17-05-2022, 04:50 PM
जिससे दीदी का तो जोश और भी बढ़ने लगा और उन्होंने मेरे हाथो को अपने चूचियो के अंदर डाल दिया और ब्रा के ऊपर से ही मेरे हाथो को पकड कर दबवाने लगी। मै भी अपने आप से बाहर होने लगा और मैंने दीदी के काले रंग के ब्रा को निकाल दिया और उनके गोरे रंग के मम्मो को दबाने लगा। दीदी को भी मज़ा आने लगा था। मैं उनके मम्मो को दबाते हुए उन्हें पीने लगा। मै दीदी के मम्मो को दबा दबा कर पी रहा था, और दीदी धीरे धीरे …अह्ह्ह अह्ह्ह उफ़ उफ्फ्फ ओह ओह्ह्ह .. करके सिसने लगी थी। मै जानवरों की तरह बहुत देर तक उनके मम्मो को मसलते हुए पीता रहा।
उनके मम्मो को पीने के बाद, मै दीदी के कमर को सहलाते हुए धीरे धीरे उनकी चूत की तरह बढ़ने लगा और दीदी इतनी कामोत्तेजित हो गई थी की वो अपने ही हाथो से अपने मम्मो को मसने लगी थी और अपने शरीर को ऐंठने लगी थी। फिर जब मै दीदी के चूत के पास पहुँच गया तो मैंने पहले तो दीदी के चूत को पैंटी के ऊपर से ही सहलाया और दीदी के चूत को किस भी किया।
आप ये कहानी नॉन वेज सेक्स स्टोरी डॉट कॉम पर पढ़ रहे थे। फिर मैने दीदी के पैंटी को निकाल दिया और उनकी रसीली और मदहोश करने वाली चूत को पहले अपने हाथो से कुछ देर तक सहलाया और उनकी चूत के दाने से बहुत देर तक खेलता रहा और दीदी धीरे धीरे आंहें भरती रही।जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.