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Incest बुआ की बेटी को खुली छत पर चोदा
#8
मैंने कहा- दीदी, हाथ सीधा करो।
उन्होंने हाथ सीधा किया तो मैंने टॉप तुरंत उनके बदन से अलग कर दिया।
उन्होंने ब्रा नहीं पहनी थी। जैसे ही उन्होंने हाथ नीचे किया तो उनका एक हाथ मेरे खड़े लंड पर पड़ा और उन्होंने चौंक कर उधर देखा। वो बोली- ये शॉर्ट्स में क्या छुपा रखा है तुमने?
मैंने कुछ नहीं कहा तो वो टटोल कर देखने लगी लगी और उनका मुँह खुल गया, आश्चर्य से मेरी तरफ देखती हुई वो बोली- आर्य तुम्हारा सुसु इतना बड़ा और मोटा कैसे हो गया? डॉक्टर को दिखाया या नहीं?
मैं हँसने लगा, मैंने कहा- दीदी, लड़कों का लंड ऐसे उम्र के साथ बड़ा और मोटा हो जाता है।
तो उन्होंने कहा- पर ये इतना हार्ड क्यों हो गया है? तुम्हें दिक्कत नहीं हो रही?
अभी भी उनका हाथ मेरे लंड को दबा दबा कर पकड़ कर नापने टटोलने में लगा हुआ था।
मैंने कहा- दीदी, जब लड़का उत्तेजित हो जाता है तो उसका लण्ड ऐसे ही सख्त हो जाता है वर्ना मुलायम लण्ड चूत में कैसे जाएगा।
दीदी ने बड़ी मासूमियत से पूछा- ये लण्ड और चूत क्या है?
मैंने कहा- जिसे आपने हाथ में पकड़ा है, इसे लंड कहते हैं.
और फिर मैंने दीदी की स्कर्ट में हाथ डाल कर उनकी चूत को पैंटी के ऊपर से ही दो उंगलियों के बीच में दबाते हुए कहा- इसे चूत कहते हैं।
दीदी के मुँह से सिसकारी निकल गयी और वो मदहोश सी आवाज़ में बोली- क्या पूरे को चूत कहते हैं?
मैंने अपनी एक उंगली पैंटी के ऊपर से ही उनके छेद पर थोड़ा अंदर दबाते हुए कहा- नहीं, ये है असली चूत।
दीदी का चेहरा लाल हो गया था, मैं समझ गया कि वो गर्म हो गयी हैं।
फिर मैंने अपने हाथों को तेज़ चलते हुए उनकी दोनों चूचियाँ बारी बारी दबानी शुरू कर दी, बीच बीच में उनके चूचुकों को उंगलियों से मसल देता। दीदी लगातार ‘स्स्स स्स्स… बस करो… हो गया न स्स्स अब देख लिया न…’ बड़बड़ा रही थी और मेरे लंड और बॉल्स को मसल रही थी।
फिर एकदम से वो उठ बैठी और मुझे अलग करते हुए कहा- तुमने ऊपर का देखने को बोला था, अब हो गया सो जाओ।
मैंने कहा- दीदी, अभी तो कुछ हुआ ही नहीं, तुमने बातों में उलझा दिया।
उन्होंने कहा- अब और क्या करना है? हो तो गया।
मैंने कहा- अरे अभी तो तुम्हारी चूचियों को चूसना है, तुम्हारी चूत को किस करना है।
वो आश्चर्य से बोली- छी… वो भी कोई किस करने की जगह है, वहाँ तो बाल ही बाल होते हैं और गन्दी होती है।
मैंने कहा- पर आपके कोई बाल नहीं हैं और एकदम गोरी सी पिंक पिंक है।
उन्होंने चौंकते हुए मेरी तरफ देखा- तुमने कब देख लिया कि मेरे वहाँ बाल नहीं हैं? कहीं तुमने मुझे कपड़े बदलते हुए तो नहीं…
“नहीं नहीं… मतलब सोते हुए…”
“ओह, तुम बहुत बदतमीज और बेशर्म हो आर्य?”
मैंने कहा- नहीं दीदी, मैंने तो बस अंदाज़ा लगाया।
पर वो ज़िद पर अड़ गयी फिर मैंने उन्हें सब बता दिया।
उन्होंने कहा- बस अब बहुत हो गया, मुझे कपड़े पहनने दो, मुझे शर्म आ रही है।
मैंने फिर मिन्नत की तो वो मुझे चूचियाँ चूसाने को तैयार हो गयी और फिर से लेट गयी।
मैंने लपक कर उनके एक चुचे को मुँह में भर लिया और चूसने लगा, बीच बीच में मैं चूचुकों को दांतों से दबा देता तो दीदी सिसक उठती।
बारी बारी दोनों चूचियों को चूसने के बाद मैंने चूचियों की निचली गोलाइयों को जीभ से चाटना शुरू किया. दीदी ने मेरे बालों को पकड़ कर अपने चूचों पर दबाना शुरू कर दिया। अब मैंने नीचे खिसकते हुए दीदी को पेट पर चाटना किस करना शुरू किया, दीदी बार बार ‘स्स्स धीरे करो न आर्य… प्लीज स्स्स हल्के से…’ प्लीज बोल रही थी।
मैंने दीदी की गोल नाभि में अपनी जीभ डाल कर घुमाना शुरू कर दिया. दीदी एकदम से चिहुँक पड़ी और ‘आआह्ह स्स्स मम्मम’ जैसी आवाजें कर रही थी।
अब मैंने दीदी की पैंटी की इलास्टिक दोनों साइड से पकड़ कर नीचे खिंचनी चाही पर वो उनके भारी चूतड़ों में अटक गयी। मैंने आशा भरी नज़रों से दीदी को देखा तो उन्होंने मुस्कुराते हुए पहले ना में सिर हिलाया पर फिर अपनी गांड हल्की सी उठा दी।
मैंने उनकी पैंटी को खींच के अलग कर दिया।
उन्होंने शर्मा कर अपनी मुनिया को एक हाथ से ढक लिया; मैंने उनके हाथ पर किस किया फिर उनकी केले की तने जैसी जांघों को चूसना किस करना शुरू कर दिया। अब दीदी का हाथ खुद चूत पर हट कर मेरे सर को सहला रहा था। उन्होंने धीरे धीरे मेरी पीठ पर हाथ फेरा और मेरी जांघ दबाने लगी।
मैंने उठकर अपने शॉर्ट्स उतार दिए अब मेरा 7″ का लण्ड मुँह उठाये हवा में तना हुआ था। दीदी बड़े गौर से मेरे लंड को अपलक निहार रही थी।
मैंने पूछा- क्या देख रही हो?
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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RE: बुआ की बेटी को खुली छत पर चोदा - by neerathemall - 23-05-2022, 04:21 PM



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