19-05-2022, 04:36 PM
उसने हाँ कहा और वहीं बैठा रहा। कमरे से आकर मैंने उसे अपने कपडे़ खोलकर बाथरुम में जाने को कहा। बाथरुम में जब मैं गयी तो वह तौलिया लपेट कर खडा़ था। मैंने उसके आँखों पर मोटी पट्टी बाँधी जिससे उसे कुछ दिखाई न दे। फिर सहारा देकर मैंने उसके सिर को नीचे किया। उस समय मैं साडी़ पहने हुए थी। अब मुझे भी सिहरन हो रही थी। फिर मैं उसके सिर पर अपनी चुत को उसके मुँह के पास रखकर पिशाब करने लगी। उत्तेजनावश पिशाब की एक मोटी धार उसके मुँह में गिरी और मैं पिशाब करने के बाद उठी। उसे देखा तो मैं आश्चर्यचकित हो गयी। उसने मेरा पूरा मूत पी लिया था। मैंने बिना कुछ कहे उसके आँखों की पट्टी खोली और उसे नहाने को बोलकर बाररुम से बाहर आ गयी।
बाहर आकर मैं अपने दुसरे कामों में व्यस्त हो गयी। रवि से नजरें मिलाने की हिम्मत नहीं हो रही थी। खैर किसी तरह दो दिन बित गये।
इन दो दिनों में जब भी वह बात याद आती मेरी चूत गीली हो जाती थी।
तिसरे दिन मेरे टीवी देखते समय रवि मेरे पास आया। वह बोला "बुआ जो हुआ सो हुआ। मैं यह बात किसी को नहीं बताऊँगा और यह बात सताने वाली है भी नहीं कि मैंने आपका मूत पिया है।"
मैंने भी कहा कि यह बात किसी हालत में कोई न जाने क्योंकि इससे मेरी बदनामी होगी।
"बुआ ऐसे देखा आपने मैंने असंभव वाला काम कर दिया। मूत पीने समय तो बहुत ही खारा लगा पर मैं किसी तरह पी ही गया। आपके बाथरुम से निकलने के बाद थोडी़ उबकाई हुई पर सब ठीक हो गया। वैसे मेरी शर्त तो याद है ना।"
"हाँ याद है, बोलो क्या करना है।" मैनें थोडे़ कडे़ लहजे में उससे पूछा।
"रहने दीजिए बुआ आप नहीं कर पाएँगी।"
"ऐसा कौन सा काम है जो मैं नहीं कर पाउँगी।"
"आप मुझसे नाराज हो जाएँगी। और फिर आप से नहीं हो पाएगा।"
बाहर आकर मैं अपने दुसरे कामों में व्यस्त हो गयी। रवि से नजरें मिलाने की हिम्मत नहीं हो रही थी। खैर किसी तरह दो दिन बित गये।
इन दो दिनों में जब भी वह बात याद आती मेरी चूत गीली हो जाती थी।
तिसरे दिन मेरे टीवी देखते समय रवि मेरे पास आया। वह बोला "बुआ जो हुआ सो हुआ। मैं यह बात किसी को नहीं बताऊँगा और यह बात सताने वाली है भी नहीं कि मैंने आपका मूत पिया है।"
मैंने भी कहा कि यह बात किसी हालत में कोई न जाने क्योंकि इससे मेरी बदनामी होगी।
"बुआ ऐसे देखा आपने मैंने असंभव वाला काम कर दिया। मूत पीने समय तो बहुत ही खारा लगा पर मैं किसी तरह पी ही गया। आपके बाथरुम से निकलने के बाद थोडी़ उबकाई हुई पर सब ठीक हो गया। वैसे मेरी शर्त तो याद है ना।"
"हाँ याद है, बोलो क्या करना है।" मैनें थोडे़ कडे़ लहजे में उससे पूछा।
"रहने दीजिए बुआ आप नहीं कर पाएँगी।"
"ऐसा कौन सा काम है जो मैं नहीं कर पाउँगी।"
"आप मुझसे नाराज हो जाएँगी। और फिर आप से नहीं हो पाएगा।"
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.