23-05-2022, 04:42 PM
मगर मैंने तो कुछ किया ही नहीं था। वो तो उसके ही खिंचने से ब्लाउज के बटन खुले थे इसलिये हैरानी से मैं भी स्वाति भाभी की तरफ देखने लगा. उसकी आँखों में शर्म के भाव तो थे ही साथ ही उत्तेजना के गुलाबी डोरे भी तैरते मुझे अब साफ नजर आ रहे थे।
अब जैसे ही उसकी नजर मेरी नजर से मिली, उसके चेहरे पर शर्म से हल्की सी मुसकान आ गयी और शर्माकर उसने अपनी नजर को दूसरी तरफ घुमा लिया।
स्वाति भाभी ने अब भी मेरा हाथ तो पकड़ा हुआ था मगर उसके हाथ की पकड़ में विरोध बिल्कुल भी नहीं था इसलिये उसकी तरफ देखते देखते मैंने अब फिर से उसके ब्लाउज में अपने हाथ की उंगलियों को फंसा कर उसे जोर से खींच दिया जिससे उसके ब्लाउज के दो बटन और खुल गये।
सच में भाभी ने अपनी चूचियों को जबरदस्ती ही ब्लाउज में ठूंस कर भरा हुआ था क्योंकि अब जैसे ही उसके ब्लाउज के ऊपर के चार बटन खुले उसकी चुचियाँ ब्रा के साथ नीचे के दो बटन के ऊपर से ही उछलकर अपने आप ही उछलकर बाहर आ गयी।
उस ब्रा में भी उसकी चूचियाँ समा नहीं रही थी इसलिये उसके ब्लाउज के सारे बटन खोलकर मैंने उसकी ब्रा को भी अब नीचे से पकड़कर ऊपर खींच दिया… उसकी ब्रा को मैंने बस थोड़ा सा ही खींचा था मगर मेरे थोड़ा सा खींचते ही उसकी चूचियाँ अपने आप ही ब्रा की कैद से फड़फड़ा कर बाहर आ गयी और खुद के ही बोझ से थोड़ा नीचे होकर झूल गयी।
कच्चे दूध सी सफेद, बिल्कुल बेदाग और गोरी चिकनी चूचियाँ थी उसकी जो भीगने के कारण थोड़ी सख्त हो रही थी. उन पर खड़े हुए रोयें साफ नजर आ रहे थे। गहरे भूरे रंग के बड़े बड़े घेरे में उनके भूरे भूरे निप्पल सुपारी के जितने बड़े और इतने तने हुए थे कि उनको देखते ही मेरा गला सूख सा गया.
मुझसे सब्र नहीं हो रहा था इसलिये मैं अब सीधा ही उसकी चूचियों पर टूट पड़ा। मैंने उसकी एक चुची को पकड़ कर पहले तो उसे ऊपर ऊपर हल्के से चूमा, फिर उसके निप्पल को अपने मुंह में भरकर जोर से चूस लिया.
मगर जितनी तेजी व फुर्ती से मैंने उसके निप्पल को अपने मुंह में भरकर चूसा था, उतनी ही जल्दी मैंने उसके निप्पल को अपने मुंह से बाहर भी निकाल दिया क्योंकि जैसे ही मैंने उसकी चुची को चूसा, दूध की मोटी सी धार मेरे तालु से टकराई और मेरे सुखे मुंह को गीला करते हुए सीधा ही मेरे गले से नीचे उतर गयी।
चुची से इस तरह दूध निकल आने से मैं हड़बड़ा गया था इसलिये मैंने झट से अपना मुंह भाभी की चूची से हटा लिया और स्वाति भाभी की तरफ देखने लगा.
वो भी मेरी तरफ ही देख रही जिससे उसे हंसी आ गयी।
उसने हंसते हुए अब एक बार तो मेरी आँखों में देखा फिर शर्माकर अपनी नजर को दूसरी तरफ घुमा लिया।
हल्का मीठा और मितैला सा स्वाद था भाभी के दूध का जो मुझे इतना अच्छा तो नहीं लगा था मगर फिर भी मेरे सूखे गले को उसने काफी राहत सी पहुंचाई।
स्वाति भाभी अब मेरी तरफ तो नहीं देख रही थी मगर मेरी हड़बड़ाहट पर वो अब भी हंस रही थी। उसको देखकर मुझे भी अब एक उत्तेजक सी शरारत सूझ गयी। मैंने ऊपर उसके चेहरे की तरफ देखते देखते अब फिर से उसकी चुची को अपने मुंह में भर लिया और उसे जोर से चूसकर थोड़े से दूध को अपने मुंह में इकट्ठा कर लिया।
थोड़ा सा दूध अपने मुंह में भरकर मैंने चुची को छोड़ दिया और ऊपर आकर अपने होंठों को उसके होंठों से जोड़ दिया। उसको पता नहीं था कि मैंने अपने मुंह में दूध भरा हुआ है इसलिये उसने मेरा कोई विरोध नहीं किया।
मगर जैसे ही उसके होंठों को चूसने के बहाने मैंने अपने मुंह का दूध उसके मुंह में डाला उसकी बड़ी बड़ी आँखें और भी बड़ी हो गयी और ‘ऊऊऊ … ह्ह्ह …’ कहते हुए उसने तुरन्त ही अपने मुंह को मेरे मुंह से अलग कर लिया। जिससे वो दूध उसके मुंह से निकलकर उसकी ठोड़ी पर बह आया।
अब जैसे ही उसकी नजर मेरी नजर से मिली, उसके चेहरे पर शर्म से हल्की सी मुसकान आ गयी और शर्माकर उसने अपनी नजर को दूसरी तरफ घुमा लिया।
स्वाति भाभी ने अब भी मेरा हाथ तो पकड़ा हुआ था मगर उसके हाथ की पकड़ में विरोध बिल्कुल भी नहीं था इसलिये उसकी तरफ देखते देखते मैंने अब फिर से उसके ब्लाउज में अपने हाथ की उंगलियों को फंसा कर उसे जोर से खींच दिया जिससे उसके ब्लाउज के दो बटन और खुल गये।
सच में भाभी ने अपनी चूचियों को जबरदस्ती ही ब्लाउज में ठूंस कर भरा हुआ था क्योंकि अब जैसे ही उसके ब्लाउज के ऊपर के चार बटन खुले उसकी चुचियाँ ब्रा के साथ नीचे के दो बटन के ऊपर से ही उछलकर अपने आप ही उछलकर बाहर आ गयी।
उस ब्रा में भी उसकी चूचियाँ समा नहीं रही थी इसलिये उसके ब्लाउज के सारे बटन खोलकर मैंने उसकी ब्रा को भी अब नीचे से पकड़कर ऊपर खींच दिया… उसकी ब्रा को मैंने बस थोड़ा सा ही खींचा था मगर मेरे थोड़ा सा खींचते ही उसकी चूचियाँ अपने आप ही ब्रा की कैद से फड़फड़ा कर बाहर आ गयी और खुद के ही बोझ से थोड़ा नीचे होकर झूल गयी।
कच्चे दूध सी सफेद, बिल्कुल बेदाग और गोरी चिकनी चूचियाँ थी उसकी जो भीगने के कारण थोड़ी सख्त हो रही थी. उन पर खड़े हुए रोयें साफ नजर आ रहे थे। गहरे भूरे रंग के बड़े बड़े घेरे में उनके भूरे भूरे निप्पल सुपारी के जितने बड़े और इतने तने हुए थे कि उनको देखते ही मेरा गला सूख सा गया.
मुझसे सब्र नहीं हो रहा था इसलिये मैं अब सीधा ही उसकी चूचियों पर टूट पड़ा। मैंने उसकी एक चुची को पकड़ कर पहले तो उसे ऊपर ऊपर हल्के से चूमा, फिर उसके निप्पल को अपने मुंह में भरकर जोर से चूस लिया.
मगर जितनी तेजी व फुर्ती से मैंने उसके निप्पल को अपने मुंह में भरकर चूसा था, उतनी ही जल्दी मैंने उसके निप्पल को अपने मुंह से बाहर भी निकाल दिया क्योंकि जैसे ही मैंने उसकी चुची को चूसा, दूध की मोटी सी धार मेरे तालु से टकराई और मेरे सुखे मुंह को गीला करते हुए सीधा ही मेरे गले से नीचे उतर गयी।
चुची से इस तरह दूध निकल आने से मैं हड़बड़ा गया था इसलिये मैंने झट से अपना मुंह भाभी की चूची से हटा लिया और स्वाति भाभी की तरफ देखने लगा.
वो भी मेरी तरफ ही देख रही जिससे उसे हंसी आ गयी।
उसने हंसते हुए अब एक बार तो मेरी आँखों में देखा फिर शर्माकर अपनी नजर को दूसरी तरफ घुमा लिया।
हल्का मीठा और मितैला सा स्वाद था भाभी के दूध का जो मुझे इतना अच्छा तो नहीं लगा था मगर फिर भी मेरे सूखे गले को उसने काफी राहत सी पहुंचाई।
स्वाति भाभी अब मेरी तरफ तो नहीं देख रही थी मगर मेरी हड़बड़ाहट पर वो अब भी हंस रही थी। उसको देखकर मुझे भी अब एक उत्तेजक सी शरारत सूझ गयी। मैंने ऊपर उसके चेहरे की तरफ देखते देखते अब फिर से उसकी चुची को अपने मुंह में भर लिया और उसे जोर से चूसकर थोड़े से दूध को अपने मुंह में इकट्ठा कर लिया।
थोड़ा सा दूध अपने मुंह में भरकर मैंने चुची को छोड़ दिया और ऊपर आकर अपने होंठों को उसके होंठों से जोड़ दिया। उसको पता नहीं था कि मैंने अपने मुंह में दूध भरा हुआ है इसलिये उसने मेरा कोई विरोध नहीं किया।
मगर जैसे ही उसके होंठों को चूसने के बहाने मैंने अपने मुंह का दूध उसके मुंह में डाला उसकी बड़ी बड़ी आँखें और भी बड़ी हो गयी और ‘ऊऊऊ … ह्ह्ह …’ कहते हुए उसने तुरन्त ही अपने मुंह को मेरे मुंह से अलग कर लिया। जिससे वो दूध उसके मुंह से निकलकर उसकी ठोड़ी पर बह आया।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
