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Incest हाए भैय्या,धीरे से, बहुत मोटा है
#13
“अब वो पहले वाली बात नहीं रही, अब तो तेरे जिज्जाजी को टाइम ही नहीं मिलता और मैं भी अपने बच्चों में खोई रहती हूँ. आज कल तेरे जिज्जाजी मुझे बस हफ़्ते एक या दो बार ही चोदते हैं वो भी जल्दी जल्दी से, मेरी नाइटी उठा कर अपना लंड मेरी चूत में डाल कर बस 10 मिनट में ही लंड का माल चूत में झाड़ देते हैं.”
यह बात सुनकर मेरा दिमाग ठनका. मैंने पहले कभी भी अनीता दीदी को सेक्स की नज़रों से नहीं देखा था. अब मेरे दिमाग में कुछ शैतानी घूमने लगी. मैं मन ही मन उनके बारे में सोचने लगा… ऐसा सोचने से ही मेरा लंड अब बिल्कुल स्टील की रॉड की तरह खड़ा हो गया.
अनीता दीदी को उदास देख कर नेहा ने उनके गालों पर एक चुम्मा लिया और कहा- उदास न हो दीदी, अगर मैं कुछ मदद कर सकूँ तो बोलो. मैं तुम्हारे लिए कुछ भी करुँगी, मेरा वादा है तुमसे.”
दीदी हल्के से मुस्कुराई और कहा- मेरी प्यारी बन्नो, जब जरूरत होगी तो तुझसे ही तो कहूँगी, फिलहाल अगर तू मेरी मदद करना चाहती है तो बोल!”
“हाँ हाँ दीदी, तुम बोलो मैं क्या कर सकती हूँ?”
“चल आज हम एक दूसरे को खुश करते हैं और एक दूसरे का मजा लेते हैं…” नेहा थोड़ा सा मुस्कुराई और अनीता दीदी को चूम लिया.
अनीता दीदी ने नेहा को बिस्तर से उठने के लिए कहा और खुद भी उठ गई. दोनों बिस्तर पर खड़े होकर एक दूसरे के कपड़े उतारने लगी. नेहा की पीठ मेरी तरफ थी और अनीता दीदी का चेहरा मेरी तरफ. नेहा ने अनीता दीदी की नाईटी उतार दी और दीदी ने उसकी टी-शर्ट.
हे भगवान्! मेरे मुँह से तो सिसकारी ही निकल गई, आज से पहले मैंने अनीता दीदी को इतना खूबसूरत नहीं समझा था. वो बिस्तर पर सिर्फ अपनी ब्रा और पेंटी में खड़ी थी. दूधिया बदन , सुराहीदार गर्दन, बड़ी बड़ी आँखें, खुले हुए बाल और गोरे गोरे जिस्म पर काली ब्रा जिसमे उनके 36 साइज़ के दो बड़े बड़े उरोज ऐसे लग रहे थे जैसे किसी ने दो सफेद कबूतरों को जबरदस्त कैद कर दिया हो. उनकी चूचियाँ बाहर निकलने के लिए तड़प रही थीं. चूचियों से नीचे उनका सपाट पेट और उसके थोड़ा सा नीचे गहरी नाभि, ऐसा लग रहा था जैसे कोई गहरा कुँआ हो. उनकी कमर 26 से ज्यादा किसी भी कीमत पर नहीं हो सकती. बिल्कुल ऐसी जैसे दोनों पंजो में समां जाये. कमर के नीचे का भाग देखते ही मेरे तो होंठ और गला सूख गया. उनकी गांड का साइज़ 36-37 के लगभग था. बिल्कुल गोल और इतना ख़ूबसूरत कि उन्हें तुंरत जाकर पकड़ लेने का मन हो रहा था. कुल मिलाकर वो पूरी सेक्स की देवी लग रही थीं…
हे भगवान् मैंने आज से पहले उनके बारे में कभी भी नहीं सोचा था.
इधर नेहा के कपड़े भी उतार चुकी थी और वो भी ब्रा और पेंटी में आ चुकी थी. उसका बदन भी कम सेक्सी नहीं था. 32 / 26/ 34…वो भी ऐसी थी किसी भी मर्द के लंड को खड़े खड़े ही झाड़ दे.
“हाय नेहा, तू तो बड़ी खूबसूरत है रे, आज तक किसी ने भी तुझे चोदा कैसे नहीं. अगर मैं लड़का होती तो तुझे जबरदस्ती पटक कर तुझे चोद देती.”
“ओह दीदी, आप के सामने तो मैं कुछ भी नहीं, पता नहीं जिज्जाजी आपको क्यूँ नहीं चोदते ..”
“उनकी बातें छोडो, वो तो हैं ही बेवकूफ!” अनीता दीदी ने नेहा की ब्रा खोल दी और नेहा ने भी हाथ बढ़ा कर दीदी की ब्रा का हुक खोल दिया.
मेरी तो सांस ही रुक गई, इतने सुन्दर और प्यारे उरोज मैंने आज तक नहीं देखे थे. अनीता दीदी के दो बच्चे थे पर कहीं से भी उन्हें देख कर ऐसा नहीं लगता था कि दो-दो बच्चों ने उनकी चूचियों से दूध पिया होगा…
खैर, अब नेहा की बारी थी तो दीदी ने उसकी ब्रा का हुक भी खोल दिया और साथ ही साथ उसकी पेंटी को भी उसके बदन से नीचे खिसकाने लगी. दीदी का उतावलापन देख कर ऐसा लग रहा था जैसे उन्हें कई जन्मों की प्यास हो.
नेहा ने भी वैसी ही फुर्ती दिखाई और अनीता दीदी के पेंटी को हाथों से निकालने के लिए खींच दिया. संगेमरमर जैसी चिकनी जांघों के बीच में फूले हुए पावरोटी के जैसे बिल्कुल चिकनी और गोरी चूत को देखते ही मेरे लंड ने अपना माल छोड़ दिया.
मेरे होठों से एक सेक्सी सिसकारी निकली आर मैंने दरवाज़े पर ही अपना सारा माल गिरा दिया…मेरे मुँह से निकली सिसकारी थोड़ी तेज़ थी, शायद उन लोगों ने सुन ली थी, मैं जल्दी से आकर अपने कमरे में लेट गया और सोने का नाटक करने लगा. कमरे की लाइट बंद थी और दरवाज़ा थोड़ा सा खुला ही था. बाहर हॉल में हल्की सी लाइट जल रही थी जिसमें मैंने एक साया देखा. मैं पहचान गया. यह नेहा थी जो अपने बदन पर चादर डाल कर मेरे कमरे की तरफ ये देखने आई थी कि मैं क्या कर रहा हूँ और वो सिसकारी किसकी थी.
थोड़ी देर वहीं खड़े रहने के बाद नेहा अपने कमरे में चली गई और उसके कमरे का दरवाजा बंद हो गया, जिसकी आवाज़ मुझे अपने कमरे तक सुनाई दी. शायद जोर से बंद किया गया था. मुझे कुछ अजीब सा लगा, क्यूंकि आमतौर पर ऐसे काम करते वक़्त लोग सारे काम धीरे धीरे और शांति से करते हैं. लेकिन यह ऐसा था जैसे जानबूझ कर दरवाजे को जोर से बंद किया गया था. खैर जो भी हो, उस वक़्त मेरा दिमाग ज्यादा चल नहीं पा रहा था. मेरे दिमाग में तो बस अनीता दीदी की मस्त चिकनी चूत ही घूम रही थी.
थोड़ी देर के बाद मैं धीरे से उठा और वापस उनके दरवाज़े के पास गया, और जैसे ही मैंने अन्दर झाँका…
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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RE: हाए भैय्या,धीरे से, बहुत मोटा है - by neerathemall - 20-05-2022, 06:01 PM



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