19-05-2022, 03:24 PM
ये कहानी मेरी बहन अंजलि और मेरी है। मेरी बहन अंजली और मैं, अपनी मां के साथ, एक छोटे से शहर में रहते हैं, जहां पर मेरी विधवा मां अपने दो पुत्रियों यानी हम दोनों के साथ अपने घर में रहती है। मां एक प्राइवेट कंपनी में नर्स का काम करती है और हम दोनों पढ़ाई करती हैं।
मेरी उम्र 18 साल की है और मेरी बहन की उम्र 23 साल की है। मैं हाई कॉलेज बहुत मुश्किल से पास कर चुकी हूं, दो बार फेल होने के बाद। कंपार्टमेंट एग्जाम निकाला है और अभी 12वीं की छात्रा हूं ।मेरी बहन स्नातक कर रही है और एक कॉलेज में पढ़ती है।
चुकी मेरी बहन पढ़ने में तेज है, इसलिए मैं ईर्ष्या भी करती हूं।
एक निम्न मध्यमवर्गीय परिवार की जिंदगी जिस प्रकार की होनी चाहिए, ठीक उसी प्रकार की जिंदगी हमारी है, जो आराम से कट रही है।माता जी नौकरी करती है, हम पढ़ाई करते हैं। हमारा दैनिक जीवन इसी दिनचर्या पर आधारित है और दिन गुजरते जा रहे हैं।
मेरी बहन बहुत ही खूबसूरत है यदि आप उसे देखेंगे तो उसका रूप इस प्रकार का है कि आप उसे कुछ देर तो निहारते रहेंगे ।उसका चक्कर कॉलेज में कुछ लड़कों के साथ था लेकिन कुल मिलाकर वह एक शर्मीली लड़की के रूप में ही जानी जाती हैं।एक ऐसी लड़की, जिस पर मां भरोसा कर सकती है,और समाज भी उसे इज्जत दे सकता है।
हमारी परिवार की दिनचर्या सामान्य ढंग से चल रही थी और उसमें किसी भी प्रकार की कोई समस्या नहीं थी ।समस्या उत्पन्न होनी शुरू हुई....इसकी कथा की यात्रा अलग से...
दीदी एक पढ़ाकू लड़की थी और मोहल्ले में हमारी पहचान पढ़ने लिखने वाली और अपने काम से काम रखने वाली लड़कियों की तरह ही थी।मोहल्ले वाले हमारे परिवार को इज्जत की निगाह से देखते थे क्योंकि उनका यह मानना था कि ये लड़कियां आज के आधुनिकता वादी समाज में भी संस्कारों से बंधी हुई हैं।
मेरी उम्र 18 साल की है और मेरी बहन की उम्र 23 साल की है। मैं हाई कॉलेज बहुत मुश्किल से पास कर चुकी हूं, दो बार फेल होने के बाद। कंपार्टमेंट एग्जाम निकाला है और अभी 12वीं की छात्रा हूं ।मेरी बहन स्नातक कर रही है और एक कॉलेज में पढ़ती है।
चुकी मेरी बहन पढ़ने में तेज है, इसलिए मैं ईर्ष्या भी करती हूं।
एक निम्न मध्यमवर्गीय परिवार की जिंदगी जिस प्रकार की होनी चाहिए, ठीक उसी प्रकार की जिंदगी हमारी है, जो आराम से कट रही है।माता जी नौकरी करती है, हम पढ़ाई करते हैं। हमारा दैनिक जीवन इसी दिनचर्या पर आधारित है और दिन गुजरते जा रहे हैं।
मेरी बहन बहुत ही खूबसूरत है यदि आप उसे देखेंगे तो उसका रूप इस प्रकार का है कि आप उसे कुछ देर तो निहारते रहेंगे ।उसका चक्कर कॉलेज में कुछ लड़कों के साथ था लेकिन कुल मिलाकर वह एक शर्मीली लड़की के रूप में ही जानी जाती हैं।एक ऐसी लड़की, जिस पर मां भरोसा कर सकती है,और समाज भी उसे इज्जत दे सकता है।
हमारी परिवार की दिनचर्या सामान्य ढंग से चल रही थी और उसमें किसी भी प्रकार की कोई समस्या नहीं थी ।समस्या उत्पन्न होनी शुरू हुई....इसकी कथा की यात्रा अलग से...
दीदी एक पढ़ाकू लड़की थी और मोहल्ले में हमारी पहचान पढ़ने लिखने वाली और अपने काम से काम रखने वाली लड़कियों की तरह ही थी।मोहल्ले वाले हमारे परिवार को इज्जत की निगाह से देखते थे क्योंकि उनका यह मानना था कि ये लड़कियां आज के आधुनिकता वादी समाज में भी संस्कारों से बंधी हुई हैं।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.