19-05-2022, 03:42 PM
दीदी मुर्गी बन गई थी। मुर्गी बनने का मतलब अपने हाथों को पैरों के पीछे से ले जाकर अपने चूतड (Ass) को ऊपर उठाना और हाथों को कान से पकड़ना होता है।
मैं कुछ देर दीदी को देखती रही। फिर गुस्से से आगे चली गई।
जब मैं खाना खाकर वापस फिर से कमरे में आई तो मैंने देखा कि --दीदी मुर्गी बनी हुई है!मैं सीढ़ी लगाकर छत पर चढ़ी तो मैंने देखा कि दीदी का पूरा शरीर लाल हो गया है और पूरे शरीर से पसीना टपक रहा था। लेकिन दीदी उसी प्रकार मुर्गी बनी हुई थी ।
उनका चूतड हवा में लटक रहा था।
मैंने कहा कि -'' यह क्या पागलपन है? "
दीदी ने कहा कि--" तुम जाओ मुझे इस तरह अच्छा लग रहा है।"
मैंने कहा कि -"अच्छा कैसे लग रहा होगा? तुम्हें क्या दर्द नहीं हो रहा?''
दीदी ने उसी तरह मुर्गी बने हुए कहा --"तुम जाओ मुझे डिस्टर्ब मत करो!''
मैं गुस्से में नीचे उतर कर अपने कमरे में चली गई।
कुछ देर के बाद मुझे दीदी के सीढ़ी वाले छज्जे से कुछ आवाजें आई ।
मैं इन आवाज को पहचानती थी ।ये आवाजें तनु आंटी की थी।यहां अकेले हमारे घर के बगल में रहा करती थीं। उनकी उम्र लगभग 50 साल की थी। उनके कोई बच्चा नहीं था। उनकी तीन बहने थी,जो उनकी देखभाल करने के लिए आया करती थी।वह गुस्सैल महिला थी।
मैं कुछ देर दीदी को देखती रही। फिर गुस्से से आगे चली गई।
जब मैं खाना खाकर वापस फिर से कमरे में आई तो मैंने देखा कि --दीदी मुर्गी बनी हुई है!मैं सीढ़ी लगाकर छत पर चढ़ी तो मैंने देखा कि दीदी का पूरा शरीर लाल हो गया है और पूरे शरीर से पसीना टपक रहा था। लेकिन दीदी उसी प्रकार मुर्गी बनी हुई थी ।
उनका चूतड हवा में लटक रहा था।
मैंने कहा कि -'' यह क्या पागलपन है? "
दीदी ने कहा कि--" तुम जाओ मुझे इस तरह अच्छा लग रहा है।"
मैंने कहा कि -"अच्छा कैसे लग रहा होगा? तुम्हें क्या दर्द नहीं हो रहा?''
दीदी ने उसी तरह मुर्गी बने हुए कहा --"तुम जाओ मुझे डिस्टर्ब मत करो!''
मैं गुस्से में नीचे उतर कर अपने कमरे में चली गई।
कुछ देर के बाद मुझे दीदी के सीढ़ी वाले छज्जे से कुछ आवाजें आई ।
मैं इन आवाज को पहचानती थी ।ये आवाजें तनु आंटी की थी।यहां अकेले हमारे घर के बगल में रहा करती थीं। उनकी उम्र लगभग 50 साल की थी। उनके कोई बच्चा नहीं था। उनकी तीन बहने थी,जो उनकी देखभाल करने के लिए आया करती थी।वह गुस्सैल महिला थी।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.