19-05-2022, 08:33 AM
(23-03-2022, 03:26 PM)neerathemall Wrote: फिर कुछ देर बाद
भैया यह पेटीकोट का नाड़ा मुझसे नहीं खुल रहा है आप इसको खोलने में मेरी थोड़ी मदद कर दो और उस समय मेरी अच्छी किस्मत से घर पर कोई भी नहीं था.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.


![[+]](https://xossipy.com/themes/sharepoint/collapse_collapsed.png)