23-05-2022, 04:11 PM
दो-तीन मिनट तक एक दूसरे को चूसने के बाद हम फिर से सीधे हो गए और हीरल ने हाथ से पकड़ कर लंड को अपनी चूत पर रखवाया और मुझसे लिपट गई।
मैंने भी लिपटते हुए एक धक्के के साथ लंड को चूत में सरका दिया और एक बार फिर से उसको चोदने लगा।
अब हम साथ में स्मूच भी कर रहे थे।
कुछ देर चोदने के बाद मैंने उसको नीचे ले लिया और खुद उसके ऊपर आकर चोदने लगा।
चुदते हुए उसकी चूत फूल चुकी थी और अब चोदने में और ज्यादा मजा आ रहा था।
मैंने उसके कुर्ते को ऊपर उठा दिया और साथ में उसकी ब्रा को भी ऊपर सरका दिया।
मैं उसकी चूचियों पर टूट पड़ा और उनको चूसते हुए नीचे से धक्के लगाने लगा।
वो भी उससे और ज्यादा उत्तेजित हो गई और मेरे सिर को अपनी चूचियों में दबाने लगी।
हम दोनों बार-बार दूसरे लोगों की तरफ भी देख रहे थे कि कहीं कोई उठ न जाए और हम दोनों रंगे हाथों पकड़े जाएं।
एक तरफ चुदाई में जहां स्वर्ग सा मजा आ रहा था, वहीं दूसरी ओर पकड़ जाने पर गांड पिटाई का भी डर था।
मेरा लंड भी झड़ने का नाम नहीं ले रहा था।
फिर हीरल की हालत खराब होने लगी थी; उसकी चूत दुखने लगी थी और वो अब ऊपर से उतरने के लिए कहने लगी।
मगर मेरे लिए अभी चुदाई को रोकना संभव नहीं था।
मैं अपनी मंजिल के करीब आने वाला था और ऐसे चरमसुख को पाने का मौका मैं नहीं छोड़ सकता था।
मैंने धीरे से उसके कान में कहा- बस जान … 2 मिनट और!
वो फिर मेरे कान में फुसफुसाकर बोली- अंदर नहीं … अंदर नहीं।
मैंने कहा- ठीक है।
अब मैं दोबारा से उसको पेलने लगा; उसकी चूचियों को काटते हुए धक्के जोर जोर से लगाने लगा।
धीरे-धीरे अब मैं चरम की ओर पहुंच रहा था।
मेरा वीर्य बस ज्वालामुखी की तरह फूटने ही वाला था।
मैं हीरल के होंठों को चूसने लगा।
जब मैंने उसके होंठों को चूसना शुरू किया तो नीचे से लंड को मिल रहे चूत के इस आनंद में मैं खुद को कंट्रोल नहीं कर पाया और मैंने चोदते हुए उसकी चूत में वीर्य छोड़ना शुरू कर दिया।
धीरे-धीरे मेरे धक्के थम गए और मैं रुक गया।
हीरल भी दो पल के लिए शांत हो गई।
मगर एकदम से उसे पता चला कि मेरा हो गया है तो वो उसने मुझे अपने ऊपर से धकेल दिया और गुस्से में मेरी ओर देखा।
फिर उसने जल्दी से पजामा ऊपर किया और उठकर तेजी से नीचे चली गई।
मुझे भी शर्मिंदगी हुई कि मैं खुद को रोक नहीं पाया।
मैं लेटा रहा।
वो वापस आई तो बात नहीं कर रही थी।
मैंने उसे किसी तरह समझाया कि मैं गर्भ से बचने वाली दवाई ला दूंगा।
फिर वो नॉर्मल हुई।
लेकिन इस सब के बीच दीदी को हमारी इस चुदाई का पता लग गया और उसने बाद में हमें ये बात बताई।
आपको हैरानी होगी कि दीदी भी बाद में मुझसे चुद गई।
मैंने फिर अपनी दीदी की चुदाई कैसे की, वो मैं आपको अपनी अगली कहानी में बताऊंगा।
उसके बाद मैंने दिन में हीरल को गोली लाकर दी।
उसकी चूत में दर्द हो रहा था और मैंने दर्द की गोली भी उसको दी।
फिर वो कई दिन हमारे घर रुकी, इस दौरान मैंने कई बार मौका पाकर उसको चोदा।
कजिन सिस्टर की चूत खुल गई थी ठीक से … और हम चुदाई का भरपूर का मजा लेने लगे थे।
इस बीच दीदी की चुदाई भी हुई।
मैंने भी लिपटते हुए एक धक्के के साथ लंड को चूत में सरका दिया और एक बार फिर से उसको चोदने लगा।
अब हम साथ में स्मूच भी कर रहे थे।
कुछ देर चोदने के बाद मैंने उसको नीचे ले लिया और खुद उसके ऊपर आकर चोदने लगा।
चुदते हुए उसकी चूत फूल चुकी थी और अब चोदने में और ज्यादा मजा आ रहा था।
मैंने उसके कुर्ते को ऊपर उठा दिया और साथ में उसकी ब्रा को भी ऊपर सरका दिया।
मैं उसकी चूचियों पर टूट पड़ा और उनको चूसते हुए नीचे से धक्के लगाने लगा।
वो भी उससे और ज्यादा उत्तेजित हो गई और मेरे सिर को अपनी चूचियों में दबाने लगी।
हम दोनों बार-बार दूसरे लोगों की तरफ भी देख रहे थे कि कहीं कोई उठ न जाए और हम दोनों रंगे हाथों पकड़े जाएं।
एक तरफ चुदाई में जहां स्वर्ग सा मजा आ रहा था, वहीं दूसरी ओर पकड़ जाने पर गांड पिटाई का भी डर था।
मेरा लंड भी झड़ने का नाम नहीं ले रहा था।
फिर हीरल की हालत खराब होने लगी थी; उसकी चूत दुखने लगी थी और वो अब ऊपर से उतरने के लिए कहने लगी।
मगर मेरे लिए अभी चुदाई को रोकना संभव नहीं था।
मैं अपनी मंजिल के करीब आने वाला था और ऐसे चरमसुख को पाने का मौका मैं नहीं छोड़ सकता था।
मैंने धीरे से उसके कान में कहा- बस जान … 2 मिनट और!
वो फिर मेरे कान में फुसफुसाकर बोली- अंदर नहीं … अंदर नहीं।
मैंने कहा- ठीक है।
अब मैं दोबारा से उसको पेलने लगा; उसकी चूचियों को काटते हुए धक्के जोर जोर से लगाने लगा।
धीरे-धीरे अब मैं चरम की ओर पहुंच रहा था।
मेरा वीर्य बस ज्वालामुखी की तरह फूटने ही वाला था।
मैं हीरल के होंठों को चूसने लगा।
जब मैंने उसके होंठों को चूसना शुरू किया तो नीचे से लंड को मिल रहे चूत के इस आनंद में मैं खुद को कंट्रोल नहीं कर पाया और मैंने चोदते हुए उसकी चूत में वीर्य छोड़ना शुरू कर दिया।
धीरे-धीरे मेरे धक्के थम गए और मैं रुक गया।
हीरल भी दो पल के लिए शांत हो गई।
मगर एकदम से उसे पता चला कि मेरा हो गया है तो वो उसने मुझे अपने ऊपर से धकेल दिया और गुस्से में मेरी ओर देखा।
फिर उसने जल्दी से पजामा ऊपर किया और उठकर तेजी से नीचे चली गई।
मुझे भी शर्मिंदगी हुई कि मैं खुद को रोक नहीं पाया।
मैं लेटा रहा।
वो वापस आई तो बात नहीं कर रही थी।
मैंने उसे किसी तरह समझाया कि मैं गर्भ से बचने वाली दवाई ला दूंगा।
फिर वो नॉर्मल हुई।
लेकिन इस सब के बीच दीदी को हमारी इस चुदाई का पता लग गया और उसने बाद में हमें ये बात बताई।
आपको हैरानी होगी कि दीदी भी बाद में मुझसे चुद गई।
मैंने फिर अपनी दीदी की चुदाई कैसे की, वो मैं आपको अपनी अगली कहानी में बताऊंगा।
उसके बाद मैंने दिन में हीरल को गोली लाकर दी।
उसकी चूत में दर्द हो रहा था और मैंने दर्द की गोली भी उसको दी।
फिर वो कई दिन हमारे घर रुकी, इस दौरान मैंने कई बार मौका पाकर उसको चोदा।
कजिन सिस्टर की चूत खुल गई थी ठीक से … और हम चुदाई का भरपूर का मजा लेने लगे थे।
इस बीच दीदी की चुदाई भी हुई।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.