17-05-2022, 05:08 PM
अब तो रोज़ मैं उनको देखता.. वो भी मुझे कभी-कभी देख लेती थीं। मैं तो अपना सुबह-शाम गेट खोल कर ही रखता और उनके बाहर आने का इन्तजार करता रहता कि कब वो आएं और मैं उनकी मदमस्त जवानी का रस लूँ।
ऐसे देखने का सिलसिला 10 दिन तक चला.. अब भाभी भी मुझे देख कर मुस्करा देती थीं और मेरे हाल-चाल पूछ लेती थीं कि सब ठीक है ना?
मैं मन में सोचता कि तुम ठीक रहने दोगी.. तब ना ठीक रहूँगा.
ऐसे देखने का सिलसिला 10 दिन तक चला.. अब भाभी भी मुझे देख कर मुस्करा देती थीं और मेरे हाल-चाल पूछ लेती थीं कि सब ठीक है ना?
मैं मन में सोचता कि तुम ठीक रहने दोगी.. तब ना ठीक रहूँगा.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.