23-05-2022, 04:40 PM
जब से मैं और पिंकी पकड़े गये थे तब से मैं उनके घर नहीं जाता था, मगर अब तो मैंने उनके घर भी जाना शुरु कर दिया। हालांकि पिंकी की मम्मी यानि स्वाति भाभी की सास मुझे अब भी पसंद नहीं करती थी. इसलिये मैं उनके घर तभी जाता था जब मेरे पास उनके घर जाने के लिये कोई ना कोई बहाना होता था।
स्वाति भाभी की सास मुझे अधिकतर घर के बाहर से ही काम पूछ कर चलता कर देती थी मगर फिर भी, मुझे जब भी उनके घर जाने का कोई मौका मिलता तो मैं उसे छोड़ता नहीं था।
अब ऐसे ही एक दिन सुबह सुबह ही मेरी भाभी ने मुझे स्वाति भाभी के घर से सिलाई मशीन लाने के लिये कहा।
वैसे तो हमारे घर भी सिलाई मशीन थी मगर उस समय वो खराब थी इसलिये मेरी भाभी ने मुझे स्वाति भाभी के घर से सिलाई मशीन लाने के लिये कहा।
मैं तो अब रहता ही इस ताक में था कि कब मुझे स्वाति भाभी के घर जाने का मौका मिले और मैं उनके घर जा सकूं. जैसे मेरी भाभी ने मुझे स्वाति भाभी के घर से मशीन लाने को कहा मैं भी तुरन्त ही उनके घर चला गया।
मुझे पता था कि स्वाति भाभी की सास मुझे देखकर घर के बाहर से ही चलता कर देगी इसलिये मैंने उनके घर के बाहर से किसी को आवाज नहीं दी, बल्कि उनके घर के मुख्य दरवाजे को खोलकर अन्दर आ गया और ड्राईंगरूम के दरवाजे के पास आकर ‘भाभी … भाभी … स्वाति भाभी…’ मैंने सीधा ही स्वाति भाभी को आवाज लगाई.
मगर काफी आवाज देने पर भी किसी ने कोई जवाब नहीं दिया।
जब बाहर से किसी ने जवाब नहीं दिया तो मैंने अब उनके ड्राईंगरूम के दरवाजे थोड़ा धकेलकर देखा.
दरवाजा खुला हुआ ही था इसलिये मैं भी अब अन्दर आ गया, मगर अब अन्दर भी कोई नहीं था.
अक्सर तो स्वाति भाभी की सास मुझे ड्राईंगरूम में ही मिल जाती थी और वो मुझे वही से वापस कर देती थी मगर आज वो भी नजर नहीं आ रही थी।
‘भाभी …’
‘भाभी…’
‘स्वाति भाभी …’
उनके ड्राईंगरूम में आकर मैंने अब एक बार फिर से स्वाति भाभी को ही आवाज लगाई. तभी ‘कौन है?’ अन्दर से स्वाति भाभी की आवाज सुनाई दी।
स्वाति भाभी की सास मुझे अधिकतर घर के बाहर से ही काम पूछ कर चलता कर देती थी मगर फिर भी, मुझे जब भी उनके घर जाने का कोई मौका मिलता तो मैं उसे छोड़ता नहीं था।
अब ऐसे ही एक दिन सुबह सुबह ही मेरी भाभी ने मुझे स्वाति भाभी के घर से सिलाई मशीन लाने के लिये कहा।
वैसे तो हमारे घर भी सिलाई मशीन थी मगर उस समय वो खराब थी इसलिये मेरी भाभी ने मुझे स्वाति भाभी के घर से सिलाई मशीन लाने के लिये कहा।
मैं तो अब रहता ही इस ताक में था कि कब मुझे स्वाति भाभी के घर जाने का मौका मिले और मैं उनके घर जा सकूं. जैसे मेरी भाभी ने मुझे स्वाति भाभी के घर से मशीन लाने को कहा मैं भी तुरन्त ही उनके घर चला गया।
मुझे पता था कि स्वाति भाभी की सास मुझे देखकर घर के बाहर से ही चलता कर देगी इसलिये मैंने उनके घर के बाहर से किसी को आवाज नहीं दी, बल्कि उनके घर के मुख्य दरवाजे को खोलकर अन्दर आ गया और ड्राईंगरूम के दरवाजे के पास आकर ‘भाभी … भाभी … स्वाति भाभी…’ मैंने सीधा ही स्वाति भाभी को आवाज लगाई.
मगर काफी आवाज देने पर भी किसी ने कोई जवाब नहीं दिया।
जब बाहर से किसी ने जवाब नहीं दिया तो मैंने अब उनके ड्राईंगरूम के दरवाजे थोड़ा धकेलकर देखा.
दरवाजा खुला हुआ ही था इसलिये मैं भी अब अन्दर आ गया, मगर अब अन्दर भी कोई नहीं था.
अक्सर तो स्वाति भाभी की सास मुझे ड्राईंगरूम में ही मिल जाती थी और वो मुझे वही से वापस कर देती थी मगर आज वो भी नजर नहीं आ रही थी।
‘भाभी …’
‘भाभी…’
‘स्वाति भाभी …’
उनके ड्राईंगरूम में आकर मैंने अब एक बार फिर से स्वाति भाभी को ही आवाज लगाई. तभी ‘कौन है?’ अन्दर से स्वाति भाभी की आवाज सुनाई दी।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.