23-05-2022, 04:47 PM
मगर वो तो मुझसे भी तेज थी क्योंकि अब जैसे ही मैंने अपनी गति को कम किया … उसने तुरन्त ही अब खुद कमान सम्भाल ली। मेरी गर्दन को पकड़कर उसने अब खुद ही मेरे लण्ड पर उछल उछलकर धक्के लगाने शुरु कर दिये.
स्वाति भाभी को देखकर लग रहा था कि वो पूरी खेली खाई हुई थी। मैंने काफी लड़कियों व औरतों के साथ सम्बन्ध बनाये थे मगर इस तरह से और इस आसन(पोजिशन) में तो मैं आज पहली बार ही चुदाई कर रहा था।
भाभी को देखकर मुझे अब प्रिया की याद आ गयी। प्रिया भी स्वाति भाभी के जैसी ही थी मगर स्वाति भाभी अपनी उम्र के हिसाब से उससे दो कदम आगे थी। स्वाति भाभी की हरकत से लग रहा था कि आगे चलकर वो मुझे बहुत मजे देने वाली है।
खैर अब तो मैं भी कुछ नहीं कर सकता था इसलिये मैंने जैसा चल रहा था, वैसे ही चलने दिया और उसे अपने लण्ड पर वैसे ही उछलते रहने दिया। जिससे धीरे धीरे स्वाति भाभी की गति और सिसकारियां और भी तेज हो गयी।
वो बाथरूम छोटा था इसलिये उसकी सिसकारियाँ कुछ ज्यादा ही जोर से ही गुंज रही थी मगर स्वाति भाभी को शायद अब होश ही नहीं था।
वो वैसे ही जोरों से सिसकारियाँ भरते हुए मेरे लण्ड पर फुदकती रही जिससे कुछ ही देर बाद अचानक उसका बदन अकड़ सा गया और मुंह से ‘आह्ह … ईश्श्श … ईश्श्श … आह्ह … ईश्श्श …’ की किलकारियाँ सी मारते हुए वो जोरों से मुझसे लिपट गयी। साथ ही उसकी चुत भी मेरे लण्ड पर कस गयी और रह रह कर मेरे लण्ड को अपने प्रेमरस से नहलाना शुरु कर दिया।
मैंने भी उसे अब कसकर भींच लिया और उसके रस स्खलन में उसका पूरा साथ दिया।
स्वाति भाभी को देखकर लग रहा था कि वो पूरी खेली खाई हुई थी। मैंने काफी लड़कियों व औरतों के साथ सम्बन्ध बनाये थे मगर इस तरह से और इस आसन(पोजिशन) में तो मैं आज पहली बार ही चुदाई कर रहा था।
भाभी को देखकर मुझे अब प्रिया की याद आ गयी। प्रिया भी स्वाति भाभी के जैसी ही थी मगर स्वाति भाभी अपनी उम्र के हिसाब से उससे दो कदम आगे थी। स्वाति भाभी की हरकत से लग रहा था कि आगे चलकर वो मुझे बहुत मजे देने वाली है।
खैर अब तो मैं भी कुछ नहीं कर सकता था इसलिये मैंने जैसा चल रहा था, वैसे ही चलने दिया और उसे अपने लण्ड पर वैसे ही उछलते रहने दिया। जिससे धीरे धीरे स्वाति भाभी की गति और सिसकारियां और भी तेज हो गयी।
वो बाथरूम छोटा था इसलिये उसकी सिसकारियाँ कुछ ज्यादा ही जोर से ही गुंज रही थी मगर स्वाति भाभी को शायद अब होश ही नहीं था।
वो वैसे ही जोरों से सिसकारियाँ भरते हुए मेरे लण्ड पर फुदकती रही जिससे कुछ ही देर बाद अचानक उसका बदन अकड़ सा गया और मुंह से ‘आह्ह … ईश्श्श … ईश्श्श … आह्ह … ईश्श्श …’ की किलकारियाँ सी मारते हुए वो जोरों से मुझसे लिपट गयी। साथ ही उसकी चुत भी मेरे लण्ड पर कस गयी और रह रह कर मेरे लण्ड को अपने प्रेमरस से नहलाना शुरु कर दिया।
मैंने भी उसे अब कसकर भींच लिया और उसके रस स्खलन में उसका पूरा साथ दिया।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.