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Adultery कामवासना की तृप्ति- एक शिक्षिका की
#20
रानी ने अब हाथ मेरी छाती पर जमा के उछल उछल के धक्के लगाने शुरू कर दिए थे. वो बहुत उत्तेजित हो गयी थी. मुंह लाल हो गया था, माथे पर पसीने की छोटी छोटी बूंदें उभर आयी थी. साँसें तेज़ हो चली थीं. हर धक्का फचक फचक फचक की आवाज़ से कमरे को गुंजा देता. जैसे ही लौड़ा बाहर को आता, ढेर सा चूतरस भी छलक के निकलता. मेरी निगाहें रानी के चूचुक पर जमी हुई थी. रानी धक्का ठोकती तो चूचे भी इधर उधर, ऊपर नीचे, दाएं बाएं थिरकते. बड़ा ही मनमोहक नाच था रानी के उरोजों का. निप्पल अकड़ के सुकड़ गए थे, जैसे किसी रस्सी पर कस के गाँठ लगा दी गयी हो.

मेरी उत्तेजना भी बड़ी तेज़ी से बढ़ी जा रही थी. बदन में एक ज्वाला ऊपर से नीचे भड़क उठी थी. लौड़े के अंदर और अण्डों में एक तीव्र सनसनाहट होने लगी थी. रानी धक्के पे धक्के, धक्के पे धक्के मारे जा रही थी, आआह आआह आआह आआह. फचक फचक फचक. चुदाई की मदभरी ध्वनियाँ वातावरण को अनेकों गुणा कामुक बनाये जा रही थी.
बाली रानी विचलित होकर मेरे ऊपर लेट गयी. उसके चूचियों की निप्पल मेरी छाती में चुभने लगीं. रानी के मुंह से अजीब अजीब भैं भैं भैं की आवाज़ें आने लगीं. मुंह से लार टपक के मेरे सीने पर गिरने लगी. रानी की धौंकनी की तरह चलती तेज़ तेज़ साँसें मेरे मुंह पर आने लगीं.
रानी चिल्लाने लगी- राजे … बहन के लौड़े, साले तेरी माँ की चूत … आह उम्म्ह… अहह… हय… याह… मादरचोद चोदू राम … ले भोसड़ी के … फिर चार पांच ज़ोरदार धक्के … और ले माँ के लौड़े राजे … फिर कुछ तगड़े धक्के … .भैं भैं भैं.
रानी ने धक्कों की रफ़्तार बहुत तेज़ कर दी. धकाधक धकाधक धकाधक … फचक फचक फचक … रानी अब राजधानी एक्सप्रेस की गति से धक्के ठोक रही थी.
हर धक्के पर रानी के निप्पल मेरी छाती में रगड़ रगड़ के मेरी उत्तेजना की आग में घी डालने का काम कर रहे थे. मेरी बांहों ने रानी की कमर को स्वतः ही लपेट लिया था. मेरे हाथ उसकी चिकनी कमरिया और गोल गोल रेशमी चूतड़ों पर घूम रहे थे. रानी के मुंह से लार टपक टपक कर मेरी ठुड्डी पर गिरने लगी थी. रानी इस समय चुदास के शवाब पर थी, धक्के दनादन लगाए जा रही थी. चूतड़ उछाल के लंड को सुपारी तक बाहर निकलती और फिर धम्म से झटका मार के पूरा लंड चूत में लील जाती. अब उसके मुंह से गालियां तक नहीं निकल रही थीं. उसको ज़ोर की हाँफनी चढ़ गयी थी. हर सांस के छूटने पर भैंऽऽऽ की आवाज़ निकालती. मैं भी रानी की छोड़ी हुई सांस में सांस ले रहा था. मदमस्त कर देने वाली साँसें थीं बाली रानी की.
अचानक से रानी ने ज़ोर की किलकारी मारी- ईईईई ईईईई ईईई … अईईई ईईईईई … .ईईईईईईई की ऊँची चिल्लाहट से रानी एकदम से मचली, छटपटाई और फिर शांत पड़ गयी जैसे शरीर से दम निकल गया हो.
उस समय यह क्या हुआ मुझे कुछ समझ नहीं आया. पहली बार किसी लड़की से संपर्क हुआ था न. इसका मुझे रानी ने बाद में बताया कि जैसे लड़के झड़ते हैं वैसे लड़कियां भी झड़ती हैं. जब लौंडिया स्खलित होती है तो उसके हाथ पैर ठन्डे हो जाते और बदन मूर्छित जैसा हो जाता है.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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RE: कामवासना की तृप्ति- एक शिक्षिका की - by neerathemall - 23-05-2022, 02:06 PM



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