23-05-2022, 02:20 PM
उसका लंड मेरी चूत के अंदर ही फंसा था तो उसे पता चल गया कि मैं झड़ चुकी हूँ तो उसने लंड निकाल दिया और इसके साथ ही मैं बेड पर पेट के बल ही गिर के लेट गयी और टाँगें सीधी कर ली।
उसने कहा- मेरी तरफ मुँह कर के लेटो!
तो मैं घूम गयी।
उसने मेरी गीली चूत में अपना लंड डाला और मेरे ऊपर आ के धक्के मारने लगा ज़ोर ज़ोर से! हालांकि मैं झड़ चुकी थी पर फिर भी उसका साथ दे रही थी और आह आह आह हह हह कर रही थी। लगभग 2-3 मिनट ऐसे ही चोदने के बाद वो मेरी चूत में ही ज़ोर की आहहह के साथ 4-5 झटके ले के झड़ गया और मेरे बगल में आ के गिर गया और हाँफने लगा।
हम दोनों हाँफ रहे थे और एक दूसरे को देख रहे थे। मेरी चूत से पानी बह रहा था और उसके लंड से गिरे वीर्य की बूंदें भी पड़ी थी पेट तक। उसका लंड भी मेरे पानी और उसके वीर्य से सना हुआ था। हम दोनों संतुष्ट हो चुके थे और मुस्कुरा रहे थे।
जब हम दोनों नॉर्मल हो गए तो उठे और टाइम देखा। रात का 1 बज चुका था, उसने कहा- अब कपड़े पहन लेने चाहिएँ, फोन आने ही वाला होगा।
हमने खुद के शरीर को बाथरूम में जाकर साफ किया और पानी पौंछ के कपड़े पहनने लगे।
मैंने उसे कहा- मेरी ब्रा का हुक लगा देना डियर!
फिर चोली की डोरी भी उसी से बँधवाई।
लहंगा पहन के शीशे के सामने खुद को तैयार किया जैसे कि कुछ हुआ ही ना हो।
करन ने बेड की गीली हो चुकी चादर बदल दी और उसपे जान बूझ कर चटनी गिरा दी ताकि किसी को शक न हो और उस चादर को गंदे कपड़ों के साथ वॉशिंग मशीन में डाल आया।
करन के पापा का फोन भी आ गया था।
हम दोनों ने घर लॉक किया और गाड़ी से मैरिज हाल में आ गए और सबकी नजर बचा के मैं अंदर चली गयी तन्वी के पास। वो वहीं स्टेज के पास कुर्सी पे बैठी सो रही थी।
मैंने उसे उठाया और पूछा- कोई मुझे ढूंढ तो नहीं रहा था?
उसने कहा- तेरे पापा ही पूछ रहे थे कि सुहानी दिख नहीं रही, कहाँ गई?
मैंने पूछा- तो तूने क्या बोला?
तन्वी बोली- तो मैंने बोल दिया कि अंकल, चिंता मत करो चुदवाने गयी है थोड़ी देर में आ जाएगी.
और फिर तन्वी हंसने लगी।
मैंने कहा- चुप कर चुड़ैल, सच सच बता कि क्या कहा?
उसने कहा- अरे बोल दिया कि उसे नींद आ रही थी तो सोने चली गयी थोड़ी देर! अब तू सच बता चुदवा के आई है न?
मैंने कहा- नहीं तो, पागल है क्या? ऐसे ही बात करने गयी थी।
उसने बोला- बेटा, तू मुझे बेवकूफ नहीं बना सकती अभी नहीं बता रही तो बाद में बताएगी।
शादी में अब थोड़े से ही मेहमान बचे थे, मुश्किल से 25-30 … बाकी सब वापस जा चुके थे। अब फेरे होने की तैयारी चल रही थी और सब उसमें व्यस्त थे।
रात के 3 बज चुके थे और फेरे शुरू होने वाले थे। फिर शादी हो जाती और सब घर चले जाते थोड़ी देर बाद।
मैं करन से चैट कर रही थी। वो कह रहा था- बस अब कुछ घंटों में हम फिर से दूर हो जाएंगे, जाने से पहले मिल के जाना।
मैंने कहा- ठीक है।
उसने कहा- मेरी तरफ मुँह कर के लेटो!
तो मैं घूम गयी।
उसने मेरी गीली चूत में अपना लंड डाला और मेरे ऊपर आ के धक्के मारने लगा ज़ोर ज़ोर से! हालांकि मैं झड़ चुकी थी पर फिर भी उसका साथ दे रही थी और आह आह आह हह हह कर रही थी। लगभग 2-3 मिनट ऐसे ही चोदने के बाद वो मेरी चूत में ही ज़ोर की आहहह के साथ 4-5 झटके ले के झड़ गया और मेरे बगल में आ के गिर गया और हाँफने लगा।
हम दोनों हाँफ रहे थे और एक दूसरे को देख रहे थे। मेरी चूत से पानी बह रहा था और उसके लंड से गिरे वीर्य की बूंदें भी पड़ी थी पेट तक। उसका लंड भी मेरे पानी और उसके वीर्य से सना हुआ था। हम दोनों संतुष्ट हो चुके थे और मुस्कुरा रहे थे।
जब हम दोनों नॉर्मल हो गए तो उठे और टाइम देखा। रात का 1 बज चुका था, उसने कहा- अब कपड़े पहन लेने चाहिएँ, फोन आने ही वाला होगा।
हमने खुद के शरीर को बाथरूम में जाकर साफ किया और पानी पौंछ के कपड़े पहनने लगे।
मैंने उसे कहा- मेरी ब्रा का हुक लगा देना डियर!
फिर चोली की डोरी भी उसी से बँधवाई।
लहंगा पहन के शीशे के सामने खुद को तैयार किया जैसे कि कुछ हुआ ही ना हो।
करन ने बेड की गीली हो चुकी चादर बदल दी और उसपे जान बूझ कर चटनी गिरा दी ताकि किसी को शक न हो और उस चादर को गंदे कपड़ों के साथ वॉशिंग मशीन में डाल आया।
करन के पापा का फोन भी आ गया था।
हम दोनों ने घर लॉक किया और गाड़ी से मैरिज हाल में आ गए और सबकी नजर बचा के मैं अंदर चली गयी तन्वी के पास। वो वहीं स्टेज के पास कुर्सी पे बैठी सो रही थी।
मैंने उसे उठाया और पूछा- कोई मुझे ढूंढ तो नहीं रहा था?
उसने कहा- तेरे पापा ही पूछ रहे थे कि सुहानी दिख नहीं रही, कहाँ गई?
मैंने पूछा- तो तूने क्या बोला?
तन्वी बोली- तो मैंने बोल दिया कि अंकल, चिंता मत करो चुदवाने गयी है थोड़ी देर में आ जाएगी.
और फिर तन्वी हंसने लगी।
मैंने कहा- चुप कर चुड़ैल, सच सच बता कि क्या कहा?
उसने कहा- अरे बोल दिया कि उसे नींद आ रही थी तो सोने चली गयी थोड़ी देर! अब तू सच बता चुदवा के आई है न?
मैंने कहा- नहीं तो, पागल है क्या? ऐसे ही बात करने गयी थी।
उसने बोला- बेटा, तू मुझे बेवकूफ नहीं बना सकती अभी नहीं बता रही तो बाद में बताएगी।
शादी में अब थोड़े से ही मेहमान बचे थे, मुश्किल से 25-30 … बाकी सब वापस जा चुके थे। अब फेरे होने की तैयारी चल रही थी और सब उसमें व्यस्त थे।
रात के 3 बज चुके थे और फेरे शुरू होने वाले थे। फिर शादी हो जाती और सब घर चले जाते थोड़ी देर बाद।
मैं करन से चैट कर रही थी। वो कह रहा था- बस अब कुछ घंटों में हम फिर से दूर हो जाएंगे, जाने से पहले मिल के जाना।
मैंने कहा- ठीक है।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
