23-05-2022, 04:44 PM
अब जैसे ही स्वाति भाभी का पेटीकोट निचे गिरा … ‘ओयय … बस्स्स … बस अब …’ उसने हल्का सा कसमसाकर मेरी तरफ देखते हुए कहा मगर अपने पेटीकोट को उठाने का या अपने नंगेपन को ढकने का प्रयास बिल्कुल भी नहीं किया।
वो तो शायद चाह ही यही रही थी मगर शर्म के कारण ऐसे ही दिखावे के लिये ये सब बोल रही थी।
भाभी के पेटीकोट को निकालकर मैं अब नीचे अपने पंजों के बल बैठ गया और अपने दोनों हाथ उसकी पेंटी के किनारों में फंसाकर उसे सीधा ही नीचे उसके घुटनों तक खींच दिया.
मुझे बस एक झलक ही भाभी की गोरी चिकनी चुत की मिली थी कि ‘ओहय … क्या कर रहे हो … बस्स्स अब … बहुत हो गया … मम्मीईई … मम्मी आने वाली हैं.’ उसने हल्का सा कसमसाकर दोनों हाथों से अपनी चुत को छुपाते हुए कहा।
मगर अब मैं कहां रुकने वाला था, मैंने अपने दोनों हाथों से उसके हाथों को पकड़कर चुत पर से हटा दिया.
‘ओय्य … बस्स्स्स … बस्स्स अब …’ उसने फिर से कसमसाते हुए कहा.
मगर अब फिर से अपनी चुत को छुपाने की कोशिश नहीं की, बस चुपचाप खड़ी हो गयी।
वो तो शायद चाह ही यही रही थी मगर शर्म के कारण ऐसे ही दिखावे के लिये ये सब बोल रही थी।
भाभी के पेटीकोट को निकालकर मैं अब नीचे अपने पंजों के बल बैठ गया और अपने दोनों हाथ उसकी पेंटी के किनारों में फंसाकर उसे सीधा ही नीचे उसके घुटनों तक खींच दिया.
मुझे बस एक झलक ही भाभी की गोरी चिकनी चुत की मिली थी कि ‘ओहय … क्या कर रहे हो … बस्स्स अब … बहुत हो गया … मम्मीईई … मम्मी आने वाली हैं.’ उसने हल्का सा कसमसाकर दोनों हाथों से अपनी चुत को छुपाते हुए कहा।
मगर अब मैं कहां रुकने वाला था, मैंने अपने दोनों हाथों से उसके हाथों को पकड़कर चुत पर से हटा दिया.
‘ओय्य … बस्स्स्स … बस्स्स अब …’ उसने फिर से कसमसाते हुए कहा.
मगर अब फिर से अपनी चुत को छुपाने की कोशिश नहीं की, बस चुपचाप खड़ी हो गयी।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
