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Adultery भाई की शादी में सुहागरात मनायी-
#5
उसने पहल करते हुए मुझे अपनी बांहों में उठाया और बेडरूम में ले आया। वहाँ लाकर वो मेरे खुले बालों में हाथ फिराने लगा और अपने हाथ मेरे झुमके को छूते हुए कंधे पे लाकर मेरे कंधे से चुन्नी सरका के नीचे गिरा दी। अब उसके सामने मैं सिर्फ अपने लाइट पिंक लहंगे और चोली में खड़ी थी जो छोटे छोटे शीशों और सितारों से चमक रही थी।

मेरी सांसें तेज़ चल रही थी तो मेरी छाती ऊपर नीचे हो रही थी। अब उसका ध्यान मेरे उरोज यानि बूब्स पे गया और बड़ी गौर से मेरे क्लीवेज में से मेरे उभार देख रहा था। मैंने उसे आँखों ही आँखों में हर चीज़ की अनुमति दे दी थी। अब वो अपने हाथ मेरे कंधे से सरकाता हुआ मेरे बूब्स पे ले आया हाथों में भर के प्यार से हल्का हल्का दबाने लगा। मुझे उसकी मासूमियत पे बहुत प्यार आ रहा था।
धीरे धीरे मेरे बूब्स कठोर होने लगे थे। वो मेरी कमर पे हाथ ले गया धीरे धीरे अपना हाथ पूरी पीठ पे फिराने लगा, मुझे उसके इस प्यार भरे स्पर्श से बहुत मजा आ रहा था। फिर उसने एक एक कर के मेरी चोली के पीछे की डोरी खोलनी शुरू की और चारों डोरी खोल दी. मैंने अपने हाथ आगे कर दिये तो उसने चोली आगे से खींच के उतार दी. अब मैं सिर्फ ब्रा और लहंगे में उसके सामने खड़ी थी।
वो हैरानी मेरी ब्रा में फंसे मेरे बूब्स को देख रहा था। करन फिर मेरे पीछे गया और पीछे से मुझे बांहों में भर लिया। हम दोनों एक दूसरे को इसी तरह से सामने लगे शीशे में देख रहे थे। अब उसने मेरी ब्रा का हुक खोला और उसके स्ट्रैप्स यानि फीते मेरे कंधे से नीचे सरका दिये। मेरी ब्रा मेरे पैरों में गिर गयी और मैं ऊपर से उसके सामने पूरी नंगी हो गयी।
वो शीशे में मेरे गोरे और सख्त बूब्स को देख रहा था और मेरी नंगी पीठ उसकी तरफ थी जिस पर वो प्यार से हाथ फिरा रहा था। मुझे उसका ऐसे अपने जिस्म पे हाथ फिरना बहुत उत्तेजित कर रहा था और मुझे उस रोमांटिक पल में बहुत आनंद आ रहा था।
उसने मेरे बाएँ कंधे पे अपनी ठुड्डी रखी और मेरी कमर के चारों ओर अपने हाथ ले जा के पकड़ लिया और मेरे आधे नंगे शरीर को शीशे में देखने लगा। अब उसने अपने हाथ मेरे बूब्स पे रखे और प्यार से दबाने लगा और निप्पल को धीरे धीरे प्यार से मसलने लगा. मैं काम वासना में डूबी जा रही थी और अपने निचले होंठ को दाँतों से दबा के स्सस स्सश स्शस कर रही थी।
कुछ देर ऐसे ही मेरे नंगे चूचे दबाने के बाद उसने मेरे लहंगे पे हाथ ले जा के ऊपर से ही मेरी चूत को भींच दिया हल्के से। मैंने ज़ोर की सिसकारी भरी और कसमसा गयी। फिर मैं उसकी तरफ घूमी और उसका कोट उतार के साइड में रख दिया। इतने में उसने अपनी टाई उतार दी। मैंने उसकी चौड़ी छाती पे अपने हाथ फिराये और एक एक कर के उसकी शर्ट के बटन खोलने लगी। सारे बटन खोल के मैंने उससे सट के उसकी शर्ट उसकी बाजुओं में से निकाल के पीछे फर्श पे गिरा दी।
वो भी पूरा जोश में आ चुका था, मैंने उसकी पैंट में खड़ा लंड अपनी चूत पर सटे हुए महसूस किया। उसने मेरी कमर में हाथ डाल रखा था और कस के पकड़ा हुआ था। उसके लंड की हलचल मेरी चूत पे साफ महसूस हो रही थी।
मैंने कहा- आगे बढ़ो डियर!
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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RE: भाई की शादी में सुहागरात मनायी- - by neerathemall - 23-05-2022, 02:18 PM



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