23-05-2022, 03:54 PM
उस दिन भी मैं आफिस से जल्दी निकल गयी, पर रास्ते में अचानक हुई बारिश की वजह से मैं भीग गयी. घर पहुंच कर मैंने तुरंत ही कपड़े बदले और जल्दी जल्दी में श्वेता भाभी की नाइटी को पहन लिया. जल्दी जल्दी में कहो या फिर जानबूझ कर … क्योंकि मुझे पता था कि भाभी 4-5 महीने से पहले तो आने वाली हैं नहीं … और कौन सा मैं रोज़ उनकी नाइटी पहनने वाली हूं. ये तो बस सामने दिख गई, तो पहन ली. मैं अपने कामों में लग गयी. कामों के दौरान पति से बातें भी हुईं और चूत कुछ ज्यादा ही गीली भी हो गई. क्योंकि उस दिन पति भी कुछ ज्यादा ही रोमांटिक हो रहे थे.
मैंने जैसे तैसे छोटे मोटे कामों को खत्म किया और घड़ी की तरफ देखा, तो 10 बजने वाले थे. मतलब जेठजी के आने का समय हो चुका था. पर अभी तक मैं खाना बना नहीं पायी थी.
मैं फटाफट खाना बनाने में लग गयी. थोड़ी ही देर में दरवाजा खुलने की आवाज आयी. मैं समझ गयी कि जेठजी आ गए … मुझे मालूम था कि जेठजी आने के बाद सीधा अपने बेडरूम में जाएंगे. फिर फ्रेश होकर हॉल में बैठकर टीवी देखेंगे. इसलिए मैं और जल्दी करने लगी.
अभी 5-7 मिनट ही बीता होगा और मैं रोटी बनाने में लगी हुई थी, इतने में किसी ने पीछे से आकर मुझे अपनी बांहों में भर लिया और मेरी गर्दन को चूमते हुए आवाज आने लगी- ओह श्वेता … मेरी जान … मुझे पता था कि तुम भी मेरे बगैर नहीं रह सकती … जितना मैं यहां तड़प रहा था, उतना तुम भी तड़प रही होगी वहां! इसलिए तुम वापस आ गयी ना?
इतना बोल कर उन्होंने ने मुझे अपनी तरफ घुमा दिया.
आवाज से ही मैं पहचान गयी कि ये तो जेठजी हैं और शायद भाभी की मैक्सी की वजह से इन्होंने मुझे श्वेता भाभी समझ लिया. पर मेरे कुछ बोलने के पहले ही जेठजी शुरू हो गए और मुझे कुछ बोलने में मौका ही नहीं मिला.
मेरी और श्वेता भाभी की लगभग सेम हाइट और फिगर होने की वजह से पीछे से पहचाना थोड़ा मुश्किल है … और उस मुश्किल को भाभी की नाइटी ने और बढ़ा दिया था.
मुझ पर नज़र पड़ते ही जेठजी एकदम शॉक्ड हो गए … और मुझे छोड़कर पीछे हटते हुए अपनी झिझक दिखाने लगे.
जेठजी- ज..जस्सी, तुम?
इसके बाद जैसे जेठजी के होंठ सील से गए, वो पता नहीं किस कशमकश में उलझ से गए. मैं तो पहले से ही सुन्न पड़ गयी थी और चुपचाप सिर नीचे झुकाकर खड़ी थी. मेरी समझ में नहीं आ रहा था कि क्या करूँ … क्या कहूं? और उनकी इस हरकत पर कैसे रियेक्ट करूं?
जेठजी का तो पता नहीं, पर मेरे दिमाग में यही सब चल रहा था … अभी मैं यही सब सोच ही रही थी कि इतने में जेठजी बोले- सॉरी जस्सी, मुझे लगा कि श्वेता वापस आ गयी है और उसे सरप्राइज देने के चक्कर में मैं तुमसे …
इतना कह कर जेठजी चुप हो गए. उसके आगे वो क्या कहना चाहते थे, मैं भी समझ गयी थी. हम दोनों अपनी जगह पर जम से गए थे … कुछ देर चुप रहने के बाद जेठजी ने फिर से बोलना शुरू किया.
जेठजी- आज ही बात हुई थी मेरी श्वेता से … और उसने बोला था कि आज वो मुझे सरप्राइज देगी … और पीछे से तुम्हें देखा, तो मुझे लगा कि वो यहां आकर मुझे सरप्राइज देने वाली है. इसलिए मैं पीछे से आकर उसे सरप्राइज देने का सोचा.
अभी जेठजी बोल ही रहे थे कि इतने में जोरदार चमक और आवाज के साथ आसमानी बिजली कड़की और मैं भागकर जेठजी से कसकर चिपक गयी. मैं कुछ समझती कि ये मैंने क्या किया … या खुद को संभालती, उससे पहले ही 2-3 बार और आवाज के साथ बिजली कड़की. हर आवाज और चमक के साथ मेरी पकड़ भी मजबूत होती गयी.
कुछ देर तक तो जेठजी एकदम खंभे के जैसे खड़े रहे, शायद जो कुछ हुआ पिछले एक मिनट में वो सब उनके लिए भी किसी सरप्राइज से कम नहीं था. डर के मारे मैं तो पहले से ही उनकी बांहों में सिकुड़ी हुई थी. मैं कुछ समझ पाती, उसके पहले ही जेठजी ने शायद मुझे संभलने के लिए या मौके का फायदा उठाने के लिए मेरी पीठ को हल्के हल्के सहलाने लगे. कभी वो मेरे बालों को सहलाते, तो कभी मेरी पीठ को. उनका सहलाना मुझे भी अच्छा लगने लगा. मेरे मन में अभी भी अजीब उधेड़बुन चल रहा था … जैसे कि क्या ये जो कुछ हो रहा है, वो सही है! मुझे जेठजी को रोकना चाहिए या नहीं … और इसके बाद क्या होगा?
दोस्तो, यहां मैं आप सबको एक बात बताना चाहूंगी कि मेरे पति और श्वेता भाभी के बीच भी शारीरिक संबंध थे और ये बात मेरे पति ने मुझे शादी से पहले ही बता दिया था. शादी के बाद श्वेता भाभी से पता चला कि जेठजी भी ये बात जानते हैं.
अब किसी के इतना पर्सनल बातों को जानने के बाद आपका नज़रिया तो थोड़ा बहुत तो बदल ही जाता है. जैसा कि मैंने पहले ही बताया कि ज्यादा टाइम साथ में होने से और ये सब बातें जानने के बाद मेरा भी नज़रिया जेठजी को लेकर थोड़ा तो बदल ही गया था. शायद जेठजी का भी नज़रिया मेरे लिए बदल गया हो … क्योंकि उन्हें तो सब कुछ पता ही था … जैसे उनका भाई उनकी बीवी को चोदता है. शायद वैसे ही वो भी अपने भाई की बीवी को चोदना चाहते हों. पर जेठजी ने ऐसा कुछ मेरे सामने कभी जाहिर नहीं किया.
मैं अभी भी अपना सर उनके सीने में ही छुपा कर खड़ी थी … और जेठजी मेरी पीठ सहला रहे थे. जैसे जैसे टाइम बीतता गया, वैसे वैसे मेरी पकड़ ढीली पड़ती गयी. पर ना तो मैंने जेठजी से अलग होने की कोशिश की … और ना ही जेठजी ने मुझे अलग किया.
मैंने जैसे तैसे छोटे मोटे कामों को खत्म किया और घड़ी की तरफ देखा, तो 10 बजने वाले थे. मतलब जेठजी के आने का समय हो चुका था. पर अभी तक मैं खाना बना नहीं पायी थी.
मैं फटाफट खाना बनाने में लग गयी. थोड़ी ही देर में दरवाजा खुलने की आवाज आयी. मैं समझ गयी कि जेठजी आ गए … मुझे मालूम था कि जेठजी आने के बाद सीधा अपने बेडरूम में जाएंगे. फिर फ्रेश होकर हॉल में बैठकर टीवी देखेंगे. इसलिए मैं और जल्दी करने लगी.
अभी 5-7 मिनट ही बीता होगा और मैं रोटी बनाने में लगी हुई थी, इतने में किसी ने पीछे से आकर मुझे अपनी बांहों में भर लिया और मेरी गर्दन को चूमते हुए आवाज आने लगी- ओह श्वेता … मेरी जान … मुझे पता था कि तुम भी मेरे बगैर नहीं रह सकती … जितना मैं यहां तड़प रहा था, उतना तुम भी तड़प रही होगी वहां! इसलिए तुम वापस आ गयी ना?
इतना बोल कर उन्होंने ने मुझे अपनी तरफ घुमा दिया.
आवाज से ही मैं पहचान गयी कि ये तो जेठजी हैं और शायद भाभी की मैक्सी की वजह से इन्होंने मुझे श्वेता भाभी समझ लिया. पर मेरे कुछ बोलने के पहले ही जेठजी शुरू हो गए और मुझे कुछ बोलने में मौका ही नहीं मिला.
मेरी और श्वेता भाभी की लगभग सेम हाइट और फिगर होने की वजह से पीछे से पहचाना थोड़ा मुश्किल है … और उस मुश्किल को भाभी की नाइटी ने और बढ़ा दिया था.
मुझ पर नज़र पड़ते ही जेठजी एकदम शॉक्ड हो गए … और मुझे छोड़कर पीछे हटते हुए अपनी झिझक दिखाने लगे.
जेठजी- ज..जस्सी, तुम?
इसके बाद जैसे जेठजी के होंठ सील से गए, वो पता नहीं किस कशमकश में उलझ से गए. मैं तो पहले से ही सुन्न पड़ गयी थी और चुपचाप सिर नीचे झुकाकर खड़ी थी. मेरी समझ में नहीं आ रहा था कि क्या करूँ … क्या कहूं? और उनकी इस हरकत पर कैसे रियेक्ट करूं?
जेठजी का तो पता नहीं, पर मेरे दिमाग में यही सब चल रहा था … अभी मैं यही सब सोच ही रही थी कि इतने में जेठजी बोले- सॉरी जस्सी, मुझे लगा कि श्वेता वापस आ गयी है और उसे सरप्राइज देने के चक्कर में मैं तुमसे …
इतना कह कर जेठजी चुप हो गए. उसके आगे वो क्या कहना चाहते थे, मैं भी समझ गयी थी. हम दोनों अपनी जगह पर जम से गए थे … कुछ देर चुप रहने के बाद जेठजी ने फिर से बोलना शुरू किया.
जेठजी- आज ही बात हुई थी मेरी श्वेता से … और उसने बोला था कि आज वो मुझे सरप्राइज देगी … और पीछे से तुम्हें देखा, तो मुझे लगा कि वो यहां आकर मुझे सरप्राइज देने वाली है. इसलिए मैं पीछे से आकर उसे सरप्राइज देने का सोचा.
अभी जेठजी बोल ही रहे थे कि इतने में जोरदार चमक और आवाज के साथ आसमानी बिजली कड़की और मैं भागकर जेठजी से कसकर चिपक गयी. मैं कुछ समझती कि ये मैंने क्या किया … या खुद को संभालती, उससे पहले ही 2-3 बार और आवाज के साथ बिजली कड़की. हर आवाज और चमक के साथ मेरी पकड़ भी मजबूत होती गयी.
कुछ देर तक तो जेठजी एकदम खंभे के जैसे खड़े रहे, शायद जो कुछ हुआ पिछले एक मिनट में वो सब उनके लिए भी किसी सरप्राइज से कम नहीं था. डर के मारे मैं तो पहले से ही उनकी बांहों में सिकुड़ी हुई थी. मैं कुछ समझ पाती, उसके पहले ही जेठजी ने शायद मुझे संभलने के लिए या मौके का फायदा उठाने के लिए मेरी पीठ को हल्के हल्के सहलाने लगे. कभी वो मेरे बालों को सहलाते, तो कभी मेरी पीठ को. उनका सहलाना मुझे भी अच्छा लगने लगा. मेरे मन में अभी भी अजीब उधेड़बुन चल रहा था … जैसे कि क्या ये जो कुछ हो रहा है, वो सही है! मुझे जेठजी को रोकना चाहिए या नहीं … और इसके बाद क्या होगा?
दोस्तो, यहां मैं आप सबको एक बात बताना चाहूंगी कि मेरे पति और श्वेता भाभी के बीच भी शारीरिक संबंध थे और ये बात मेरे पति ने मुझे शादी से पहले ही बता दिया था. शादी के बाद श्वेता भाभी से पता चला कि जेठजी भी ये बात जानते हैं.
अब किसी के इतना पर्सनल बातों को जानने के बाद आपका नज़रिया तो थोड़ा बहुत तो बदल ही जाता है. जैसा कि मैंने पहले ही बताया कि ज्यादा टाइम साथ में होने से और ये सब बातें जानने के बाद मेरा भी नज़रिया जेठजी को लेकर थोड़ा तो बदल ही गया था. शायद जेठजी का भी नज़रिया मेरे लिए बदल गया हो … क्योंकि उन्हें तो सब कुछ पता ही था … जैसे उनका भाई उनकी बीवी को चोदता है. शायद वैसे ही वो भी अपने भाई की बीवी को चोदना चाहते हों. पर जेठजी ने ऐसा कुछ मेरे सामने कभी जाहिर नहीं किया.
मैं अभी भी अपना सर उनके सीने में ही छुपा कर खड़ी थी … और जेठजी मेरी पीठ सहला रहे थे. जैसे जैसे टाइम बीतता गया, वैसे वैसे मेरी पकड़ ढीली पड़ती गयी. पर ना तो मैंने जेठजी से अलग होने की कोशिश की … और ना ही जेठजी ने मुझे अलग किया.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.


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