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Adultery कामवासना की तृप्ति- एक शिक्षिका की
#8
मैंने भी उनके सिर को अपने सीने में दबा लिया और उनके बालों में हाथ से सहलाने लगी. उनका एक हाथ नीचे से मेरी मैक्सी में घुस कर मेरी जांघों को सहलाता हुआ मेरी चूत को टटोलता हुआ मेरी पैंटी तक आ पहुंचा था.

जल्दी ही उनकी उंगलियां पैंटी के ऊपर से ही मेरी चूत को छेड़ने लगीं. मैं भी एक्टिव मोड में आ गयी और उनकी जांघों की ओर घूम कर अपने होंठों को उनकी जांघों के बीच में तन चुके लंड पर रख दिया.
उनका लंड पूरे जोश में आ चुका था. मैं भी कई दिन से उनके लंड को अपने होंठों से छूने का इंतजार कर रही थी लेकिन अपनी चूत को सहला कर ही सांत्वना दे रही थी. अब वो पल जब मेरे करीब था तो मैंने भी जोश में आकर ज्ञान के लंड पर अपने होंठों को फिराना शुरू कर दिया.
ज्ञान का लंड मेरे होंठों के छूने से और ज्यादा कड़ा होता चला गया. मैंने उनकी पैंट की जिप को खोल कर अंदर हाथ दिया और उनके लंड को पकड़ लिया. आह्ह … उस हैंडसम जवान मर्द का लंड बहुत ही गर्म था. इतने सालों के बाद मुझे ऐसा लंड छूने का मौका मिला था.
मैंने उनकी पैंट को ऊपर से खोल दिया और नीचे खींचने की कोशिश की. इसी बीच उन्होंने मेरी मैक्सी को ऊपर करके मेरी पैंटी को खींच दिया और मेरी गांड को नंगी करके दबाने लगे.
उनके हाथ मेरी चूत को सहलाने लगी. मैं मदहोश सी होने लगी. मेरा मन उस पराये मर्द का लंड चूसने के लिए कर रहा था. ज्ञान ने मुझे उठाया और मेरी मैक्सी को निकलवा दिया. फिर मेरी ब्रा के ऊपर से मेरी 36 की चूचियों को जोर से दबाया और फिर पीछे हाथ ले जाकर ब्रा को खोल दिया.
ब्रा की कैद से आजाद होते ही चूचियां उछल कर बाहर आ गयीं. ज्ञान ने अपने दोनों हाथों में एक एक चूची को पकड़ लिया और जोर जोर से दबाने लगे. उसके सख्त हाथ मेरी चूचियों में अलग ही उन्माद पैदा करने लगे.
मैंने भी उनके अंडरवियर के ऊपर से उनके लंड को सहलाना जारी रखा. इसी बीच मैंने उनकी टीशर्ट निकलवा दी. उनकी बनियान निकलवा कर उनकी गर्दन को चूमने लगी. कभी होंठों पर चूमती तो कभी गालों पर. मेरी वासना बहुत दिनों से ऐसे ही किसी मर्द के लिए मचल रही थी.
ज्ञान को मैंने नीचे लिटा लिया और उनकी पैंट को खोल कर नीचे खींच दिया. उनके अंडरवियर में उनका मोटा सा लंड एकदम अकड़ा हुआ था. बिना वक्त गंवाए मैंने अंडरवियर को नीचे कर दिया और उसके लम्बे मोटे लंड को मुंह में भर कर चूसने लगी. आह्ह … बहुत दिनों के बाद ऐसा रसीला लंड चूसने का मौका मिला था.
उसके लंड से जो रस निकल रहा था ऐसा स्वाद मैंने इससे पहले कभी नहीं लिया था. मेरे पति का लंड तो उनके लंड के सामने कुछ भी नहीं था. मैं जोर जोर से लंड को चूसने लगी. मगर तभी ज्ञान ने 69 की पोजीशन ले ली और उनका मुंह मेरी चूत पर जा लगा.
मेरी चूत में उनकी जीभ गयी तो मैं और तेजी से लंड को चूसने लगी. ज्ञान भी मेरी चूत का रस अपने मुंह में खींचने लगे. पांच मिनट तक दोनों ने एक दूसरे के यौनांगों को खूब चूसा और चाटा.
जब रहा न गया तो मैंने कहा- बस कीजिये, अब डाल भी दीजिये.
ज्ञान भी चुदाई के पूरी तरह से तैयार थे. उन्होंने मुझे उठाया और सोफे के पीछे ले जाकर खड़ी होने के लिए कहा.
मेरी एक टांग को उठाकर उन्होंने मेरी चूत को पीछे चाटना शुरू कर दिया. आह्हह … ओह्ह … ऊईई … सस्स … आई मां … आह्ह … करके मेरे मुंह से कामरूपी सीत्कार फूट पड़े.
अब लंड लेने के लिए मेरी चूत एक पल का इंतजार नहीं सहन कर सकती थी. ऐसा लग रहा था कि अगर लंड नहीं मिला तो कयामत हो जायेगी. मैंने ज्ञान से मिन्नतें करना शुरू कर दिया- प्लीज, चोद दीजिये. आह्ह … चोद दीजिये.
वो उठे और मेरी एक टांग को सोफे पर रख कर अपने लंड को पीछे से मेरी चूत पर सटा दिया. लंड का अहसास चूत पर हुआ तो मुझे मजा सा आया. मैंने ज्ञान को पीछे से पकड़ कर अपनी खींचना चाहा. मगर वो लंड को मेरी चूत पर रगड़ रहे थे.
मैं उत्तेजना में बेहोश सी होने लगी. तभी उन्होंने एक धक्का मारा और मेरे मुंह से आह्ह … करके हल्की चीख बाहर आ गयी. उस बांके जवान मर्द के लंड का सुपाड़ा मेरी चिकनी चूत में चला गया था.
तभी मैंने चूत में दूसरा झटका महसूस किया और इस झटके के साथ ही चूत में लंड जाने का आनंद मुझे मिलने लगा. मेरी प्यासी चूत और ज्यादा चुदासी हो गयी. मेरी हालत को देख कर ज्ञान ने मेरी चूत में एक तीसरा धक्का भी मारा और उनके झांटों तक लंड मेरी चूत में घुस गया.
उन्होंने मेरी चूचियों को भींच कर मुझे जकड़ लिया और नीचे से अपनी गांड को आगे पीछे चलाने लगे. मेरी चूत की चुदाई शुरू हो गयी. मुझे मजा आने लगा.
हम दोनों के मुंह आह्ह … ओह्ह … आह्ह … याह … उफ्फ … आह्ह … अम्म … ओह्ह … करके कामुक आवाजें आने लगीं. बहुत दिनों के बाद चूत ने इतना आनंद महसूस किया था. जैसी कहानियां मैंने उनकी पढी थीं उनसे कहीं ज्यादा मजा चुदाई का मुझे वो दे रहे थे.
पांच मिनट तक भी मैं लंड को संभाल नहीं पाई और मेरी चूत का पानी निकल गया. पानी निकलते ही पूरे हॉल में पच-पच की आवाज होने लगी मगर ज्ञान किसी इंजन की तरह मेरी चूत में लंड को चलाते रहे.
दस मिनट में मैं दो बार झड़ गयी. मेरी वासना तृप्त हो गयी थी और अब चूत में दर्द होने लगा था क्योंकि ज्ञान के लंड के धक्के बहुत ज्यादा तेज थे. फिर भी मजा आ रहा था.
20-25 मिनट तक पराये मर्द से चूत चुदवा कर मेरी चूत को संपूर्ण आनंद की प्राप्ति का अनुभव हुआ. बहुत दिनों के बाद मुझे चुदाई का ऐसा मजा मिला था. मेरी कामवासना पूरी तरह से तृप्त हो गयी थी.
ज्ञान अभी भी मेरी चूत को रौंद रहे थे. फिर उनके धक्के इतने तेज हो गये कि चूत में लंड का प्रेशर बर्दाश्त के बाहर हो गया. उनके दमदार लंड से चुद कर चूत का बैंड बज गया. फिर एकाएक उनकी स्पीड धीमी हो गयी और उनके लंड ने मेरी चूत को अपने गर्म गर्म माल से भर दिया.
कुछ देर थक कर हम सोफे पर पड़े रहे. उसके बाद मिशनरी पोज में चुदाई का मजा भी हमने लिया. ज्ञान का लंड लेकर वाकई मेरी बरसों की प्यास बुझ गयी थी. ज्ञान को भी मेरी चूत चोद कर पूरी संतुष्टि मिली.
उसके बाद मैंने कई बार पति की गैरमौजूदगी में उनसे अपनी चूत की सर्विस करवाई. उनके साथ ये रिश्ता काफी मजेदार रहा. एक लेखक के लंड में इतनी जान और जोश हो सकता है मैंने कभी कल्पना नहीं की थी. मैं उनसे चूत चुदवा कर उनकी दीवानी सी हो गयी हूं.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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RE: कामवासना की तृप्ति- एक शिक्षिका की - by neerathemall - 23-05-2022, 01:55 PM



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