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Adultery नहीं जेठ जी शादी नहीं कर सकते
#57
जेठजी ने अपनी हाथ मेरी कमर के पीछे ले जाकर मुझे मेरे चूतड़ों से पकड़ कर स्लैब के किनारे तक खींच लिया और मेरी दोनों टांगों को घुटने से मोड़कर स्लैब पर टिका दिए. आप सब मेरी उस पोजीशन को इमेजिन तो कर ही सकते हैं और उस पोजीशन में मेरी चूत पूरी तरह खुल गयी थी. मैंने अपनी चूत छुपाने की कोई कोशिश भी नहीं की. जब जेठजी से चुदवाने का सोच ही लिया है, तो उनसे शर्माना कैसा.
मेरी आंखें अभी भी जेठजी का लंड देखने को लालायित थीं.. क्योंकि अभी तक मैंने उनका लंड नहीं देखा था, जो शॉर्ट के अन्दर से ठीक ठाक ही लग रहा था. मैं उम्मीद कर रही थी कि जेठजी का लंड मेरे पति के लंड से बड़ा और मोटा ना सही.. पर उनके जैसा होना चाहिए. वैसे आप सबको बता दूं कि मेरे पति का लंड साढ़े सात इंच लंबा और तीन इंच मोटा है.
जेठजी ने अब अपना हाथ ठीक मेरी चूत की भगनासा पर रख दिया और उसे हल्के हाथों से मसलने लगे. लंड से मिलने के उम्मीद में मेरी चूत की हालत तो पहले से ही खराब थी, बेचारी पिछले 15-20 मिनट से पानी पानी हुई थी क्योंकि पिछले 15-20 मिनट से ही चुम्मा-चाटी का दौर चल रहा था. उस पर जेठजी अब चूत से खेलने भी लगे थे.
मैं और मेरी चूत कब तक बर्दाश्त करते … और कब तक मैं अपनी फीलिंग छुपा कर रख पाती. आखिरकार मेरे सब्र का बांध टूट गया था. मेरे मुँह से सिसकारी निकलने लगी थी.
धीरे धीरे जेठजी अपने उंगलियों का दबाव मेरी चूत के दाने पर बढ़ाते गए और मेरी सिसकारियां अपने आप ही बढ़ती गयी. बीच बीच में जेठजी अपनी उंगली चूत की छेद में घुसा देते या चूत की फांकों के बीच ऊपर नीचे कर देते जो मेरे आनन्द को और बढ़ा देता.. और मेरे मुँह से कभी आह तो कभी सिसकारी निकल जाती. मैं अपनी आंखें बंद करके उस आनन्द को महसूस कर रही थी. आनन्द के मारे ऐसा लग रहा था कि मैं किसी भी वक़्त झड़ जाऊंगी.
कुछ देर तक मेरी भगनासा को मसलने और रगड़ने के बाद अचानक जेठजी रुक गए और थोड़ा दूर होकर कुछ करने लगे. मैं आंखें खोलकर देखती, उससे पहले ही जेठजी फिर से मेरे पास आ गए. अब मैं अपनी कमर के नीचे के हिस्सों पर जेठजी का नंगा स्पर्श महसूस कर रही थी. मतलब जेठजी भी अब नीचे से पूरे नंगे हो चुके थे.
मैं सोच रही थी कि जेठजी अब मुझे अपना लंड चूसने को बोलेंगे या फिर मेरी चूत को चाटेंगे. जेठजी का तो पता नहीं, पर मुझे लंड चूसने में और चूत चटवाने दोनों में बहुत मज़ा आता है. पर अभी शर्म और झिझक की वजह से मैं अपने मन की बात जेठजी को कह न सकी और जेठजी ने ऐसा कुछ किया ही नहीं.
उन्होंने हाथ से अपना लंड पकड़ कर मेरी चूत की छेद पर रख कर दो तीन बार अपना लंड चूत के फांकों में ऊपर नीचे किया. इतने से ही मेरे पूरे बदन में जैसे सनसनी सी दौड़ गयी और चूत झरने के जैसे बहने लगी. सीत्कार के रूप में मेरे मुँह से बस ‘आह..’ ही निकल सका. एक हल्के से धक्के के साथ वो मुझमें समा से गए. चूत गीली होने के कारण न तो उन्हें कोई दिक्कत हुई और न ही मुझे.
फिर 4-5 हल्के धक्कों में ही जेठजी का लंड पूरी तरह मेरी चूत में समा गया.
‘आह हहहा …’ उस पल को शब्दों में बयान नहीं किया जा सकता. अब जाकर मुझे और मेरी चूत दोनों को सुकून मिला. जब जेठजी का लंड पूरी तरह से मेरी चूत में घुसा, तब मुझे अहसास हुआ कि जेठजी का लौड़ा मेरे पति से बड़ा है. अब मेरे मन को और भी ज्यादा शांति मिली.
अभी तक हम दोनों एक दूसरे की आंखों में ही देख रहे थे. मनमाफिक लंड मिलने की खुशी में मैं खुद अपना चेहरा आगे बढ़ा कर जेठजी के होंठ चूमने लगी. जेठजी शायद मेरी ख़ुशी समझ गए और वो अपनी कमर थोड़ा तेज़ चलाने लगे.
जैसे जैसे लंड के धक्कों की स्पीड बढ़ने लगा, वैसे वैसे मेरा शरीर भी हिलने लगा और उस वजह से एक दूसरे के होंठों पर एकाग्रता बनाना मुश्किल होने लगा. इसलिए मैंने खुद ही अपने होंठ जेठजी के होंठ से हटा लिया और उस पल को एन्जॉय करने लगी.
जैसे जैसे टाइम बीत रहा था, मेरी चूत की चिकनाहट बढ़ती जा रही थी और जेठजी का लंड पिस्टन की तरह मेरी चूत में अन्दर बाहर हो रहा था. मेरे मुँह से बस ‘आहह उम्म्ह… अहह… हय… याह… उम्ह ईईई …’ निकल रहा था.
कुछ देर तक उसी पोज़ में चोदने के बाद जेठजी ने चूत में लंड डाले डाले ही मुझे गोद में उठा लिया और मेरे पैरों में अपने हाथ फंसा कर खड़े हो गए. मैंने भी खुद को संभालने के लिए अपने हाथों का घेरा बनाकर जेठजी के गले में डाल दिया. अब मैं हैंगिंग पोजीशन में आ गयी. जेठजी ने मुझे थोड़ा ऊपर नीचे करके एडजस्ट किया ताकि मेरी चूत का छेद उनके लंड के ठीक सामने आ जाए. और जैसे ही ये हुआ, जेठजी फिर से शुरू हो गए.
अब ठप ठप और फच फच की आवाज के साथ जेठजी का लंड मेरी चूत की गुफा में फिर से सैर करने लगा और वो आवाज पूरे माहौल को और ही गर्म बना रहा था. जैसा कि आप सब जानते हैं कि भले ही ये पोज़ इंटरेस्टिंग है, पर इस पोज़ में थकान भी जल्दी लगती है. और हुआ भी वही.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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RE: नहीं जेठ जी शादी नहीं कर सकते - by neerathemall - 23-05-2022, 03:56 PM



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