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Incest हाए भैय्या,धीरे से, बहुत मोटा है
#11
त के करीब 11 बजे मुझे मेरी बहन ने उठाया और कहा- खाना खा लो!
मैं उठा और हाथ मुँह धोकर खाने के लिए मेज़ पर गया, वहाँ अनीता दीदी भी बैठी थी. असल में आज खाना अनीता दीदी ने ही बनाया था. मैंने खाना खाना शुरू किया और साथ ही साथ टीवी चला दिया. हम इधर उधर की बातें करने लगे और खाना खा कर टीवी देखने लगे.
हम तीनों एक ही सोफे पर बैठे थे, मैं बीच में और दोनों लड़कियाँ मेरे आजू-बाजू . काफी देर बात चीत और टीवी देखने के बाद हम लोग सोने की तैयारी करने लगे. मैं उठा और सीधे फ़्रिज की तरफ गया क्यूंकि मुझे अचानक अपने किताबों की याद आई. मुझे वहाँ पर बस एक ही किताब मिली जबकि मैं तीन किताबें लेकर आया था. सामने ही अनीता दीदी बैठी थी इसलिए कुछ पूछ भी नहीं सकता था अपनी बहन से. खैर मैंने सोचा कि जब अनीता दीदी अपने घर में चली जाएँगी तो मैं अपनी बहन से पूछूंगा.
थोड़ी देर तक तो मैं अपने कमरे में ही रहा, फिर उठ कर बाहर हॉल में आया तो देखा मेरी बहन अपने कमरे में सोने जा रही थी, मैंने उसे आवाज़ लगाई- नेहा, मैंने यहाँ तीन किताबें रखी थीं, एक तो मुझे मिल गई लेकिन बाकी दो और कहाँ हैं?”
“मेरे पास हैं, पढ़कर लौटा दूंगी मेरे भैया!” और उसने बड़ी ही सेक्सी सी मुस्कान दी.
मैंने कहा- लेकिन तुम्हें दो दो किताबों की क्या जरूरत है? एक रखो और दूसरी लौटा दो, मुझे पढ़नी है.
उसने मेरी बात का कोई जवाब नहीं दिया और बस कहा कि आज नहीं कल दोनों ले लेना.
मैं अपना मन मारकर अपने कमरे में गया और किताब पढ़ने लगा. पढ़ते-पढ़ते मैंने अपना लण्ड अपनी पैन्ट से बाहर निकला और मुठ मारने लगा. काफी देर तक मुठ मारने के बाद मैं झड़ गया और अपने लण्ड को साफ़ करके सो गया.
रात को अचानक मेरी आँख खुली तो मैं पानी लेने के लिए हॉल में फ़्रिज के पास पहुंचा. जैसे ही मैंने फ़्रिज खोला कि मुझे बगल के कमरे से किसी के हंसने की आवाज़ सुनाई दी. मैंने ध्यान दिया तो पता लगा कि मेरी बहन के कमरे से उसकी और किसी और लड़की की आवाज़ आ रही थी. नेहा का कमरा हॉल के पास ही है. मैं उसके कमरे के पास गया और अपने कान लगा दिए ताकि मैं यह जान सकूँ कि अन्दर कौन है और क्या बातें हो रही हैं.
जैसे ही मैंने अपने कान लगाये मुझे नेहा के साथ वो दूसरी आवाज़ भी सुनाई दी. गौर से सुना तो वो अनीता दीदी थी. वो दोनों कुछ बातें कर रहे थे. मैंने ध्यान से सुनने की कोशिश की, और जो सुना तो मेरे कान ही खड़े हो गए.
अनीता दीदी नेहा से पूछ रही थी- हाय नेहा, ये कहाँ से मिली तुझे? ऐसी किताबें तो तेरे जीजा जी लाते थे पहले, जब हमारी नई-नई शादी हुई थी!
“अच्छा तो आप पहले भी इस तरह की किताबें पढ़ चुकी हैं?”
“हाँ, मुझे तो बहुत मजा आता है. लेकिन अब तेरे जीजू ने लाना बंद कर दिया है. और तुझे तो पता है कि मैं थोड़ी शर्मीली हूँ इसलिए उन्हें फिर से लाने को नहीं कह सकती, और वो हैं कि कुछ समझते ही नहीं.”
“कोई बात नहीं दीदी, जब भी आपको पढ़ने का मन करे तो मुझसे कहना, मैं आपको दे दूंगी.”
“लेकिन तेरे पास ये आई कहाँ से?”
“अब छोड़ो भी न दीदी, तुम बस आम खाओ, पेड़ मत गिनो.”
“पर मुझे बता तो सही!”
“लगता है तुम नहीं मानोगी!”
“मैं कितनी जिद्दी हूँ, तुझे पता है न. चल जल्दी से बता!”
“तुम पहले वादा करो कि तुम किसी को भी नहीं बताओगी!”
“अरे बाबा, मुझ पर भरोसा रखो, मैं किसी को भी नहीं बताऊँगी.”
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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RE: हाए भैय्या,धीरे से, बहुत मोटा है - by neerathemall - 20-05-2022, 05:59 PM



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