23-05-2022, 04:46 PM
अब जैसे मैं सीधा खड़ा हुआ, मेरा लण्ड भाभी की चुत के मुंह में किसी हुक की तरफ से फंसकर एक चौथाई के करीब उस मखमली गहराई में उतर गया जिससे स्वाति भाभी ‘ओह्ह य्य्य्य … ईईश्श्श … आआह्ह्ह …’ कहते हुए अपनी दोनों बांहें मेरे गले में डालकर मुझसे चिपट सी गयी और अपना एक पैर ऊपर हवा में उठाकर अपनी जांघ को मेरी कमर तक चढ़ा दिया.
स्वाति भाभी को सहारा देने के लिये अब मैंने भी अपने एक हाथ से उसके पैर को पकड़ लिया.
मगर जैसे ही मैंने उसके एक पैर को पकड़ा… ‘ओय्य्य … क्या कर रहा है … म्म … मैं गिर जाऊँगी!’ कहते हुए उसने मेरे गले में डाली हुई बांहों पर जोर देकर अपना दूसरा पैर भी ऊपर हवा में उठा लिया जिससे लगभग अब मेरा आधे से भी ज्यादा लण्ड उसकी चुत की गहराई में उतर गया।
“आह्ह्ह … क्या कर रहा है … गिरायेगा क्या?” स्वाति भाभी ने अब कराहते हुए कहा और मेरी गर्दन के सहारे ऊपर हवा में झूल सी गयी।
मुझे नहीं पता था कि स्वाति भाभी ने अपने पैर किस लिये उठाये थे? और ये सब वो क्या … और क्यों कर रही थी? मगर फिर भी उसको सहारा देने के लिये मैंने अपने दूसरे हाथ से अब उसका दूसरा पैर भी पकड़ लिया.
मगर जैसे ही मैंने उसके दूसरे पैर को सहारा दिया, वो अपनी बांहों को मेरे गले में और पैरों को मेरी कमर में फंसाकर मुझसे जोर सी चिपक गयी जिससे उसकी चुत लगभग अब मेरा पूरा ही लण्ड निगल गयी।
स्वाति भाभी बस दिखावे के लिये ही कह रही थी ‘मैं गिर जाऊंगी… मैं गिर जाऊँगी …’ मगर उसका असली मकसद तो मुझे अब समझ में आया जब उसने ‘गिर जाऊँगी … गिर जाऊँगी …’ करते करते ही अपनी चुत में मेरे पूरे लण्ड को निगल लिया।
उसने ना ना बोलकर भी सबकुछ खुद ही कर लिया था। उसकी यह चतुराई देखकर मैं तो उसे बस आँखें फाड़ फाड़ कर देखता ही रह गया था जो मेरे पूरे लण्ड को अब किसी खूंटे की तरह अपनी चुत में फंसाकर उस पर लटकी हुई थी।
मैं लगातर स्वाति भाभी के चेहरे को ही देखे जा रहा था.
मगर तभी ‘ओय्य्य … क्या कर रहा है … गिरायेगा क्या मुझे?” उसने मेरी तरफ देखते हुए अब फिर से कहा और मुझसे और भी जोरों से चिपक गयी।
मैंने भी अब तुरन्त ही उसकी जाँघों को छोड़कर अपने दोनों हाथों से उसके कूल्हों को थाम लिया जिससे मेरा लण्ड अब जड़ तक उसकी चुत में उतर गया।
मैं तो उसकी तरफ देख रहा था, अब जैसे ही स्वाति भाभी की नजर मेरी नजर से मिली, उसके चेहरे पर शर्मीली मुस्कान सी आ गयी। उसने एक बार तो मेरी नजर से नजर मिलाई, फिर अगले ही पल ‘क्या कर रहा है … बस अब … मुझे गिरायेगा क्या?’ स्वाति भाभी ने अपना मुंह दूसरी तरफ करके कहा साथ ही उसने अपने कूल्हों को हल्की जुम्बिश देकर मुझे आगे का भी रास्ता दिखा दिया.
अब इतना बेवकूफ तो मैं भी नहीं था जो इतना भी ना समझ सकूँ।
हालांकि इस तरह से चुदाई करने का ये मेरा पहला अवसर था मगर अब आगे क्या करना है ये तो मुझे भी अच्छी तरह समझ आ गया था।
उसके दोनों कूल्हों को पकड़कर मैंने उसे अब धीरे धीरे ऊपर नीचे हिलाना शुरु कर दिया जिससे मेरा लण्ड अब उसकी चुत में अन्दर बाहर होने लगा और स्वाति भाभी के मुंह से ‘आह्ह … ईश्श्श् … ईश्श्स … आह्ह् … ईश्श्श …’ की हल्की हक्की सिसकारियां फूटनी शुरु हो गयी।
स्वाति भाभी को सहारा देने के लिये अब मैंने भी अपने एक हाथ से उसके पैर को पकड़ लिया.
मगर जैसे ही मैंने उसके एक पैर को पकड़ा… ‘ओय्य्य … क्या कर रहा है … म्म … मैं गिर जाऊँगी!’ कहते हुए उसने मेरे गले में डाली हुई बांहों पर जोर देकर अपना दूसरा पैर भी ऊपर हवा में उठा लिया जिससे लगभग अब मेरा आधे से भी ज्यादा लण्ड उसकी चुत की गहराई में उतर गया।
“आह्ह्ह … क्या कर रहा है … गिरायेगा क्या?” स्वाति भाभी ने अब कराहते हुए कहा और मेरी गर्दन के सहारे ऊपर हवा में झूल सी गयी।
मुझे नहीं पता था कि स्वाति भाभी ने अपने पैर किस लिये उठाये थे? और ये सब वो क्या … और क्यों कर रही थी? मगर फिर भी उसको सहारा देने के लिये मैंने अपने दूसरे हाथ से अब उसका दूसरा पैर भी पकड़ लिया.
मगर जैसे ही मैंने उसके दूसरे पैर को सहारा दिया, वो अपनी बांहों को मेरे गले में और पैरों को मेरी कमर में फंसाकर मुझसे जोर सी चिपक गयी जिससे उसकी चुत लगभग अब मेरा पूरा ही लण्ड निगल गयी।
स्वाति भाभी बस दिखावे के लिये ही कह रही थी ‘मैं गिर जाऊंगी… मैं गिर जाऊँगी …’ मगर उसका असली मकसद तो मुझे अब समझ में आया जब उसने ‘गिर जाऊँगी … गिर जाऊँगी …’ करते करते ही अपनी चुत में मेरे पूरे लण्ड को निगल लिया।
उसने ना ना बोलकर भी सबकुछ खुद ही कर लिया था। उसकी यह चतुराई देखकर मैं तो उसे बस आँखें फाड़ फाड़ कर देखता ही रह गया था जो मेरे पूरे लण्ड को अब किसी खूंटे की तरह अपनी चुत में फंसाकर उस पर लटकी हुई थी।
मैं लगातर स्वाति भाभी के चेहरे को ही देखे जा रहा था.
मगर तभी ‘ओय्य्य … क्या कर रहा है … गिरायेगा क्या मुझे?” उसने मेरी तरफ देखते हुए अब फिर से कहा और मुझसे और भी जोरों से चिपक गयी।
मैंने भी अब तुरन्त ही उसकी जाँघों को छोड़कर अपने दोनों हाथों से उसके कूल्हों को थाम लिया जिससे मेरा लण्ड अब जड़ तक उसकी चुत में उतर गया।
मैं तो उसकी तरफ देख रहा था, अब जैसे ही स्वाति भाभी की नजर मेरी नजर से मिली, उसके चेहरे पर शर्मीली मुस्कान सी आ गयी। उसने एक बार तो मेरी नजर से नजर मिलाई, फिर अगले ही पल ‘क्या कर रहा है … बस अब … मुझे गिरायेगा क्या?’ स्वाति भाभी ने अपना मुंह दूसरी तरफ करके कहा साथ ही उसने अपने कूल्हों को हल्की जुम्बिश देकर मुझे आगे का भी रास्ता दिखा दिया.
अब इतना बेवकूफ तो मैं भी नहीं था जो इतना भी ना समझ सकूँ।
हालांकि इस तरह से चुदाई करने का ये मेरा पहला अवसर था मगर अब आगे क्या करना है ये तो मुझे भी अच्छी तरह समझ आ गया था।
उसके दोनों कूल्हों को पकड़कर मैंने उसे अब धीरे धीरे ऊपर नीचे हिलाना शुरु कर दिया जिससे मेरा लण्ड अब उसकी चुत में अन्दर बाहर होने लगा और स्वाति भाभी के मुंह से ‘आह्ह … ईश्श्श् … ईश्श्स … आह्ह् … ईश्श्श …’ की हल्की हक्की सिसकारियां फूटनी शुरु हो गयी।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
