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Thriller रश्मि का आरंभ- रश्मि मंडल
#3
मेरा लेस्बियन संभोग का ज्यादा अनुभव तो नहीं था पर था थोड़ा बहुत. आलिया को ऐसे देख कर मेरी आँखों में लाल डोरे तैरने लगे. आलिया को ऐसे मैंने पहली बार देखा. आलिया परी. मैंने उसे ध्यान से देखा. नाईट लाईट में वह सोती हुई परी लग रही थी. उसकी करवट मेरी तरफ थी. उसका चेहरा तकिये में धंसा हुआ था. आँख बंद थी. उसने हल्के नीले रंग का टी-शर्ट पहना हुआ था जो कि काफी हद तक पारदर्शी था. वह आलिया के छोटे अलफांसों आम जैसे वक्षों को पूरी तरह से ढंकने में असफल था. मैंने पूरी तरह से आँख खोल दी. अब वह गहरे नींद में सो रही थी या फिर नाटक कर रही थी. उसके स्तन का मटर के दाने जैसा अग्र भाग कड़ा होकर टी-शर्ट के ऊपर से उभरा हुआ दिख रहा था. मैं उसका टीशर्ट पकड़ कर निकाल देना चाहती थी और उसके छोटे स्तनों को ध्यान से देखना चाहती थी. आलिया पूरी तरह से आंटी पर गयी है. आंटी का बदन भी आलिया जैसे स्लिम है और ऊंचाई लगभग आलिया जितनी ही. 39 की उम्र में भी, स्तन आलिया जैसे छोटे-छोटे और कड़े थे जो सलवार सूट के ऊपर से दिखाई देता था. आलिया को देख कर मुझे कुछ याद आ गया. मैं 18 की थी और जवानी की दहलीज में कदम रख रही थी. उस समय मैं थोड़ी मोटी थी. मैं शाहीन से मिलने उसके घर गयी. शाहीन थोड़ी देर में घर आने वाली थी इसलिए दरवाजा आंटी ने खोला. उस समय ही वो नहा कर बाहर निकली थीं. उनका कमीज पानी से लगभग भींग गया था और जल्दबाजी में शायद उन्होंने ब्रा नहीं पहना था. उन्होंने दरवाजा खोला मैंने नमस्ते किया.

आंटी: अन्दर आओ बेटा.
रश्मि: जी आंटी.

मेरी नजरें बार-बार आंटी के गीले सीने में जा रही थी. एक वह दिन और एक आज का दिन. आलिया का स्तन बिलकुल आंटी के वक्षों जैसा था. मै काफी थकी हुई थी. यह सब बात सोचते और आलिया को देखते कब मुझे नींद आई मुझे पता ही नही चला.  सुबह मैं उठी फ्रेश होकर नाश्ता करके मैं गाडी बनवा कर अपने घर के लिए निकलने लगी. रात की बातें अभी भी मेरे दिमाग में चल रही थी. मेरी नजर अब भी आलिया के स्तनों पर जा रही थी. अब उसने अन्तःवस्त्र पहन लिया था. मैंने उस बात को अपने दिमाग से निकाला और सबको बाय कह कर वहां से चली गयी.

रश्मि घर पर अकेले रहती थी. उसका परिवार दूसरी जगह रहता था. घर जाकर नहाने के बाद वह आदमजात अवस्था में अपने रूम में खड़े होकर आईने में आपने गोरे गोरे गुदाज बदन को निहार रही थी. वह सिर से पांव तक क़यामत लग रही थी. अपना दोनों हाथ अपने वक्षों में ले जा कर वह उन्हें छू रही थी. रश्मि के बड़े-बड़े उभार सामने तने हुए थे. उसने अपने बड़े खरबूजे जैसे उभार की तुलना आलिया के छोटे स्तनों से की. उसने पाया आलिया के दो स्तन उसके एक के बराबर हैं. वह फिर से आलिया की हरकत को याद करने लगी. उसका दायाँ हाथ अब उसके उभार से उतर कर उसके नाभि प्रदेश में था. बायाँ हाथ अभी भी वह अपने बाएं वक्ष पर रख कर उसका जाएजा ले रही थी. आलिया के बारे में सोच कर उसे कुछ कुछ हो रहा था. अपना दायाँ हाथ अब वह अपने दोनों जांघों के बीच अपने कटि प्रदेश की ओर ली जाने लगी. आलिया की हरकत याद करके उसे कुछ होने लगा. उसे अपनी प्यास बुझाए काफी दिन हो गया था. पर अभी उसे अपना पूरा ध्यान अपने इंटरव्यू पर लगाना था. वह अपने उस जन्नत की गहराई को बस छूने ही वाली थी कि तभी डोरबेल बजा.

पक्का सचिन होगा, रश्मि ने सोचा. सचिन थोड़ा स्लिम लगभग साढ़े पांच फुट का लड़का था. सचिन को रश्मि ने अपने फाइल्स और पेपर लाने को कहा था जो उसके कॉलेज में जमा था. रश्मि जानती थी सचिन मेरे कहने पर इतना काम तो कर ही देगा. उसने फटाफट लोअर और टी शर्ट पहना. अन्दर उसने कुछ भी नहीं पहना, वह जानती थी कैसे सचिन से अपना काम करवाना है. सचिन थोड़ा शर्मिला था पर रश्मि की थोड़ी सी झलक पाने के लिए उसका कोई भी काम करने के लिए तत्पर रहता था.
रश्मि ने झट से कपड़ा पहना और गेट खोलने चली गयी. दरवाजे पर सचिन ही था.

सचिन: हाय, रश्मि. ये रहा तुम्हारा पूरा समान. कब जाना है तुम्हें इंटरव्यू के लिए.
रश्मि: अभी डेट नही आया. अन्दर आएगा तू? या बाहर ही खड़ा रहेगा?
सचिन: हाँ आ गया सचिन ने झेंपते हुए कहा.

रश्मि के पीछे मुड़ते ही सचिन की निगाहें रश्मि के बड़े-बड़े गोल कठोर नितम्भों में जा टिकी. रश्मि को उसे परेशान करने में मजा आता था इसलिए वह जानबूझकर मटकाते हुए कामुक अंदाज में चल रही थी. अन्दर आकर उसने सचिन को सोफे में बैठने के लिए कहा और खुद किचन में चली गयी. रश्मि को अंदाजा हो गया था सचिन की नजरें उसके बदन में इधर उधर फिसल रही थी. खैर रश्मि यह चाहती भी थी, उसके थोड़ी सी कोशिश से उसे फ्री का नौकर मिल जाता था. पानी लेकर आने के बाद उसे सचिन को देते हुए. वह उसके सामने वाले सोफे पर आकर बैठ गयी. उसके बड़े गले वाले टी-शर्ट से उसका ऊपरी उभार नुमाया हो रहा था. रश्मि ने जानबूझकर वह टीशर्ट पहना था. सचिन का गला उसे देखकर सूख रहा था. रश्मि, सचिन से उंचाई में और शारीरिक रूप से पूरी तरह बड़ी थी. उसने मन ही मन सोचा, देख तो ऐसे रहा है जैसे खा जाएगा, मैं गलती से इसके ऊपर आ गयी तो इसका कचूमर बन जायेगा. रश्मि से सब डरते तो बहुत थे पर उसके बाद भी उस पर से नजरें हटाना बहुत मुश्किल काम था. और रश्मि को अपने रूप और शबाब का उपयोग करने बहुत अच्छे से आता था. सिर्फ उसके साथ पढ़ने वाले ही नही, अपने टीचरों पर भी उसने यह पैंतरा अपनाया था और उसे इसका काफी फायदा मिला था. पुरुष क्या, स्त्रियों को भी उसने अपने रूप जाल में फंसाया था. ऐसी बनावट, ऐसा मर्दाना शरीर, बहुत सारे लड़के उससे उंचाई में छोटे थे और उसके शरीर के सामने कमजोर नजर आते थे, रश्मि के क़यामत बदन को देखकर लड़कियां भी मोहित हो जाती थीं. ऐसा नहीं था कि रश्मि किसी से भी अपनी प्यास बुझा लेती थी पर उसे अपना काम कैसे कराना है यह बहुत अच्छे से आता था. 

ठीक है चल अभी मुझे निकलना है, रश्मि ने सचिन की तरफ देखते हुए कहा. वह उसे अभी ज्यादा भाव देने की मूड में नहीं थी.
सचिन: इतनी जल्दी? कहाँ? अभी तो मैं आया ही हूँ.
रश्मि: अरे भई, मुझे जाना है ना, शाम को मिलने हैं ना पक्का, मैं आती हूँ उधर. रश्मि ने उसे टरकाने के लिए कहा.
सचिन: ठीक है अब तुम कह ही रहे हो तो क्या कर सकते हैं. सचिन ने थोड़ा मायूश होते हुए कहा, पर उसे ख़ुशी थी कि रश्मि शाम को मिलने वाली है.

सचिन वहां से चला गया. रश्मि अब अपने इंटरव्यू के लिए तैयारी शुरू करना चाहती थी. उसे पता था उसके पास अब ज्यादा समय नहीं बचा है. वह अन्दर जाकर अपने अलमारी से पुस्तकों को नोट्स को लेकर स्टडी टेबल पर बैठ गयी. पेन पकड़ आकार वह प्रश्न सॉल्व करने में लग गयी.
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RE: रश्मि का आरंभ- रश्मि मंडल - by rashmimandal - 23-05-2022, 02:05 PM



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