23-05-2022, 01:53 PM
पानी वगैरह पीते हुए मैंने पूछ लिया- आप तो अपनी अन्तर्वासना कहानी के बिल्कुल विपरीत हैं?
ज्ञान थोड़ा सा हंसते हुए बोला- आपने क्या अनुमान लगाया था?
अब उल्टा प्रश्न मुझी से हो गया- नहीं, मेरा मतलब कि तुम ऐसी वैसी बात या हरकत …
ज्ञान मेरी बात को बीच में पूरा करते हुए बोला- नहीं कर रहा … है ना?
मैं- हां!
ज्ञान- मेरे कुछ नियम हैं, जिसके तहत ही मैं किसी स्त्री की चुदाई करता हूँ।
मैं- वो क्या हैं?
ज्ञान- सबसे पहले हम दोनों को एक एच.आई.वी टेस्ट कराना होगा, और दूसरा मेरा पारिश्रमिक आपको जो भी उचित लगे, केवल एक बार, देय होगा।
मैंने बहुत कुछ सोचकर हाँ कह दिया।
ज्ञान- आप तैयार हो जाएं, कल से आपके ज़िंदगी में तूफ़ान आने वाला है।
इतना कहकर ज्ञान उठा और इससे पहले कि मैं कुछ समझ पाती, उसने मुझे अपनी मजबूत बाँहों में जकड़ लिया। उसने अपना एक हाथ मेरे सिर के पीछे ले जाकर अपने होंठ मेरे होंठों से मिला दिया।
मुझे तो जैसे करेंट लगा हो, ज्ञान के बलिष्ठ शरीर में मैं पिघल सी गयी थी। मैं भी अपना हाथ उसकी पीठ पर सहलाते हुए उसके कसरती कसे हुए बदन को महसूस करने लगी। मेरे मुलायम से स्तन उसके पत्थर से मजबूत सीने में चिपट से गये।
फिर धीरे से उसने मेरे सिर से हाथ नीचे ले आया और मेरे होंठों को काटते हुए मेरे चूतड़ को कस के भींच दिया। उसके इस द्विघाती प्रहार से मैं दर्द और उत्तेजना से बिलबिला उठी।
इतना जैसे कम था कि उसने अपनी जीभ मेरे मुँह में डाल कर मेरी नर्म मुलायम जीभ से अठखेलियां करने लगा। मै मदहोशी से अपनी आँखें बंद करके उसकी एक एक क्रिया का आनन्द ले रही थी थी।
तंद्रा तो मेरी तब टूटी जब उसने मेरे कान में धीरे से कहा- आपके रूप को देखकर खुद को रोकना बहुत मुश्किल है।
इतना कहते हुए उसने मुझे सोफे पर वापिस धकेल दिया।
ऊपर- नीचे होती अपनी साँसों को संभालते हुए ज्ञान बोला- अब मुझे चलना चाहिए, कल मिलते हैं।
इससे पहले कि मैं अपनी ऊपर नीचे होती साँसों को संभालकर उठ पाती, ज्ञान दरवाज़े से बाहर निकल चुका था।
मैं उसी मुद्रा में बेसुध सी पड़ी रही और सोचने लगी कि इसी को शायद कहते हैं ‘हाथ तो आया पर मुँह को न लगा।’
लेकिन अब मैं भला कर भी क्या सकती थी।
आग तो भंयकर लग चुकी थी मेरी चूत में! मैं खुद को संभालते हुए उठी और सीधे फ्रिज से एक लंबा मोटा खीरा निकाल वहीं फर्श पर पसर गयी। अपनी साड़ी और पैंटी सरका कर खीरे को चूत में डाल लिया।
चूत मेरी पहले से ही पानी पानी हो रही थी। ठंडा ठंडा खीरा मेरी चूत में सट्ट से अंदर घुस गया। मैं लगभग चिल्लाती हुई खीरे को ज्ञान का लण्ड समझ कर अंदर बाहर करने लगी।
कुछ देर की मशक्कत के बाद मैं अपने चरम पर पहुंच गयी और झड़ने के बाद सोचने लगी कि क्या आज ज्ञान ने भी मेरे नाम की मुठ मारी होगी।
फिर वही सब कुछ नार्मल हुआ। पतिदेव आफिस से आये, डिनर के बाद मेरी 2-3 मिनट चुदाई की और सो गए।
लेकिन मुझे तो बस कल का इंतज़ार था। मुझे ज्ञान की कही तूफान वाली बात और आज का 5 मिनट का ट्रेलर मेरे दिलोदिमाग खासकर मेरी चूत में हिलौरें मार रहे थे।
अगले दिन कॉलेज के बाद हम दोनों फिर उसी जगह मिले और सीधे एक पैथोलॉजी गए। वहां से एच.आई.वी टेस्ट के लिए सैंपल देकर वापिस घर की तरफ चल दिये। मैं रास्ते में यही सोचने लगी कि आज इसे रोकू की न रोकूँ अपने घर क्योंकि एच.आई.वी टेस्ट की रिपोर्ट तो कल आएगी और ज्ञान मुझे तब तक चोदेगा भी नहीं। मुझे कल की तरह फिर से तड़पना पड़ेगा।
इसी उधेड़बुन में घर कब आ गया पता ही नहीं चला। कार से उतरकर मैं गेट खोलने लगी तब तक मेरे पीछे ज्ञान भी आकर खड़ा हो चुका था।
मैंने ध्यान दिया कि उसके हाथ में एक बैग था। सोफे पर बैठते हुए मैंने ज्ञान से बैग के बारे में पूछा।
बैग से एक तेल की बोटल निकालते हुए ज्ञान ने कहा- आज से मेरी सेवाएं शुरू हो चुकी हैं। यह एक ख़ास मसाज ऑयल है।
ज्ञान थोड़ा सा हंसते हुए बोला- आपने क्या अनुमान लगाया था?
अब उल्टा प्रश्न मुझी से हो गया- नहीं, मेरा मतलब कि तुम ऐसी वैसी बात या हरकत …
ज्ञान मेरी बात को बीच में पूरा करते हुए बोला- नहीं कर रहा … है ना?
मैं- हां!
ज्ञान- मेरे कुछ नियम हैं, जिसके तहत ही मैं किसी स्त्री की चुदाई करता हूँ।
मैं- वो क्या हैं?
ज्ञान- सबसे पहले हम दोनों को एक एच.आई.वी टेस्ट कराना होगा, और दूसरा मेरा पारिश्रमिक आपको जो भी उचित लगे, केवल एक बार, देय होगा।
मैंने बहुत कुछ सोचकर हाँ कह दिया।
ज्ञान- आप तैयार हो जाएं, कल से आपके ज़िंदगी में तूफ़ान आने वाला है।
इतना कहकर ज्ञान उठा और इससे पहले कि मैं कुछ समझ पाती, उसने मुझे अपनी मजबूत बाँहों में जकड़ लिया। उसने अपना एक हाथ मेरे सिर के पीछे ले जाकर अपने होंठ मेरे होंठों से मिला दिया।
मुझे तो जैसे करेंट लगा हो, ज्ञान के बलिष्ठ शरीर में मैं पिघल सी गयी थी। मैं भी अपना हाथ उसकी पीठ पर सहलाते हुए उसके कसरती कसे हुए बदन को महसूस करने लगी। मेरे मुलायम से स्तन उसके पत्थर से मजबूत सीने में चिपट से गये।
फिर धीरे से उसने मेरे सिर से हाथ नीचे ले आया और मेरे होंठों को काटते हुए मेरे चूतड़ को कस के भींच दिया। उसके इस द्विघाती प्रहार से मैं दर्द और उत्तेजना से बिलबिला उठी।
इतना जैसे कम था कि उसने अपनी जीभ मेरे मुँह में डाल कर मेरी नर्म मुलायम जीभ से अठखेलियां करने लगा। मै मदहोशी से अपनी आँखें बंद करके उसकी एक एक क्रिया का आनन्द ले रही थी थी।
तंद्रा तो मेरी तब टूटी जब उसने मेरे कान में धीरे से कहा- आपके रूप को देखकर खुद को रोकना बहुत मुश्किल है।
इतना कहते हुए उसने मुझे सोफे पर वापिस धकेल दिया।
ऊपर- नीचे होती अपनी साँसों को संभालते हुए ज्ञान बोला- अब मुझे चलना चाहिए, कल मिलते हैं।
इससे पहले कि मैं अपनी ऊपर नीचे होती साँसों को संभालकर उठ पाती, ज्ञान दरवाज़े से बाहर निकल चुका था।
मैं उसी मुद्रा में बेसुध सी पड़ी रही और सोचने लगी कि इसी को शायद कहते हैं ‘हाथ तो आया पर मुँह को न लगा।’
लेकिन अब मैं भला कर भी क्या सकती थी।
आग तो भंयकर लग चुकी थी मेरी चूत में! मैं खुद को संभालते हुए उठी और सीधे फ्रिज से एक लंबा मोटा खीरा निकाल वहीं फर्श पर पसर गयी। अपनी साड़ी और पैंटी सरका कर खीरे को चूत में डाल लिया।
चूत मेरी पहले से ही पानी पानी हो रही थी। ठंडा ठंडा खीरा मेरी चूत में सट्ट से अंदर घुस गया। मैं लगभग चिल्लाती हुई खीरे को ज्ञान का लण्ड समझ कर अंदर बाहर करने लगी।
कुछ देर की मशक्कत के बाद मैं अपने चरम पर पहुंच गयी और झड़ने के बाद सोचने लगी कि क्या आज ज्ञान ने भी मेरे नाम की मुठ मारी होगी।
फिर वही सब कुछ नार्मल हुआ। पतिदेव आफिस से आये, डिनर के बाद मेरी 2-3 मिनट चुदाई की और सो गए।
लेकिन मुझे तो बस कल का इंतज़ार था। मुझे ज्ञान की कही तूफान वाली बात और आज का 5 मिनट का ट्रेलर मेरे दिलोदिमाग खासकर मेरी चूत में हिलौरें मार रहे थे।
अगले दिन कॉलेज के बाद हम दोनों फिर उसी जगह मिले और सीधे एक पैथोलॉजी गए। वहां से एच.आई.वी टेस्ट के लिए सैंपल देकर वापिस घर की तरफ चल दिये। मैं रास्ते में यही सोचने लगी कि आज इसे रोकू की न रोकूँ अपने घर क्योंकि एच.आई.वी टेस्ट की रिपोर्ट तो कल आएगी और ज्ञान मुझे तब तक चोदेगा भी नहीं। मुझे कल की तरह फिर से तड़पना पड़ेगा।
इसी उधेड़बुन में घर कब आ गया पता ही नहीं चला। कार से उतरकर मैं गेट खोलने लगी तब तक मेरे पीछे ज्ञान भी आकर खड़ा हो चुका था।
मैंने ध्यान दिया कि उसके हाथ में एक बैग था। सोफे पर बैठते हुए मैंने ज्ञान से बैग के बारे में पूछा।
बैग से एक तेल की बोटल निकालते हुए ज्ञान ने कहा- आज से मेरी सेवाएं शुरू हो चुकी हैं। यह एक ख़ास मसाज ऑयल है।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.