23-05-2022, 02:08 PM
इससे पहले कि मैं कुछ ज़्यादा सोच विचार करता, रानी ने मेरा मुंह चूत पर सेट कर दिया और सुर्रर्रर्र सुर्रर्रर्र सुर्रर्रर्र सुर्रर्रर्र सुर्रर्रर्र की आवाज़ करते हुए अमृत की धारा मेरे मुंह में मारी. यारों आनंद से मैं पगला गया. क्या स्वाद था! वाकई में अमृत ही था. सुस्वादु अमृत !!!
“क्यों कुत्ते अच्छा है ना?” रानी ने धार रोक के पूछा.
“हाँ रानी मस्त है … बहुत ही मज़ेदार है … सारा पिला ना?” मैंने मचल कर गुहार लगाई.
फिर क्या था, रानी ने धारा पूरी तेज़ी से छोड़नी शुरू कर दी. मैं कोशिश कर रहा था कि अमृत को अच्छे से मुंह में घुमा कर पूरा ज़ायका लेकर निगलूं, परन्तु धारा इतनी तेज़ आ रही थी कि मुंह में घुमाने का मौका नहीं था. मैं बस उस महान अलौकिक अमृत को सटकता ही चला गया.
सुर्रर्रर्र सुर्रर्रर्र सुर्रर्रर्र सुर्रर्रर्र सुर्रर्रर्र सुर्रर्रर्र सुर्रर्रर्र सुर्रर्रर्र सुर्रर्रर्र सुर्रर्रर्र सुर्रर्रर्र सुर्रर्रर्र सुर्रर्रर्र सुर्रर्रर्र सुर्रर्रर्र सुर्रर्रर्र सुर्रर्रर्र सुर्रर्रर्र … यह आवाज़ सुन के लौड़ा और भी ज़ोरों से अकड़ गया. अण्डों में ढेर सा माल भर जाने से भारी भारी से लगने लगे. बदन में बिजलियाँ दौड़ने लगीं. मैं मस्त होकर बाली रानी का स्वर्ण अमृतपान किये जा रहा था. शायद रानी को काफी ज़ोर से लगी थी. मुझे यह बाद में रानी ने बताया कि चुदाई के बाद अक्सर लड़कियों को सुस्सू आने लगती है. कई बार तो चुदाई में जब लौंडिया झड़ती है तभी सुस्सू भी थोड़ी सी निकल जाती है, विशेषकर यदि चुदाई में चूत ज़ोर से स्खलित हुई हो.
रानी के स्वर्ण मद्य को पीकर मैं नशे में हो गया था. रानी ने फिर मुझसे अपनी जांघों पर छलक के लगी हुई अमृत की कुछ बूँदें चटवाई. यारों रानी की चिकनी मुलायम जांघ से अमृत को चाट के नशा और भी बढ़ गया. रानी के शरीर का ज़ायका कौनसा किसी तेज़ दारू से कम था. एक तो नशीले बदन की नशीली जांघें और ऊपर से उस पर लगी हुई नशीले अमृत की बूदें … आअह आआह बहनचोद क्या कहने !!!
तभी बाली रानी कूद के मेरे पास नीचे आ गई और लिपट के मेरे मुंह पर चुम्मियों की झड़ी लगा दी. मैं मस्ती में डूब के कराहा- आआह आह्हः आह्ह्ह्ह रानी, रानी, मेरी रानी, हाल बिगड़ा हुआ लंड का … कुछ कर जानू इसका इलाज. हाय मर जाऊंगा … आआह्ह आआह्ह!
रानी ने मेरे होंठ चूसते हुए फुसफुसाते हुए कहा- राजे, माँ के लौड़े … अभी देती हूँ तेरे संड मुसण्ड को इनाम … तूने अमृत पीकर अपनी रानी को बहुत खुश किया … अब से तू अपनी बाली रानी का गुलाम पिल्ला बन के रहेगा.
मैं छटपटाते हुए चिल्लाया- हाँ हाँ रानी मैं हूँ तेरा पालतू पिल्ला … अब प्लीज़ लंड का कुछ इलाज कर … कमीना मारे डाल रहा है … देख डार्लिंग टट्टे कैसे फूल गए हैं … हाय हाय हाय अब नहीं रुका जा रहा … प्लीज़ जल्दी कर ना.
रानी हंसी. बड़ी दिललुभावनी हंसी थी रानी की. यूँ लगता था कोई दूर कहीं हौले हौले से घंटियां बजा रहा हो. इन घंटियों की मधुर आवाज़ सुन कर मेरा घंटा भी तुनक तुनक के बजने लगा.
“तसल्ली रख कुत्ते … सब्र का फल मीठा होता है … अभी दिखाती हूँ तुझे जन्नत के जलवे.”
मैंने जवाब में सिर्फ एक लम्बी सी आह भरी.
रानी ने कहा- राजे, तू बेड पर चढ़ जा और सिरहाने से पीठ टिका के लेट जा. जो जो मैं तुझे इनाम दूँ उसको अच्छे से देखियो कमीने … तभी पूरा मज़ा मिलेगा.
मैंने वैसा ही किया.
रानी भी चढ़ गयी और लंड के पास एक साइड में बैठ कर लंड को प्यार से सहलाने लगी. साथ साथ लौड़े को पुचकारती भी जाती थी- हाय मेरे सण्ड मुसण्ड … कितना सख्त है तू … अब लूट अपनी मालकिन की चुसाई का मज़ा.
रानी ने सुपारी की खाल पूरी पीछे कर के सुपारी नंगी कर दी और झुक के सुपारी की कई चुम्मियाँ ले डालीं. रानी ने फिर सुपारी को मुंह में होंठों से ज़ोर से दबा लिया, अंदर से जीभ से टुकुर टुकुर करने लगी और उँगलियों से टट्टों को हौले हौले से दबाने लगी.
बाली रानी के गर्म, गीले मुंह में जाकर सुपारी में भीषण उत्तेजना छा रही थी. तेज़ मज़े के लहरें लंड में ऊपर नीचे भाग रही थीं. रानी का हसीं मुखड़ा भी उत्तेजना से लाल हो गया था. उसको लौड़ा चूसते हुए देख देख के बहुत आनंद आ रहा था.
“क्यों कुत्ते अच्छा है ना?” रानी ने धार रोक के पूछा.
“हाँ रानी मस्त है … बहुत ही मज़ेदार है … सारा पिला ना?” मैंने मचल कर गुहार लगाई.
फिर क्या था, रानी ने धारा पूरी तेज़ी से छोड़नी शुरू कर दी. मैं कोशिश कर रहा था कि अमृत को अच्छे से मुंह में घुमा कर पूरा ज़ायका लेकर निगलूं, परन्तु धारा इतनी तेज़ आ रही थी कि मुंह में घुमाने का मौका नहीं था. मैं बस उस महान अलौकिक अमृत को सटकता ही चला गया.
सुर्रर्रर्र सुर्रर्रर्र सुर्रर्रर्र सुर्रर्रर्र सुर्रर्रर्र सुर्रर्रर्र सुर्रर्रर्र सुर्रर्रर्र सुर्रर्रर्र सुर्रर्रर्र सुर्रर्रर्र सुर्रर्रर्र सुर्रर्रर्र सुर्रर्रर्र सुर्रर्रर्र सुर्रर्रर्र सुर्रर्रर्र सुर्रर्रर्र … यह आवाज़ सुन के लौड़ा और भी ज़ोरों से अकड़ गया. अण्डों में ढेर सा माल भर जाने से भारी भारी से लगने लगे. बदन में बिजलियाँ दौड़ने लगीं. मैं मस्त होकर बाली रानी का स्वर्ण अमृतपान किये जा रहा था. शायद रानी को काफी ज़ोर से लगी थी. मुझे यह बाद में रानी ने बताया कि चुदाई के बाद अक्सर लड़कियों को सुस्सू आने लगती है. कई बार तो चुदाई में जब लौंडिया झड़ती है तभी सुस्सू भी थोड़ी सी निकल जाती है, विशेषकर यदि चुदाई में चूत ज़ोर से स्खलित हुई हो.
रानी के स्वर्ण मद्य को पीकर मैं नशे में हो गया था. रानी ने फिर मुझसे अपनी जांघों पर छलक के लगी हुई अमृत की कुछ बूँदें चटवाई. यारों रानी की चिकनी मुलायम जांघ से अमृत को चाट के नशा और भी बढ़ गया. रानी के शरीर का ज़ायका कौनसा किसी तेज़ दारू से कम था. एक तो नशीले बदन की नशीली जांघें और ऊपर से उस पर लगी हुई नशीले अमृत की बूदें … आअह आआह बहनचोद क्या कहने !!!
तभी बाली रानी कूद के मेरे पास नीचे आ गई और लिपट के मेरे मुंह पर चुम्मियों की झड़ी लगा दी. मैं मस्ती में डूब के कराहा- आआह आह्हः आह्ह्ह्ह रानी, रानी, मेरी रानी, हाल बिगड़ा हुआ लंड का … कुछ कर जानू इसका इलाज. हाय मर जाऊंगा … आआह्ह आआह्ह!
रानी ने मेरे होंठ चूसते हुए फुसफुसाते हुए कहा- राजे, माँ के लौड़े … अभी देती हूँ तेरे संड मुसण्ड को इनाम … तूने अमृत पीकर अपनी रानी को बहुत खुश किया … अब से तू अपनी बाली रानी का गुलाम पिल्ला बन के रहेगा.
मैं छटपटाते हुए चिल्लाया- हाँ हाँ रानी मैं हूँ तेरा पालतू पिल्ला … अब प्लीज़ लंड का कुछ इलाज कर … कमीना मारे डाल रहा है … देख डार्लिंग टट्टे कैसे फूल गए हैं … हाय हाय हाय अब नहीं रुका जा रहा … प्लीज़ जल्दी कर ना.
रानी हंसी. बड़ी दिललुभावनी हंसी थी रानी की. यूँ लगता था कोई दूर कहीं हौले हौले से घंटियां बजा रहा हो. इन घंटियों की मधुर आवाज़ सुन कर मेरा घंटा भी तुनक तुनक के बजने लगा.
“तसल्ली रख कुत्ते … सब्र का फल मीठा होता है … अभी दिखाती हूँ तुझे जन्नत के जलवे.”
मैंने जवाब में सिर्फ एक लम्बी सी आह भरी.
रानी ने कहा- राजे, तू बेड पर चढ़ जा और सिरहाने से पीठ टिका के लेट जा. जो जो मैं तुझे इनाम दूँ उसको अच्छे से देखियो कमीने … तभी पूरा मज़ा मिलेगा.
मैंने वैसा ही किया.
रानी भी चढ़ गयी और लंड के पास एक साइड में बैठ कर लंड को प्यार से सहलाने लगी. साथ साथ लौड़े को पुचकारती भी जाती थी- हाय मेरे सण्ड मुसण्ड … कितना सख्त है तू … अब लूट अपनी मालकिन की चुसाई का मज़ा.
रानी ने सुपारी की खाल पूरी पीछे कर के सुपारी नंगी कर दी और झुक के सुपारी की कई चुम्मियाँ ले डालीं. रानी ने फिर सुपारी को मुंह में होंठों से ज़ोर से दबा लिया, अंदर से जीभ से टुकुर टुकुर करने लगी और उँगलियों से टट्टों को हौले हौले से दबाने लगी.
बाली रानी के गर्म, गीले मुंह में जाकर सुपारी में भीषण उत्तेजना छा रही थी. तेज़ मज़े के लहरें लंड में ऊपर नीचे भाग रही थीं. रानी का हसीं मुखड़ा भी उत्तेजना से लाल हो गया था. उसको लौड़ा चूसते हुए देख देख के बहुत आनंद आ रहा था.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
