23-05-2022, 02:13 PM
“राजे राजे … सो गया क्या कुत्ते ” रानी की कोयल जैसी मीठी आवाज़ मेरे कानों में पड़ी.
“नहीं रानी सोया नहीं बस थोड़ा सुस्ता रहा था … हो सकता है हल्की सी झपकी लग भी गयी हो.” मैंने अंगड़ाई लेकर कहा.
देखा तो लंड चूत से फिसल का निकल चुका था. मुझे याद आया कि दोनों को एक दूसरे की सफाई भी करनी है. सफाई के साथ साथ रानी की चूत रस का स्वाद भी तो मिलता न. झट से मैं रानी के चूत की तरफ मुंह करके लेट गया और टाँगें रानी के मुंह की तरफ फैला लीं. पिछले दिन की भांति खूब मज़े लेते हुए जीभ से सब माल साफ कर डाला. दुबारा से अपने मक्खन और रानी की चूत अमृत का मिला जुला माल चाटा. रानी ने भी लंड, झांटें इत्यादि सब चाट लिया.
उसके बाद रानी उठकर कमरे से बाहर चली गयी और दो चार मिनट के बाद जब लौटकर आयी तो एक ट्रे में एक गिलास और एक बड़ी सी कटोरी लेकर आयी. गिलास में वाइन थी और कटोरे में रबड़ी. रबड़ी में खूब किशमिश, बादाम, पिस्ते, अखरोट, काजू और छुआरे पड़े हुए थे. रानी ने हुक्म दिया कि रबड़ी वाली कटोरा पलट के उसके चूचों पर रबड़ी डाल दूँ.
“राजे आज तू यह रबड़ी मेरे दूधों पर रख के खाएगा … देख कितना मज़ा आएगा मादरचोद … तू भी क्या याद रखेगा कि क्या रबड़ी खायी थी.”
मैंने कटोरा पलट के थोड़ी रबड़ी दायीं चूची के ऊपर और थोड़ी बायीं चूची पर टपका दी. इस नए कार्य कलाप की कल्पना से ही मैं बहुत उत्तेजित हो गया था. रानी ने अपने हाथ उरोजों की जड़ पर जमा के दबाया तो चूचे थोड़े ऊपर को उठ गए. मैंने झुक कर जीभ बाहर निकाल के चूचे को चाट के रबड़ी खानी शुरू की.
खूब आनंद लेते हुए चटखारे भरते हुए मैंने रानी की चूचियों पर लगी हुई रबड़ी खायी. बाकि बच हुई रबड़ी मैंने रानी की झांटों पर लगा के चाटी. कहना न होगा कि यह करते हुए दोनों ही बेहद कामोत्तेजित हो गए थे. उसके बाद फिर एक राउंड चुदाई का चला.
जाने के समय रानी ने जो मैंने उसको चुदाई का ज़बरदस्त मज़ा दिया था, उसके इनाम में स्पेशल मुट्ठ मार कर दिया. यारों यह स्पेशल मुट्ठ कैसे मारी वह सुन कर बड़ा मज़ा आएगा. बाली रानी ने विशेष मुट्ठ मारने के लिए लौड़े की सुपारी नंगी करके मुंह में ले ली और उस पर जीभ फिराते हुए खाल आगे पीछे करके मुट्ठ मारी. मुंह में ही झड़वाया और सब लावा मुस्कुराते हुए निगल लिया.
मैंने देखा कि रानी के चूचुक पर मेरे हाथों के लाल लाल निशान पड़ गए थे. पूरा पंजा छपा हुआ था. मैंने दोनों मम्मों की चुम्मी लेकर पूछा- रानी, ज़्यादा दर्द तो नहीं हो रहा?
रानी ने मुझे एक चपत हौले से लगाकर कहा- बहन के लौड़े अब ध्यान आया मेरे दर्द का … जब इनको कुचल रहा था तब न सोचा?
रानी मेरा मुंह पकड़ के एक लम्बा सा चुम्मा लिया और मेरे कान में फुसफुसाई- राज्जा … दो तीन दिन अगर दर्द न हो तो कैसे पता चले कि किसी मर्द ने चोदा … इस दुखन में बहुत सुखद अहसास होता है राजे … ऐसी दुखन तो चुदाई का वरदान है … .चल जा अब … घर जा कुत्ते बहुत देर हो गई.
इसके बाद रानी ने मुझे अपना स्वर्ण अमृत पिलाकर तृप्त किया और मैं मस्ती के समुद्र में गोते लगता हुआ घर चला गया.
यारो, यह सिलसिला फिर नित्यदिन चलने लगा. रानी ने मुझे लंड की क्षमता बढ़ने की ट्रेनिंग देनी शुरू की. कुछ लौड़े के व्यायाम सिखाए और कुछ खाने पीने के मशवरे दिए. मैंने भी बहुत दिल लगाकर रानी के दिए हुए सब निर्देशों का पालन किया. नतीजा यह हुआ कि तीन चार महीने में ही मेरा चुदाई में ठहराव एक घंटे से ऊपर निकल गया और लौड़े से झड़ने वाले लावा की मात्रा भी न सिर्फ काफी ज़्यादा हो गई बल्कि लावा ज़्यादा गाढ़ा भी हो गया. यदि कोई ये जानना चाहे तो मुझे मेल कर सकता है. मुझे सीखने में अच्छा लगता है. लड़के खुद के लिए और लड़कियां अपने पति या चोदू दोस्त के लिए सीख सकती हैं.
जैसा रानी ने कहा था, हर किस्म की शरीर सुरा पीने को मिली. एक दिन रानी ने वाइन को चूचियों के ऊपर से टपकाकर चूचुक-सुरा पिलाई. एक और दिन रानी की झांटों से होती हुई झांट-सुरा का स्वाद मिला तो एक दिन रानी ने अमृत धारा मारते हुए स्वर्ण-सुरा का ज़ायका दिया. एक दिन रानी के पैरों पर से लुढ़काकर पिलाई गयी चरण-सुरा का मज़ा भोगा.
तीन चार दिन के बाद रानी को मासिक धर्म हुआ तो लगातार पांच दिन न सिर्फ रक्तामृत पीने को मिला बल्कि रक्त-सुरा का मज़ा भी लूटा. हमने पीरियड्स के दौरान चुदाई भी खूब की. यहाँ बता दूँ कि मेंसेस में खून से भरी हुई चूत बहुत ज़्यादा गर्म होती है. उसको चोदने के आनंद का बयां करना कठिन है. पढ़ने वालों को यह सम्भोग खुद करके ही आनंद प्राप्ति करनी होगी. और हाँ, लौंडिया की चुदास भी इन दिनों बहुत तेज़ होती है. तो हुआ न सोने पर सुहागा.
जब रानी का नौकर छुट्टी से आ गया तो चुदाई रानी की स्टडी में करनी शुरू कर दी. स्टडी में कोई नहीं आता था, ना नौकर और ना ही रानी के सास ससुर. स्टडी में हम फर्श पर कालीन पर या कभी कुर्सी पर, कभी लव सीट पर बैठ कर, तो कई बार खड़े खड़े चोदन करते थे. स्टडी में एक कोने में एक झूला भी लगा हुआ था, जिस पर चुदाई का कुछ विशेष ही अलग सा मज़ा आता था. सिर्फ रानी को बाथरूम में चुदना पसंद नहीं था उसका कहना था कि बाथरूम में चलते हुए शावर में एक दूसरे की जीभ और बदन के संपर्क का लुत्फ़ गायब हो जाता है.
रानी को अक्सर गांड भी मरवाने की इच्छा होती थी. समझ लो कि दो या तीन दिन में एक राउंड गांड मारने का भी हो जाता था.
हमने चुदाई के हर पोज़ में चुदाई के अनुभव लिए. एक पोज़ जो कुछ अलग ही है उसके विषय में बताना चाहूंगा. यह *** आसन कहलाता है. यह नाम क्यों दिया गया मुझे नहीं मालूम. मुझे तो बाली रानी ने बताया कि यह *** आसन है तो वही मैं कह रहा हूँ. बहुत ही मस्त आसन है. जिसे अंग्रेजी में माइंड ब्लोइंग फ़क कहते हैं यह आसन वही अनुभव देता है. माइंड ब्लोइंग फ़क को हिंदी में क्या कहना चाहिए यदि कोई दोस्त बता सके तो बड़ी मेहरबानी होगी.
इसकी विशेषता यह है कि इस में धक्के नहीं लगाए जाते. लगाए जा भी नहीं सकते. सिर्फ हिल डुल के जो लंड का चूत में घर्षण होता है उसमें ही बेहिसाब मज़ा आता है. आसन इस प्रकार से किया जाता है. पहले तो मैंने और रानी ने आमने सामने बैठ कर लंड को चूत में घुसेड़ दिया. उसके बाद मैंने अपनी एक टांग रानी की कमर से लपेट ली. दूसरी टांग उठाकर रानी के कंधे पर घुटने से मोड़ ली जिससे मेरा पैर रानी की पीठ पर टिक गया. इसी प्रकार रानी ने अपनी एक टांग मेरी कमर से लपेट ली और दूसरी वाली मेरे कंधे पर रखकर घुटने से मोड़ ली. फिर दोनों ने एक दूसरे की गर्दन पर बाहें लिपटा लीं. इस आसन में दोनों प्रेमियों के मुंह एक दूसरे के बहुत ही करीब आ जाते हैं, लेकिन होंठ चूसने जितने नहीं. अपनी अपनी जीभ निकाल के एक दूसरे की जीभ चूमते रहो और चुदाई का मज़ा लेते हुए अपने पार्टनर के चेहरे पर आते हुए मधुर आनंद के भाव देखते देखते प्यार की बातें फुसफुसाते रहो. लंड चूत में पूरी गहराई तक ठुंस जाता है और चूत के एक एक इंच के दबाब को, एक एक इंच से छूटते रस को महसूस करता है. चूत सिकुड़ के लंड को बहुत टाइट गिरफ्त में ले लेती है. धक्के मारना संभव नहीं होता. मंद मंद चुदाई लंड के तुनकने और चूत के कसमसाने से की जाती है. थोड़ा बहुत आगे पीछे डोला जा सकता है. ऐसी चुदाई बहुत अधिक देर तक चलती है और शरीर और आत्मा दोनों को भरपूर तृप्त कर देती है
“नहीं रानी सोया नहीं बस थोड़ा सुस्ता रहा था … हो सकता है हल्की सी झपकी लग भी गयी हो.” मैंने अंगड़ाई लेकर कहा.
देखा तो लंड चूत से फिसल का निकल चुका था. मुझे याद आया कि दोनों को एक दूसरे की सफाई भी करनी है. सफाई के साथ साथ रानी की चूत रस का स्वाद भी तो मिलता न. झट से मैं रानी के चूत की तरफ मुंह करके लेट गया और टाँगें रानी के मुंह की तरफ फैला लीं. पिछले दिन की भांति खूब मज़े लेते हुए जीभ से सब माल साफ कर डाला. दुबारा से अपने मक्खन और रानी की चूत अमृत का मिला जुला माल चाटा. रानी ने भी लंड, झांटें इत्यादि सब चाट लिया.
उसके बाद रानी उठकर कमरे से बाहर चली गयी और दो चार मिनट के बाद जब लौटकर आयी तो एक ट्रे में एक गिलास और एक बड़ी सी कटोरी लेकर आयी. गिलास में वाइन थी और कटोरे में रबड़ी. रबड़ी में खूब किशमिश, बादाम, पिस्ते, अखरोट, काजू और छुआरे पड़े हुए थे. रानी ने हुक्म दिया कि रबड़ी वाली कटोरा पलट के उसके चूचों पर रबड़ी डाल दूँ.
“राजे आज तू यह रबड़ी मेरे दूधों पर रख के खाएगा … देख कितना मज़ा आएगा मादरचोद … तू भी क्या याद रखेगा कि क्या रबड़ी खायी थी.”
मैंने कटोरा पलट के थोड़ी रबड़ी दायीं चूची के ऊपर और थोड़ी बायीं चूची पर टपका दी. इस नए कार्य कलाप की कल्पना से ही मैं बहुत उत्तेजित हो गया था. रानी ने अपने हाथ उरोजों की जड़ पर जमा के दबाया तो चूचे थोड़े ऊपर को उठ गए. मैंने झुक कर जीभ बाहर निकाल के चूचे को चाट के रबड़ी खानी शुरू की.
खूब आनंद लेते हुए चटखारे भरते हुए मैंने रानी की चूचियों पर लगी हुई रबड़ी खायी. बाकि बच हुई रबड़ी मैंने रानी की झांटों पर लगा के चाटी. कहना न होगा कि यह करते हुए दोनों ही बेहद कामोत्तेजित हो गए थे. उसके बाद फिर एक राउंड चुदाई का चला.
जाने के समय रानी ने जो मैंने उसको चुदाई का ज़बरदस्त मज़ा दिया था, उसके इनाम में स्पेशल मुट्ठ मार कर दिया. यारों यह स्पेशल मुट्ठ कैसे मारी वह सुन कर बड़ा मज़ा आएगा. बाली रानी ने विशेष मुट्ठ मारने के लिए लौड़े की सुपारी नंगी करके मुंह में ले ली और उस पर जीभ फिराते हुए खाल आगे पीछे करके मुट्ठ मारी. मुंह में ही झड़वाया और सब लावा मुस्कुराते हुए निगल लिया.
मैंने देखा कि रानी के चूचुक पर मेरे हाथों के लाल लाल निशान पड़ गए थे. पूरा पंजा छपा हुआ था. मैंने दोनों मम्मों की चुम्मी लेकर पूछा- रानी, ज़्यादा दर्द तो नहीं हो रहा?
रानी ने मुझे एक चपत हौले से लगाकर कहा- बहन के लौड़े अब ध्यान आया मेरे दर्द का … जब इनको कुचल रहा था तब न सोचा?
रानी मेरा मुंह पकड़ के एक लम्बा सा चुम्मा लिया और मेरे कान में फुसफुसाई- राज्जा … दो तीन दिन अगर दर्द न हो तो कैसे पता चले कि किसी मर्द ने चोदा … इस दुखन में बहुत सुखद अहसास होता है राजे … ऐसी दुखन तो चुदाई का वरदान है … .चल जा अब … घर जा कुत्ते बहुत देर हो गई.
इसके बाद रानी ने मुझे अपना स्वर्ण अमृत पिलाकर तृप्त किया और मैं मस्ती के समुद्र में गोते लगता हुआ घर चला गया.
यारो, यह सिलसिला फिर नित्यदिन चलने लगा. रानी ने मुझे लंड की क्षमता बढ़ने की ट्रेनिंग देनी शुरू की. कुछ लौड़े के व्यायाम सिखाए और कुछ खाने पीने के मशवरे दिए. मैंने भी बहुत दिल लगाकर रानी के दिए हुए सब निर्देशों का पालन किया. नतीजा यह हुआ कि तीन चार महीने में ही मेरा चुदाई में ठहराव एक घंटे से ऊपर निकल गया और लौड़े से झड़ने वाले लावा की मात्रा भी न सिर्फ काफी ज़्यादा हो गई बल्कि लावा ज़्यादा गाढ़ा भी हो गया. यदि कोई ये जानना चाहे तो मुझे मेल कर सकता है. मुझे सीखने में अच्छा लगता है. लड़के खुद के लिए और लड़कियां अपने पति या चोदू दोस्त के लिए सीख सकती हैं.
जैसा रानी ने कहा था, हर किस्म की शरीर सुरा पीने को मिली. एक दिन रानी ने वाइन को चूचियों के ऊपर से टपकाकर चूचुक-सुरा पिलाई. एक और दिन रानी की झांटों से होती हुई झांट-सुरा का स्वाद मिला तो एक दिन रानी ने अमृत धारा मारते हुए स्वर्ण-सुरा का ज़ायका दिया. एक दिन रानी के पैरों पर से लुढ़काकर पिलाई गयी चरण-सुरा का मज़ा भोगा.
तीन चार दिन के बाद रानी को मासिक धर्म हुआ तो लगातार पांच दिन न सिर्फ रक्तामृत पीने को मिला बल्कि रक्त-सुरा का मज़ा भी लूटा. हमने पीरियड्स के दौरान चुदाई भी खूब की. यहाँ बता दूँ कि मेंसेस में खून से भरी हुई चूत बहुत ज़्यादा गर्म होती है. उसको चोदने के आनंद का बयां करना कठिन है. पढ़ने वालों को यह सम्भोग खुद करके ही आनंद प्राप्ति करनी होगी. और हाँ, लौंडिया की चुदास भी इन दिनों बहुत तेज़ होती है. तो हुआ न सोने पर सुहागा.
जब रानी का नौकर छुट्टी से आ गया तो चुदाई रानी की स्टडी में करनी शुरू कर दी. स्टडी में कोई नहीं आता था, ना नौकर और ना ही रानी के सास ससुर. स्टडी में हम फर्श पर कालीन पर या कभी कुर्सी पर, कभी लव सीट पर बैठ कर, तो कई बार खड़े खड़े चोदन करते थे. स्टडी में एक कोने में एक झूला भी लगा हुआ था, जिस पर चुदाई का कुछ विशेष ही अलग सा मज़ा आता था. सिर्फ रानी को बाथरूम में चुदना पसंद नहीं था उसका कहना था कि बाथरूम में चलते हुए शावर में एक दूसरे की जीभ और बदन के संपर्क का लुत्फ़ गायब हो जाता है.
रानी को अक्सर गांड भी मरवाने की इच्छा होती थी. समझ लो कि दो या तीन दिन में एक राउंड गांड मारने का भी हो जाता था.
हमने चुदाई के हर पोज़ में चुदाई के अनुभव लिए. एक पोज़ जो कुछ अलग ही है उसके विषय में बताना चाहूंगा. यह *** आसन कहलाता है. यह नाम क्यों दिया गया मुझे नहीं मालूम. मुझे तो बाली रानी ने बताया कि यह *** आसन है तो वही मैं कह रहा हूँ. बहुत ही मस्त आसन है. जिसे अंग्रेजी में माइंड ब्लोइंग फ़क कहते हैं यह आसन वही अनुभव देता है. माइंड ब्लोइंग फ़क को हिंदी में क्या कहना चाहिए यदि कोई दोस्त बता सके तो बड़ी मेहरबानी होगी.
इसकी विशेषता यह है कि इस में धक्के नहीं लगाए जाते. लगाए जा भी नहीं सकते. सिर्फ हिल डुल के जो लंड का चूत में घर्षण होता है उसमें ही बेहिसाब मज़ा आता है. आसन इस प्रकार से किया जाता है. पहले तो मैंने और रानी ने आमने सामने बैठ कर लंड को चूत में घुसेड़ दिया. उसके बाद मैंने अपनी एक टांग रानी की कमर से लपेट ली. दूसरी टांग उठाकर रानी के कंधे पर घुटने से मोड़ ली जिससे मेरा पैर रानी की पीठ पर टिक गया. इसी प्रकार रानी ने अपनी एक टांग मेरी कमर से लपेट ली और दूसरी वाली मेरे कंधे पर रखकर घुटने से मोड़ ली. फिर दोनों ने एक दूसरे की गर्दन पर बाहें लिपटा लीं. इस आसन में दोनों प्रेमियों के मुंह एक दूसरे के बहुत ही करीब आ जाते हैं, लेकिन होंठ चूसने जितने नहीं. अपनी अपनी जीभ निकाल के एक दूसरे की जीभ चूमते रहो और चुदाई का मज़ा लेते हुए अपने पार्टनर के चेहरे पर आते हुए मधुर आनंद के भाव देखते देखते प्यार की बातें फुसफुसाते रहो. लंड चूत में पूरी गहराई तक ठुंस जाता है और चूत के एक एक इंच के दबाब को, एक एक इंच से छूटते रस को महसूस करता है. चूत सिकुड़ के लंड को बहुत टाइट गिरफ्त में ले लेती है. धक्के मारना संभव नहीं होता. मंद मंद चुदाई लंड के तुनकने और चूत के कसमसाने से की जाती है. थोड़ा बहुत आगे पीछे डोला जा सकता है. ऐसी चुदाई बहुत अधिक देर तक चलती है और शरीर और आत्मा दोनों को भरपूर तृप्त कर देती है
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.