23-05-2022, 04:10 PM
मेरी बुआ की लड़की हीरल को मैं बहुत पसंद करता था।
बात तब की है जब गर्मी की छुट्टियां चल रही थीं और मेरी बुआ की लड़की कॉलेज खत्म करके अपनी मां के साथ यानि मेरी बुआ के साथ मेरे घर आए हुए थे।
पूरा दिन अच्छे से निकला।
दिन में हम दोनों ने बहुत मस्ती की।
छुपा-छुपी वाले खेल में तो मैंने कई बार उसको अपनी बांहों में भी दबोचा।
उसके प्यारे प्यारे बूब्स को भी बहाने से दबाने का मौका मिला।
फिर भी उसने कोई विरोध नहीं किया और इससे मेरी हिम्मत और बढ़ गई।
मैंने सोच लिया कि इसको तो कैसे भी करके अपने लंड पर बैठाकर ही रहूंगा, अपनी कजिन सिस्टर से सेक्स का मजा लूंगा।
शाम को हम सबने साथ में खाना खाया और फिर सब सोने के लिए छत पर चले गए।
दोस्तो, आपको बता दूं कि गांव में पहले बिजली सप्लाई कम हुआ करती थी। इस वजह से सब छत पर सोना पसंद करते हैं।
मेरी बुआ मेरी दादी के पास सोने चली गई और हीरल हमारे पास छत पर सो गई।
छत पर हम चार भाई बहन सब साथ में लेटे हुए थे। हीरल मेरे और मेरी बड़ी बहन के बीच में लेटी हुई थी।
मुझे नींद नहीं आ रही थी। मैं हीरल के बारे में ही सोच रहा था।
रात के करीब 12:30 बजे उसने अपना हाथ मेरी छाती पर रखा और मैं घबरा गया और आंख बंद करके लेट आ रहा।
लेकिन मेरी कुछ करने की हिम्मत नहीं हो रही थी।
डर था कहीं वह मेरी दीदी या घर में किसी को बता देगी तो मेरी बहुत बदनामी होगी।
इसी डर के कारण मैंने कुछ नहीं किया और सो गया और करीब रात 1:00 बजे के आसपास मुझे नींद भी आ गई।
फिर मेरी नींद करीब 4:00 बजे खुली।
नींद खुली तो पता चला मेरा लंड भी तना हुआ था।
सुबह की उत्तेजना बहुत ही ज्यादा होती है, तो मुझसे बर्दाश्त नहीं हो रहा था।
मैं भी हीरल को छूना और प्यार करना चाहता था।
मैंने थोड़ी सी हिम्मत की और उसकी छाती पर हाथ रखा।
थोड़ी देर हाथ रखे रहा और उसने कोई विरोध नहीं किया।
फिर मेरी हिम्मत और बढ़ी।
मैं अपना हाथ नीचे उसकी चूत के ऊपर ले गया।
फिर भी उसने कोई प्रतिक्रिया नहीं की।
मेरी हिम्मत और बढ़ती चली गई।
मेरे लंड में तनाव के कारण अब प्रीकम भी निकलने लगा था। मेरे हाथ कांप रहे थे फिर भी उत्तेजनावश मैंने उसके कुर्ते में हाथ डाला और चूचियों तक लाया।
मैं हैरान रह गया; उसकी चूचियां बहुत टाइट हो चुकी थीं। मैं तो हवस में और पागल हो गया और उसकी चूचियों को धीरे धीरे दबाने लगा।
वो अब भी आराम से लेटी हुई थी।
मैं करीब पांच मिनट तक उसकी चूचियों को दबाता रहा।
फिर अचानक से वो करवट बदलने लगी तो मैंने घबरा कर हाथ बाहर निकाल लिया और आराम से लेट गया।
लेकिन अब तक सेक्स की आग धधक चुकी थी।
खुद को रोक पाना बहुत मुश्किल था।
अब मैं फिर से हाथ उसके बदन पर ले गया और उसकी चूत को सहलाने लगा।
कुछ देर तक मैं उसकी चूत के ऊपर हाथ फेरता रहा और उसने धीरे धीरे कसमसाना शुरु कर दिया।
अब मैं जान गया कि वो भी जाग रही है और मजा ले रही है।
इसलिए अब मेरी हिम्मत जाग गई और मैंने डरना बंद कर दिया।
मैंने आगे बढ़ते हुए उसके पजामे में हाथ दिया और उसकी चूत पर रख दिया।
मगर उसने मेरे हाथ पर हाथ रखा और उसको वहीं दबोच दिया।
मेरी तो गांड फट गई; मैं सोच रहा था कि पता नहीं क्या करेगी अब!
बात तब की है जब गर्मी की छुट्टियां चल रही थीं और मेरी बुआ की लड़की कॉलेज खत्म करके अपनी मां के साथ यानि मेरी बुआ के साथ मेरे घर आए हुए थे।
पूरा दिन अच्छे से निकला।
दिन में हम दोनों ने बहुत मस्ती की।
छुपा-छुपी वाले खेल में तो मैंने कई बार उसको अपनी बांहों में भी दबोचा।
उसके प्यारे प्यारे बूब्स को भी बहाने से दबाने का मौका मिला।
फिर भी उसने कोई विरोध नहीं किया और इससे मेरी हिम्मत और बढ़ गई।
मैंने सोच लिया कि इसको तो कैसे भी करके अपने लंड पर बैठाकर ही रहूंगा, अपनी कजिन सिस्टर से सेक्स का मजा लूंगा।
शाम को हम सबने साथ में खाना खाया और फिर सब सोने के लिए छत पर चले गए।
दोस्तो, आपको बता दूं कि गांव में पहले बिजली सप्लाई कम हुआ करती थी। इस वजह से सब छत पर सोना पसंद करते हैं।
मेरी बुआ मेरी दादी के पास सोने चली गई और हीरल हमारे पास छत पर सो गई।
छत पर हम चार भाई बहन सब साथ में लेटे हुए थे। हीरल मेरे और मेरी बड़ी बहन के बीच में लेटी हुई थी।
मुझे नींद नहीं आ रही थी। मैं हीरल के बारे में ही सोच रहा था।
रात के करीब 12:30 बजे उसने अपना हाथ मेरी छाती पर रखा और मैं घबरा गया और आंख बंद करके लेट आ रहा।
लेकिन मेरी कुछ करने की हिम्मत नहीं हो रही थी।
डर था कहीं वह मेरी दीदी या घर में किसी को बता देगी तो मेरी बहुत बदनामी होगी।
इसी डर के कारण मैंने कुछ नहीं किया और सो गया और करीब रात 1:00 बजे के आसपास मुझे नींद भी आ गई।
फिर मेरी नींद करीब 4:00 बजे खुली।
नींद खुली तो पता चला मेरा लंड भी तना हुआ था।
सुबह की उत्तेजना बहुत ही ज्यादा होती है, तो मुझसे बर्दाश्त नहीं हो रहा था।
मैं भी हीरल को छूना और प्यार करना चाहता था।
मैंने थोड़ी सी हिम्मत की और उसकी छाती पर हाथ रखा।
थोड़ी देर हाथ रखे रहा और उसने कोई विरोध नहीं किया।
फिर मेरी हिम्मत और बढ़ी।
मैं अपना हाथ नीचे उसकी चूत के ऊपर ले गया।
फिर भी उसने कोई प्रतिक्रिया नहीं की।
मेरी हिम्मत और बढ़ती चली गई।
मेरे लंड में तनाव के कारण अब प्रीकम भी निकलने लगा था। मेरे हाथ कांप रहे थे फिर भी उत्तेजनावश मैंने उसके कुर्ते में हाथ डाला और चूचियों तक लाया।
मैं हैरान रह गया; उसकी चूचियां बहुत टाइट हो चुकी थीं। मैं तो हवस में और पागल हो गया और उसकी चूचियों को धीरे धीरे दबाने लगा।
वो अब भी आराम से लेटी हुई थी।
मैं करीब पांच मिनट तक उसकी चूचियों को दबाता रहा।
फिर अचानक से वो करवट बदलने लगी तो मैंने घबरा कर हाथ बाहर निकाल लिया और आराम से लेट गया।
लेकिन अब तक सेक्स की आग धधक चुकी थी।
खुद को रोक पाना बहुत मुश्किल था।
अब मैं फिर से हाथ उसके बदन पर ले गया और उसकी चूत को सहलाने लगा।
कुछ देर तक मैं उसकी चूत के ऊपर हाथ फेरता रहा और उसने धीरे धीरे कसमसाना शुरु कर दिया।
अब मैं जान गया कि वो भी जाग रही है और मजा ले रही है।
इसलिए अब मेरी हिम्मत जाग गई और मैंने डरना बंद कर दिया।
मैंने आगे बढ़ते हुए उसके पजामे में हाथ दिया और उसकी चूत पर रख दिया।
मगर उसने मेरे हाथ पर हाथ रखा और उसको वहीं दबोच दिया।
मेरी तो गांड फट गई; मैं सोच रहा था कि पता नहीं क्या करेगी अब!
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.