23-05-2022, 02:07 PM
भी मेरे अण्डों में मुझे ऐसा लगा कि कोई विस्फोट हुआ हो और धड़ाम … धड़ाम … धड़ाम … लंड से लावा तेज़ पिचकारी जैसे रानी की चूत में छूटा. मेरे मुंह से आह के पीछे आह के पीछे आह निकली और लौड़े से वीर्य का ढेर झड़ता हुआ रानी की चूत में चला गया.
लंड का मसाला भल्ल भल्ल करके झड़े जा रहा था और रानी की चूत लप लप करती हुई सब का सब पिए जा रही थी. रानी मस्ती में आकर किलकारियां भरने लगी. मैंने रानी के चूतड़ भींच के एक ज़ोरदार धक्का लगाया तो बचा हुआ माल भी झड़ गया.
रानी ने मुझे प्यार से कई बार चूमा और फिर मूर्छित सी होकर मेरे ऊपर ढेर हो गयी. बाली रानी का मुंह मेरी छाती पर था और वो बदहवास मुझ पर पड़ी थी. हम दोनों तेज़ तेज़ साँसें ले रहे थे. रानी और मेरे दोनों के बदन से पसीना छूटने लगा था.
हम दोनों काफी समय तक यूँ ही पड़े रहे. सुस्ताते रहे. फिर जब रानी के होश हवास दुरुस्त हुए तो वो मेरा मुंह चूम के धीमी आवाज़ में बोली- राजे, प्यार में चुदाई के बाद एक दूसरे को जीभ से चाट के सफाई करनी होती है. ऐसा करने से आपस में प्यार कई गुना बढ़ता है. हम भी एक दूसरे को साफ़ करके प्यार को बढ़ाएंगे.
इतना बोल के रानी सरक के मेरे लंड के पास मुंह ले आयी और अपनी चूत मेरे तरफ कर ली. रानी ने लौड़े को चाटना शुरू किया. नीचे से ऊपर तक जीभ लगा कर कुतिया जैसे चाटने लगी. रानी के कहे अनुसार मैंने भी जीभ निकाली और रानी की चूत के आस पास चाटना शुरू किया. लंड की सफेदी और चूत रस का मिला जुला स्वाद आने लगा. यह एक अनोखा ही ज़ायका था जिसमें लौड़े की मलाई और चूत के रस दोनों मिश्रित थे. बहुत मज़ा आ रहा था इसलिए मैं हुमक हुमक के चाटने लगा. कुछ ही देर में मैंने रानी का चूत प्रदेश, झांटें इत्यादि सब साफ कर दी थी. उधर रानी ने भी लौड़ा अच्छे से साफ़ कर दिया था. इतना ही नहीं, रानी ने लंड की नसें दबा दबा के बची खुची वीर्य की बूँदें भी निकल ली थी और उनको भी चाट गयी थी.
गड़बड़ यह हुई कि रानी की गर्म गीली जीभ द्वारा चाटे जाने से लंड फिर से अकड़ गया. रानी ने लौड़े को एक थपकी लगायी और हँसते हुए बोली- ये लो … ये मछँदर तो फिर से तैयार हो गया राजे … माँ के लौड़े तेरा लंड बड़ा मादरचोद है … अभी अभी चूत की खबर लेकर आया है और अभी फिर खड़ा हो गया … चिंता न करिये लंड महाराज जी … अपने अपनी माशूका चूत को बहुत आनंद दिया इसलिए चूत की मालकिन आपको एक ऐसा इनाम देगी कि आप भी याद रखेंगे … बोलो लंड देव की जय … .जय लंड देव … जय जय जय लंड देव जी … आप महान हैं … मगर पहले राजे तुझे स्वर्ण अमृत पिला दूँ फिर इस मुसण्ड को इनाम दूंगी.
अब यह स्वर्ण अमृत क्या होता है? यह तो एक नयी बात सामने आ गयी. खैर आज का दिन तो था ही नयी नयी बातें सीखने का. मैंने पूछ ही लिया- रानी स्वर्ण अमृत किसको कहते हैं? … मुझे नहीं मालूम … तू प्लीज़ बता ना?
“ध्यान से सुन राजे … लड़की का शरीर से 5 तरह के अमृत निकलते हैं … पहला मुखामृत … उसका स्वाद तू चख चुका है … जब चुम्बन लेते हुए लड़की के मुंह का रस लड़के के मुंह में जाता है वह मुखामृत कहलाता है … दूसरा चूतामृत … उसका स्वाद भी तू ले चुका है … जैसा की नाम से ज़ाहिर है यह चूत से बहने वाला रस होता है … तीसरा होता है स्वर्ण अमृत … यह लड़की की सुस्सू को कहते हैं … इसको पीकर लड़के धन्य हो जाते हैं … यह तीन अमृत किसी भी समय पिए जा सकते हैं … वैसे स्वर्णामृत सबसे अधिक स्वादिष्ट होता है सुबह सुबह का पहला वाला … बाकी के दो अमृत कभी कभी ही पीने को मिलते हैं … .तो सुन ले मेरे कुत्ते अमृत नंबर चार है रक्तामृत … यह सत्ताईस अट्ठाईस दिन में पांच दिन के लिए ही मिलता है … जब लड़की को माहवारी या मासिक धर्म होता है उस समय जो चूत से रक्त निकलता है वो रक्तामृत कहाता है … अंत में अमृत नंबर पांच है दुग्धामृत … जब लड़की माँ बनती है तो चूचियों में दूध बनता है जिसे दुग्धामृत कहते हैं … या पांचों अमृत लड़को की सेहत के लिए खासकर उनकी चुदाई की सेहत के लिए बहुत लाभकारी तो होते ही हैं, इनके पीने से लड़की के साथ प्रेम अनगिनत गुना बढ़ जाता है … चल अब नीचे बैठ जा घुटनों के बल और स्वर्णामृत का लुत्फ़ उठा … बाकि के दो अमृत जब जब समय आएगा तुझे पिला दूंगी.”
लंड का मसाला भल्ल भल्ल करके झड़े जा रहा था और रानी की चूत लप लप करती हुई सब का सब पिए जा रही थी. रानी मस्ती में आकर किलकारियां भरने लगी. मैंने रानी के चूतड़ भींच के एक ज़ोरदार धक्का लगाया तो बचा हुआ माल भी झड़ गया.
रानी ने मुझे प्यार से कई बार चूमा और फिर मूर्छित सी होकर मेरे ऊपर ढेर हो गयी. बाली रानी का मुंह मेरी छाती पर था और वो बदहवास मुझ पर पड़ी थी. हम दोनों तेज़ तेज़ साँसें ले रहे थे. रानी और मेरे दोनों के बदन से पसीना छूटने लगा था.
हम दोनों काफी समय तक यूँ ही पड़े रहे. सुस्ताते रहे. फिर जब रानी के होश हवास दुरुस्त हुए तो वो मेरा मुंह चूम के धीमी आवाज़ में बोली- राजे, प्यार में चुदाई के बाद एक दूसरे को जीभ से चाट के सफाई करनी होती है. ऐसा करने से आपस में प्यार कई गुना बढ़ता है. हम भी एक दूसरे को साफ़ करके प्यार को बढ़ाएंगे.
इतना बोल के रानी सरक के मेरे लंड के पास मुंह ले आयी और अपनी चूत मेरे तरफ कर ली. रानी ने लौड़े को चाटना शुरू किया. नीचे से ऊपर तक जीभ लगा कर कुतिया जैसे चाटने लगी. रानी के कहे अनुसार मैंने भी जीभ निकाली और रानी की चूत के आस पास चाटना शुरू किया. लंड की सफेदी और चूत रस का मिला जुला स्वाद आने लगा. यह एक अनोखा ही ज़ायका था जिसमें लौड़े की मलाई और चूत के रस दोनों मिश्रित थे. बहुत मज़ा आ रहा था इसलिए मैं हुमक हुमक के चाटने लगा. कुछ ही देर में मैंने रानी का चूत प्रदेश, झांटें इत्यादि सब साफ कर दी थी. उधर रानी ने भी लौड़ा अच्छे से साफ़ कर दिया था. इतना ही नहीं, रानी ने लंड की नसें दबा दबा के बची खुची वीर्य की बूँदें भी निकल ली थी और उनको भी चाट गयी थी.
गड़बड़ यह हुई कि रानी की गर्म गीली जीभ द्वारा चाटे जाने से लंड फिर से अकड़ गया. रानी ने लौड़े को एक थपकी लगायी और हँसते हुए बोली- ये लो … ये मछँदर तो फिर से तैयार हो गया राजे … माँ के लौड़े तेरा लंड बड़ा मादरचोद है … अभी अभी चूत की खबर लेकर आया है और अभी फिर खड़ा हो गया … चिंता न करिये लंड महाराज जी … अपने अपनी माशूका चूत को बहुत आनंद दिया इसलिए चूत की मालकिन आपको एक ऐसा इनाम देगी कि आप भी याद रखेंगे … बोलो लंड देव की जय … .जय लंड देव … जय जय जय लंड देव जी … आप महान हैं … मगर पहले राजे तुझे स्वर्ण अमृत पिला दूँ फिर इस मुसण्ड को इनाम दूंगी.
अब यह स्वर्ण अमृत क्या होता है? यह तो एक नयी बात सामने आ गयी. खैर आज का दिन तो था ही नयी नयी बातें सीखने का. मैंने पूछ ही लिया- रानी स्वर्ण अमृत किसको कहते हैं? … मुझे नहीं मालूम … तू प्लीज़ बता ना?
“ध्यान से सुन राजे … लड़की का शरीर से 5 तरह के अमृत निकलते हैं … पहला मुखामृत … उसका स्वाद तू चख चुका है … जब चुम्बन लेते हुए लड़की के मुंह का रस लड़के के मुंह में जाता है वह मुखामृत कहलाता है … दूसरा चूतामृत … उसका स्वाद भी तू ले चुका है … जैसा की नाम से ज़ाहिर है यह चूत से बहने वाला रस होता है … तीसरा होता है स्वर्ण अमृत … यह लड़की की सुस्सू को कहते हैं … इसको पीकर लड़के धन्य हो जाते हैं … यह तीन अमृत किसी भी समय पिए जा सकते हैं … वैसे स्वर्णामृत सबसे अधिक स्वादिष्ट होता है सुबह सुबह का पहला वाला … बाकी के दो अमृत कभी कभी ही पीने को मिलते हैं … .तो सुन ले मेरे कुत्ते अमृत नंबर चार है रक्तामृत … यह सत्ताईस अट्ठाईस दिन में पांच दिन के लिए ही मिलता है … जब लड़की को माहवारी या मासिक धर्म होता है उस समय जो चूत से रक्त निकलता है वो रक्तामृत कहाता है … अंत में अमृत नंबर पांच है दुग्धामृत … जब लड़की माँ बनती है तो चूचियों में दूध बनता है जिसे दुग्धामृत कहते हैं … या पांचों अमृत लड़को की सेहत के लिए खासकर उनकी चुदाई की सेहत के लिए बहुत लाभकारी तो होते ही हैं, इनके पीने से लड़की के साथ प्रेम अनगिनत गुना बढ़ जाता है … चल अब नीचे बैठ जा घुटनों के बल और स्वर्णामृत का लुत्फ़ उठा … बाकि के दो अमृत जब जब समय आएगा तुझे पिला दूंगी.”
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
