20-05-2022, 05:13 PM
मैं एक सोसाइटी के 3 बेडरूम फ्लैट के एक कमरे में रहता था. फ्लैट का मालिक विदेश में रहता था और उसने मुझे ही फ्लैट की देख रेख करने और बाकी के दो कमरों और ड्राइंगरूम को किराए पर देने हेतु पावर ऑफ आटोरनी देकर इंचार्ज बना रखा था.
मैं उन दिनों एक मल्टीनेशनल कंपनी में मैनेजर के पद पर काम करता था. जब भी कोई फ्लैट को खाली करता था तो मैं दोबारा उस पर टू-लेट (किराये के लिए खाली) लिख कर लगा देता था. मैं अन्य किसी को भी उस फ्लैट को उस फ्लैट के मालिक द्वारा बताए गए किराये पर चढ़ा देता था.
अभी जो लोग फ्लैट खाली करके गए थे वे दो बुजुर्ग पति पत्नी थे, जो रिटायरमेंट के बाद अपने शहर चले गए थे. किराया हर महीने फ्लैट के मालिक के खाते में जमा करवा देते थे.
दो चार लोग किराये पर लेने आये परंतु वे मुझे जमे नहीं. जिस सोसाइटी में मैं रहता था वह उस शहर की प्राइम सोसाइटी थी और वहाँ पर सभी 3 बीएचके के फ्लैट थे जिनका किराया 18000 से 20000 तक था.
दो कमरे वाला सेट तो कोई था ही नहीं, इसलिए जिसको भी लेना होता था वह तीन कमरों का ही लेता था और 18-20 हज़ार रुपये देता था, चाहे उसे तीन कमरों की जरूरत हो या नहीं.
एक संडे के रोज मैं किसी काम से नीचे गया तो मुझे एक बंगाली सा दिखने वाला कपल दिखाई दिया. आदमी तो बिल्कुल साधारण था लेकिन उसके साथ जो लेडी थी वह बला की सुन्दर, दूध जैसी गौरी, हसीन और गजब की सेक्सी लेडी थी.
उसकी लम्बी सुराहीदार सेक्सी गर्दन, बहुत ही सुन्दर नयन नक्श, बड़े बड़े मम्मे, गदराया शरीर, नशीली आंखें यानि कि हर लिहाज से सुंदरता में लाजवाब थी. उसका साइज 38-34-36 के करीब का रहा होगा.
उसने जबरदस्त अच्छे तरीके से बहुत ही नीची अर्थात् नाभि से काफी नीची साड़ी पहन रखी थी. साड़ी इतनी कसी थी कि उसकी गांड बिल्कुल बाहर निकलने को होकर उठी हुई दिखाई दे रही थी.
साड़ी के ऊपर स्लीवलेस ब्लाउज पहना था जिसमें उसकी 38 के साइज की चूचियाँ ब्लाउज फाड़ कर बाहर निकलने को हो रही थीं. लेडी ने बालों के ऊपर पर बहुत ही सुंदर काला चश्मा लगा रखा था.
आदमी मरियल सा था. उसकी आंखों पर चश्मा, मुँह पिचका हुआ, लगभग 5 फुट 5 इंच का होगा जो उस लेडी के साथ चलता हुआ भी अजीब लग रहा था. मैं मन ही मन सोच रहा था कि फ्लैट को किराए पर कोई इस तरह का कपल लेने आ जाये तो मजा आ जाये लेकिन वे आगे निकल गए.
फिर मैं अपने फ्लैट में अंदर आ गया. करीब आधे घण्टे बाद मेरे कमरे की बैल बजी, मैंने दरवाजा खोला तो देखा वही कपल बाहर खड़ा था. मैं उन्हें देखकर खुश हो गया.
आदमी ने पूछा- आपके पास किराये के लिए फ्लैट खाली है?
मैं- जी हाँ, है.
आदमी- किराये पर दोगे?
मैंने कहा- सर, आप अंदर आ जाएं, आराम से बैठकर बातें करते हैं.
आदमी- नहीं, आप खड़े खड़े ही बताएं, देना है या नहीं?
मैंने फिर कहा- सर आप अंदर तो आइए?
आदमी- नहीं, पहले आप मकान दिखाओ.
लेडी बहुत ही सॉफ्ट आवाज़ में बोली- जब वो कह रहे हैं कि अंदर आओ तो हम बैठ जाते हैं.
आदमी- तुम्हें बीच में बोलने को किसने कहा? जब कुछ नहीं पता हो तो बेवकूफों की तरह नहीं बोलते.
वो लेडी बेचारी चुप रह गई परंतु मुझे यह बहुत बुरा लगा.
मैंने अपने आपको रोकते हुए उनसे कहा- कोई बात नहीं, आप पहले फ्लैट देख लीजिए.
फिर मैंने पूरा फ्लैट खोल कर दिखा दिया. उस फ्लैट में तीन बेडरूम, एक ड्राइंगरूम, एक किचन था. फ्लैट में एंट्री के लिए दो दरवाजे थे. एक तरफ राइट साइड में मेरा रूम था जिसमें अटैच्ड बाथरूम था.
लेफ्ट साइड के गेट में अंदर जाने के बाद ड्राइंगरूम से होते हुए दो बेडरूम थे. उस फ्लैट में दो बड़ी बड़ी बालकॉनी थी. एक बालकॉनी तो ड्राइंगरूम और एक बेड रूम के साथ लगती थी. वह सोसाइटी के अंदर की तरफ थी जिससे दूसरे फ्लैट और ब्लॉक दिखाई देते थे.
एक बालकॉनी पीछे की तरफ थी जो मेरे और बचे पोर्शन के मास्टर बेडरूम के लिए इकट्ठी थी. मैंने बड़े रूखेपन से उनको पूरा फ्लैट दिखा दिया और बोल दिया कि पीछे की बालकॉनी मेरी है, किराएदार का उस पर कोई हक नहीं होगा.
मेरी बालकॉनी से बहुत ही सुन्दर हरा भरा व्यू था. उसके पीछे की ओर गोल्फ रेंज थी. एक ग्रीन पार्क था और दूर पहाड़ियाँ दिखाई देती थीं. मेरी बालकॉनी के सामने पूरा खुला दृश्य होने के कारण पूरी प्राइवेसी भी थी.
फ्लैट उनको बहुत पसंद आया. आदमी ने मुझसे पूछा- इसका किराया कितना है?
मैंने कहा- 10000 रुपये महीना.
दस हज़ार सुनते ही आदमी की बांछें खिल गईं और बोला- हमें ये फ्लैट पसन्द है, आप दे दीजिए.
मैं उन दिनों एक मल्टीनेशनल कंपनी में मैनेजर के पद पर काम करता था. जब भी कोई फ्लैट को खाली करता था तो मैं दोबारा उस पर टू-लेट (किराये के लिए खाली) लिख कर लगा देता था. मैं अन्य किसी को भी उस फ्लैट को उस फ्लैट के मालिक द्वारा बताए गए किराये पर चढ़ा देता था.
अभी जो लोग फ्लैट खाली करके गए थे वे दो बुजुर्ग पति पत्नी थे, जो रिटायरमेंट के बाद अपने शहर चले गए थे. किराया हर महीने फ्लैट के मालिक के खाते में जमा करवा देते थे.
दो चार लोग किराये पर लेने आये परंतु वे मुझे जमे नहीं. जिस सोसाइटी में मैं रहता था वह उस शहर की प्राइम सोसाइटी थी और वहाँ पर सभी 3 बीएचके के फ्लैट थे जिनका किराया 18000 से 20000 तक था.
दो कमरे वाला सेट तो कोई था ही नहीं, इसलिए जिसको भी लेना होता था वह तीन कमरों का ही लेता था और 18-20 हज़ार रुपये देता था, चाहे उसे तीन कमरों की जरूरत हो या नहीं.
एक संडे के रोज मैं किसी काम से नीचे गया तो मुझे एक बंगाली सा दिखने वाला कपल दिखाई दिया. आदमी तो बिल्कुल साधारण था लेकिन उसके साथ जो लेडी थी वह बला की सुन्दर, दूध जैसी गौरी, हसीन और गजब की सेक्सी लेडी थी.
उसकी लम्बी सुराहीदार सेक्सी गर्दन, बहुत ही सुन्दर नयन नक्श, बड़े बड़े मम्मे, गदराया शरीर, नशीली आंखें यानि कि हर लिहाज से सुंदरता में लाजवाब थी. उसका साइज 38-34-36 के करीब का रहा होगा.
उसने जबरदस्त अच्छे तरीके से बहुत ही नीची अर्थात् नाभि से काफी नीची साड़ी पहन रखी थी. साड़ी इतनी कसी थी कि उसकी गांड बिल्कुल बाहर निकलने को होकर उठी हुई दिखाई दे रही थी.
साड़ी के ऊपर स्लीवलेस ब्लाउज पहना था जिसमें उसकी 38 के साइज की चूचियाँ ब्लाउज फाड़ कर बाहर निकलने को हो रही थीं. लेडी ने बालों के ऊपर पर बहुत ही सुंदर काला चश्मा लगा रखा था.
आदमी मरियल सा था. उसकी आंखों पर चश्मा, मुँह पिचका हुआ, लगभग 5 फुट 5 इंच का होगा जो उस लेडी के साथ चलता हुआ भी अजीब लग रहा था. मैं मन ही मन सोच रहा था कि फ्लैट को किराए पर कोई इस तरह का कपल लेने आ जाये तो मजा आ जाये लेकिन वे आगे निकल गए.
फिर मैं अपने फ्लैट में अंदर आ गया. करीब आधे घण्टे बाद मेरे कमरे की बैल बजी, मैंने दरवाजा खोला तो देखा वही कपल बाहर खड़ा था. मैं उन्हें देखकर खुश हो गया.
आदमी ने पूछा- आपके पास किराये के लिए फ्लैट खाली है?
मैं- जी हाँ, है.
आदमी- किराये पर दोगे?
मैंने कहा- सर, आप अंदर आ जाएं, आराम से बैठकर बातें करते हैं.
आदमी- नहीं, आप खड़े खड़े ही बताएं, देना है या नहीं?
मैंने फिर कहा- सर आप अंदर तो आइए?
आदमी- नहीं, पहले आप मकान दिखाओ.
लेडी बहुत ही सॉफ्ट आवाज़ में बोली- जब वो कह रहे हैं कि अंदर आओ तो हम बैठ जाते हैं.
आदमी- तुम्हें बीच में बोलने को किसने कहा? जब कुछ नहीं पता हो तो बेवकूफों की तरह नहीं बोलते.
वो लेडी बेचारी चुप रह गई परंतु मुझे यह बहुत बुरा लगा.
मैंने अपने आपको रोकते हुए उनसे कहा- कोई बात नहीं, आप पहले फ्लैट देख लीजिए.
फिर मैंने पूरा फ्लैट खोल कर दिखा दिया. उस फ्लैट में तीन बेडरूम, एक ड्राइंगरूम, एक किचन था. फ्लैट में एंट्री के लिए दो दरवाजे थे. एक तरफ राइट साइड में मेरा रूम था जिसमें अटैच्ड बाथरूम था.
लेफ्ट साइड के गेट में अंदर जाने के बाद ड्राइंगरूम से होते हुए दो बेडरूम थे. उस फ्लैट में दो बड़ी बड़ी बालकॉनी थी. एक बालकॉनी तो ड्राइंगरूम और एक बेड रूम के साथ लगती थी. वह सोसाइटी के अंदर की तरफ थी जिससे दूसरे फ्लैट और ब्लॉक दिखाई देते थे.
एक बालकॉनी पीछे की तरफ थी जो मेरे और बचे पोर्शन के मास्टर बेडरूम के लिए इकट्ठी थी. मैंने बड़े रूखेपन से उनको पूरा फ्लैट दिखा दिया और बोल दिया कि पीछे की बालकॉनी मेरी है, किराएदार का उस पर कोई हक नहीं होगा.
मेरी बालकॉनी से बहुत ही सुन्दर हरा भरा व्यू था. उसके पीछे की ओर गोल्फ रेंज थी. एक ग्रीन पार्क था और दूर पहाड़ियाँ दिखाई देती थीं. मेरी बालकॉनी के सामने पूरा खुला दृश्य होने के कारण पूरी प्राइवेसी भी थी.
फ्लैट उनको बहुत पसंद आया. आदमी ने मुझसे पूछा- इसका किराया कितना है?
मैंने कहा- 10000 रुपये महीना.
दस हज़ार सुनते ही आदमी की बांछें खिल गईं और बोला- हमें ये फ्लैट पसन्द है, आप दे दीजिए.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.