23-05-2022, 02:12 PM
रानी वासना के ज़बरदस्त तूफ़ान में घिरी थी और यह बात मेरे जैसे अनाड़ी को भी समझ में आ रही थी. चुदास में डूबी हुई बाली रानी हद से ज़्यादा हसीन लग रही थी. मैं धक्के पर धक्के टिकाए जा रहा था. लंड बाहर टोपे तक, फिर धम्म से अंदर यूट्रस से टकराता हुआ. हालाँकि धक्कों की स्पीड ज़्यादा नहीं थी. स्पीड का कण्ट्रोल तो रानी के पास था. जैसे ही मैं उसकी इच्छा से ज़्यादा तेज़ झटके देता तो वो मेरी कमर से लिपटी टांगों को टाइट कर लेती और मैं फिर अपनी रफ़्तार घटा लेता.
काफी देर तक यह सिलसिला चला. रानी चुदाई की गति को बड़ी कुशलता से नियंत्रण कर रही थी. कुछ धक्के फुल स्पीड से, फिर कुछ धीमे और फिर कुछ तेज़. रानी ने बाद में बताया कि मेरा झड़ने का समय बढ़ाने के लिए उसने ऐसा किया था, बोली- राजे लंड जब चूत में घुस कर तुनक तुनक करता है तो मुझे उसकी ताल से अंदाज़ लग जाता है कि तू अब झड़ने के करीब है तो उस वक़्त मैं तुझे धीमे कर देती हूँ. मैं चाहती हूँ कि चुदाई का यह मदहोश कर देने वाला सुखद समय कभी ख़त्म ही न हो. इतना गहन आनंद को लम्बे से लम्बे चलाना कौन नहीं चाहेगा.
समय का पहिया रुक गया था. हम दोनों मिलन में ग़ुम प्रेमी इस समय बिल्कुल संज्ञाशून्य थे. कुछ दीन दुनिया की खबर नहीं थी. संसार में सब कुछ दिल-ओ-दिमाग से ओझल हो चुका था. बस मैं और बाली रानी. बाली रानी और मैं. मेरा लौड़ा और उसकी चूत व चूचुक. और कुछ भी नहीं.
जैसा किसी शायर ने लिखा है बिल्कुल वही हाल हमारा था. शायर कहता है
“उम्मीद ग़ुम यास ग़ुम, हवास ग़ुम क़यास ग़ुम
नज़र से आस पास ग़ुम, हमा बजुज़ चुदास ग़ुम”
अर्थात चुदाई और सिर्फ चुदाई के सिवा दिल और दिमाग से सब कुछ ग़ुम हो चुका था.
रानी अब हांफने लगी थी. दीवानों की तरह इधर उधर मस्तक हिला रही थी. बदन बार बार फड़क उठता था. कभी कभी तो एक तेज़ कंपकंपी उसके शरीर में पैदा हो जाती जब वो सिसक सिसक कर मेरे कन्धों को ज़ोर से नोचती- राजे … हरामज़ादे राजे,” रानी ने फूली हुई साँस के साथ फुसफुसाते हुए कहा- हाथों को बूब्स पे कस के जमा ले … अब दिखा अपनी पूरी ताक़त … ठोक बॉक्सर के मुक्कों की तरह धक्के … बहनचोद हर धक्के से सिर तक धमक जानी चाहिए … चोद चोद कुत्ते चोद … भँभोड़ डाल इन मम्मों को … जल्दी कमीने.
मैंने वैसा ही किया. अपने पंजे रानी के गोलगोल कुचों पर गाड़ दिए और दे धक्के के पीछे धक्का. हर धक्का पहले वाले से अधिक तगड़ा. रानी ने आह आह आह करते हुए चूतड़ उछलने शुरू किये. वो भी पूरे ज़ोर से नितम्ब कुदा कुदा के चुदाई में साथ देने लगी.
मेरे बदन का और धक्कों का सारा ज़ोर रानी के चूचुक पर आ रहा था, क्यूंकि मैंने उनमें अपने नाख़ून गाड़ के उन पर पंजे टिका के धक्के ठोक रहा था. रानी आनंद में ऐसी मस्त थी जैसे पूरी बोतल तेज़ दारू पीकर नशे में धुत्त हो. नशे में तो खैर मैं भी था. चुदास का नशा. रानी के बदन से लिपटे होने का नशा. रानी की आँखों में आँखें डालकर चोदने का नशा. रानी के शरीर के हर भाग को चाटने चूसने का नशा.
चूत में रस का बहाव थोक के हिसाब से होने लगा था. फचक फचक … फचाक फच … फचाक फचक … फचक फचाक जैसी चोदायी वाली आवाज़ें आ रही थीं. चुदाई इस समय अपने पूरे शवाब पर थी.
मेरे अण्डों में इकठ्ठा होती हुई मलाई का भार बहुत बढ़ चुका था. अंडे लावा से इतने भर गए थे कि उनमें हल्का हल्का दर्द होने लगा था. मैं जान गया था कि अब जल्दी ही मेरा विस्फोट हो जाएगा.
इस बार रानी ने धक्कों की गति घटाने की कोई कोशिश नहीं की. बल्कि और तेज़ और तेज़ और तेज़ की पुकार लगा रही थी. आह आह करते हुए नितम्ब भी बहुत तेज़ तेज़ उछाल रही थी. वो भी बड़ी तेज़ी से चरम सीमा की ओर दौड़े जा रही थी- राजे मादरचोद … और ज़ोर से ठोक बहन के लंड … कचूमर कर दे मेरा … कुत्ते माँ चोद के रख दे मेरी … आह आह आह बहुत मज़ा देता कमीने तू … अहा अहा अहा अहा … हाय हाय हाय … दम निकाल दे साले … चोद चोद चोद और तेज़ और तेज़ … हाँ और तेज़.
रानी आहें भरते हुए चिल्लाने लगी- फ़क माय ब्रेन्स आउट … यप्प यप्प … हार्ड हार्ड हार्डर … यप्प.
रानी की किलकारियों से मेरी हवस भी परवान चढ़ गयी और मैंने दनदना कर ज़बरदस्त तूफानी तेज़ी से शॉट लगाने शुरू कर दिए. फचक फचक … फचाक फच … फचाक फचक … फचक फचाक की आवाज़ें और भी ज़्यादा ऊँची हो गयीं.
रानी की चूत में इतना रस भर गया था कि हर धक्के पर काफी सारा रस चूत के बाहर छलक आता था. मेरा पूरा लंड प्रदेश रानी के जूस से गीला हो गया था. चूत के आस पास भी खूब गीला हो गया था. धक्कों कि रगड़ से काफी सारा रस रानी कि जांघों तक भिगो चुका था. धक् धक् धक् धक् धक् धक् धक् … दे दनादन दन दन दन दन … धक् धक् धक् … चुदाई की स्पीड इस समय हवाई जहाज़ रफ़्तार को भी शर्मसार कर सकती थी.
अचानक रानी का शरीर अकड़ गया. उसने चूत भी खूब कस ली, मुंह खुल गया, गुलाबी गुलाबी जीभ थोड़ी सी बाहर निकल आई, आँखें कस के मींच लीं और चूतड़ उचका लिए. चरम आनंद के नज़दीक पहुँच गई रानी ने अपने नाखूनों से मेरी पीठ खुरच डाली और एक ऊंची आह भर के चूत ढीली कर ली. जैसे हो चूत ढीली हुई तो चूतामृत की एक तेज़ बौछार लौड़े पर पड़ी. रानी ने तेज़ तेज़ सिर दाएं बाएं हिलाते हुए एक और चीख मारी और जल्दी जल्दी से चूत को कसा, फिर ढीला किया. ऐसा सात आठ बार करके रानी ने एक सिसकी भरी और अकस्मात् ही निढाल हो गयी.
उधर चूत के रस की बौछार से लंड सनक गया और गोलियों में एक पटाखा फूटा. धम्म धम्म धम्म से ढेर सारा वीर्य, गर्म और गाढ़ा वीर्य लंड के छेद से गोली की भांति छूटा. मैंने बहुत ही ताक़तवर दस बारह धक्के लगाए और हर धक्के में एक मोटा सा लावा का लौंदा चूत में झाड़ दिया. मेरे मुंह से भी कुछ कुछ अजीब सी आवाज़ें निकली थीं लेकिन मुझे अब याद नहीं कि क्या क्या बकवास मैंने बोली. बस इतना स्मरण है कि झड़ने के बाद मैं भी अर्धमूर्छित होकर रानी के ऊपर पड़ गया था.
काफी देर तक यह सिलसिला चला. रानी चुदाई की गति को बड़ी कुशलता से नियंत्रण कर रही थी. कुछ धक्के फुल स्पीड से, फिर कुछ धीमे और फिर कुछ तेज़. रानी ने बाद में बताया कि मेरा झड़ने का समय बढ़ाने के लिए उसने ऐसा किया था, बोली- राजे लंड जब चूत में घुस कर तुनक तुनक करता है तो मुझे उसकी ताल से अंदाज़ लग जाता है कि तू अब झड़ने के करीब है तो उस वक़्त मैं तुझे धीमे कर देती हूँ. मैं चाहती हूँ कि चुदाई का यह मदहोश कर देने वाला सुखद समय कभी ख़त्म ही न हो. इतना गहन आनंद को लम्बे से लम्बे चलाना कौन नहीं चाहेगा.
समय का पहिया रुक गया था. हम दोनों मिलन में ग़ुम प्रेमी इस समय बिल्कुल संज्ञाशून्य थे. कुछ दीन दुनिया की खबर नहीं थी. संसार में सब कुछ दिल-ओ-दिमाग से ओझल हो चुका था. बस मैं और बाली रानी. बाली रानी और मैं. मेरा लौड़ा और उसकी चूत व चूचुक. और कुछ भी नहीं.
जैसा किसी शायर ने लिखा है बिल्कुल वही हाल हमारा था. शायर कहता है
“उम्मीद ग़ुम यास ग़ुम, हवास ग़ुम क़यास ग़ुम
नज़र से आस पास ग़ुम, हमा बजुज़ चुदास ग़ुम”
अर्थात चुदाई और सिर्फ चुदाई के सिवा दिल और दिमाग से सब कुछ ग़ुम हो चुका था.
रानी अब हांफने लगी थी. दीवानों की तरह इधर उधर मस्तक हिला रही थी. बदन बार बार फड़क उठता था. कभी कभी तो एक तेज़ कंपकंपी उसके शरीर में पैदा हो जाती जब वो सिसक सिसक कर मेरे कन्धों को ज़ोर से नोचती- राजे … हरामज़ादे राजे,” रानी ने फूली हुई साँस के साथ फुसफुसाते हुए कहा- हाथों को बूब्स पे कस के जमा ले … अब दिखा अपनी पूरी ताक़त … ठोक बॉक्सर के मुक्कों की तरह धक्के … बहनचोद हर धक्के से सिर तक धमक जानी चाहिए … चोद चोद कुत्ते चोद … भँभोड़ डाल इन मम्मों को … जल्दी कमीने.
मैंने वैसा ही किया. अपने पंजे रानी के गोलगोल कुचों पर गाड़ दिए और दे धक्के के पीछे धक्का. हर धक्का पहले वाले से अधिक तगड़ा. रानी ने आह आह आह करते हुए चूतड़ उछलने शुरू किये. वो भी पूरे ज़ोर से नितम्ब कुदा कुदा के चुदाई में साथ देने लगी.
मेरे बदन का और धक्कों का सारा ज़ोर रानी के चूचुक पर आ रहा था, क्यूंकि मैंने उनमें अपने नाख़ून गाड़ के उन पर पंजे टिका के धक्के ठोक रहा था. रानी आनंद में ऐसी मस्त थी जैसे पूरी बोतल तेज़ दारू पीकर नशे में धुत्त हो. नशे में तो खैर मैं भी था. चुदास का नशा. रानी के बदन से लिपटे होने का नशा. रानी की आँखों में आँखें डालकर चोदने का नशा. रानी के शरीर के हर भाग को चाटने चूसने का नशा.
चूत में रस का बहाव थोक के हिसाब से होने लगा था. फचक फचक … फचाक फच … फचाक फचक … फचक फचाक जैसी चोदायी वाली आवाज़ें आ रही थीं. चुदाई इस समय अपने पूरे शवाब पर थी.
मेरे अण्डों में इकठ्ठा होती हुई मलाई का भार बहुत बढ़ चुका था. अंडे लावा से इतने भर गए थे कि उनमें हल्का हल्का दर्द होने लगा था. मैं जान गया था कि अब जल्दी ही मेरा विस्फोट हो जाएगा.
इस बार रानी ने धक्कों की गति घटाने की कोई कोशिश नहीं की. बल्कि और तेज़ और तेज़ और तेज़ की पुकार लगा रही थी. आह आह करते हुए नितम्ब भी बहुत तेज़ तेज़ उछाल रही थी. वो भी बड़ी तेज़ी से चरम सीमा की ओर दौड़े जा रही थी- राजे मादरचोद … और ज़ोर से ठोक बहन के लंड … कचूमर कर दे मेरा … कुत्ते माँ चोद के रख दे मेरी … आह आह आह बहुत मज़ा देता कमीने तू … अहा अहा अहा अहा … हाय हाय हाय … दम निकाल दे साले … चोद चोद चोद और तेज़ और तेज़ … हाँ और तेज़.
रानी आहें भरते हुए चिल्लाने लगी- फ़क माय ब्रेन्स आउट … यप्प यप्प … हार्ड हार्ड हार्डर … यप्प.
रानी की किलकारियों से मेरी हवस भी परवान चढ़ गयी और मैंने दनदना कर ज़बरदस्त तूफानी तेज़ी से शॉट लगाने शुरू कर दिए. फचक फचक … फचाक फच … फचाक फचक … फचक फचाक की आवाज़ें और भी ज़्यादा ऊँची हो गयीं.
रानी की चूत में इतना रस भर गया था कि हर धक्के पर काफी सारा रस चूत के बाहर छलक आता था. मेरा पूरा लंड प्रदेश रानी के जूस से गीला हो गया था. चूत के आस पास भी खूब गीला हो गया था. धक्कों कि रगड़ से काफी सारा रस रानी कि जांघों तक भिगो चुका था. धक् धक् धक् धक् धक् धक् धक् … दे दनादन दन दन दन दन … धक् धक् धक् … चुदाई की स्पीड इस समय हवाई जहाज़ रफ़्तार को भी शर्मसार कर सकती थी.
अचानक रानी का शरीर अकड़ गया. उसने चूत भी खूब कस ली, मुंह खुल गया, गुलाबी गुलाबी जीभ थोड़ी सी बाहर निकल आई, आँखें कस के मींच लीं और चूतड़ उचका लिए. चरम आनंद के नज़दीक पहुँच गई रानी ने अपने नाखूनों से मेरी पीठ खुरच डाली और एक ऊंची आह भर के चूत ढीली कर ली. जैसे हो चूत ढीली हुई तो चूतामृत की एक तेज़ बौछार लौड़े पर पड़ी. रानी ने तेज़ तेज़ सिर दाएं बाएं हिलाते हुए एक और चीख मारी और जल्दी जल्दी से चूत को कसा, फिर ढीला किया. ऐसा सात आठ बार करके रानी ने एक सिसकी भरी और अकस्मात् ही निढाल हो गयी.
उधर चूत के रस की बौछार से लंड सनक गया और गोलियों में एक पटाखा फूटा. धम्म धम्म धम्म से ढेर सारा वीर्य, गर्म और गाढ़ा वीर्य लंड के छेद से गोली की भांति छूटा. मैंने बहुत ही ताक़तवर दस बारह धक्के लगाए और हर धक्के में एक मोटा सा लावा का लौंदा चूत में झाड़ दिया. मेरे मुंह से भी कुछ कुछ अजीब सी आवाज़ें निकली थीं लेकिन मुझे अब याद नहीं कि क्या क्या बकवास मैंने बोली. बस इतना स्मरण है कि झड़ने के बाद मैं भी अर्धमूर्छित होकर रानी के ऊपर पड़ गया था.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.