23-05-2022, 04:50 PM
बिल्कुल एक निश्चित गति व चाल के साथ अपने हाथ, होंठ व जीभ को चला रही थी। उसके जीभ, होंठ व हाथ के समन्वय को देखकर लग रहा था कि उसे पहले से ही लण्ड चूसने का काफी अभ्यास रहा था।
खैर मेरे आनन्द की अब कोई सीमा नहीं थी। मैं तो जैसे बस अब आनन्द से हवा में ही उड़ रहा था और उसके होंठों व जीभ की हरकत के साथ साथ आनन्द के मारे आह्ह … ईश्श् आह्ह … की कराहें ले रहा था।
मेरे मुंह से आनन्द से निकलने वाली कराहों को सुनकर स्वाति भाभी का भी जोश अब बढ़ गया। उसने अपनी जुबान व होंठों को तेजी से मेरे लण्ड पर चलाना शुरु कर दिया। उसका दूसरा हाथ जो की अभी तक खाली था, उसने उसे भी अब पीछे ले जाकर मेरे नंगे नितम्बों को सहलाने में लगा दिया जिससे अब अपने आप ही मेरी कमर भी हरकत में आ गयी।
मैंने उसके सिर को पकड़कर अब अपने लण्ड को खुद ही उसके मुंह में अन्दर बाहर करके उसके नर्म नर्म होंठों के बीच घिसना शुरु कर दिया जिससे वो अब और भी जोश में आ गयी। उसने मेरे लण्ड को अब जितना वो अपने मुंह में ले सकती थी उतना अपने मुंह में उतार लिया और उसे अपने तालु व जीभ के बीच दबाकर जोरों से चूसना शुरु कर दिया।
इससे मेरी तो जैसे अब जान ही सूख गयी … मेरा चरम अब करीब आ गया था इसलिये मैंने भी अब अपने दोनों हाथों से स्वाति भाभी के सिर को पकड़कर जल्दी जल्दी और जोरों से उसके मुंह में अपने लण्ड को अन्दर बाहर करना शुरु कर दिया।
अब कुछ देर तो वो ऐसे ही मेरे लण्ड को चूसती रही। फिर ना जाने उसके दिल में अब फिर से क्या आया कि उसने मेरे लण्ड को अपने मुंह से बाहर निकाल दिया और
‘ओय्य्य … बस्स्स अब … मम्मी आने वाली है!” उसने मुझे अपने से दूर हटाते हुए कहा।
मैं बस चरम के बिल्कुल करीब ही था मगर इस तरह बीच में ही स्वाति भाभी के छोड़ देने से मैं तो जैसे आसमान में उड़ता हुआ अचानक जमीन पर आ गिरा था। उत्तेजना के वश मैंने अब फिर उसके सिर को पकड़कर अपने लण्ड पर दबाने की कोशिश की।
मगर ‘क्या … है? बस्स्स तो अब … मम्मी आने वाली है!” स्वाति भाभी ने अपना मुंह मेरे लण्ड से दूर हटाते हुए कहा।
स्वाति भाभी के इस तरह के व्यवहार से मुझे खीज सी हो रही थी इसलिये मैंने उसके सिर को पकड़कर अबकी बार थोड़ा जोरों से अपने लण्ड की तरफ दबा दिया। मगर
“ऊऊऊ … ह्ह्ह … नहीं होगा तेरा?” उसने मेरी तरफ देखकर शरारत से हंसते हुए कहा और पास में रखी बल्टी के कपड़ों को बाथरूम के फर्श पर गिरा लिया।
मैं तो सोच रहा था कि वो जानबूझकर मुझे तड़पाने के लिये ऐसा कर रही है मगर तभी वो उन कपड़ों को फर्श पर फैलाकर जल्दी उनके ऊपर लेट गयी और ‘जल्दी से कर ले अब … मम्मी आने वाली हैं!” उसने अपने दोनों घुटनो को मोड़कर अपनी जाँघों को फैलाते हुए कहा।
स्वाति भाभी को इस तरह से देखकर मैं तो बस उसे अब हैरानी से देखता ही रह गया, क्योंकि वो मुझे झटके पर झटके दे रही थी।
उसने ना ना करते हुए भी इस आधे पौने घण्टे में मुझसे क्या कुछ नहीं करवा लिया था … चुची चूसने से चूत चाटने तक, खड़े खड़े अपनी चुदाई से लेकर मेरा लण्ड चूसने तक और अब फिर से चुदाने के लिये तैयार हो गयी थी।
खैर मेरे आनन्द की अब कोई सीमा नहीं थी। मैं तो जैसे बस अब आनन्द से हवा में ही उड़ रहा था और उसके होंठों व जीभ की हरकत के साथ साथ आनन्द के मारे आह्ह … ईश्श् आह्ह … की कराहें ले रहा था।
मेरे मुंह से आनन्द से निकलने वाली कराहों को सुनकर स्वाति भाभी का भी जोश अब बढ़ गया। उसने अपनी जुबान व होंठों को तेजी से मेरे लण्ड पर चलाना शुरु कर दिया। उसका दूसरा हाथ जो की अभी तक खाली था, उसने उसे भी अब पीछे ले जाकर मेरे नंगे नितम्बों को सहलाने में लगा दिया जिससे अब अपने आप ही मेरी कमर भी हरकत में आ गयी।
मैंने उसके सिर को पकड़कर अब अपने लण्ड को खुद ही उसके मुंह में अन्दर बाहर करके उसके नर्म नर्म होंठों के बीच घिसना शुरु कर दिया जिससे वो अब और भी जोश में आ गयी। उसने मेरे लण्ड को अब जितना वो अपने मुंह में ले सकती थी उतना अपने मुंह में उतार लिया और उसे अपने तालु व जीभ के बीच दबाकर जोरों से चूसना शुरु कर दिया।
इससे मेरी तो जैसे अब जान ही सूख गयी … मेरा चरम अब करीब आ गया था इसलिये मैंने भी अब अपने दोनों हाथों से स्वाति भाभी के सिर को पकड़कर जल्दी जल्दी और जोरों से उसके मुंह में अपने लण्ड को अन्दर बाहर करना शुरु कर दिया।
अब कुछ देर तो वो ऐसे ही मेरे लण्ड को चूसती रही। फिर ना जाने उसके दिल में अब फिर से क्या आया कि उसने मेरे लण्ड को अपने मुंह से बाहर निकाल दिया और
‘ओय्य्य … बस्स्स अब … मम्मी आने वाली है!” उसने मुझे अपने से दूर हटाते हुए कहा।
मैं बस चरम के बिल्कुल करीब ही था मगर इस तरह बीच में ही स्वाति भाभी के छोड़ देने से मैं तो जैसे आसमान में उड़ता हुआ अचानक जमीन पर आ गिरा था। उत्तेजना के वश मैंने अब फिर उसके सिर को पकड़कर अपने लण्ड पर दबाने की कोशिश की।
मगर ‘क्या … है? बस्स्स तो अब … मम्मी आने वाली है!” स्वाति भाभी ने अपना मुंह मेरे लण्ड से दूर हटाते हुए कहा।
स्वाति भाभी के इस तरह के व्यवहार से मुझे खीज सी हो रही थी इसलिये मैंने उसके सिर को पकड़कर अबकी बार थोड़ा जोरों से अपने लण्ड की तरफ दबा दिया। मगर
“ऊऊऊ … ह्ह्ह … नहीं होगा तेरा?” उसने मेरी तरफ देखकर शरारत से हंसते हुए कहा और पास में रखी बल्टी के कपड़ों को बाथरूम के फर्श पर गिरा लिया।
मैं तो सोच रहा था कि वो जानबूझकर मुझे तड़पाने के लिये ऐसा कर रही है मगर तभी वो उन कपड़ों को फर्श पर फैलाकर जल्दी उनके ऊपर लेट गयी और ‘जल्दी से कर ले अब … मम्मी आने वाली हैं!” उसने अपने दोनों घुटनो को मोड़कर अपनी जाँघों को फैलाते हुए कहा।
स्वाति भाभी को इस तरह से देखकर मैं तो बस उसे अब हैरानी से देखता ही रह गया, क्योंकि वो मुझे झटके पर झटके दे रही थी।
उसने ना ना करते हुए भी इस आधे पौने घण्टे में मुझसे क्या कुछ नहीं करवा लिया था … चुची चूसने से चूत चाटने तक, खड़े खड़े अपनी चुदाई से लेकर मेरा लण्ड चूसने तक और अब फिर से चुदाने के लिये तैयार हो गयी थी।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.