रहा है आईईइ!
मैं तो उनके गर्म होंठों के स्पर्श से पागल हो रहा था… अब वो भी पूरी मस्ती में उसे मुँह में ले रही थी..
अचानक मैंने थोड़ा अंदर दबाया, लंड एकदम उनके हल्क तक पहुँच गया।
उन्होंने तड़प कर उसे बाहर निकाला और कहा- अब क्या मार डालोगे.. इतना लम्बा और मोटा गले के अंदर डाल रहे हो.. मेरी सांस रूक जायेगी।
मैं- ओह भाभी जी, आप इतना अच्छा चूस रही हो!
इधर भाभी की हालत फ़िर खराब होने लगी, मेरी जीभ उनकी चूत के अंदर पूरी सैर कर रही थी।
भाभी ने फ़िर से पानी छोड़ दिया, मैंने पूरा चाट लिया, उनकी गाण्ड तक बह रहा था तो गांड के छेद तक जीभ से पूरा चाटा।
इधर मुझे लग रहा था कि मेरा भी पानी भाभी के मुँह में निकल जाएगा… मैंने अपना लण्ड उनके मुँह से निकाल लिया, मेरा लवड़ा उनके थूक से गीला होकर चमक रहा था और भी मोटा हो गया था।
मैं उठ कर कमोड पर बैठ गया और भाभी को अपने पास खींचा।
भाभी- अब क्या कर रहे हो?
मैं- आओ ना, दोनों पैर साइड में कर लो और सवारी करो!
भाभी- दिमाग खराब है क्या? मुझसे नहीं होगा!
मैंने उन्हें पकड़ कर पोजिशन में लिया, अब वो मेरी गुलाम थी..
और लंड के ऊपर भाभी की चूत को सेट करके कहा- बैठो…
उन्होंने कोशिश की- …आआह नहीं होगा..
मैंने उनके चूतड़ों पर हाथ रखे और नीचे से धक्का लगाया..
आधा लण्ड गप्प से अंदर!
अब मैंने उन्हें कहा- धीरे धीरे इस पर बैठो…
वो बैठने लगी.. फ़िसलन तो थी.. अंदर घुसने लगा!
फ़िर वो रूक गई.. अभी भी थोड़ा बाहर था..
मैंने उनकी चूची और निप्पल चूसना शुरू किया, बहुत चूमाचाटी की और पीछे से उनकी गांड के सुराख में उंगली डाली।
‘उईईईईई…’
और मैंने उन्हें जोर से अपने ऊपर बिठा लिया।
पूरा लंड अंदर… और भाभी की चीख नीकल गई- आआअह्ह ह्ह्ह मर गईई ऊओह…
अभी तक दो बार चुदने के बाद भी चूत इतनी कसी लग रही थी, मुझे मज़ा और जोश दोनों आ रहा था…
भाभी मेरे सीने से चिपटी रही.. फ़िर थोड़ी देर बाद वो खुद ही मेरे लंड पर ऊपर नीचे करने लगी… मैं भी नीचे से धक्के मार रहा था।
भाभी बड़बड़ाने लगी- आआआअह, तुमने मुझे जिन्दगी का मज़ा दे दिया… अह्ह्ह मुझे माँ बना दो..
और उनके उछलने की गति बढ़ गई।
मेरा लंड उनके मुँह के पास लटक रहा था, भाभी से रहा नहीं गया, वो उसे हाथ में पकड़ और खींच रही थी।
मैंने क़मर और नीचे की और उसे ठीक उनके होंठों पर टिका दिया।
थोड़ी देर तो उन्होंने कुछ नहीं किया लेकिन फ़िर अचानक उसे जीभ से चाटा और होंठ खोलकर उसे अंदर लिया।
मैंने सिहरन सी महसूस की।
मैं- आआअह्ह्ह भाभी चूसओ मेरी जान… अआः मजा आ रहा है आईईइ!
मैं तो उनके गर्म होंठों के स्पर्श से पागल हो रहा था… अब वो भी पूरी मस्ती में उसे मुँह में ले रही थी..
अचानक मैंने थोड़ा अंदर दबाया, लंड एकदम उनके हल्क तक पहुँच गया।
उन्होंने तड़प कर उसे बाहर निकाला और कहा- अब क्या मार डालोगे.. इतना लम्बा और मोटा गले के अंदर डाल रहे हो.. मेरी सांस रूक जायेगी।
मैं- ओह भाभी जी, आप इतना अच्छा चूस रही हो!
इधर भाभी की हालत फ़िर खराब होने लगी, मेरी जीभ उनकी चूत के अंदर पूरी सैर कर रही थी।
भाभी ने फ़िर से पानी छोड़ दिया, मैंने पूरा चाट लिया, उनकी गाण्ड तक बह रहा था तो गांड के छेद तक जीभ से पूरा चाटा।
इधर मुझे लग रहा था कि मेरा भी पानी भाभी के मुँह में निकल जाएगा… मैंने अपना लण्ड उनके मुँह से निकाल लिया, मेरा लवड़ा उनके थूक से गीला होकर चमक रहा था और भी मोटा हो गया था।
मैं उठ कर कमोड पर बैठ गया और भाभी को अपने पास खींचा।
भाभी- अब क्या कर रहे हो?
मैं- आओ ना, दोनों पैर साइड में कर लो और सवारी करो!
भाभी- दिमाग खराब है क्या? मुझसे नहीं होगा!
मैंने उन्हें पकड़ कर पोजिशन में लिया, अब वो मेरी गुलाम थी..
और लंड के ऊपर भाभी की चूत को सेट करके कहा- बैठो…
उन्होंने कोशिश की- …आआह नहीं होगा..
मैंने उनके चूतड़ों पर हाथ रखे और नीचे से धक्का लगाया..
आधा लण्ड गप्प से अंदर!
अब मैंने उन्हें कहा- धीरे धीरे इस पर बैठो…
वो बैठने लगी.. फ़िसलन तो थी.. अंदर घुसने लगा!
फ़िर वो रूक गई.. अभी भी थोड़ा बाहर था..
मैंने उनकी चूची और निप्पल चूसना शुरू किया, बहुत चूमाचाटी की और पीछे से उनकी गांड के सुराख में उंगली डाली।
‘उईईईईई…’
और मैंने उन्हें जोर से अपने ऊपर बिठा लिया।
पूरा लंड अंदर… और भाभी की चीख नीकल गई- आआअह्ह ह्ह्ह मर गईई ऊओह…
अभी तक दो बार चुदने के बाद भी चूत इतनी कसी लग रही थी, मुझे मज़ा और जोश दोनों आ रहा था…
भाभी मेरे सीने से चिपटी रही.. फ़िर थोड़ी देर बाद वो खुद ही मेरे लंड पर ऊपर नीचे करने लगी… मैं भी नीचे से धक्के मार रहा था।
भाभी बड़बड़ाने लगी- आआआअह, तुमने मुझे जिन्दगी का मज़ा दे दिया… अह्ह्ह मुझे माँ बना दो..
और उनके उछलने की गति बढ़ गई।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
