23-05-2022, 02:05 PM
अब तक मैं भूल चुका था कि बाली मैडम मेरी टीचर हैं. अब तो वह सिर्फ बाली रानी थी, एक लौंडिया और मैं सिर्फ राजे था, बाली रानी का दीवाना.
“क्यों राजे आया न मज़ा? यह ले और चाट.” यह कहकर बाली रानी ने अपनी उंगलियां, जो उसने चूत में लगा कर रस से गीली कर ली थीं, मेरे मुंह से चिपका दीं. मैंने तुरत ही जीभ निकाल के चाटना शुरू कर दिया. यारो, अभी तक तो मैं खुद की उँगलियों से चाटे गए रस के सुरूर से उभरा भी नहीं था कि एक और सुरूर जीभ को मिल गया. यह तो डबल सुरूर था, एक तो रानी की बहती हुई चूत का रस और दूसरी उसकी उंगलियां. खूब चाटा, चाट चाट के बौरा गया और लौड़ा तो किसी मस्त हिरण की भांति कुलांचें भर भर के बार बार पेट में टक्कर मारने लगा.
रानी ने मुझे धक्का देकर दीवान पर गिरा दिया और चिल्लाई- राजे … माँ के लौड़े, अब देख मेरी चूत कैसे इस खम्बे को लील जायगी … थोड़ा उचक हरामखोर … देख ज़िन्दगी की पहली चूत में तेरा डंडा कैसे घुसता है.
झट से रानी ने अपनी चूत को लौड़े के ऊपर जमाया और बैठती चली गयी. रस से लबालब भरी हुई बुर में लंड फिसलता हुआ पूरा घुस गया, केवल अंडे बाहर रह गए. चूत की गर्मी, चूत के रसीलेपन और कसी जकड़ से लंड मज़े से पगला उठा. लंड घुसने के कारण ढेर सारे पिच्च करके छलके रस ने हम दोनों की झांटें भिगो डालीं. मेरे मुंह से आनंद की एक लम्बी सी आह निकली. कुहनियों पर उचके हुए मैंने लंड के बुर में घुसने का मदमस्त कर देने वाला दृश्य भी देखा. मेरी उत्तेजना पराकाष्ठा पर पहुँचने वाली हो गयी थी.
“राजे, कुछ देर गहरी गहरी सांसे ले कुत्ते … नहीं तो झड़ जायगा … हाँ ऐसे ही … और ले इसी तरह गहरी सांस.” रानी लौड़ा चूत में लिए बिल्कुल बिना हिले डुले मुझे हिदायतें दे रही थी. वैसे तो कुछ ही देर पहले वो मुझे एक बार झाड़ चुकी थी. और शायद इसी लिए कि चुदाई करते हुए मैं जल्दी ना झड़ जाऊँ.
मैंने गहरी गहरी साँसें लेकर कुछ ही पलों में अपनी उत्तेजना पर काबू पा लिया. बाली रानी काम क्रिया में बहुत सिद्धहस्त थी, ताड़ गयी कि कब मेरा नियंत्रण हो गया, और तभी उसने अपनी कमर को गोल गोल घुमाना शुरू किया. गोल गोल गोल गोल, एक बार क्लॉकवाइज (घड़ी की चाल के अनुसार), फिर एंटी क्लॉकवाइज (घड़ी की चाल के विपरीत)घुमाने लगी.
लौड़े की सुपारी पर बच्चेदानी का मुंह टिका हुआ था और उसको दबा रहा था, चूत जब घूमती तो लौड़े को ऐसा लगता कि कोई उसको एक मथनी के तरह घुमा रहा है. लंड हर तरफ से चूत में फंसा हुआ था और चूत के रसभरे दबाब से आनंदमग्न था. वास्तव में देखा जाए तो लंड बाली रानी की बुर को मथ ही तो रहा था. रस से लबालब भरी हुई चूत में जड़ तक घुसा हुआ लंड खूब मज़े पा रहा था.
“क्यों राजे आया न मज़ा? यह ले और चाट.” यह कहकर बाली रानी ने अपनी उंगलियां, जो उसने चूत में लगा कर रस से गीली कर ली थीं, मेरे मुंह से चिपका दीं. मैंने तुरत ही जीभ निकाल के चाटना शुरू कर दिया. यारो, अभी तक तो मैं खुद की उँगलियों से चाटे गए रस के सुरूर से उभरा भी नहीं था कि एक और सुरूर जीभ को मिल गया. यह तो डबल सुरूर था, एक तो रानी की बहती हुई चूत का रस और दूसरी उसकी उंगलियां. खूब चाटा, चाट चाट के बौरा गया और लौड़ा तो किसी मस्त हिरण की भांति कुलांचें भर भर के बार बार पेट में टक्कर मारने लगा.
रानी ने मुझे धक्का देकर दीवान पर गिरा दिया और चिल्लाई- राजे … माँ के लौड़े, अब देख मेरी चूत कैसे इस खम्बे को लील जायगी … थोड़ा उचक हरामखोर … देख ज़िन्दगी की पहली चूत में तेरा डंडा कैसे घुसता है.
झट से रानी ने अपनी चूत को लौड़े के ऊपर जमाया और बैठती चली गयी. रस से लबालब भरी हुई बुर में लंड फिसलता हुआ पूरा घुस गया, केवल अंडे बाहर रह गए. चूत की गर्मी, चूत के रसीलेपन और कसी जकड़ से लंड मज़े से पगला उठा. लंड घुसने के कारण ढेर सारे पिच्च करके छलके रस ने हम दोनों की झांटें भिगो डालीं. मेरे मुंह से आनंद की एक लम्बी सी आह निकली. कुहनियों पर उचके हुए मैंने लंड के बुर में घुसने का मदमस्त कर देने वाला दृश्य भी देखा. मेरी उत्तेजना पराकाष्ठा पर पहुँचने वाली हो गयी थी.
“राजे, कुछ देर गहरी गहरी सांसे ले कुत्ते … नहीं तो झड़ जायगा … हाँ ऐसे ही … और ले इसी तरह गहरी सांस.” रानी लौड़ा चूत में लिए बिल्कुल बिना हिले डुले मुझे हिदायतें दे रही थी. वैसे तो कुछ ही देर पहले वो मुझे एक बार झाड़ चुकी थी. और शायद इसी लिए कि चुदाई करते हुए मैं जल्दी ना झड़ जाऊँ.
मैंने गहरी गहरी साँसें लेकर कुछ ही पलों में अपनी उत्तेजना पर काबू पा लिया. बाली रानी काम क्रिया में बहुत सिद्धहस्त थी, ताड़ गयी कि कब मेरा नियंत्रण हो गया, और तभी उसने अपनी कमर को गोल गोल घुमाना शुरू किया. गोल गोल गोल गोल, एक बार क्लॉकवाइज (घड़ी की चाल के अनुसार), फिर एंटी क्लॉकवाइज (घड़ी की चाल के विपरीत)घुमाने लगी.
लौड़े की सुपारी पर बच्चेदानी का मुंह टिका हुआ था और उसको दबा रहा था, चूत जब घूमती तो लौड़े को ऐसा लगता कि कोई उसको एक मथनी के तरह घुमा रहा है. लंड हर तरफ से चूत में फंसा हुआ था और चूत के रसभरे दबाब से आनंदमग्न था. वास्तव में देखा जाए तो लंड बाली रानी की बुर को मथ ही तो रहा था. रस से लबालब भरी हुई चूत में जड़ तक घुसा हुआ लंड खूब मज़े पा रहा था.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.