Thread Rating:
  • 0 Vote(s) - 0 Average
  • 1
  • 2
  • 3
  • 4
  • 5
Adultery मम्मीजी‌ आने वाली हैं
#15
स्वाति भाभी की गोरी चिकनी और फूली हुई चुत अब मेरे सामने थी जिस पर बस छोटे ही बाल थे मगर काफी गहरे और घने थे। पाव रोटी की तरह फूली हुई उसकी गोरी चिकनी चुत इतनी कमसिन और हसीन थी कि कुछ देर तक‌ तो मैं टकटकी लगाये बस उसे देखता ही रह गया.
भाभी की चुत चूचियों से भी ज्यादा गोरी सफेद और बिल्कुल बेदाग थी। चुत की फांकें थोड़ी सी फैली हुई थी जिससे चुत के अन्दर का गुलाबी भाग मुझे साफ नजर आ रहा था, और गोरी चिकनी फांकों के बीच हल्का सा दिखाई देता चुत का गुलाबी दाना तो ऐसा लग रहा था जैसे की उसकी चुत अपनी जीभ निकालकर मुझे चिढा रही हो।
स्वाति भाभी की चुत को देखकर मैं तो जैसे अब पागल ही हो गया। मैंने उसकी गोरी चिकनी चुत व उसकी मांसल भरी हुई जाँघों को पागलों की तरह बेतहाशा यहाँ वहां चूमना शुरु कर दिया जिससे वो मचल सी गयी और ‘ईईई … श्श्श्श … बस्स्स …’ कहते हुए दोनों हाथों से मेरे सिर को पकड़ लिया।
मैं भाभी की चुत को नहीं चूम‌ रहा था, बस चुत के फूले हुए उभार को और चुत के चारों तरफ उसकी जाँघों पर ही चूमे जा रहा था। मेरे होंठ एक जगह ठहर ही नहीं रहे थे इसलिये स्वाति भाभी ने मेरे सिर को पकड़कर अब थोड़ा सा कसमसाते हुए अपनी चुत को सीधा ही मेरे मुंह पर लगा दिया मगर उसने दिखावा ऐसा किया जैसे कि वो मुझे हटाना चाह रही थी.
मगर मैंने ही उसकी चुत पर अपने होंठों को लगा दिया हो।
मुझे थोड़ा अचरज सा हुआ इसलिये अपना सिर उठाकर मैंने स्वाति भाभी की तरफ देखा, वो भी मेरी तरफ ही देख रही थी। शर्म से उसके गाल लाल हो रखे थे और चेहरे पर हल्की मुसकान सी थी। हम दोनों की नजरें अब एक बार तो मिली मगर अगले ही पल उसने शर्मा कर फिर से अपना चेहरा दूसरी तरफ घुमा लिया।
एक नजर स्वाति भाभी की तरफ देखकर मैंने उसके पैरों में फंसी पेंटी को खींचकर अब उसके पैरों से पूरा ही निकाल कर अलग कर दिया जिसमें स्वाति भाभी ने ‘ओय्य्य … बस्स्स … क्या कर रहा है … छोड़ मुझे …’ कहते हुए थोड़ा सा नखरा तो दिखाया मगर साथ ही अपने पैरों को उठाकर पेंटी को निकालने में मेरा साथ भी दिया।
भाभी की पेंटी को निकालकर मैं अब दोनों हाथों से उसके पैरों को खोलकर उसके दोनों पैरों के बीच बैठ गया जिसका उसने कोई विरोध नहीं किया और अपनी टांगों को चौड़ा करके सीधी खड़ी हो गयी। नीचे फर्श पर पानी था जिससे मेरा लोवर भीग गया था मगर मुझे उसकी तो फिक्र ही कहाँ थी।
भाभी की नंगी टांगों के बीच बैठे बैठे पहले तो मैंने अपने दोनों हाथों से उसकी चूत की नाजुक पंखुड़ियों को थोड़ा सा फैला दिया, फिर धीरे से अपने होंठों को उसकी चुत के अन्दर के लाल गुलाबी भाग पर रख दिया.
‘उफ्फ्फ … कितनी गर्म चूत थी भाभी की …’ मुझे तो लगा जैसे मेरे होंठ जल ही ना जायें। भीगने के कारण उसकी चुत बाहर से तो ठण्डी थी मगर अन्दर से किसी भट्ठी की तरह एकदम सुलग सी रही थी जिसको चूमकर ऐसा लग रहा था मानो मेरे होंठ जल ही जायेंगे।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
Like Reply


Messages In This Thread
RE: मम्मीजी‌ आने वाली हैं - by neerathemall - 23-05-2022, 04:44 PM



Users browsing this thread: 1 Guest(s)