23-05-2022, 12:05 PM
मैंने जब उसे देखा तो उसने ब्लैक कलर का जिम सूट पहना हुआ था जिसमें उसके शरीर की एक एक गोलाई स्पष्ट दिखाई दे रहा था।
उसके ब्लैक जिम सूट को देखकर ऐसा लग रहा था कि उसने अंदर ना तो ब्रा पहनी है और ना ही पैंटी।
मैं उसे इस हालत में देखकर अपने कंट्रोल से बाहर हो गया और उसको तुरंत अपनी बांहों में जकड़ कर पलंग पर ले आया।
मैंने अपने कपड़े उतारे और उसके जिम सूट के ऊपर से उसके बूब्स को दबाने लगा।
मेरा लंड पहले ही खड़ा हो चुका था और उत्तेजना बहुत हो गई थी।
उसको इस सूट मैं देख कर मैंने लैगी के ऊपर से ही अपने लंड को उसकी चूत पर रगड़ने लगा।
अत्यधिक उत्तेजना होने के कारण मेरा वीर्य उसकी लैगी पर ही छूट गया और मैं निढाल होकर बाजू में गिर गया।
भाभी गुस्से में देखते हुए मुझसे बोली- इतना भी कंट्रोल नहीं रख सकते? मेरी लैगी पूरी खराब कर दी तुमने!
मैं- डार्लिंग, तुम्हें इन कपड़ों में देखकर तो मैं अपने आप को कंट्रोल ही नहीं कर सका।
भाभी- अच्छा वह सब छोड़ो, मैं तुम्हारे रूम में यह बताने आई थी कि तुम अपना सामान पैक करो और मेरे रूम में शिफ्ट हो जाओ जब तक लॉकडाउन है। अब हमारे मोहल्ले में कोई नहीं बचा है और जो बचा भी होगा वह अपने गांव को चला जाएगा।
ये कहकर भाभी चली गई।
मैंने अपना सामान पैक किया और उसका गेट खटखटाया।
भाभी ने गेट खोला तो देखा भाभी सिर्फ ब्रा और पैंटी में थी।
वे अभी नहा कर बाहर आई थी और मुझसे बोली- तुम नहाकर आए हो या यहीं नहाओगे?
मैं- डार्लिंग, इतनी दूर से पैदल चलकर आ रहा हूं, कहीं कोई साधन भी नहीं मिला। थक गया हूं। अब यहीं नहाकर फ्रेश होऊंगा।
भाभी जोर से हंसी और बोली- ओ ले ले ले … मेला बाबू बहुत दूल से आया है … थक गया होगा। जाओ नहा लो … फ्रेश हो जाओ। मगर सुनो! अब भी कपड़े मत पहनना! सिर्फ अंडरवियर और बनियान पहनना।
मैं- जैसी आज्ञा मेरे सरकार!
जब हम दोनों खाना खा रहे थे तो एक दूसरे को देख रहे थे क्योंकि ऐसा नजारा ना तो मैंने और ना ही उसने कभी देखा था क्योंकि हम दोनों अंडरवियर में थे।
तभी उसका फोन बजा।
उसने उठाकर देखा और मेरे से बोली- दिनेश का फोन आ रहा है।
मैं- डार्लिंग, फोन स्पीकर पर लो और बात करो।
भाभी ने फोन उठाया और फोन स्पीकर पर करके हैलो बोला।
दिनेश- लॉकडाउन लग गया है और मैं नहीं आ पाऊंगा। कोई दिक्कत हो तो सचिन को फोन करके बुला लेना और बता देना। मुझे चिंता हो रही है तुम्हारी!
भाभी- आप ही सचिन को फोन करके बोल दो, मुझे अच्छा नहीं लगता उससे बात करते हुए!
दिनेश- क्यों? कुछ किया क्या उसने?
भाभी- कुछ करेगा तभी मैं तुमको बताऊं क्या? अरे वह लड़का आजाद है और मैं एक औरत हूं। अभी कॉलोनी में कोई है भी नहीं। कहीं उसने मौका देखकर मेरा फायदा उठाया तो?
दिनेश- अच्छा यह बात है! तुमको यदि उस से डर लगता है तो तुम उसे अपने रूम गेट के अंदर मत बुलाना। कोरोना का बहाना कर देना। कुछ जरूरत का सामान हो तो उससे रिक्वेस्ट करके बुला लेना। मैं उससे बात कर लेता हूं।
दोस्तो, फिर दिनेश का मेरे फोन पर फोन आया और मैंने लाउडस्पीकर मोड पर करके हैलो बोला।
दिनेश भाई- सचिन भाई, मैं दिनेश बोल रहा हूं। तुमको तो पता चल ही गया होगा कि लॉकडाउन लग गया है और मैं भोपाल नहीं आ सकता। तुमको तुम्हारी भाभी का ख्याल रखना है। सब्जी-भाजी और कुछ किराना का सामान लगे तो ला देना।
मैं- भैया, कोरोना भी चल रहा है भोपाल में! तो मैं अपने रूम से बाहर ही नहीं निकल रहा हूं। फिर भी अगर मैं मेरे लिए सामान लेने जाऊंगा तो लाकर गेट के बाहर रख दूंगा। भाभी का नंबर मेरे पास नहीं है।
दिनेश- मैं तुम्हारा नंबर मोहि को दे दूंगा। वह तुमसे बात कर लेगी और हां … ज्यादा मार्केट मार्केट में मत जाना। ख्याल रखो अपना, बाय।
फिर हम दोनों एक दूसरे को देखकर मुस्कुराए और वह मेरी गोद में आकर बैठ गई और बोली- क्या विचार है … एक राउंड हो जाए?
यह कहते ही उसने अपनी ब्रा और पैंटी उतार दी।
मैंने भी अपने कपड़े उतार कर भाभी को दीवार के पास ले जाकर सटा दिया और उसके बदन को चूमने लगा।
फिर मैं नीचे बैठा और उसके दोनों पैरों को चौड़ा करके उसकी चूत को चाटने लगा।
कुछ देर उसकी चूत चाटने के बाद मैं खड़ा हुआ।
फिर भाभी मुझे दीवान से सटाकर नीचे बैठ गई और मेरा लंड अपने मुंह में लेकर मुखमैथुन करने लगी।
10 मिनट तक हम एक दूसरे के बदन से खेलते रहे। फिर मैंने उसको वहीं बाजू में रखे हुए सोफे पर लिटाकर उसकी चुदाई की।
यह चुदाई हमको जल्दी खत्म करनी पड़ी क्योंकि उसका बच्चा दूसरे रूम में होने के कारण रोने लगा था।
रात में 10:00 बजे सभी कामों से फ्री होकर भाभी ने अपने बच्चे को सुलाया।
बच्चे को सुलाकर वह बाहर हॉल में आई जहां पर मैं टीवी देख रहा था।
उसके ब्लैक जिम सूट को देखकर ऐसा लग रहा था कि उसने अंदर ना तो ब्रा पहनी है और ना ही पैंटी।
मैं उसे इस हालत में देखकर अपने कंट्रोल से बाहर हो गया और उसको तुरंत अपनी बांहों में जकड़ कर पलंग पर ले आया।
मैंने अपने कपड़े उतारे और उसके जिम सूट के ऊपर से उसके बूब्स को दबाने लगा।
मेरा लंड पहले ही खड़ा हो चुका था और उत्तेजना बहुत हो गई थी।
उसको इस सूट मैं देख कर मैंने लैगी के ऊपर से ही अपने लंड को उसकी चूत पर रगड़ने लगा।
अत्यधिक उत्तेजना होने के कारण मेरा वीर्य उसकी लैगी पर ही छूट गया और मैं निढाल होकर बाजू में गिर गया।
भाभी गुस्से में देखते हुए मुझसे बोली- इतना भी कंट्रोल नहीं रख सकते? मेरी लैगी पूरी खराब कर दी तुमने!
मैं- डार्लिंग, तुम्हें इन कपड़ों में देखकर तो मैं अपने आप को कंट्रोल ही नहीं कर सका।
भाभी- अच्छा वह सब छोड़ो, मैं तुम्हारे रूम में यह बताने आई थी कि तुम अपना सामान पैक करो और मेरे रूम में शिफ्ट हो जाओ जब तक लॉकडाउन है। अब हमारे मोहल्ले में कोई नहीं बचा है और जो बचा भी होगा वह अपने गांव को चला जाएगा।
ये कहकर भाभी चली गई।
मैंने अपना सामान पैक किया और उसका गेट खटखटाया।
भाभी ने गेट खोला तो देखा भाभी सिर्फ ब्रा और पैंटी में थी।
वे अभी नहा कर बाहर आई थी और मुझसे बोली- तुम नहाकर आए हो या यहीं नहाओगे?
मैं- डार्लिंग, इतनी दूर से पैदल चलकर आ रहा हूं, कहीं कोई साधन भी नहीं मिला। थक गया हूं। अब यहीं नहाकर फ्रेश होऊंगा।
भाभी जोर से हंसी और बोली- ओ ले ले ले … मेला बाबू बहुत दूल से आया है … थक गया होगा। जाओ नहा लो … फ्रेश हो जाओ। मगर सुनो! अब भी कपड़े मत पहनना! सिर्फ अंडरवियर और बनियान पहनना।
मैं- जैसी आज्ञा मेरे सरकार!
जब हम दोनों खाना खा रहे थे तो एक दूसरे को देख रहे थे क्योंकि ऐसा नजारा ना तो मैंने और ना ही उसने कभी देखा था क्योंकि हम दोनों अंडरवियर में थे।
तभी उसका फोन बजा।
उसने उठाकर देखा और मेरे से बोली- दिनेश का फोन आ रहा है।
मैं- डार्लिंग, फोन स्पीकर पर लो और बात करो।
भाभी ने फोन उठाया और फोन स्पीकर पर करके हैलो बोला।
दिनेश- लॉकडाउन लग गया है और मैं नहीं आ पाऊंगा। कोई दिक्कत हो तो सचिन को फोन करके बुला लेना और बता देना। मुझे चिंता हो रही है तुम्हारी!
भाभी- आप ही सचिन को फोन करके बोल दो, मुझे अच्छा नहीं लगता उससे बात करते हुए!
दिनेश- क्यों? कुछ किया क्या उसने?
भाभी- कुछ करेगा तभी मैं तुमको बताऊं क्या? अरे वह लड़का आजाद है और मैं एक औरत हूं। अभी कॉलोनी में कोई है भी नहीं। कहीं उसने मौका देखकर मेरा फायदा उठाया तो?
दिनेश- अच्छा यह बात है! तुमको यदि उस से डर लगता है तो तुम उसे अपने रूम गेट के अंदर मत बुलाना। कोरोना का बहाना कर देना। कुछ जरूरत का सामान हो तो उससे रिक्वेस्ट करके बुला लेना। मैं उससे बात कर लेता हूं।
दोस्तो, फिर दिनेश का मेरे फोन पर फोन आया और मैंने लाउडस्पीकर मोड पर करके हैलो बोला।
दिनेश भाई- सचिन भाई, मैं दिनेश बोल रहा हूं। तुमको तो पता चल ही गया होगा कि लॉकडाउन लग गया है और मैं भोपाल नहीं आ सकता। तुमको तुम्हारी भाभी का ख्याल रखना है। सब्जी-भाजी और कुछ किराना का सामान लगे तो ला देना।
मैं- भैया, कोरोना भी चल रहा है भोपाल में! तो मैं अपने रूम से बाहर ही नहीं निकल रहा हूं। फिर भी अगर मैं मेरे लिए सामान लेने जाऊंगा तो लाकर गेट के बाहर रख दूंगा। भाभी का नंबर मेरे पास नहीं है।
दिनेश- मैं तुम्हारा नंबर मोहि को दे दूंगा। वह तुमसे बात कर लेगी और हां … ज्यादा मार्केट मार्केट में मत जाना। ख्याल रखो अपना, बाय।
फिर हम दोनों एक दूसरे को देखकर मुस्कुराए और वह मेरी गोद में आकर बैठ गई और बोली- क्या विचार है … एक राउंड हो जाए?
यह कहते ही उसने अपनी ब्रा और पैंटी उतार दी।
मैंने भी अपने कपड़े उतार कर भाभी को दीवार के पास ले जाकर सटा दिया और उसके बदन को चूमने लगा।
फिर मैं नीचे बैठा और उसके दोनों पैरों को चौड़ा करके उसकी चूत को चाटने लगा।
कुछ देर उसकी चूत चाटने के बाद मैं खड़ा हुआ।
फिर भाभी मुझे दीवान से सटाकर नीचे बैठ गई और मेरा लंड अपने मुंह में लेकर मुखमैथुन करने लगी।
10 मिनट तक हम एक दूसरे के बदन से खेलते रहे। फिर मैंने उसको वहीं बाजू में रखे हुए सोफे पर लिटाकर उसकी चुदाई की।
यह चुदाई हमको जल्दी खत्म करनी पड़ी क्योंकि उसका बच्चा दूसरे रूम में होने के कारण रोने लगा था।
रात में 10:00 बजे सभी कामों से फ्री होकर भाभी ने अपने बच्चे को सुलाया।
बच्चे को सुलाकर वह बाहर हॉल में आई जहां पर मैं टीवी देख रहा था।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.