23-05-2022, 02:20 PM
थोड़ी देर बाद मैंने मैसेज किया- सब शादी कराने में बिजी हैं, अभी टाइम है।
उसका रिप्लाई आया- चलो ठीक है, अभी मिलते हैं, मैं गेट के बाहर जा रहा हूँ, तुम भी मौका सा देख के पीछे पीछे आ जाओ।
मैंने देखा कि वो गेट के पास पहुँच के खड़ा हो गया और मुझे देखने लगा।
मैंने तन्वी से कहा- तू रुक, मैं अभी आई।
तन्वी बोली- कहाँ जा रही है, अभी 2 घंटे पहले ही तो चुदवा के आई है, फिर जा रही है क्या चुदने?
मैंने मज़ाक में उसके कंधे पे हाथ मारा और हँसती हुई नज़र बचा के बाहर आ गयी।
करन मेन गेट से निकल के मैरिज हाल की दीवार के साइड में खड़ा हो गया और मैं पीछे पीछे पहुँच गयी।
हम दोनों लास्ट बार मिले, मैंने उसको गले लगाया और हम कुछ देर गले लगे रहे। वो मुझे छोड़ने को ही तैयार नहीं था।
मैंने कहा- छोड़ो भी अब!
उसने कहा- रुको यार, जी भर के गले तो लगने दो।
मैंने कहा- कोई देख लेगा तो बखेड़ा हो जाएगा … छोड़ो मुझे!
वो हटा और मेरा हाथ पकड़ कर बोला- चलो मेरे साथ!
और मुझे खींच के ले जाने लगा। हम घूम के मैरिज हाल की दीवार के पीछे आ गए। वहाँ बिल्कुल सुनसान था, पीछे दूर दूर तक सिर्फ खेत ही खेत थे क्योंकि मैरीज हाल शहर से थोड़ा हट के था। हालांकि दीवारों पर मैरिज हाल की लाइट जल रही थी पर बाकी जगह सिर्फ सिर्फ चाँद की चाँदनी रोशनी ही थी।
उसने कहा- यहाँ तो कोई नहीं है, यहाँ तो जी भर के गले लग सकता हूँ न।
मैंने मुस्कुरा के कहा- अच्छा बाबा लो लग लो!
और हम दोनों एकदम टाइट होकर गले लग गए।
गले लगते हुए ही उसने कहा- अगर मैं दिल्ली आऊँगा तो मिलने आओगी ना?
मैंने कहा- आ जाऊँगी, चिंता मत करो।
मुझे उसकी बांहों की गर्मी में बहुत सुकून मिल रहा था, मैं खुद उसे नहीं छोड़ना नहीं चाह रही थी।
गले लगे लगे ही उसने कहा- एक गुड बाय किस नहीं दोगी?
मैंने मुस्कुरा के उसको देखा तो गले लगे लगे ही उसने अपने होंठ मेरे होंठों पे रख दिये और हम गहरी किस करने लगे। मैं उसके हाथ अपनी कमर पे फिरते हुए महसूस कर रही थी। उसका लंड फिर से टाइट होने लगा था जो मुझे हम दोनों के आपस में चिपके होने के कारण महसूस हो रहा था।
मैंने कहा- अब छोड़ो भी … तुम्हारा इरादा क्या है?
उसने अपने हाथ मेरे लहंगे पे ऊपर से रख के मेरी चूत को भींच दिया तो मैं कसमसा गयी।
वो बोला- ये है अब तो इरादा।
मैंने बोला- पागल हो? यहाँ? नहीं नहीं कोई देख लेगा तो बहुत बदनामी हो जाएगी।
उसने कहा- तुम डरती बहुत हो …कौन देखेगा यहाँ, सुबह तक कोई नहीं आने वाला। प्लीज यार … एक बार फटाफट करूंगा।
इससे पहले मैं और विरोध करती उसने ऊपर से ही मेरे बूब्स को हाथ में भर के दबाना शुरू कर दिया और पैंट में से ही मेरे लहंगे पे चूत पे अपना लंड रगड़ना शुरू कर दिया। वो पूरे जोश में आ चुका था और मुझ पे भी जवानी का जोश हावी होने लगा। मैं भी आंखें बंद कर के सिसकारियाँ लेने लगी।
वो रुक गया तो मैंने आँख खोल के देखा और पूछा- क्या हुआ? रुक क्यूँ गए?
उसने कहा- ऐसे आंखें बंद कर के सिसकारियाँ लेते हुए तुम बहुत प्यारी और सेक्सी लगती हो।
मैं मुस्कुरा दी और अपने हाथों से उसका चेहरा पकड़ के उसके होंठों को किस करने लगी।
हम दोनों ही गर्म हो चुके थे और पूरे जोश में थे, मैंने कहा- कपड़े उतारने का टाइम नहीं है, जल्दी जल्दी कर लो ऐसे ही, जो करना है!
और यह कह के मैंने अपनी चोली को हाथों से आगे से खींच के ऊपर कर दिया। उसके सामने मेरे गोरे और सख्त बूब्स आते ही वो उनपे टूट पड़ा और ज़ोर ज़ोर से मुंह में लेके चूसने लगा। मैं वही दीवार से सिर सटा के आँख बंद कर के आह उम्म्ह… अहह… हय… याह… उम्महह … सिसकारियाँ ले रही थी और उसके लंड को अपने हाथ से सहला रही थी।
मेरी चूत फिर से गीली हो चुकी थी। लगभग 2-3 मिनट बाद मैंने कहा- जल्दी करो, देर हो रही है।
उसने कहा- हाँ, एक मिनट!
और अपनी पैंट नीचे कर दी खोल के।
मैंने भी अपना लहंगा नीचे झुक के ऊपर उठा लिया और पेंटी नीचे सरका दी और अपनी चूत उसके सामने परोस दी। उसने जोश जोश में मेरी चूत से लंड लगाया और एक झटके में अंदर घुसा दिया।
मैंने दबी आवाज में सिसकारी भरी और अः आह आह करने लगी। उसने अपने दोनों हाथ दीवार पे रखे और मुझे आगे लंड को चूत में डाल से धक्के मारने लगा तेज़ तेज़। उसके मुंह से भी आह आह आह अह की आवाज आ रही थी।
मुझे ऐसे खड़े खड़े चुदने में बहुत मजा आ रहा था, मैंने आहह आहह आहह करते हुए ही कहा- और तेज़ … और तेज़!
और उसके धक्कों से हिलती जा रही थी।
ऐसे ही 4-5 मिनट तक चोदने के बाद उसने कहा- दीवार की तरफ मुड़ जाओ और झुक जाओ, दीवार पे हाथ रख के टेक लगा लो।
मैंने वैसा ही ही किया।
उसने पीछे से मेरा लहंगा उठा के मेरी कमर पे रख के पकड़ा और चूत में एक झटके घपाक कर के लंड डाल दिया, मेरा सर को एकदम के धक्के से पीछे को झटका लगा तो मेरे खुले बाल उछाल के पीछे आ गए।
अब वो तेज़ तेज़ धक्के मारने लगा।
मैंने कहा- और तेज़ बाबू … बहुत मजा आ रहा है! ऐसे ही आह आहह अह म्म्ह्ह म्म्ह्ह अह!
वो अब अपनी पूरी ताकत से चोदे जा रहा था और मेरा पूरा शरीर और खुले बाल उसके ज़ोर के धक्कों से हिल रहा था। हम दोनों ही दबी आवाज में आह आह आह आहह कर रहे थे।
फिर वो थक सा गया तो थोड़ा रुक गया।
मैंने पूछा- क्या हुआ? हो गया क्या तुम्हारा?
उसका रिप्लाई आया- चलो ठीक है, अभी मिलते हैं, मैं गेट के बाहर जा रहा हूँ, तुम भी मौका सा देख के पीछे पीछे आ जाओ।
मैंने देखा कि वो गेट के पास पहुँच के खड़ा हो गया और मुझे देखने लगा।
मैंने तन्वी से कहा- तू रुक, मैं अभी आई।
तन्वी बोली- कहाँ जा रही है, अभी 2 घंटे पहले ही तो चुदवा के आई है, फिर जा रही है क्या चुदने?
मैंने मज़ाक में उसके कंधे पे हाथ मारा और हँसती हुई नज़र बचा के बाहर आ गयी।
करन मेन गेट से निकल के मैरिज हाल की दीवार के साइड में खड़ा हो गया और मैं पीछे पीछे पहुँच गयी।
हम दोनों लास्ट बार मिले, मैंने उसको गले लगाया और हम कुछ देर गले लगे रहे। वो मुझे छोड़ने को ही तैयार नहीं था।
मैंने कहा- छोड़ो भी अब!
उसने कहा- रुको यार, जी भर के गले तो लगने दो।
मैंने कहा- कोई देख लेगा तो बखेड़ा हो जाएगा … छोड़ो मुझे!
वो हटा और मेरा हाथ पकड़ कर बोला- चलो मेरे साथ!
और मुझे खींच के ले जाने लगा। हम घूम के मैरिज हाल की दीवार के पीछे आ गए। वहाँ बिल्कुल सुनसान था, पीछे दूर दूर तक सिर्फ खेत ही खेत थे क्योंकि मैरीज हाल शहर से थोड़ा हट के था। हालांकि दीवारों पर मैरिज हाल की लाइट जल रही थी पर बाकी जगह सिर्फ सिर्फ चाँद की चाँदनी रोशनी ही थी।
उसने कहा- यहाँ तो कोई नहीं है, यहाँ तो जी भर के गले लग सकता हूँ न।
मैंने मुस्कुरा के कहा- अच्छा बाबा लो लग लो!
और हम दोनों एकदम टाइट होकर गले लग गए।
गले लगते हुए ही उसने कहा- अगर मैं दिल्ली आऊँगा तो मिलने आओगी ना?
मैंने कहा- आ जाऊँगी, चिंता मत करो।
मुझे उसकी बांहों की गर्मी में बहुत सुकून मिल रहा था, मैं खुद उसे नहीं छोड़ना नहीं चाह रही थी।
गले लगे लगे ही उसने कहा- एक गुड बाय किस नहीं दोगी?
मैंने मुस्कुरा के उसको देखा तो गले लगे लगे ही उसने अपने होंठ मेरे होंठों पे रख दिये और हम गहरी किस करने लगे। मैं उसके हाथ अपनी कमर पे फिरते हुए महसूस कर रही थी। उसका लंड फिर से टाइट होने लगा था जो मुझे हम दोनों के आपस में चिपके होने के कारण महसूस हो रहा था।
मैंने कहा- अब छोड़ो भी … तुम्हारा इरादा क्या है?
उसने अपने हाथ मेरे लहंगे पे ऊपर से रख के मेरी चूत को भींच दिया तो मैं कसमसा गयी।
वो बोला- ये है अब तो इरादा।
मैंने बोला- पागल हो? यहाँ? नहीं नहीं कोई देख लेगा तो बहुत बदनामी हो जाएगी।
उसने कहा- तुम डरती बहुत हो …कौन देखेगा यहाँ, सुबह तक कोई नहीं आने वाला। प्लीज यार … एक बार फटाफट करूंगा।
इससे पहले मैं और विरोध करती उसने ऊपर से ही मेरे बूब्स को हाथ में भर के दबाना शुरू कर दिया और पैंट में से ही मेरे लहंगे पे चूत पे अपना लंड रगड़ना शुरू कर दिया। वो पूरे जोश में आ चुका था और मुझ पे भी जवानी का जोश हावी होने लगा। मैं भी आंखें बंद कर के सिसकारियाँ लेने लगी।
वो रुक गया तो मैंने आँख खोल के देखा और पूछा- क्या हुआ? रुक क्यूँ गए?
उसने कहा- ऐसे आंखें बंद कर के सिसकारियाँ लेते हुए तुम बहुत प्यारी और सेक्सी लगती हो।
मैं मुस्कुरा दी और अपने हाथों से उसका चेहरा पकड़ के उसके होंठों को किस करने लगी।
हम दोनों ही गर्म हो चुके थे और पूरे जोश में थे, मैंने कहा- कपड़े उतारने का टाइम नहीं है, जल्दी जल्दी कर लो ऐसे ही, जो करना है!
और यह कह के मैंने अपनी चोली को हाथों से आगे से खींच के ऊपर कर दिया। उसके सामने मेरे गोरे और सख्त बूब्स आते ही वो उनपे टूट पड़ा और ज़ोर ज़ोर से मुंह में लेके चूसने लगा। मैं वही दीवार से सिर सटा के आँख बंद कर के आह उम्म्ह… अहह… हय… याह… उम्महह … सिसकारियाँ ले रही थी और उसके लंड को अपने हाथ से सहला रही थी।
मेरी चूत फिर से गीली हो चुकी थी। लगभग 2-3 मिनट बाद मैंने कहा- जल्दी करो, देर हो रही है।
उसने कहा- हाँ, एक मिनट!
और अपनी पैंट नीचे कर दी खोल के।
मैंने भी अपना लहंगा नीचे झुक के ऊपर उठा लिया और पेंटी नीचे सरका दी और अपनी चूत उसके सामने परोस दी। उसने जोश जोश में मेरी चूत से लंड लगाया और एक झटके में अंदर घुसा दिया।
मैंने दबी आवाज में सिसकारी भरी और अः आह आह करने लगी। उसने अपने दोनों हाथ दीवार पे रखे और मुझे आगे लंड को चूत में डाल से धक्के मारने लगा तेज़ तेज़। उसके मुंह से भी आह आह आह अह की आवाज आ रही थी।
मुझे ऐसे खड़े खड़े चुदने में बहुत मजा आ रहा था, मैंने आहह आहह आहह करते हुए ही कहा- और तेज़ … और तेज़!
और उसके धक्कों से हिलती जा रही थी।
ऐसे ही 4-5 मिनट तक चोदने के बाद उसने कहा- दीवार की तरफ मुड़ जाओ और झुक जाओ, दीवार पे हाथ रख के टेक लगा लो।
मैंने वैसा ही ही किया।
उसने पीछे से मेरा लहंगा उठा के मेरी कमर पे रख के पकड़ा और चूत में एक झटके घपाक कर के लंड डाल दिया, मेरा सर को एकदम के धक्के से पीछे को झटका लगा तो मेरे खुले बाल उछाल के पीछे आ गए।
अब वो तेज़ तेज़ धक्के मारने लगा।
मैंने कहा- और तेज़ बाबू … बहुत मजा आ रहा है! ऐसे ही आह आहह अह म्म्ह्ह म्म्ह्ह अह!
वो अब अपनी पूरी ताकत से चोदे जा रहा था और मेरा पूरा शरीर और खुले बाल उसके ज़ोर के धक्कों से हिल रहा था। हम दोनों ही दबी आवाज में आह आह आह आहह कर रहे थे।
फिर वो थक सा गया तो थोड़ा रुक गया।
मैंने पूछा- क्या हुआ? हो गया क्या तुम्हारा?
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.