23-05-2022, 04:51 PM
बबलू ने घर आ कर सबसे पहले अपने दोस्त राज से बात की और बबलू ने राज को बताया की उसने बिंदिया की चुदाई की और उसकी चुत की सील तोड़ दी। राज एक नंबर का चुदक्कड़ आदमी था, राज कई लड़कियों के साथ चुदाई कर चुका था। राज से बातो बातो में बबलू ने जाना की उसने बिंदिया को एक असली मर्द की तरह नही चोदा है। बबलू को ये लग रहा था की शायद बिंदिया सेक्सी नही है इसलिए वो चुदाई का आनंद नही दे पा रहा। राज ने बबलू को बातो बातो में ये भी बताया की वोह परसो एक रण्डी को चोदने जा रहा है। बबलू अपनी मर्दानगी की परीक्षा करना चाहता था, उसने राज से कहा, मैं भी तुम्हारे साथ चलूंगा, मैं भी चुदाई के पूरे मजे लेना चाहता हूं। दो दिन तक बबलू और बिंदिया नही मिले थे। बबलू चाहता था की वो रण्डी को अच्छे से चोदे, इसलिए बिंदिया पर अपनी ताकत न बिगाड़े। राज के साथ बबलू चुदाई करने गया। रण्डी तो सेक्सी थी ही, बबलू ने जब उसके सेक्सी बूब्स देखे तो वो बहुत ही उत्तेजित हो गया था। बबलू रण्डी के बूब्स को प्यार करने लगा, रण्डी ने जब बबलू के लंड से खेलना शुरू किया और जोर से उसके लंड को हिलाने लगी तभी बबलू झड़ गया। रण्डी के लिए ये आम बात थी, कभी उसके पास मस्त चुदाई करने वाले आदमी आते है तो कभी हाथ लगाते से झड़ने वाले। रण्डी को तो पैसे कमाने से मतलब रहता है, वो तो जल्दी झड़ने वालो को एक और चुदाई का मौका देकर उन से दुगुनी कमाई कर लेती है। उस रण्डी ने बबलू से बात की और उसे बताया राज तो आधे घंटे से भी ज्यादा देर तक मजे करता है। बबलू के लिए तो तय बात घाव पर नमक लगाने जैसी थी, पर वो कर भी क्या सकता था। लगभग पौन घंटे बाद उस रण्डी ने फिर से बबलू के लंड से खेलना शुरू किया। बबलू का लंड धीरे धीरे खड़ा होने लगा।
रण्डी: ऐसे क्या देख रहा है, पूरे मजे ले, तूने तो दोगुनी कीमत दी है।
बबलू: मुझे तेरी चुत में लंड डालना है।
रण्डी: पहले कंडोम तो लगा ले।
बबलू ने कंडोम लगाया और रण्डी की चुत में लंड डाल कर झटके देने लगा। इस बार पहले से ज्यादा देर तक बबलू टिका रहा और चुदाई करता रहा, साथ में वो रण्डी के बूब्स से भी खेलता। 5 मिनट में बबलू झड़ गया था, वो खुश था की इस बार लंबी चुदाई चली, पर इस बार उसके लंड में वो कड़कपन नही था, जैसा उसे चाहिए था। बबलू को समझ आ गया की उसकी चुदाई बहुत जल्दी खत्म हो जाती है। वो किसी लड़की को चरमसुख नही दे पाएगा, ये बात अब उसके दिल में अच्छे से बैठ गई थी। बबलू ने रण्डी को और अलग से पैसे दिए की वोह राज के सामने अपना मूंह बंद रखे। बबलू जैसे ही रण्डी के कमरे से बाहर आया उसने देखा राज कमरे के बाहर ही है। राज ने बबलू को गले लगाया और बोला, तु तो मेरे से भी बड़ा चुदक्कड़ निकाला। रण्डी ने पीछे से बबलू को हग किया और बोली, राज तुम्हारा दोस्त तो एक नंबर है। बबलू जानता था की ये उसकी जूठी तारीफ है। उसने दोनो को फीकी सी मुस्कान दी, राज ने बबलू से पूछा तेरा चेहरा क्यों उतरा हुआ है, बबलू कुछ बोलता उसके पहले रण्डी ने जवाब दिया, ऐसी चुदाई के बाद थकान तो होगी ना। राज हसता हुआ बबलू को साथ लेकर वहा से निकल गया। बबलू की वासना पर उसकी सोच भारी होने लगी थी, उसे अब लगने लगा था की उसकी जिंदगी में यौन सुख नहीं है।
इधर बिंदिया तीन दिन से बबलू से नही मिली थी, बबलू से अच्छे से बात भी नही हो पाई थी। बिंदिया को ये लग रहा था की शायद बबलू उसकी चुदाई से खुश नहीं है। इसलिए बबलू उसे अनदेखा करने लगा है। बिंदिया को कुछ समझ नही आ रहा था की वोह क्या करे, उसे लगा की अब आशा को सब बाते बता कर उसकी राय लेना चाहिए। बिंदिया अब कुंवारी नही रही थी, उसे इस बात का भी अपराधबोध हो रहा था, साथ में खुद के सेक्सी ना होने की हीन भावना और बबलू का उसे अनदेखा करना। इन सब बातो ने उसे मानसिक रूप से बहुत कमजोर कर दिया था। आशा और बिंदिया अचानक ही आमने सामने हो गए। बिंदिया पलट कर जाने लगी, तभी आशा ने बिंदिया का हाथ पकड़ा और कहा, ’ऐसे खुद को सजा देने से समस्या का हल नहीं निकलेगा, बात करने से बात बनेगी’ बिंदिया को जरूरत थी तो एक सहारे की, बिंदिया ने भी यही सोचा की शायद आशा ही उसका सहारा बन सकती थी। बिंदिया ने भैया भाभी की चुदाई से लेकर अपनी चुदाई तक का पूरा किस्सा आशा को बताया और साथ पीछले तीन दिनों की अपनी परेशानी को भी बताया। बिंदिया ये जानना चाहती थी की असल में चुदाई है क्या? भैया भाभी के बीच जो हुआ वो चुदाई है, या बबलू और मेरे बीच जो हुआ वो चुदाई है! बबलू सच में मुझे प्यार भी करता है? आशा ने इशारे से बिंदिया को बैठने को कहा।
आशा: बिंदिया, क्या तुम्हे इस बात का अफसोस है की तुमने भैया भाभी को पूरी तरह से चुदाई करते नही देखा।
बिंदिया: (चोकते हुए) पागल हो गई हो क्या आशा, मुझे तो इस बात का अफसोस है की मैंने उन्हें देखा और सुना। (बिंदिया ने आशा को भैया और भाभी की गंदी बातो के बारे में नही बताया था)
आशा: क्या सुना?
बिंदिया: कुछ नही..
आशा: जैसा तुम्हे ठीक लगे, मैं तो चली।
बिंदिया: कहा जा रही हो, मेरी समस्या का समाधान तो करो।
आशा: जब तक तुम मुझे पूरी बात ना बताओगी, तो मैं क्या करूंगी।
बिंदिया: (गहरी सांस लेते हुए) उसने भैया भाभी की बातो को बताया, उसने लंड, चुत, गांड़ जैसे शब्दो का इस्तमाल नही किया। (पर आशा समझ चुकी थी की भैया भाभी ने बातो में अश्लील शब्दो का ही उपयोग किया है। उसे ये भी समझ आ गया था की बबलू की चुदाई से बिंदिया को संतुष्टि नहीं मिली है।)
आशा: सुनो बिंदिया, चुदाई सीखने की किसी को कोई जरूरत नहीं होती है, जिस दिन तुम इसे दिल से करोगी तुम्हे चुदाई का ज्ञान अपने आप हो जायेगा।
बिंदिया: मैंने तो उसी के साथ किया जिसे दिल से चाहती हूं।
आशा: तुम बबलू को दिल से चाहती हो, पर क्या चुदाई तुमने दिल से की। तुमने चुदाई में बबलू का कितना साथ दिया। तुम ही बताओ जब तक तुम अपने साथी को बताओगी नही की तुम्हे चुदाई में क्या पसंद है, किस तरह की चुदाई पसंद है, किस वक्त चुदाई पसंद है। तुम्हारा साथी तुम्हे कैसे सुख दे पाएगा। और वैसे ही तुम्हे अपने साथी के बारे में भी जानना होगा, उसे चुदाई में क्या पसंद है, क्या पसंद नही है। (बिंदिया को आशा की बात पूरी तरह से ठीक लगी, बिंदिया को अब ये बात समझ आ गई थी की उसे अपनी सोच बदलने की ज़रूरत है। पर अभी उसे एक सवाल का जवाब और जानना था)
बिंदिया: क्या बबलू अब भी मुझसे प्यार करता है?
आशा: नही, ना वोह पहले प्यार करता था, ना अब करता है। (आशा नही जानती थी की बबलू के मन में प्यार है या हवस, आशा ने बिंदिया से ऐसा इसलिए कहा क्योंकि अगर बबलू के मन में बिंदिया के लिए प्यार ना हुआ तो बिंदिया बहुत बुरी तरह से टूट जायेगी।)
बिंदिया: नही, ऐसा नहीं हो सकता, उसने तो मेरे साथ... (बोलते बोलते बिंदिया रोने लगी)
आशा: (बिंदिया को प्यार से गले लगाते हुए) बिंदिया तुमने कुछ गलत नहीं किया, प्यार और चुदाई दोनो अलग है। ये तो जरूरी नहीं की आप जिस से प्यार करो सिर्फ उसी के साथ चुदाई करो या जिस से चुदाई के मजे ले रहे हो उसी से प्यार करो। चुदाई तो कुछ पल के लिए होती है, प्यार हमेशा के लिए रहता है। जैसे खाना खाना हमारे शरीर की जरूरत है, वैसे ही चुदाई भी शरीर की जरूरत है।
बिंदिया: (आशा की बातो ने पल भर के लिए बिंदिया को मूर्ति बना दिया था, बिंदिया ने बड़ी हिम्मत से आशा से पूछा) क्या तुमने भी..?
आशा: (आशा समझ गई की बिंदिया क्या पूछना चाहती है) हां बिंदिया, मैंने चुदाई के मजे लिए है। बस तुम मुझसे इस बारे में ज्यादा मत पूछना।
बिंदिया चुप हो गई थी, अभी भी उसके दिमाग में वही बाते घूम रही थी, क्या बबलू मुझसे प्यार करता है, क्या मैंने सेक्स कर के सही किया या नही, भैया भाभी की बाते किस हद तक सही है, क्या आशा सच में मेरा साथ दे रही है या उसके चक्कर में बबलू के साथ सेक्स किया? आशा वहा से जा चुकी थी, बिंदिया ने हिम्मत जुटाई और बबलू के पास मिलने गई। बिंदिया ने सोच लिया था की जो भी होगा उसका सामना किया जाएगा, ऐसे घूट घूट के कब तक जीना। बबलू उसे घर पर नही मिला था, बबलू का फोन भी बंद आ रहा था। पहले ही बिंदिया बहुत चिंतित थी, बबलू का ना मिलना उसकी चिंता को बड़ाने लगा था। उसे बबलू आता हुआ दिखाई दिया। उसे थोड़ा सुकून मिला, बबलू बिंदिया को देख के थोड़ा हिचकिचाया। बिंदिया उसे एक गार्डन लेकर गई। वहा दोनो बैठ कर बाते करने लगे।
बिंदिया: (बड़े प्यार से) बबलू पीछले तीन दिनों से तुम मुझसे बात नही कर रहे, बताओ क्या बात है।
बबलू: (हिचकिचाते हुए) वो बा...त ऐसी है कि... ( बबलू जानता था की बिंदिया उस से प्यार करती है, बबलू उसे कहना चाहता था की उसे बिंदिया से प्यार नही है, उसने उसकी चुदाई सिर्फ अपनी वासना के लिए की थी।) मुझे तुमसे प्यार नही है और जो भी हमारे बीच हुआ वो सिर्फ मैंने मजे के लिए किया था। (बबलू एक सांस में पूरी बात बोल गया और उसकी आंखो से आंसु निकलने लगे, आंसु इसलिए निकल रहे थे की उसे इस बात का गम था की अब वो किसी लड़की को चुदाई का चरम सुख कैसे देगा।)
बबलू की बात सुन कर बिंदिया स्तब्ध हो गई, लगभग 5 मिनट तक दोनो चुप रहे, बिंदिया की आंखों से भी आंसू की धारा बहने लगी थी।
बिंदिया: (अपने आप को संभालते हुए) जब तुम्हे मुझसे प्यार नही तो तुम क्यों रो रहे हो?
बबलू: तुम नही समझोगी। मेरा दर्द कोई नही समझ सकता।
बिंदिया: तुम किसी और से प्यार करते हो क्या? क्या वो तुमसे प्यार नही करती?
बबलू: अपने आप पर हंसते हुए, प्यार और मैं? अब मैं किसी को प्यार नही कर सकता। ( बबलू बोलना तो नही चाहता था, पर उसके अंदर के गुस्से के कारण वो बोल गया)
बिंदिया: मतलब, ऐसा क्या हुआ की तुम किसी को प्यार नही कर सकते।
बबलू: (गुस्से में और बिंदिया को घूरते हुए) मैं किसी लड़की को चरम सुख नहीं दे सकता, कोई लड़की मेरे साथ चुदाई के मजे नही ले सकती। (गुस्से में बबलू सच बोल गया)
बिंदिया: पर तुमने तो मेरे साथ से... (बिंदिया बोलते बोलते रुक गई, उसे ध्यान आया की वोह क्या बोलने वाली थी और साथ में अफसोस भी होने लगा की वोह सब हुआ क्यों)
बबलू: तुम्हे चोदने के बाद मैं अपने दोस्त से मिला था, मैंने उसे बताया कि मैंने तुम्हे चोदा है, पर उसके सवालों से मुझे अहसास हुआ की चुदाई का पुरा मजा नही लिया है मैने। शायद इसलिए की तुम सेक्सी नही हो, (बिंदिया को अपने बूब्स का ख्याल आया)। मैं अपने दोस्त के साथ एक सेक्सी रण्डी को चोदने गया, पर उसकी चुदाई करते समय मुझे पता लगा की समस्या मुझ में ही है। अब तो ज़िंदगी जीने का ही मन नही है।
बिंदिया: प्यार और चुदाई दोनो अलग है। ये तो जरूरी नहीं की आप जिस से प्यार करो सिर्फ उसी के साथ चुदाई करो या जिस से चुदाई के मजे ले रहे हो उसी से प्यार करो। चुदाई तो कुछ पल के लिए होती है, प्यार हमेशा के लिए रहता है। (जैसा आशा ने उसे कहा था, उसने वैसा कह दिया। बिंदिया को पता था की बबलू जिस हीन भावना से अभी गुजर रहा है, उस से उसका सामान हो चुका है। उसे समझ आ गया था की आशा ने उसकी सोच को क्यों बदला।) बबलू मैं तुम से अब भी प्यार करती हूं। मेरा प्यार सिर्फ जिस्म तक नहीं है। मैं ये नही कहती की तुम भी मुझसे प्यार करो, हो सकता है तुम्हारी पसंद अलग हो। जो भी हो अपने आप से नफरत ना करो।
बिंदिया इतना बोल कर चली गई, बबलू की सोच की दिशा ही बदलने लगी थी, पहली बार उसे सच्चे प्यार का अहसास हुआ था। बिंदिया घर आई उसने आशा को अपने पास बुलाया और जोर से गले लग कर रोने लगी।
आशा: क्या हुआ बिंदिया?
बिंदिया: (रोते हुए) बबलू मुझसे प्यार नही करता। मैं उससे मिलकर आई हूं, उसी ने मुझे बोला।
आशा: I'm sorry...
बिंदिया: (अपने आंसु पोछते हुए)Thank you so much.. (आशा बिंदिया को आश्चर्य से देखते हुए, ये तो अभी रो रही थी और एक दम से आंसु पोछते हुए इसने इतनी खुशी से मुझे धन्यवाद किया) अरे इतना हैरान होने वाली बात नही, मुझे तुम्हारी बात समझ आ गई है। उसने बबलू के साथ जो बात हुए वो बताई।
आशा: पर इस बात से तो तुम्हे दुखी होना चाहिए था की बबलू को तुम्हारे बूब्स पसंद नही आए। तुम खुश किस बात से हो।
बिंदिया: बबलू को मेरे बूब्स पसंद नही, फिर भी चुदाई के तो मजे लेना चाहता था। चुदाई ही है जो मर्द को औरत का गुलाम बना देती है।
आशा: (आशा इस बात से खुश थी की बिंदिया को अब अपने जिस्म से कोई शिकायत नही है) बात तो तुम्हारी बिल्कुल सही है। अब तो तुम चुदाई के मस्त मजे ले सकती हो।
बिंदिया: हां, बस थोड़ा सा बेशर्मी की जरूरत है।
आशा: (बिंदिया से चिपक कर उसकी गांड़ पर हाथ फेरते हुए) बिल्कुल जल्द ही हो जाओगी।
बिंदिया: (बिंदिया ने भी आशा की गांड़ पर हाथ फेरते हुए कहा) इसके साथ रहते हुए तो हो ही जाऊंगी।
आशा ने बिंदिया के गालों को चूमने के लिए अपने होठ आगे किए और बिंदिया का उसी समय गर्दन को घूमना हुआ, आशा और बिंदिया के होंठ आपस में टकरा गए। बिंदिया शर्मा गई, आशा ने बिंदिया का चेहरा ऊपर किया और उसके होठों पर अपने होंठ रख दिए और बिंदिया की और से पहल का इंतजार करने लगी। बिंदिया की आंखें बंद ही थी, उसके अंदर की कामवासना ने उसकी जीभ को आशा के होठों से खेलने को मजबूर कर दिया। दोनो एक दूसरे के चूमने लगे और चूमते हुए आशा ने बिंदिया के कपड़े उतारने शुरू किए, जब बिंदिया सिर्फ पैंटी में थी तब आशा ने चूमना बंद किया। बिंदिया अभी भी आंखें बंद कर के ही खड़ी थी। आशा ने अपने आप को पूरा नंगा कर लिया था, उसने बिंदिया के हाथो को अपने बूब्स पर रखा, बिंदिया चोक गई और उसने आंखे खोली। आशा ने उसे अपने बूब्स से खेलने का इशारा किया, आशा भी बिंदिया के बूब्स से खेलने लगी। बिंदिया को मजा आने लगा था, वो अब अच्छे से आशा का साथ देने लगी थी। आशा ने एक हाथ धीरे से बिंदिया की पैंटी में डाल कर चुत पर रख दिया था और हल्के हाथों से चुत को दबाने लगी। बिंदिया की उत्तेजना बड़ने लगी थी। आशा ने अपनी ऊंगली बिंदिया की चुत में घुसा दी। बिंदिया पूरी तरह से चुदाई के लिए तैयार थी। आशा ने बिंदिया को नंगा किया और उसको चुत में ऊंगली अन्दर बाहर करने लगी। आशा ने अपनी पोजिशन बदली और अपनी चुत बिंदिया की मुंह की और कर दी। आशा बिंदिया को चुत को चाटने लगी। बिंदिया ने धीरे से आशा की चुत को चूमना शुरू किया। बिंदिया के लिए अजीब अनुभव था, उसने एक दो बार चुमने के बाद चुमना बंद कर दिया, आशा बिंदिया की चुत पर लगी हुई थी, बिंदिया आनंद की चरम सीमा पर पहुंच चुकी थी। उसकी चुत ने सारा लावा निकाल दिया। बिंदिया एक दम से बेढाल हो गई। आशा ने खुद अपनी चुत में ऊंगली डाल कर अपनी आग बुझाई।
अगले दिन बिंदिया बबलू से मिली, बबलू तो अभी भी उसी परिस्थिति में था। बबलू को बिंदिया की कल की बाती के बाद से धीरे धीरे प्यार होने लगा था। उसे वो एक सच्ची जीवन साथी नजर आने लगी थी। उसे डर था तो बस ये की कामवासना उसे बेवफा बना देगी।
बिंदिया: कैसे हो बबलू?
बबलू: (मुरझाए हुए) बड़ियां हूं।
बिंदिया: लग तो नही रहे।
बबलू: देखो बिंदिया मैंने कल भी तुम्हे कहा और आज भी कह रहा हूं, तुम मुझ पर अपना समय मत बिगाड़ो, मैं तुम्हारे काम का आदमी नही हूं। तुम मेरे साथ सुखी नही रह पाओगी।
बिंदिया: मेरा काम तो तुमसे हो जाएगा, तुम चिंता ना करो। मैं तुम्हारे साथ बहुत खुश रहूंगी।
बबलू: तुमने पहली बार तो मुझे चुदाई की, तुम्हे क्या पता चुदाई का चरम सुख क्या होता है। अभी तुमने इसका आनंद नही लिया है। बाद में तुम इसके लिए तरसी तो क्या करोगी।
बिंदिया: मुझे नही चाहिए चरम सुख, मुझे तो तुम्हारा साथ चाहिए।
बबलू: पहले तुम चरम सुख का आनंद लो, उसके बाद भी तुम्हे लगे की मेरे साथ जीवन जी लोगी तो मैं तुम्हे अपना लूंगा।
(बबलू को खुद पता नही था की वो क्या बोल गया है। उसे बोलने के बाद पछतावा हो रहा था) बिंदिया ने उसे कस के एक थप्पड़ मारा और बिना कुछ कहे जाने लगी। बबलू ने उसका हाथ पकड़ के उसे रोका और माफी मांगने लगा। बबलू की आंखो में आंसु थे, शायद उसे बिंदिया से प्यार होने लगा था, क्योंकि बिंदिया उसे उसकी कमी के साथ स्वीकारने को तैयार थी। बबलू ने बिंदिया को गले लगाया और अपने प्यार का इजहार किया। बिंदिया और बबलू ने एक दूसरे को स्मूच किया। बबलू का चेहरे पर अभी भी उदासी थी।
बिंदिया: तुम अभी भी अपने सेक्स को लेकर सोच रहे हो क्या?
बबलू: सच कहूं तो मुझे अभी भी डर है कि मैं तुम्हे बाद में खो दूंगा। बुरा मत मानना पर ये सच है की चुदाई हर जिस्म की जरूरत होती है। एक इंसान अपनी जरूरतों से कब तक भागेगा। मुझे जल्दी नही है, तुम आराम से थोड़ा ठंडे दिमाग से सोच कर जवाब दे देना।
बिंदिया वापस घर आ गई थी, अब उसकी नई परेशानी थी बबलू को समझना, इक बार फिर उसने आशा की मदद लेने की सोची। आशा को पूरी बात बताई।
आशा: बिंदिया अगर सोचा जाए तो बबलू की बात में दम तो है।
बिंदिया: तुम कहना क्या चाहती हो, मैं एक वैश्या बन जाऊं।
आशा: नही बाबा, बबलू को ऐसा लगता है की उसकी कमजोरी तुम्हे बेवफा होने पर मजबूर ना कर दे। उसका सोचना सही भी है, क्योंकि की बात एक बार की नही जीवन भर की है।
बिंदिया: तो अब मैं कैसे बबलू को समझाऊं, मुझे शारीरिक सुख नहीं, उसका प्यार चाहिए।
आशा: बिंदिया तुम मुझे थोड़ा समय दो, मैं कुछ सोचती हूं और इस समस्या का समाधान निकलती हूं। (समाधान तो आशा के दिमाग में था, अगर अभी बोलती तो बिंदिया नही मानती)
अगले दिन बिंदिया और बबलू दोनो एक होटल में गए। बबलू ने बिंदिया को प्यार से गले लगाया और फिर उसे पलंग पर बैठाया और खुद सोफे पर जाकर बैठ गया। बबलू ने सोफे पर अपने साथ बैठे राज का परिचय बिंदिया से करवाया। राज सोफे से उठा और बिंदिया के पास पलंग पर जा कर बैठ गया। राज ने अपने होंठ बिंदिया के होठों से चिपका दिए। बिंदिया की नजर बबलू पर थी, बबलू ने उसे एक फ्लाइंग किस दिया। बिंदिया ने अपनी आंखे बंद की और राज ने बिंदिया के होठों को चूमना शुरू किया। (ये सब आशा के कहने पर ही हुआ, आशा ने बिंदिया को समझाया था की अगर बबलू चाहता है की तुम संभोग का संपूर्ण आनंद लो, तो तुम भी बबलू से कह देना की तुम्हारी उपस्थिति में ही मजे लूंगी और तुम्हे ही मेरे लिए एक साथी भी डूंडना होगा, जो तुम्हे लगता है की ये किसी औरत को अच्छे से चरम सुख देगा। जब बिंदिया ने बबलू के सामने ये शर्त रखी तो बबलू के पास कोई और विकल्प नहीं था। उसने राज को इस बात के लिए राजी किया, किसी और पर वो भरोसा नहीं कर सकता था। उसने राज को ऐसा करने की असली वजह नही बताई थी। उसने राज को ये बताया कि उसने बिंदिया से शर्त लगाई थी और वो जीत गया, बिंदिया को उसके सामने किसी दूसरे मर्द से चुदवाना होगा। राज तो था ही एक नंबर का चुदक्कड़, उसे तो मौका चाहिए था किसी को चोदने को, उसे मिल गया।) बिंदिया ने राज का चुम्बन में साथ नही दिया, राज भी समझ गया उसने तुरंत बिंदिया के कपड़े उतारने शुरू किए, बिंदिया के बदन पर सिर्फ पैंटी थी और राज बिंदिया के बूब्स से खेल रहा था। बिंदिया के छोटे बूब्स में राज ने भी कोई विशेष रुचि ली नही, उसने अपने आप को पूरा नंगा किया, फिर बिंदिया के बदन पर जो पैंटी थी वो भी उतार दी। बिंदिया और राज दोनो नंगे थे।
बबलू: बिंदिया, तुम्हे पुरे मजे लेना है।
राज: सच में मुझे तो ऐसी चुदाई में बिल्कुल भी मजा नही आता। इसलिए हमेशा मैं उन लड़कियों को ही चोदता हूं जो चुदाई के मजे लेने को तैयार हो। मुझे लगा तुम चुदाई का पुरा आनंद लेना चाहती हो, पर लगता है तुम चुदाई नही चाहती हो। (बिंदिया को उत्तेजित करने के लिए राज ने ऐसा बोला)
बिंदिया: नही.... रा...ज...
बबलू: इतना घबरा क्यों रही हो। तुम ये सोचो की मेरे साथ मजे कर रही हो, भूल जाओ की ये राज है, इसे कुछ देर के लिए बबलू ही समझो।
राज: (बिंदिया के पास आ गया) अपने बबलू को खुश नहीं करोगी। उसके लंड से नही खेलोगी। (राज ने बिंदिया का हाथ पकड़ के अपने लंड पर रख दिया।) तुम्हारा बबलू तुम्हारे प्यार के लिए तरस रहा है।
(राज के लंड को छु कर बिंदिया को लगा की सच में राज का लंड तो बबलू से लंबा भी है और मोटा भी, बिंदिया की नजर ना चाहते हुए भी राज के लंड पर चली गई। उसे आशा की बात भी याद आई की "तुम्हे बबलू के सामने दूसरे मर्द से ऐसे चुदवाना है की दूसरा मर्द तुम्हारी चुदाई की तारीफ करे बिना न रुके। आशा ने बिंदिया को बहुत सारी बाते भी बताई थी। अब बिंदिया धीरे धीरे मानसिक रूप से चुदाई के लिए तैयार हो रही थी) बिंदिया ने राज के लंड को अपनी मुट्ठी में पकड़ा, राज की हल्की सी आह निकली। बिंदिया ने राज को पलंग पर धकेला, राज पलंग पर गिर गया। बिंदिया राज के लंड को चाटने और चूमने लगी (आशा ने बिंदिया को समझा दिया था की मर्द को दीवाना करना है तो उसके लंड को अच्छे से प्यार करो) बीच बीच में वो राज के लंड को मूंह में भी ले लेती। राज ने इतनी बार चुदाई को थी पर हर बार वो लड़कियों के मुंह में लंड डाल कर झटके मारता था। पहली बार था जब राज का लंड कोई लड़की धीरे धीरे चूस और चुम रही हो। आशा ने बिंदिया को बता रखा था की लंड को प्यार करते हुए, लंड की तारीफ जरूर करना। बिंदिया भी बीच बीच में लंड की तारीफ करती, "ये बबलू(लंड) तो मस्त है", "तुम्हारे हथियार से खेलने का मजा ही अलग है।" बबलू तो इतना देख कर ही झड़ चुका था। राज ने कंडोम लगाया और बिंदिया को पलंग पर लेटा कर उसके ऊपर चढ़ कर बिंदिया की चुत में लंड डाल कर अंदर बाहर करने लगा। बिंदिया की चुत में लंबा और कड़क लंड जब सवारी करने लगा, बिंदिया मजे लेने लगी। बबलू की और देखते हुए, "ब...बलू..., बहु..त मजा.... आ.... रहा है। ऐसे ही चोदते रहो, आ.... ऊ.... ई..... ओह.....आ... ह।" बिंदिया कि चुत कसी हुइ ही थी, राज को चोदने में ज्यादा मेहनत करना पड़ रही थी। बिंदिया और राज दोनो थकने लगे थे। पर बिंदिया को आशा ने बोल रखा था की चुदाई जब तक करना है, जब तक शरीर साथ न छोड़ दे। बिंदिया ने राज को नीचे लेटाया और खुद राज के ऊपर चढ़ कर उसके लंड को अपनी चुत में डाल कर हिलने लगी। राज और बिंदिया दोनो अपने चरम पर जा कर शांत हुए। बिंदिया बहुत थक चुकी थी, बिस्तर पर ही लेट गई और उसे नींद लग गई। राज अपने कपड़े पहन कर चला गया। लगभग 1 घंटे बाद बिंदिया की नींद खुली, उसने देखा राज जा चुका है और बबलू उसके पास है।
बबलू: कैसी हो बिंदिया?
बिंदिया: जैसे चुदाई के बाद होना चाहिए, (बिंदिया ने बबलू को आँख मारते हुए कहा) अच्छा बताओ, कैसी लगी तुम्हे चुदाई?
बबलू: मस्त थी, तुम तो एक चुदाई में ही रण्डी बन गई। तुम बताओ, जीवनभर ये मजे लेना चाहोगी या नही।
बिंदिया: मेरे लिए चुदाई से बड़ा सुख प्यार का है। चुदाई तो कुछ पल के लिए है और प्यार हर पल के लिए।
बिंदिया ने इतना बोलते ही बबलू के होठों पर चुम्बन किया और बबलू के लंड को कपड़े के उपर से ही छूने लगी। बिंदिया तो नंगी ही थी, उसने बबलू का लंड कपड़ो से बाहर किया और लंड को चूमने और चूसने लगी, जैसे राज के लंड को प्यार कर रही थी। बबलू भी इस हरकत से उत्तेजित हो गया था, बबलू 1 घंटे पहले हो झड़ा था, इसलिए अबकी बार इतनी जल्दी नही झड़ने वाला था। बिंदिया ने बबलू का लंड मुंह में लिया था। बबलू का पुरा लंड बिंदिया के मुंह में था। बबलू अपने आप को रोक नही पाया और उसने बिंदिया का सर पकड़ लिया और उसके सर को आगे पीछे करने लगा, बिंदिया के मुंह की चुदाई करने में बबलू को मजा आने लगा। (आशा ने बिंदिया को बोल रखा था की लंड चूसने में दिक्कत बहुत आयेगी, पर पीछे मत हटना, तुम्हे बबलू के लंड की मलाई मुंह में लेनी है।) बबलू की उत्तेजना चरम पर पहुंची, उसने अपने आप को रोकने की नाकाम कोशिश की और उसकी पिचकारी बिंदिया के मुंह में चल गई। बिंदिया इसे सह नहीं पाई और उसे बड़ा अजीब लग रहा था, बाथरूम में भागी और उल्टी करने लगी। पहली बार में इतना कुछ कर लिया था, ये तो होना ही था।
बिंदिया: (बाथरूम से आई और बबलू को गले लगाते हुए) मुझे तुमसे और तुम्हारी चुदाई से कोई शिकायत नही है, मैं तुम्हारे साथ खुश हुं। अगर तुम्हे मेरे छोटे बूब्स से प्यार नही है तो कोई बात नही, मैं तुम्हे छोड़ दूंगी।
बबलू: (बिंदिया का हाथ पकड़ते हुए) मैने तुम्हारा हाथ छोड़ने के लिए नहीं तुम्हे चोदने के लिए पकड़ा है। मुझे मेरा सच्चा प्यार मिल गया है और बिंदिया तुम्हे आजादी है जब इच्छा हो, जहा इच्छा हो, जिसके साथ इच्छा हो चुदाई के मजे ले सकती हो। मुझे तुम्हारी बात समझ आ गई है की प्यार और चुदाई दोनो अलग है। ये तो जरूरी नहीं की आप जिस से प्यार करो सिर्फ उसी के साथ चुदाई करो या जिस से चुदाई के मजे ले रहे हो उसी से प्यार करो। चुदाई तो कुछ पल के लिए होती है, प्यार हमेशा के लिए रहता है।
रण्डी: ऐसे क्या देख रहा है, पूरे मजे ले, तूने तो दोगुनी कीमत दी है।
बबलू: मुझे तेरी चुत में लंड डालना है।
रण्डी: पहले कंडोम तो लगा ले।
बबलू ने कंडोम लगाया और रण्डी की चुत में लंड डाल कर झटके देने लगा। इस बार पहले से ज्यादा देर तक बबलू टिका रहा और चुदाई करता रहा, साथ में वो रण्डी के बूब्स से भी खेलता। 5 मिनट में बबलू झड़ गया था, वो खुश था की इस बार लंबी चुदाई चली, पर इस बार उसके लंड में वो कड़कपन नही था, जैसा उसे चाहिए था। बबलू को समझ आ गया की उसकी चुदाई बहुत जल्दी खत्म हो जाती है। वो किसी लड़की को चरमसुख नही दे पाएगा, ये बात अब उसके दिल में अच्छे से बैठ गई थी। बबलू ने रण्डी को और अलग से पैसे दिए की वोह राज के सामने अपना मूंह बंद रखे। बबलू जैसे ही रण्डी के कमरे से बाहर आया उसने देखा राज कमरे के बाहर ही है। राज ने बबलू को गले लगाया और बोला, तु तो मेरे से भी बड़ा चुदक्कड़ निकाला। रण्डी ने पीछे से बबलू को हग किया और बोली, राज तुम्हारा दोस्त तो एक नंबर है। बबलू जानता था की ये उसकी जूठी तारीफ है। उसने दोनो को फीकी सी मुस्कान दी, राज ने बबलू से पूछा तेरा चेहरा क्यों उतरा हुआ है, बबलू कुछ बोलता उसके पहले रण्डी ने जवाब दिया, ऐसी चुदाई के बाद थकान तो होगी ना। राज हसता हुआ बबलू को साथ लेकर वहा से निकल गया। बबलू की वासना पर उसकी सोच भारी होने लगी थी, उसे अब लगने लगा था की उसकी जिंदगी में यौन सुख नहीं है।
इधर बिंदिया तीन दिन से बबलू से नही मिली थी, बबलू से अच्छे से बात भी नही हो पाई थी। बिंदिया को ये लग रहा था की शायद बबलू उसकी चुदाई से खुश नहीं है। इसलिए बबलू उसे अनदेखा करने लगा है। बिंदिया को कुछ समझ नही आ रहा था की वोह क्या करे, उसे लगा की अब आशा को सब बाते बता कर उसकी राय लेना चाहिए। बिंदिया अब कुंवारी नही रही थी, उसे इस बात का भी अपराधबोध हो रहा था, साथ में खुद के सेक्सी ना होने की हीन भावना और बबलू का उसे अनदेखा करना। इन सब बातो ने उसे मानसिक रूप से बहुत कमजोर कर दिया था। आशा और बिंदिया अचानक ही आमने सामने हो गए। बिंदिया पलट कर जाने लगी, तभी आशा ने बिंदिया का हाथ पकड़ा और कहा, ’ऐसे खुद को सजा देने से समस्या का हल नहीं निकलेगा, बात करने से बात बनेगी’ बिंदिया को जरूरत थी तो एक सहारे की, बिंदिया ने भी यही सोचा की शायद आशा ही उसका सहारा बन सकती थी। बिंदिया ने भैया भाभी की चुदाई से लेकर अपनी चुदाई तक का पूरा किस्सा आशा को बताया और साथ पीछले तीन दिनों की अपनी परेशानी को भी बताया। बिंदिया ये जानना चाहती थी की असल में चुदाई है क्या? भैया भाभी के बीच जो हुआ वो चुदाई है, या बबलू और मेरे बीच जो हुआ वो चुदाई है! बबलू सच में मुझे प्यार भी करता है? आशा ने इशारे से बिंदिया को बैठने को कहा।
आशा: बिंदिया, क्या तुम्हे इस बात का अफसोस है की तुमने भैया भाभी को पूरी तरह से चुदाई करते नही देखा।
बिंदिया: (चोकते हुए) पागल हो गई हो क्या आशा, मुझे तो इस बात का अफसोस है की मैंने उन्हें देखा और सुना। (बिंदिया ने आशा को भैया और भाभी की गंदी बातो के बारे में नही बताया था)
आशा: क्या सुना?
बिंदिया: कुछ नही..
आशा: जैसा तुम्हे ठीक लगे, मैं तो चली।
बिंदिया: कहा जा रही हो, मेरी समस्या का समाधान तो करो।
आशा: जब तक तुम मुझे पूरी बात ना बताओगी, तो मैं क्या करूंगी।
बिंदिया: (गहरी सांस लेते हुए) उसने भैया भाभी की बातो को बताया, उसने लंड, चुत, गांड़ जैसे शब्दो का इस्तमाल नही किया। (पर आशा समझ चुकी थी की भैया भाभी ने बातो में अश्लील शब्दो का ही उपयोग किया है। उसे ये भी समझ आ गया था की बबलू की चुदाई से बिंदिया को संतुष्टि नहीं मिली है।)
आशा: सुनो बिंदिया, चुदाई सीखने की किसी को कोई जरूरत नहीं होती है, जिस दिन तुम इसे दिल से करोगी तुम्हे चुदाई का ज्ञान अपने आप हो जायेगा।
बिंदिया: मैंने तो उसी के साथ किया जिसे दिल से चाहती हूं।
आशा: तुम बबलू को दिल से चाहती हो, पर क्या चुदाई तुमने दिल से की। तुमने चुदाई में बबलू का कितना साथ दिया। तुम ही बताओ जब तक तुम अपने साथी को बताओगी नही की तुम्हे चुदाई में क्या पसंद है, किस तरह की चुदाई पसंद है, किस वक्त चुदाई पसंद है। तुम्हारा साथी तुम्हे कैसे सुख दे पाएगा। और वैसे ही तुम्हे अपने साथी के बारे में भी जानना होगा, उसे चुदाई में क्या पसंद है, क्या पसंद नही है। (बिंदिया को आशा की बात पूरी तरह से ठीक लगी, बिंदिया को अब ये बात समझ आ गई थी की उसे अपनी सोच बदलने की ज़रूरत है। पर अभी उसे एक सवाल का जवाब और जानना था)
बिंदिया: क्या बबलू अब भी मुझसे प्यार करता है?
आशा: नही, ना वोह पहले प्यार करता था, ना अब करता है। (आशा नही जानती थी की बबलू के मन में प्यार है या हवस, आशा ने बिंदिया से ऐसा इसलिए कहा क्योंकि अगर बबलू के मन में बिंदिया के लिए प्यार ना हुआ तो बिंदिया बहुत बुरी तरह से टूट जायेगी।)
बिंदिया: नही, ऐसा नहीं हो सकता, उसने तो मेरे साथ... (बोलते बोलते बिंदिया रोने लगी)
आशा: (बिंदिया को प्यार से गले लगाते हुए) बिंदिया तुमने कुछ गलत नहीं किया, प्यार और चुदाई दोनो अलग है। ये तो जरूरी नहीं की आप जिस से प्यार करो सिर्फ उसी के साथ चुदाई करो या जिस से चुदाई के मजे ले रहे हो उसी से प्यार करो। चुदाई तो कुछ पल के लिए होती है, प्यार हमेशा के लिए रहता है। जैसे खाना खाना हमारे शरीर की जरूरत है, वैसे ही चुदाई भी शरीर की जरूरत है।
बिंदिया: (आशा की बातो ने पल भर के लिए बिंदिया को मूर्ति बना दिया था, बिंदिया ने बड़ी हिम्मत से आशा से पूछा) क्या तुमने भी..?
आशा: (आशा समझ गई की बिंदिया क्या पूछना चाहती है) हां बिंदिया, मैंने चुदाई के मजे लिए है। बस तुम मुझसे इस बारे में ज्यादा मत पूछना।
बिंदिया चुप हो गई थी, अभी भी उसके दिमाग में वही बाते घूम रही थी, क्या बबलू मुझसे प्यार करता है, क्या मैंने सेक्स कर के सही किया या नही, भैया भाभी की बाते किस हद तक सही है, क्या आशा सच में मेरा साथ दे रही है या उसके चक्कर में बबलू के साथ सेक्स किया? आशा वहा से जा चुकी थी, बिंदिया ने हिम्मत जुटाई और बबलू के पास मिलने गई। बिंदिया ने सोच लिया था की जो भी होगा उसका सामना किया जाएगा, ऐसे घूट घूट के कब तक जीना। बबलू उसे घर पर नही मिला था, बबलू का फोन भी बंद आ रहा था। पहले ही बिंदिया बहुत चिंतित थी, बबलू का ना मिलना उसकी चिंता को बड़ाने लगा था। उसे बबलू आता हुआ दिखाई दिया। उसे थोड़ा सुकून मिला, बबलू बिंदिया को देख के थोड़ा हिचकिचाया। बिंदिया उसे एक गार्डन लेकर गई। वहा दोनो बैठ कर बाते करने लगे।
बिंदिया: (बड़े प्यार से) बबलू पीछले तीन दिनों से तुम मुझसे बात नही कर रहे, बताओ क्या बात है।
बबलू: (हिचकिचाते हुए) वो बा...त ऐसी है कि... ( बबलू जानता था की बिंदिया उस से प्यार करती है, बबलू उसे कहना चाहता था की उसे बिंदिया से प्यार नही है, उसने उसकी चुदाई सिर्फ अपनी वासना के लिए की थी।) मुझे तुमसे प्यार नही है और जो भी हमारे बीच हुआ वो सिर्फ मैंने मजे के लिए किया था। (बबलू एक सांस में पूरी बात बोल गया और उसकी आंखो से आंसु निकलने लगे, आंसु इसलिए निकल रहे थे की उसे इस बात का गम था की अब वो किसी लड़की को चुदाई का चरम सुख कैसे देगा।)
बबलू की बात सुन कर बिंदिया स्तब्ध हो गई, लगभग 5 मिनट तक दोनो चुप रहे, बिंदिया की आंखों से भी आंसू की धारा बहने लगी थी।
बिंदिया: (अपने आप को संभालते हुए) जब तुम्हे मुझसे प्यार नही तो तुम क्यों रो रहे हो?
बबलू: तुम नही समझोगी। मेरा दर्द कोई नही समझ सकता।
बिंदिया: तुम किसी और से प्यार करते हो क्या? क्या वो तुमसे प्यार नही करती?
बबलू: अपने आप पर हंसते हुए, प्यार और मैं? अब मैं किसी को प्यार नही कर सकता। ( बबलू बोलना तो नही चाहता था, पर उसके अंदर के गुस्से के कारण वो बोल गया)
बिंदिया: मतलब, ऐसा क्या हुआ की तुम किसी को प्यार नही कर सकते।
बबलू: (गुस्से में और बिंदिया को घूरते हुए) मैं किसी लड़की को चरम सुख नहीं दे सकता, कोई लड़की मेरे साथ चुदाई के मजे नही ले सकती। (गुस्से में बबलू सच बोल गया)
बिंदिया: पर तुमने तो मेरे साथ से... (बिंदिया बोलते बोलते रुक गई, उसे ध्यान आया की वोह क्या बोलने वाली थी और साथ में अफसोस भी होने लगा की वोह सब हुआ क्यों)
बबलू: तुम्हे चोदने के बाद मैं अपने दोस्त से मिला था, मैंने उसे बताया कि मैंने तुम्हे चोदा है, पर उसके सवालों से मुझे अहसास हुआ की चुदाई का पुरा मजा नही लिया है मैने। शायद इसलिए की तुम सेक्सी नही हो, (बिंदिया को अपने बूब्स का ख्याल आया)। मैं अपने दोस्त के साथ एक सेक्सी रण्डी को चोदने गया, पर उसकी चुदाई करते समय मुझे पता लगा की समस्या मुझ में ही है। अब तो ज़िंदगी जीने का ही मन नही है।
बिंदिया: प्यार और चुदाई दोनो अलग है। ये तो जरूरी नहीं की आप जिस से प्यार करो सिर्फ उसी के साथ चुदाई करो या जिस से चुदाई के मजे ले रहे हो उसी से प्यार करो। चुदाई तो कुछ पल के लिए होती है, प्यार हमेशा के लिए रहता है। (जैसा आशा ने उसे कहा था, उसने वैसा कह दिया। बिंदिया को पता था की बबलू जिस हीन भावना से अभी गुजर रहा है, उस से उसका सामान हो चुका है। उसे समझ आ गया था की आशा ने उसकी सोच को क्यों बदला।) बबलू मैं तुम से अब भी प्यार करती हूं। मेरा प्यार सिर्फ जिस्म तक नहीं है। मैं ये नही कहती की तुम भी मुझसे प्यार करो, हो सकता है तुम्हारी पसंद अलग हो। जो भी हो अपने आप से नफरत ना करो।
बिंदिया इतना बोल कर चली गई, बबलू की सोच की दिशा ही बदलने लगी थी, पहली बार उसे सच्चे प्यार का अहसास हुआ था। बिंदिया घर आई उसने आशा को अपने पास बुलाया और जोर से गले लग कर रोने लगी।
आशा: क्या हुआ बिंदिया?
बिंदिया: (रोते हुए) बबलू मुझसे प्यार नही करता। मैं उससे मिलकर आई हूं, उसी ने मुझे बोला।
आशा: I'm sorry...
बिंदिया: (अपने आंसु पोछते हुए)Thank you so much.. (आशा बिंदिया को आश्चर्य से देखते हुए, ये तो अभी रो रही थी और एक दम से आंसु पोछते हुए इसने इतनी खुशी से मुझे धन्यवाद किया) अरे इतना हैरान होने वाली बात नही, मुझे तुम्हारी बात समझ आ गई है। उसने बबलू के साथ जो बात हुए वो बताई।
आशा: पर इस बात से तो तुम्हे दुखी होना चाहिए था की बबलू को तुम्हारे बूब्स पसंद नही आए। तुम खुश किस बात से हो।
बिंदिया: बबलू को मेरे बूब्स पसंद नही, फिर भी चुदाई के तो मजे लेना चाहता था। चुदाई ही है जो मर्द को औरत का गुलाम बना देती है।
आशा: (आशा इस बात से खुश थी की बिंदिया को अब अपने जिस्म से कोई शिकायत नही है) बात तो तुम्हारी बिल्कुल सही है। अब तो तुम चुदाई के मस्त मजे ले सकती हो।
बिंदिया: हां, बस थोड़ा सा बेशर्मी की जरूरत है।
आशा: (बिंदिया से चिपक कर उसकी गांड़ पर हाथ फेरते हुए) बिल्कुल जल्द ही हो जाओगी।
बिंदिया: (बिंदिया ने भी आशा की गांड़ पर हाथ फेरते हुए कहा) इसके साथ रहते हुए तो हो ही जाऊंगी।
आशा ने बिंदिया के गालों को चूमने के लिए अपने होठ आगे किए और बिंदिया का उसी समय गर्दन को घूमना हुआ, आशा और बिंदिया के होंठ आपस में टकरा गए। बिंदिया शर्मा गई, आशा ने बिंदिया का चेहरा ऊपर किया और उसके होठों पर अपने होंठ रख दिए और बिंदिया की और से पहल का इंतजार करने लगी। बिंदिया की आंखें बंद ही थी, उसके अंदर की कामवासना ने उसकी जीभ को आशा के होठों से खेलने को मजबूर कर दिया। दोनो एक दूसरे के चूमने लगे और चूमते हुए आशा ने बिंदिया के कपड़े उतारने शुरू किए, जब बिंदिया सिर्फ पैंटी में थी तब आशा ने चूमना बंद किया। बिंदिया अभी भी आंखें बंद कर के ही खड़ी थी। आशा ने अपने आप को पूरा नंगा कर लिया था, उसने बिंदिया के हाथो को अपने बूब्स पर रखा, बिंदिया चोक गई और उसने आंखे खोली। आशा ने उसे अपने बूब्स से खेलने का इशारा किया, आशा भी बिंदिया के बूब्स से खेलने लगी। बिंदिया को मजा आने लगा था, वो अब अच्छे से आशा का साथ देने लगी थी। आशा ने एक हाथ धीरे से बिंदिया की पैंटी में डाल कर चुत पर रख दिया था और हल्के हाथों से चुत को दबाने लगी। बिंदिया की उत्तेजना बड़ने लगी थी। आशा ने अपनी ऊंगली बिंदिया की चुत में घुसा दी। बिंदिया पूरी तरह से चुदाई के लिए तैयार थी। आशा ने बिंदिया को नंगा किया और उसको चुत में ऊंगली अन्दर बाहर करने लगी। आशा ने अपनी पोजिशन बदली और अपनी चुत बिंदिया की मुंह की और कर दी। आशा बिंदिया को चुत को चाटने लगी। बिंदिया ने धीरे से आशा की चुत को चूमना शुरू किया। बिंदिया के लिए अजीब अनुभव था, उसने एक दो बार चुमने के बाद चुमना बंद कर दिया, आशा बिंदिया की चुत पर लगी हुई थी, बिंदिया आनंद की चरम सीमा पर पहुंच चुकी थी। उसकी चुत ने सारा लावा निकाल दिया। बिंदिया एक दम से बेढाल हो गई। आशा ने खुद अपनी चुत में ऊंगली डाल कर अपनी आग बुझाई।
अगले दिन बिंदिया बबलू से मिली, बबलू तो अभी भी उसी परिस्थिति में था। बबलू को बिंदिया की कल की बाती के बाद से धीरे धीरे प्यार होने लगा था। उसे वो एक सच्ची जीवन साथी नजर आने लगी थी। उसे डर था तो बस ये की कामवासना उसे बेवफा बना देगी।
बिंदिया: कैसे हो बबलू?
बबलू: (मुरझाए हुए) बड़ियां हूं।
बिंदिया: लग तो नही रहे।
बबलू: देखो बिंदिया मैंने कल भी तुम्हे कहा और आज भी कह रहा हूं, तुम मुझ पर अपना समय मत बिगाड़ो, मैं तुम्हारे काम का आदमी नही हूं। तुम मेरे साथ सुखी नही रह पाओगी।
बिंदिया: मेरा काम तो तुमसे हो जाएगा, तुम चिंता ना करो। मैं तुम्हारे साथ बहुत खुश रहूंगी।
बबलू: तुमने पहली बार तो मुझे चुदाई की, तुम्हे क्या पता चुदाई का चरम सुख क्या होता है। अभी तुमने इसका आनंद नही लिया है। बाद में तुम इसके लिए तरसी तो क्या करोगी।
बिंदिया: मुझे नही चाहिए चरम सुख, मुझे तो तुम्हारा साथ चाहिए।
बबलू: पहले तुम चरम सुख का आनंद लो, उसके बाद भी तुम्हे लगे की मेरे साथ जीवन जी लोगी तो मैं तुम्हे अपना लूंगा।
(बबलू को खुद पता नही था की वो क्या बोल गया है। उसे बोलने के बाद पछतावा हो रहा था) बिंदिया ने उसे कस के एक थप्पड़ मारा और बिना कुछ कहे जाने लगी। बबलू ने उसका हाथ पकड़ के उसे रोका और माफी मांगने लगा। बबलू की आंखो में आंसु थे, शायद उसे बिंदिया से प्यार होने लगा था, क्योंकि बिंदिया उसे उसकी कमी के साथ स्वीकारने को तैयार थी। बबलू ने बिंदिया को गले लगाया और अपने प्यार का इजहार किया। बिंदिया और बबलू ने एक दूसरे को स्मूच किया। बबलू का चेहरे पर अभी भी उदासी थी।
बिंदिया: तुम अभी भी अपने सेक्स को लेकर सोच रहे हो क्या?
बबलू: सच कहूं तो मुझे अभी भी डर है कि मैं तुम्हे बाद में खो दूंगा। बुरा मत मानना पर ये सच है की चुदाई हर जिस्म की जरूरत होती है। एक इंसान अपनी जरूरतों से कब तक भागेगा। मुझे जल्दी नही है, तुम आराम से थोड़ा ठंडे दिमाग से सोच कर जवाब दे देना।
बिंदिया वापस घर आ गई थी, अब उसकी नई परेशानी थी बबलू को समझना, इक बार फिर उसने आशा की मदद लेने की सोची। आशा को पूरी बात बताई।
आशा: बिंदिया अगर सोचा जाए तो बबलू की बात में दम तो है।
बिंदिया: तुम कहना क्या चाहती हो, मैं एक वैश्या बन जाऊं।
आशा: नही बाबा, बबलू को ऐसा लगता है की उसकी कमजोरी तुम्हे बेवफा होने पर मजबूर ना कर दे। उसका सोचना सही भी है, क्योंकि की बात एक बार की नही जीवन भर की है।
बिंदिया: तो अब मैं कैसे बबलू को समझाऊं, मुझे शारीरिक सुख नहीं, उसका प्यार चाहिए।
आशा: बिंदिया तुम मुझे थोड़ा समय दो, मैं कुछ सोचती हूं और इस समस्या का समाधान निकलती हूं। (समाधान तो आशा के दिमाग में था, अगर अभी बोलती तो बिंदिया नही मानती)
अगले दिन बिंदिया और बबलू दोनो एक होटल में गए। बबलू ने बिंदिया को प्यार से गले लगाया और फिर उसे पलंग पर बैठाया और खुद सोफे पर जाकर बैठ गया। बबलू ने सोफे पर अपने साथ बैठे राज का परिचय बिंदिया से करवाया। राज सोफे से उठा और बिंदिया के पास पलंग पर जा कर बैठ गया। राज ने अपने होंठ बिंदिया के होठों से चिपका दिए। बिंदिया की नजर बबलू पर थी, बबलू ने उसे एक फ्लाइंग किस दिया। बिंदिया ने अपनी आंखे बंद की और राज ने बिंदिया के होठों को चूमना शुरू किया। (ये सब आशा के कहने पर ही हुआ, आशा ने बिंदिया को समझाया था की अगर बबलू चाहता है की तुम संभोग का संपूर्ण आनंद लो, तो तुम भी बबलू से कह देना की तुम्हारी उपस्थिति में ही मजे लूंगी और तुम्हे ही मेरे लिए एक साथी भी डूंडना होगा, जो तुम्हे लगता है की ये किसी औरत को अच्छे से चरम सुख देगा। जब बिंदिया ने बबलू के सामने ये शर्त रखी तो बबलू के पास कोई और विकल्प नहीं था। उसने राज को इस बात के लिए राजी किया, किसी और पर वो भरोसा नहीं कर सकता था। उसने राज को ऐसा करने की असली वजह नही बताई थी। उसने राज को ये बताया कि उसने बिंदिया से शर्त लगाई थी और वो जीत गया, बिंदिया को उसके सामने किसी दूसरे मर्द से चुदवाना होगा। राज तो था ही एक नंबर का चुदक्कड़, उसे तो मौका चाहिए था किसी को चोदने को, उसे मिल गया।) बिंदिया ने राज का चुम्बन में साथ नही दिया, राज भी समझ गया उसने तुरंत बिंदिया के कपड़े उतारने शुरू किए, बिंदिया के बदन पर सिर्फ पैंटी थी और राज बिंदिया के बूब्स से खेल रहा था। बिंदिया के छोटे बूब्स में राज ने भी कोई विशेष रुचि ली नही, उसने अपने आप को पूरा नंगा किया, फिर बिंदिया के बदन पर जो पैंटी थी वो भी उतार दी। बिंदिया और राज दोनो नंगे थे।
बबलू: बिंदिया, तुम्हे पुरे मजे लेना है।
राज: सच में मुझे तो ऐसी चुदाई में बिल्कुल भी मजा नही आता। इसलिए हमेशा मैं उन लड़कियों को ही चोदता हूं जो चुदाई के मजे लेने को तैयार हो। मुझे लगा तुम चुदाई का पुरा आनंद लेना चाहती हो, पर लगता है तुम चुदाई नही चाहती हो। (बिंदिया को उत्तेजित करने के लिए राज ने ऐसा बोला)
बिंदिया: नही.... रा...ज...
बबलू: इतना घबरा क्यों रही हो। तुम ये सोचो की मेरे साथ मजे कर रही हो, भूल जाओ की ये राज है, इसे कुछ देर के लिए बबलू ही समझो।
राज: (बिंदिया के पास आ गया) अपने बबलू को खुश नहीं करोगी। उसके लंड से नही खेलोगी। (राज ने बिंदिया का हाथ पकड़ के अपने लंड पर रख दिया।) तुम्हारा बबलू तुम्हारे प्यार के लिए तरस रहा है।
(राज के लंड को छु कर बिंदिया को लगा की सच में राज का लंड तो बबलू से लंबा भी है और मोटा भी, बिंदिया की नजर ना चाहते हुए भी राज के लंड पर चली गई। उसे आशा की बात भी याद आई की "तुम्हे बबलू के सामने दूसरे मर्द से ऐसे चुदवाना है की दूसरा मर्द तुम्हारी चुदाई की तारीफ करे बिना न रुके। आशा ने बिंदिया को बहुत सारी बाते भी बताई थी। अब बिंदिया धीरे धीरे मानसिक रूप से चुदाई के लिए तैयार हो रही थी) बिंदिया ने राज के लंड को अपनी मुट्ठी में पकड़ा, राज की हल्की सी आह निकली। बिंदिया ने राज को पलंग पर धकेला, राज पलंग पर गिर गया। बिंदिया राज के लंड को चाटने और चूमने लगी (आशा ने बिंदिया को समझा दिया था की मर्द को दीवाना करना है तो उसके लंड को अच्छे से प्यार करो) बीच बीच में वो राज के लंड को मूंह में भी ले लेती। राज ने इतनी बार चुदाई को थी पर हर बार वो लड़कियों के मुंह में लंड डाल कर झटके मारता था। पहली बार था जब राज का लंड कोई लड़की धीरे धीरे चूस और चुम रही हो। आशा ने बिंदिया को बता रखा था की लंड को प्यार करते हुए, लंड की तारीफ जरूर करना। बिंदिया भी बीच बीच में लंड की तारीफ करती, "ये बबलू(लंड) तो मस्त है", "तुम्हारे हथियार से खेलने का मजा ही अलग है।" बबलू तो इतना देख कर ही झड़ चुका था। राज ने कंडोम लगाया और बिंदिया को पलंग पर लेटा कर उसके ऊपर चढ़ कर बिंदिया की चुत में लंड डाल कर अंदर बाहर करने लगा। बिंदिया की चुत में लंबा और कड़क लंड जब सवारी करने लगा, बिंदिया मजे लेने लगी। बबलू की और देखते हुए, "ब...बलू..., बहु..त मजा.... आ.... रहा है। ऐसे ही चोदते रहो, आ.... ऊ.... ई..... ओह.....आ... ह।" बिंदिया कि चुत कसी हुइ ही थी, राज को चोदने में ज्यादा मेहनत करना पड़ रही थी। बिंदिया और राज दोनो थकने लगे थे। पर बिंदिया को आशा ने बोल रखा था की चुदाई जब तक करना है, जब तक शरीर साथ न छोड़ दे। बिंदिया ने राज को नीचे लेटाया और खुद राज के ऊपर चढ़ कर उसके लंड को अपनी चुत में डाल कर हिलने लगी। राज और बिंदिया दोनो अपने चरम पर जा कर शांत हुए। बिंदिया बहुत थक चुकी थी, बिस्तर पर ही लेट गई और उसे नींद लग गई। राज अपने कपड़े पहन कर चला गया। लगभग 1 घंटे बाद बिंदिया की नींद खुली, उसने देखा राज जा चुका है और बबलू उसके पास है।
बबलू: कैसी हो बिंदिया?
बिंदिया: जैसे चुदाई के बाद होना चाहिए, (बिंदिया ने बबलू को आँख मारते हुए कहा) अच्छा बताओ, कैसी लगी तुम्हे चुदाई?
बबलू: मस्त थी, तुम तो एक चुदाई में ही रण्डी बन गई। तुम बताओ, जीवनभर ये मजे लेना चाहोगी या नही।
बिंदिया: मेरे लिए चुदाई से बड़ा सुख प्यार का है। चुदाई तो कुछ पल के लिए है और प्यार हर पल के लिए।
बिंदिया ने इतना बोलते ही बबलू के होठों पर चुम्बन किया और बबलू के लंड को कपड़े के उपर से ही छूने लगी। बिंदिया तो नंगी ही थी, उसने बबलू का लंड कपड़ो से बाहर किया और लंड को चूमने और चूसने लगी, जैसे राज के लंड को प्यार कर रही थी। बबलू भी इस हरकत से उत्तेजित हो गया था, बबलू 1 घंटे पहले हो झड़ा था, इसलिए अबकी बार इतनी जल्दी नही झड़ने वाला था। बिंदिया ने बबलू का लंड मुंह में लिया था। बबलू का पुरा लंड बिंदिया के मुंह में था। बबलू अपने आप को रोक नही पाया और उसने बिंदिया का सर पकड़ लिया और उसके सर को आगे पीछे करने लगा, बिंदिया के मुंह की चुदाई करने में बबलू को मजा आने लगा। (आशा ने बिंदिया को बोल रखा था की लंड चूसने में दिक्कत बहुत आयेगी, पर पीछे मत हटना, तुम्हे बबलू के लंड की मलाई मुंह में लेनी है।) बबलू की उत्तेजना चरम पर पहुंची, उसने अपने आप को रोकने की नाकाम कोशिश की और उसकी पिचकारी बिंदिया के मुंह में चल गई। बिंदिया इसे सह नहीं पाई और उसे बड़ा अजीब लग रहा था, बाथरूम में भागी और उल्टी करने लगी। पहली बार में इतना कुछ कर लिया था, ये तो होना ही था।
बिंदिया: (बाथरूम से आई और बबलू को गले लगाते हुए) मुझे तुमसे और तुम्हारी चुदाई से कोई शिकायत नही है, मैं तुम्हारे साथ खुश हुं। अगर तुम्हे मेरे छोटे बूब्स से प्यार नही है तो कोई बात नही, मैं तुम्हे छोड़ दूंगी।
बबलू: (बिंदिया का हाथ पकड़ते हुए) मैने तुम्हारा हाथ छोड़ने के लिए नहीं तुम्हे चोदने के लिए पकड़ा है। मुझे मेरा सच्चा प्यार मिल गया है और बिंदिया तुम्हे आजादी है जब इच्छा हो, जहा इच्छा हो, जिसके साथ इच्छा हो चुदाई के मजे ले सकती हो। मुझे तुम्हारी बात समझ आ गई है की प्यार और चुदाई दोनो अलग है। ये तो जरूरी नहीं की आप जिस से प्यार करो सिर्फ उसी के साथ चुदाई करो या जिस से चुदाई के मजे ले रहे हो उसी से प्यार करो। चुदाई तो कुछ पल के लिए होती है, प्यार हमेशा के लिए रहता है।