23-05-2022, 04:49 PM
जिस तरह गर्म लाल लोहे पर पानी डालने से वो ‘छी … छी …’ की सी आवाज के साथ झमझमा जाता है वैसे ही उत्तेजना की आग में गर्माया मेरस लण्ड ठण्डे ठण्डे पानी के अहसास से और भी सुलग सा गया।
मेरे लण्ड को अच्छे से साफ करके स्वाति भाभी ने अब एक बार तो अपनी गर्दन उठा कर मेरी तरफ देखा फिर धीरे से खिसक कर वो आगे हो गयी, साथ ही उसने थोड़ा सा उकसकर अपने एक हाथ से उस पटरे को भी अब आगे कर लिया और उस बैठे बैठे ही अपना पूरा मुंह खोलकर सीधा ही मेरे लण्ड को अपने मुंह ने भर लिया। उसके मुंह के नर्म नर्म व मखमली अहसास के कारण मेरे मुंह से अब मीठी सी एक ‘आह्ह …’ निकले बिना नहीं रह सकी और अपने आप ही मेरे दोनों हाथ उसके सिर पर आ गये।
स्वाति भाभी ने भी मेरे लण्ड को अब अपने होंठों के बीच दबाकर उसे धीरे धीरे चूसना शुरु कर दिया। उसने मेरे सुपारे के अग्र भाग से चूसना शुरु किया था मगर धीरे धीरे करके उसने मेरा पूरा सुपारा अपने मुंह में भर लिया और उसे अपने होंठों के बीच दबाकर जोरों से चूसने और चाटने लगी। उसके होंठों के साथ साथ उसकी गर्म लचीली जीभ भी मेरे सुपारे के साथ खेल रही थी जिससे अनायास ही मेरे मुंह से अब मीठी मीठी कराहें सुपाड़े निकलना शुरु हो गयी और मेरे दोनों हाथ अपने आप ही उसके सिर को सहलाने लगे।
स्वाति भाभी भी बिल्कुल किसी मंजे हुए कलाकार की तरह मेरे लण्ड को चूस व चाट रही थी। वो मेरे लण्ड को पहले तो पूरा बाहर निकालकर अपने होंठों को बिल्कुल किनारे पर लाती फिर उसे चूसते व चाटते हुए मेरे पूरे सुपारे को अपने मुंह में उतार लेती। साथ ही उसका एक हाथ जो मेरे लण्ड के बेस को पकड़े हुए था वो उसे भी आगे पिछे हिला हिलाकर मुझे पूरा सुख दे रही थी।
मेरे लण्ड को अच्छे से साफ करके स्वाति भाभी ने अब एक बार तो अपनी गर्दन उठा कर मेरी तरफ देखा फिर धीरे से खिसक कर वो आगे हो गयी, साथ ही उसने थोड़ा सा उकसकर अपने एक हाथ से उस पटरे को भी अब आगे कर लिया और उस बैठे बैठे ही अपना पूरा मुंह खोलकर सीधा ही मेरे लण्ड को अपने मुंह ने भर लिया। उसके मुंह के नर्म नर्म व मखमली अहसास के कारण मेरे मुंह से अब मीठी सी एक ‘आह्ह …’ निकले बिना नहीं रह सकी और अपने आप ही मेरे दोनों हाथ उसके सिर पर आ गये।
स्वाति भाभी ने भी मेरे लण्ड को अब अपने होंठों के बीच दबाकर उसे धीरे धीरे चूसना शुरु कर दिया। उसने मेरे सुपारे के अग्र भाग से चूसना शुरु किया था मगर धीरे धीरे करके उसने मेरा पूरा सुपारा अपने मुंह में भर लिया और उसे अपने होंठों के बीच दबाकर जोरों से चूसने और चाटने लगी। उसके होंठों के साथ साथ उसकी गर्म लचीली जीभ भी मेरे सुपारे के साथ खेल रही थी जिससे अनायास ही मेरे मुंह से अब मीठी मीठी कराहें सुपाड़े निकलना शुरु हो गयी और मेरे दोनों हाथ अपने आप ही उसके सिर को सहलाने लगे।
स्वाति भाभी भी बिल्कुल किसी मंजे हुए कलाकार की तरह मेरे लण्ड को चूस व चाट रही थी। वो मेरे लण्ड को पहले तो पूरा बाहर निकालकर अपने होंठों को बिल्कुल किनारे पर लाती फिर उसे चूसते व चाटते हुए मेरे पूरे सुपारे को अपने मुंह में उतार लेती। साथ ही उसका एक हाथ जो मेरे लण्ड के बेस को पकड़े हुए था वो उसे भी आगे पिछे हिला हिलाकर मुझे पूरा सुख दे रही थी।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
