23-05-2022, 04:34 PM
से तो मैं कुछ करता नहीं था मगर हां, मैं अब भी अपनी भाभी की घर के काम हाथ जरूर बंटा देता था जिससे मेरी भाभी भी खुश होकर कभी कभी मुझे अपनी जवानी का रस पिला देती थी।
मेरे दिन अब ऐसे ही गुजर रहे थे कि एक दिन शाम के समय मैं अपनी भाभी के कहने पर हमारी छत से सूखे हुए कपड़े लेने चला गया। वैसे जब से मैं पिंकी के साथ पकड़ा गया था तब से हमारी छत पर जाता नहीं था, मगर उस दिन मेरी भाभी किसी दूसरे काम में व्यस्त थी इसलिये उन्होंने छत से कपड़े लेने के लिये मुझसे बोल दिया।
मैं हमारी छत पर सूखे हुए कपड़े तार पर से उतार ही रहा था कि तभी पिंकी की भाभी भी छत पर आ गयी। वो भी छत पर से कपड़े ही लेने आई थी मगर उसने मुझे देखते ही पूछा- क्या बात है जब से पिंकी गयी है तब से छत पर तो दिखाई ही नहीं देते?
उसने तार पर से कपड़े उतारते हुए कहा।
मेरे दिन अब ऐसे ही गुजर रहे थे कि एक दिन शाम के समय मैं अपनी भाभी के कहने पर हमारी छत से सूखे हुए कपड़े लेने चला गया। वैसे जब से मैं पिंकी के साथ पकड़ा गया था तब से हमारी छत पर जाता नहीं था, मगर उस दिन मेरी भाभी किसी दूसरे काम में व्यस्त थी इसलिये उन्होंने छत से कपड़े लेने के लिये मुझसे बोल दिया।
मैं हमारी छत पर सूखे हुए कपड़े तार पर से उतार ही रहा था कि तभी पिंकी की भाभी भी छत पर आ गयी। वो भी छत पर से कपड़े ही लेने आई थी मगर उसने मुझे देखते ही पूछा- क्या बात है जब से पिंकी गयी है तब से छत पर तो दिखाई ही नहीं देते?
उसने तार पर से कपड़े उतारते हुए कहा।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.