23-05-2022, 12:17 PM
भाभी- हॉल में क्यों जा रहे हो मेरी जान मुझे नंगी छोड़कर?
मैं कुछ ना बोला और अपना बैग उठा कर लाया और उसमें से जैतून के तेल की शीशी निकाली। फिर बाजू में रखी हुई टेबल पर रखी वहीं से उसकी पायल उठाकर उसके पैरों में पहनाने लगा।
मैं- डार्लिंग पेट के बल लेट जाओ।
भाभी मेरी बात मान कर पेट के बल लेट गई।
मैंने जैतून की तेल की शीशी का ढक्कन खोल कर काफी सारा दिन भाभी की पीठ पर डाला, उनके चूतड़ों पर लगाया और पैरों पर लगाया।
मैं पैरों के पास आकर खड़ा हो गया और धीरे-धीरे उनकी पिंडली पर मसाज देने लगा।
फिर कुछ तेल मैंने उनके पैर के तलवों पर लगाया और दोनों हाथों से पकड़ कर अपने हाथ के दोनों अंगूठे धीरे-धीरे उनके तलवे पर ऊपर नीचे चलाने लगा।
इससे भाभी की उत्तेजना तेज होने लगी।
यही प्रक्रिया मैंने उनके दूसरे पैर पर दोहराई।
फिर मैं भाभी की पिंडलियों पर बैठकर जांघों पर मसाज देने लगा।
मैंने उठकर अपने दोनों चूतड़ उसके चूतड़ों पर रखे और बैठ गया।
जब मैं उसके चूतड़ों पर बैठा तो ऐसा लग रहा था जैसे मैं बहुत ही मुलायम गद्दों पर बैठा हुआ हूं।
मैं धीरे-धीरे उसकी कमर पर गोल गोल हाथ घुमाने लगा; कभी ऊपर नीचे मसाज करने लगा।
धीरे-धीरे मेरे हाथ उसकी पीठ पर बढ़ने लगे और भाभी की गर्म गर्म सांसें निकलने लगीं।
बहुत धीरे-धीरे मैं उनकी पीठ की मसाज कर रहा था और मेरे हाथ जब उनकी पीठ के बगल में होते तो उनके दूधों से टच कर जाते।
इससे भाभी को गुदगुदी होने लगती मगर वह चुपचाप आंखें बंद किए हुए मजे ले रही थी।
कुछ देर पीठ और कंधे की मसाज करने के बाद मैं वापस उसकी जांघों पर बैठा; उनके दोनों चूतड़ों पर अपने दोनों हाथ रख कर धीरे-धीरे गोल गोल घुमाने लगा जिससे भाभी की उत्तेजना और बढ़ गई।
अब वह अपने पैरों को पटकने लगी।
पैरों के पटकने से उनके पैरों में पहनी हुई पायलों से छम छम की आवाज आने लगी जो बहुत मादक लग रही थी।
मैंने कुछ तेल उसकी चूतड़ों की दरार में डाला जो बहते हुए उसकी गांड से उसकी चूत तक पहुंचा।
फिर मैं धीरे-धीरे अपनी दो उंगलियां उसकी चूतड़ों की नाली से करते हुए नीचे ले गया।
उन उंगलियों को फिर ऊपर लाता, कभी उसकी गांड के छेद पर अंगूठा रखकर धीरे धीरे गोल गोल घुमाता।
इससे भाभी की गांड की गर्मी बढ़ने लगी। उत्तेजना में उसके पैर हिलते और पायलों की छम छम आवाज होने लगती।
मैं- डार्लिंग, आज कुछ मांगू तो मना तो नहीं करोगी?
भाभी- अब क्या रह गया है देने को? सब कुछ तो दे दिया है … फिर भी जो बचा है अगर वह मेरे पास है तो मैं बेहिचक दे दूंगी।
फिर मैं बोला- मुझे आज आपकी गांड में लंड डालना है और अब मना नहीं करोगी आज!
भाभी- ठीक है, डाल देना।
यह सुनते ही मैं तेल में भीगी हुई है अपनी उंगली धीरे-धीरे करके भाभी की गांड में डालने लगा।
गांड टाइट थी तो भाभी एकदम से बोली- यह सब बाद में करना, पहले जो कर रहे थे वह करो।
मैं- डार्लिंग पीछे की मसाज पूरी हो गई है, अब सीधी लेट जाओ।
दोस्तो, मसाज के बारे में मैं आपको यहां पर बता दूं कि हमेशा मसाज पैरों से ही शुरू की जाती है।
मैं वापस उसके पैरों पर आया और पैरों की मसाज देने लगा। फिर मैं उसकी चूत पर बैठा और काफी सारा तेल उसके बूब्स पर डाल दिया और धीरे-धीरे उन पर घड़ी की दिशा में दोनों हाथों से गोल गोल घुमाने लगा।
मैं कुछ ना बोला और अपना बैग उठा कर लाया और उसमें से जैतून के तेल की शीशी निकाली। फिर बाजू में रखी हुई टेबल पर रखी वहीं से उसकी पायल उठाकर उसके पैरों में पहनाने लगा।
मैं- डार्लिंग पेट के बल लेट जाओ।
भाभी मेरी बात मान कर पेट के बल लेट गई।
मैंने जैतून की तेल की शीशी का ढक्कन खोल कर काफी सारा दिन भाभी की पीठ पर डाला, उनके चूतड़ों पर लगाया और पैरों पर लगाया।
मैं पैरों के पास आकर खड़ा हो गया और धीरे-धीरे उनकी पिंडली पर मसाज देने लगा।
फिर कुछ तेल मैंने उनके पैर के तलवों पर लगाया और दोनों हाथों से पकड़ कर अपने हाथ के दोनों अंगूठे धीरे-धीरे उनके तलवे पर ऊपर नीचे चलाने लगा।
इससे भाभी की उत्तेजना तेज होने लगी।
यही प्रक्रिया मैंने उनके दूसरे पैर पर दोहराई।
फिर मैं भाभी की पिंडलियों पर बैठकर जांघों पर मसाज देने लगा।
मैंने उठकर अपने दोनों चूतड़ उसके चूतड़ों पर रखे और बैठ गया।
जब मैं उसके चूतड़ों पर बैठा तो ऐसा लग रहा था जैसे मैं बहुत ही मुलायम गद्दों पर बैठा हुआ हूं।
मैं धीरे-धीरे उसकी कमर पर गोल गोल हाथ घुमाने लगा; कभी ऊपर नीचे मसाज करने लगा।
धीरे-धीरे मेरे हाथ उसकी पीठ पर बढ़ने लगे और भाभी की गर्म गर्म सांसें निकलने लगीं।
बहुत धीरे-धीरे मैं उनकी पीठ की मसाज कर रहा था और मेरे हाथ जब उनकी पीठ के बगल में होते तो उनके दूधों से टच कर जाते।
इससे भाभी को गुदगुदी होने लगती मगर वह चुपचाप आंखें बंद किए हुए मजे ले रही थी।
कुछ देर पीठ और कंधे की मसाज करने के बाद मैं वापस उसकी जांघों पर बैठा; उनके दोनों चूतड़ों पर अपने दोनों हाथ रख कर धीरे-धीरे गोल गोल घुमाने लगा जिससे भाभी की उत्तेजना और बढ़ गई।
अब वह अपने पैरों को पटकने लगी।
पैरों के पटकने से उनके पैरों में पहनी हुई पायलों से छम छम की आवाज आने लगी जो बहुत मादक लग रही थी।
मैंने कुछ तेल उसकी चूतड़ों की दरार में डाला जो बहते हुए उसकी गांड से उसकी चूत तक पहुंचा।
फिर मैं धीरे-धीरे अपनी दो उंगलियां उसकी चूतड़ों की नाली से करते हुए नीचे ले गया।
उन उंगलियों को फिर ऊपर लाता, कभी उसकी गांड के छेद पर अंगूठा रखकर धीरे धीरे गोल गोल घुमाता।
इससे भाभी की गांड की गर्मी बढ़ने लगी। उत्तेजना में उसके पैर हिलते और पायलों की छम छम आवाज होने लगती।
मैं- डार्लिंग, आज कुछ मांगू तो मना तो नहीं करोगी?
भाभी- अब क्या रह गया है देने को? सब कुछ तो दे दिया है … फिर भी जो बचा है अगर वह मेरे पास है तो मैं बेहिचक दे दूंगी।
फिर मैं बोला- मुझे आज आपकी गांड में लंड डालना है और अब मना नहीं करोगी आज!
भाभी- ठीक है, डाल देना।
यह सुनते ही मैं तेल में भीगी हुई है अपनी उंगली धीरे-धीरे करके भाभी की गांड में डालने लगा।
गांड टाइट थी तो भाभी एकदम से बोली- यह सब बाद में करना, पहले जो कर रहे थे वह करो।
मैं- डार्लिंग पीछे की मसाज पूरी हो गई है, अब सीधी लेट जाओ।
दोस्तो, मसाज के बारे में मैं आपको यहां पर बता दूं कि हमेशा मसाज पैरों से ही शुरू की जाती है।
मैं वापस उसके पैरों पर आया और पैरों की मसाज देने लगा। फिर मैं उसकी चूत पर बैठा और काफी सारा तेल उसके बूब्स पर डाल दिया और धीरे-धीरे उन पर घड़ी की दिशा में दोनों हाथों से गोल गोल घुमाने लगा।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.


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