23-05-2022, 04:36 PM
पिंकी की भाभी की बात सुनकर मुझे अब झटका सा लगा और मेरा सारा गुस्सा एक पल में ही गायब हो गया. क्योंकि कल तक तो वो मुझे और पिंकी को पकड़ने की फिराक में रहती थी और आज वो खु्द ही मुझे बता रही थी की अगले महीने पिंकी आ रही है।
पहले जब मेरे और पिंकी के सम्बन्ध थे, तब मैं पिंकी की भाभी से काफी हंसी मजाक कर लिया करता था जिसको वो कभी बुरा नहीं मानती थी। वो देखने में भी काफी सुन्दर है इसलिये पिंकी के साथ साथ मेरी नजर उस पर भी रहती थी.
मगर मुझे पिंकी और मेरी खुद की भाभी से ही मुझे फुर्सत नहीं मिलती थी इसलिये मैं उसके साथ ज्यादा कुछ करने की कोशिश नहीं कर सका था। और बाद में तो मेरा और पिंकी का भांडा ही फूट गया था इसलिये मैं उससे दूर ही रहने लगा था।
खैर जब उसने ही शुरुआत कर दी तो अब मैं कहां पीछे रहने वाला था। मेरा मिजाज भी अब बदल गया… “और अब? अब हो गयी?” मैं भी अब थोड़ा मस्ती के से मिजाज में आ गया था इसलिये मैंने भी अब मजाक करते हुए कहा, मगर उसने मेरी बात का कोई जवाब नहीं दिया.
“क्यों अब हो गयी क्या मेरी उम्र?” उसने जब पहली बार में कोई जवाब नहीं दिया तो मैंने उसके चेहरे की देखते हुए फिर से पूछ लिया जिससे वो अब हंसने लग गयी।
“मुझे क्या पता? आ रही है पिंकी अगले महीने … उसी से पूछ लेना!” उसने हंसते हुए कहा और हमारी छत व उनकी छत के बीच जो पतली और छोटी सी दीवार है उसके पास आकर खड़ी हो गयी।
मैं अब आगे कुछ कहता मगर तभी …
“अरे क्या करने लग गयी? ये लड़की रो रही है!” उनके घर से पिंकी की मम्मी की आवाज सुनाई दी।
“ज..जी अभी आई.” कहते हुए वो अब जल्दी से नीचे चली गयी।
अब वो तो चली गयी मगर मेरे दिल में एक नयी ही उम्मीद सी जगा गयी। नहीं … यह उम्मीद पिंकी के आने की नहीं थी बल्कि पिंकी की भाभी को ही पाने की ललक थी. क्योंकि मुझसे बात करते हुए उसकी आँखों में मुझे एक अजीब ही शरारत सी दिखाई दे रही थी।
आपने कभी किसी लड़की या औरत को पटाया होगा तो आपको पता होगा कि उसकी शुरुआत सबसे पहले आँखों से ही होती है। वो लड़की या औरत पटेगी या नहीं इसका अन्दाजा अधिकतर उसके देखने के तरीके से ही हो जाता है।
अब इतना अभ्यास तो मुझे भी हो ही गया था। साल भर से भी ज्यादा हो गया था मुझे उससे बात किये मगर आज उसने खुद ही पहल की थी और जिस तरह से वो अपनी आँखों को नचा नचा कर मुझसे बात कर रही थी उससे तो यही लग रहा था कि थोड़ी सी कोशिश करने पर ये पका हुआ आम खुद ब खुद ही मेरी झोली में गिर जायेगा।
पहले जब मेरे और पिंकी के सम्बन्ध थे, तब मैं पिंकी की भाभी से काफी हंसी मजाक कर लिया करता था जिसको वो कभी बुरा नहीं मानती थी। वो देखने में भी काफी सुन्दर है इसलिये पिंकी के साथ साथ मेरी नजर उस पर भी रहती थी.
मगर मुझे पिंकी और मेरी खुद की भाभी से ही मुझे फुर्सत नहीं मिलती थी इसलिये मैं उसके साथ ज्यादा कुछ करने की कोशिश नहीं कर सका था। और बाद में तो मेरा और पिंकी का भांडा ही फूट गया था इसलिये मैं उससे दूर ही रहने लगा था।
खैर जब उसने ही शुरुआत कर दी तो अब मैं कहां पीछे रहने वाला था। मेरा मिजाज भी अब बदल गया… “और अब? अब हो गयी?” मैं भी अब थोड़ा मस्ती के से मिजाज में आ गया था इसलिये मैंने भी अब मजाक करते हुए कहा, मगर उसने मेरी बात का कोई जवाब नहीं दिया.
“क्यों अब हो गयी क्या मेरी उम्र?” उसने जब पहली बार में कोई जवाब नहीं दिया तो मैंने उसके चेहरे की देखते हुए फिर से पूछ लिया जिससे वो अब हंसने लग गयी।
“मुझे क्या पता? आ रही है पिंकी अगले महीने … उसी से पूछ लेना!” उसने हंसते हुए कहा और हमारी छत व उनकी छत के बीच जो पतली और छोटी सी दीवार है उसके पास आकर खड़ी हो गयी।
मैं अब आगे कुछ कहता मगर तभी …
“अरे क्या करने लग गयी? ये लड़की रो रही है!” उनके घर से पिंकी की मम्मी की आवाज सुनाई दी।
“ज..जी अभी आई.” कहते हुए वो अब जल्दी से नीचे चली गयी।
अब वो तो चली गयी मगर मेरे दिल में एक नयी ही उम्मीद सी जगा गयी। नहीं … यह उम्मीद पिंकी के आने की नहीं थी बल्कि पिंकी की भाभी को ही पाने की ललक थी. क्योंकि मुझसे बात करते हुए उसकी आँखों में मुझे एक अजीब ही शरारत सी दिखाई दे रही थी।
आपने कभी किसी लड़की या औरत को पटाया होगा तो आपको पता होगा कि उसकी शुरुआत सबसे पहले आँखों से ही होती है। वो लड़की या औरत पटेगी या नहीं इसका अन्दाजा अधिकतर उसके देखने के तरीके से ही हो जाता है।
अब इतना अभ्यास तो मुझे भी हो ही गया था। साल भर से भी ज्यादा हो गया था मुझे उससे बात किये मगर आज उसने खुद ही पहल की थी और जिस तरह से वो अपनी आँखों को नचा नचा कर मुझसे बात कर रही थी उससे तो यही लग रहा था कि थोड़ी सी कोशिश करने पर ये पका हुआ आम खुद ब खुद ही मेरी झोली में गिर जायेगा।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.