23-05-2022, 01:54 PM
प ही बताइये, मैं मोटी गुदाज गांड की मालकिन, वजनदार वक्षों का बोझ उठाते उठाते कब तक प्यासी रहती. मुझे किसी ऐसे लंड की तलाश थी जो मेरे मोटे और रसीले वक्षों को निचोड़ दे और मेरी प्यासी चूत को अपने लिंग के रस का अमृत पिला दे.
ज्ञान जी को मैंने जब पहले दिन कार में पीले रंग के पोलो टीशर्ट और नीली जीन्स में देखा तो उसी क्षण चूत में सरसराहट मच गयी थी. घर आकर जब ज्ञान ने मेरे होंठों से अपने होंठों की गर्मी का आदान प्रदान किया तो उस दिन मुझे चूत में खीरा लेना पड़ गया था.
मैं ज्ञान के लंड से चुदने के लिए बेसब्र हो गयी थी. अगले दिन जब ज्ञान जी मेरे घर आये तो उन्होंने मुझे तेल की शीशी थमा दी.
सब कुछ समझते हुए भी मैंने उनसे पूछ लिया- शीशी किसलिए?
इसके उत्तर में उन्होंने मुझे बेड पर सिर्फ तौलिया में लेटने के लिए कहा.
बाथरूम में जाकर मैंने साड़ी और पेटीकोट उतार फेंका और ब्रा-पैंटी से भी आजाद होकर तौलिया लपेट कर बाहर आई.
टॉवल लपेटे हुए मैं बिस्तर पर पेट के बल लेट गयी और ज्ञान ने अपना काम शुरू कर दिया। पैरों की मालिश के बाद ज्ञान तौलिया को हटा दिया और मेरे 36 के नंगे चूतड़ों को मसलना शुरू कर दिया. गर्म होकर मैं करहाने लगी और इसी बीच ज्ञान की मध्यमा उंगली मेरी गांड के छेद में चली गयी.
अब आगे:
बिस्तर में मुंह गड़ाए गालों को चादर से रगड़ते हुए मैं गांड में उंगली का आनंद ले ही रही थी कि ज्ञान ने मेरी पीठ का रुख कर लिया. उसके कसरती हाथ मेरे जिस्म के रोम रोम को उत्तेजित कर रहे थे.
पीठ पर मालिश करवाते हुए मेरी चूत से आनंद के आंसू बाहर आने ही वाले थे कि ज्ञान ने मुझे पलट कर सीधी कर लिया और मेरी नंगी, साफ, बिना झांटों वाली चूत ज्ञान के आगे पसर कर उसको ललचाने लगी.
मैंने ज्ञान के चेहरे को देखा तो उसकी आंखें मेरी चूत के दर्शन करके जैसे धन्य हो रही थीं. कामवासना से ललचाई उसकी आंखों के साथ उसके होंठ भी लार टपका रहे थे. एक बांका हैंडसम मर्द जो एक कसरती मजबूत बदन का मालिक हो, उसके सामने अपने नंगे जिस्म का प्रदर्शन करके उसको तड़पाने का भी अलग ही रोमांच मैंने उस दिन अनुभव किया.
ज्ञान ने कुछ पल तक मेरी नंगी चूत को निहारा और फिर मेरी आंखों की ओर देखा तो मैंने पलकें नीचें कर लीं. फिर उसने अपनी हथेली पर तेल लिया और मेरे मोटे मोटे उरोजों पर अपने चिकने हाथ रख दिये.
उसके सख्त खुरदरे से हाथ मेरे कोमल वक्षों पर आकर उनको सहलाने लगे. चूचियों को अपने हाथों से गोलाकार दिशा में मालिश देते हुए उसके हाथ मेरी वासना की आग में घी डालने लगे. चूत की हालत हर पल बिगड़ने लगी.
कुछ पल तक मेरे वक्षों को मसाज देने के बाद उसने अपने मजबूत हाथों से मेरी जांघों को मसाज देना शुरू कर दिया. मैं भी टांगें फैलाये हुए जैसे उसको अपने ऊपर चढ़ने का आमंत्रण दे रही थी. मगर उसको भी मुझे तड़पाने में ज्यादा आनंद मिल रहा था.
उसके हाथों के अंगूठे जब मेरी चूत के इर्द गिर्द आकर रगड़ दे रहे थे तो मन कर रहा था उसके कपड़ों को फाड़ कर उसे नंगा कर लूं और उसके गठीले मजबूत जिस्म को बेतहाशा चूमने लगूं.
अपनी चिकनी मजबूत हथली से ज्ञान ने मेरी चूत पर सहला दिया. मैं तड़प गयी और उसकी और लपकी. मगर ज्ञान एकदम से पीछे हट लिये.
मैंने रोषपूर्ण, कुंठित दृष्टि से ज्ञान की ओर देखा तो उन्होंने मुझे इस हालत में अधूरा छोड़ने के कारण की ढाल को पहले से तैयार कर लिया था.
मेरे प्रश्नवाचक नैनों के तीर उनके मन के किले को भेद ही नहीं पाये.
इससे पहले मैं अपना गुस्सा दिखाती उन्होंने कह दिया- पहले रिपोर्ट आने दीजिये, उसके बाद आपकी तसल्ली बख्श चुदाई का रास्ता साफ हो जायेगा. तब तक के लिए थोड़ा सा इंतजार और कीजिये.
एच.आई.वी. रिपोर्ट का सवाल सामने आया तो मेरे पास कहने के लिए कुछ बचा ही नहीं था. मन मसोस कर रह गयी. न जबरदस्ती कर सकती थी और न ही वासना की आग में जल रहे अपने जिस्म के अंगों पर छिड़कने के लिए मर्दन का पानी ही मांग सकती थी.
ज्ञान जी मुझे अधूरा छोड़ कर चले गये. मेरा मन खार खा गया. सोच लिया कि आज के बाद इनसे बात ही न करूंगी.
दोस्तो, कोई औरत जब किसी बांके जवान मर्द के नीचे खुद ही अपने जिस्म को रगड़वाने के लिए तड़प रही होती है तो ऐसी स्थिति में किसी का रूखा व्यवहार बहुत अखरता है.
ज्ञान जी को मैंने जब पहले दिन कार में पीले रंग के पोलो टीशर्ट और नीली जीन्स में देखा तो उसी क्षण चूत में सरसराहट मच गयी थी. घर आकर जब ज्ञान ने मेरे होंठों से अपने होंठों की गर्मी का आदान प्रदान किया तो उस दिन मुझे चूत में खीरा लेना पड़ गया था.
मैं ज्ञान के लंड से चुदने के लिए बेसब्र हो गयी थी. अगले दिन जब ज्ञान जी मेरे घर आये तो उन्होंने मुझे तेल की शीशी थमा दी.
सब कुछ समझते हुए भी मैंने उनसे पूछ लिया- शीशी किसलिए?
इसके उत्तर में उन्होंने मुझे बेड पर सिर्फ तौलिया में लेटने के लिए कहा.
बाथरूम में जाकर मैंने साड़ी और पेटीकोट उतार फेंका और ब्रा-पैंटी से भी आजाद होकर तौलिया लपेट कर बाहर आई.
टॉवल लपेटे हुए मैं बिस्तर पर पेट के बल लेट गयी और ज्ञान ने अपना काम शुरू कर दिया। पैरों की मालिश के बाद ज्ञान तौलिया को हटा दिया और मेरे 36 के नंगे चूतड़ों को मसलना शुरू कर दिया. गर्म होकर मैं करहाने लगी और इसी बीच ज्ञान की मध्यमा उंगली मेरी गांड के छेद में चली गयी.
अब आगे:
बिस्तर में मुंह गड़ाए गालों को चादर से रगड़ते हुए मैं गांड में उंगली का आनंद ले ही रही थी कि ज्ञान ने मेरी पीठ का रुख कर लिया. उसके कसरती हाथ मेरे जिस्म के रोम रोम को उत्तेजित कर रहे थे.
पीठ पर मालिश करवाते हुए मेरी चूत से आनंद के आंसू बाहर आने ही वाले थे कि ज्ञान ने मुझे पलट कर सीधी कर लिया और मेरी नंगी, साफ, बिना झांटों वाली चूत ज्ञान के आगे पसर कर उसको ललचाने लगी.
मैंने ज्ञान के चेहरे को देखा तो उसकी आंखें मेरी चूत के दर्शन करके जैसे धन्य हो रही थीं. कामवासना से ललचाई उसकी आंखों के साथ उसके होंठ भी लार टपका रहे थे. एक बांका हैंडसम मर्द जो एक कसरती मजबूत बदन का मालिक हो, उसके सामने अपने नंगे जिस्म का प्रदर्शन करके उसको तड़पाने का भी अलग ही रोमांच मैंने उस दिन अनुभव किया.
ज्ञान ने कुछ पल तक मेरी नंगी चूत को निहारा और फिर मेरी आंखों की ओर देखा तो मैंने पलकें नीचें कर लीं. फिर उसने अपनी हथेली पर तेल लिया और मेरे मोटे मोटे उरोजों पर अपने चिकने हाथ रख दिये.
उसके सख्त खुरदरे से हाथ मेरे कोमल वक्षों पर आकर उनको सहलाने लगे. चूचियों को अपने हाथों से गोलाकार दिशा में मालिश देते हुए उसके हाथ मेरी वासना की आग में घी डालने लगे. चूत की हालत हर पल बिगड़ने लगी.
कुछ पल तक मेरे वक्षों को मसाज देने के बाद उसने अपने मजबूत हाथों से मेरी जांघों को मसाज देना शुरू कर दिया. मैं भी टांगें फैलाये हुए जैसे उसको अपने ऊपर चढ़ने का आमंत्रण दे रही थी. मगर उसको भी मुझे तड़पाने में ज्यादा आनंद मिल रहा था.
उसके हाथों के अंगूठे जब मेरी चूत के इर्द गिर्द आकर रगड़ दे रहे थे तो मन कर रहा था उसके कपड़ों को फाड़ कर उसे नंगा कर लूं और उसके गठीले मजबूत जिस्म को बेतहाशा चूमने लगूं.
अपनी चिकनी मजबूत हथली से ज्ञान ने मेरी चूत पर सहला दिया. मैं तड़प गयी और उसकी और लपकी. मगर ज्ञान एकदम से पीछे हट लिये.
मैंने रोषपूर्ण, कुंठित दृष्टि से ज्ञान की ओर देखा तो उन्होंने मुझे इस हालत में अधूरा छोड़ने के कारण की ढाल को पहले से तैयार कर लिया था.
मेरे प्रश्नवाचक नैनों के तीर उनके मन के किले को भेद ही नहीं पाये.
इससे पहले मैं अपना गुस्सा दिखाती उन्होंने कह दिया- पहले रिपोर्ट आने दीजिये, उसके बाद आपकी तसल्ली बख्श चुदाई का रास्ता साफ हो जायेगा. तब तक के लिए थोड़ा सा इंतजार और कीजिये.
एच.आई.वी. रिपोर्ट का सवाल सामने आया तो मेरे पास कहने के लिए कुछ बचा ही नहीं था. मन मसोस कर रह गयी. न जबरदस्ती कर सकती थी और न ही वासना की आग में जल रहे अपने जिस्म के अंगों पर छिड़कने के लिए मर्दन का पानी ही मांग सकती थी.
ज्ञान जी मुझे अधूरा छोड़ कर चले गये. मेरा मन खार खा गया. सोच लिया कि आज के बाद इनसे बात ही न करूंगी.
दोस्तो, कोई औरत जब किसी बांके जवान मर्द के नीचे खुद ही अपने जिस्म को रगड़वाने के लिए तड़प रही होती है तो ऐसी स्थिति में किसी का रूखा व्यवहार बहुत अखरता है.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.