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Adultery कामवासना की तृप्ति- एक शिक्षिका की
#18
इससे पहले कि मैं मर्दों के दुश्मन उस मादक बदन को अच्छे से निहार पाता, मैडम ने लंड को अपने नाज़ुक मुलायम हाथ में ले लिया था- अरे वाह राजे! तेरा लौड़ा तो काफी बड़ा है. सात इंच से ज़्यादा ही होगा … शायद साढ़े सात भी हो … मोटा भी बहुत है … आह मज़ा आ गया तेरे लंड को देख कर!

मैडम ने लंड पर हौले हौले से हाथ फेरना शुरू कर दिया. दूसरे हाथ से अंडकोष सहलाने लगीं.
लड़की का दिया हुआ पहला चुम्बन और फिर उसके हाथ से लंड पर पहला स्पर्श! मेरा दिल सरपट दौड़ने लगा. बदन गर्म हो गया. और जैसे ही मैडम ने सुपारी की खाल पीछे कर के सुपारी पर उंगली फिराई तो मेरी उत्तेजना का भरा हुआ गुब्बारा फूट गया. ढेर सारा लावा बंदूक से निकली गोली की रफ़्तार से लौड़े से छूटा. लंड के अचानक उछलने से मैडम का हाथ भी छूट गया. तुनक तुनक कर लौड़े ने आठ दस लावा के मोटे मोठे थक्के दागे. कुछ मैडम के बालों पर गिरा, तो कुछ लौंदे उनके गाल पर और कुछ ने उनके गले और चूचुक के ऊपरी भाग पर ठिकाना लिया.
मैडम ने तुरंत ही लंड को पकड़ के उसकी उछल कूद काबू में कर ली और दूसरा हाथ लंड के सामने फैला कर दनादन झड़ते हुए मसाले को हथेली पर आने दिया. थोड़ी देर में जब लंड खाली हो गया तो मैडम ने हथेली पर इकट्ठे लावा को चाट लिया. और चाटा भी खूब चटखारे लेते हुए. हथेली को साफ करके मैडम ने बाकि सब जगह पर पड़े हुए मक्खन को उंगलियों से समेटा और उसको भी मुंह में लेकर चाट लिया.
मेरा वीर्य चाटते हुए सारा समय मैडम मेरी आँखों में आँखें डाले मुझे देखती रहीं. फिर उन्होंने मुरझाए हुए लंड का दबा दबा के तीन चार बूंदें और निकालीं. जिनको मेरे मुंह में देकर धीरे से बोलीं- ले राजे तू अपने माल का स्वाद चख … अच्छे से चूस ले उंगली.
मैंने मैडम की उंगली चूसनी शुरू कर दी. अपने माल का तो खैर जो स्वाद था वो था ही लेकिन मुझे तो मैडम की उंगली के स्वाद ने पागल कर दिया था. जी करता था कि बस सारा जीवन इस मदमस्त कर देने वाली उंगली को चूसते चूसते ही बिता दूँ. लेकिन ऐसा हुआ नहीं क्यूंकि थोड़ी देर के बाद मैडम ने उंगली खींच ली. दिल मार के मैंने उंगली को निकल जाने दिया.
उंगली आज़ाद होते ही मैडम ने मेरी पैंट खोल के नीचे घसीट कर टखनों तक कर दी. उसके बाद उन्होंने मेरे जूते मोज़े उतार कर पैंट निकाल भी के एक साइड में डाल दी. यह सब कार्य मैडम ने ऐसी फुर्ती से किया जिससे पता चलता था कि मैडम इसमें सिद्धहस्त हैं.
“अब मैं राजे तुझे नंगा करुँगी … लेकिन पहले एक बात सुन ध्यान से!”
मैंने कहा- कहिये मैडम जी … मैं सुनूंगा ध्यान से.
“गुड … वैरी गुड राजे … देख मैंने तेरा वीर्य पी लिया है इसलिए अब तू मुझे मैडम जी न बोला कर … अब से तू मुझे बाली रानी कहा करेगा … अब से मैं तेरी रानी और तू मेरा गुलाम राजा … आयी समझ मादरचोद.”
यूँ तो मैडम या किसी भी लड़की के मुंह से मादरचोद सुन के मैं आश्चर्यचकित हो जाता, लेकिन अब तक के घटनाक्रम से अचंभित होने का मेरा कोटा पूरा हो चुका था. यह बाली मैडम कोई अनोखी आइटम हैं, यह मैं जान चुका था.
मैंने धीमी सी आवाज़ में कहा- ठीक है मैडम बाली रानी जी.
“बुद्धू राम!” मैडम की हंसी से भरी आवाज़ मेरे कानों में पड़ी- मैडम बाली रानी जी नहीं सिर्फ बाली रानी … लगता है कि जब लंड झड़ा तो तेरी अकल भी झड़ गई … बाहें ऊपर कर … शर्ट उतारनी है.
“हाँ समझ गया बाली रानी.” मैंने बाहें ऊपर की तो मैडम ने पहले मेरी शर्ट फिर बनियान उतार दी. अब मैं पूरा नंगा था.
बाली रानी ने मेरे जिस्म पर नीचे से ऊपर तक हाथ फेरा. मेरी मांसपेशियां दबाकर बदन की मज़बूती जांचनी चाही- राजे, बड़ा सख्त और कड़ा बदन है तेरा … मज़ा आएगा तेरी तगड़ी बाज़ुओं में जब भिंचूंगी. तेरा लौड़ा भी तगड़ा, तेरी बॉडी भी तगड़ी … अब मुझे भी तो नंगी कर … क्या किसी पंडित से मुहूर्त निकलवा के मेरे कपड़े उतारेगा मूरख चंद?
मैंने हड़बड़ाते हुए बड़ी मुश्किल से बाली रानी की नाईटी को उतारा. मैंने कौनसा पहले किसी लौंडिया की नाईटी क्या किसी भी कपड़े को उतारा था. इसलिए न अनुभव था और न ही प्रैक्टिस. खैर, अल्ला अल्ला खैर सल्ला … आखिरकार मैं उस नाईटी को उतारने में सफल हो गया तो मेरी निगाह उस अलौकिक, इंद्रलोक की अप्सराओं को चुनौती देने वाले शरीर पर अटक गयी.
मैं एकटक बाली रानी को घूरने लगा. शायद पलक भी झपकना भूल गया था. संगमरमर की मूर्ति समान सौंदर्य से भरपूर शरीर ऐसा था जो सन्यासियों को भी बलात्कारी बना डाले. जिसपर एक दृष्टि डाल दें तो देवता भी राक्षस जैसे हो जाएँ.
तभी बाली रानी ने कामुक अदाएं दिखाते हुए कभी बाज़ू ऊपर उठा कर, तो कभी साइड में फैला कर घूम घूम के मुझे अपना बदन अच्छे से दिखाना शुरू कर दिया. कभी थोड़ी दूर चली जाती, तो कभी बिल्कुल करीब आकर मेरी आँखों में आँखें डाल कर नितम्ब लचकाती या कमर मटकाती.
मैं मंत्रमुंग्ध सा कुदरत के इस करिश्मे को ताकता रहा. मेरी समझ में नहीं आ रहा था कि निगाह कहाँ केंद्रित करूँ. हुस्न के लाजवाब चेहरे को तो अच्छे से देख ही चुका था. कभी पिंडारी के ग्लेशियर जैसी उन्नत चूचियों पर नज़र जमाता तो कभी रानी के सुडौल पेट, कमर और चिकनी चिकनी टांगों पर आँखें गड़ाता. बहनचोद ऐसी चिकनी काया थी कि नज़र टिकती ही नहीं थी. खूब बड़ी बड़ी गोल गोल चूचियां, हल्के से भूरे रंग के नुकीले निप्पल और थोड़े गहरे भूरे निप्पल के दायरे. झांट प्रदेश पर हल्की सी झांटों का गलीचा. सुन्दर, त्रुटिहीन टाँगें और बेहद खूबसूरत पिंडलियाँ. पैरों में अभी भी स्लिपर थे इसलिए पांव नहीं दिख रहे थे. लौड़ा इस बेपनाह कामोत्तेजना की ज़्यादा देर तक ताब न ला सका और खड़ा हो गया. टट्टे माल से भरपूर होकर फूल गए थे.
तभी रानी मेरे बिल्कुल नज़दीक आ गयी और मेरा हाथ पकड़ के चूत के मुंह से लगा दिया. जैसे ही जीवन में पहली बार किसी चूत को छुआ, शरीर एक तेज़ बिजली की तरंग का प्रवाह हुआ. उंगलियां चूत के रस से तरबतर हो गयीं. चूत से रस का प्रवाह खूब हो रहा था. चूत के इर्द गिर्द का शरीर रस से भीगा हुआ था.
यारो, आप खुद ही सोचिये. जवानी में क़दम रखता हुआ एक लड़का, जिसने सिर्फ चूत का नाम ही सुना हो, जिसके यार दोस्तों ने भी कभी चूत के दर्शन न किये हों, उसके हाथ अगर चूत के जूस से तरबतर हो जाएँ तो उसका क्या हाल हुआ होगा. मुझे तो यह मालूम भी नहीं था कि चूत से जूस भी निकलता है.
“राजे मेरे कुत्ते, अब उंगलियां चाट जल्दी से … कमीने, ले मज़ा इस बुर के रस का … पीकर दीवाना न हो गया तो कहना.” बाली रानी की आवाज़ जैसे कहीं दूर से मेरे कानों में पड़ी.
मैंने रानी के कहे अनुसार उंगलियां चाट ली. आआ आआआह हहह हहह … सच में इससे ज़्यादा नशा चढ़ाने वाला कोई भी और द्रव हो ही नहीं सकता. जीवन में उस दिन पहली बार एक हसीना की चूत का रस चाटने के मौका मिला … आआआआ आहहहह हहह!
उस समय की मेरी जो मनोदशा थी वह बयान करने के लिए मेरे पास शब्द नहीं है. पहले ही रानी के मस्त बदन का भिन्न भिन्न अदाओं के साथ नज़ारा मेरी कामोत्तेजना को बेहद बढ़ा चुका था, और ऊपर से यह चूत का मादक रस चाट के मेरा दिमाग न जाने कौन से आसमान में पहुँच गया था.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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RE: कामवासना की तृप्ति- एक शिक्षिका की - by neerathemall - 23-05-2022, 02:04 PM



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